सुन मेरे हमसफर 53

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   समर्थ परेशान सा बाहर निकला। वाइन के दो गिलास ने हीं उसके दिमाग पर असर करना शुरू कर दिया था। बाहर निकलते ही मीडिया वालों ने उसकी तस्वीरें लेना शुरू कर दिया, लेकिन उसने सबको अवॉइड किया और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा। लेकिन गाड़ी में बैठते ही उसे सामने ऑटो से उतरती हुई तन्वी नजर आई। उसे लगा जैसे किसी ने उसके दिल को पूरी तरह निचोड़ दिया हो। वो बिना कुछ सोचे गाड़ी से उतरा और तन्वी की तरफ बढ़ा।


     इस सब से बेखबर तन्वी ने अपने पास से पैसे निकाल कर ऑटो वाले को दिए और अपना पर्स संभालते हुए पार्टी हॉल की तरफ बढ़ने लगी। लेकिन उससे पहले समर्थ ने उसका हाथ पकड़ा और एक झटके में उसे अपने साथ लगभग घसीटते हुए वहां से दूर एक तरफ ले गया जहां सिर्फ अंधेरा था और रोशनी के नाम पर स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी पड़ रही थी और इस तरह से पड़ रही थी कि वहां का अंधेरा दूर करने के लिए बहुत कम थी।


     तनवी को समर्थ का यह बर्ताव कुछ समझ नहीं आया। उसने जबरदस्ती समर्थ की पकड़ से छुड़ाया और चिल्लाते हुए बोली "आखिर चाहते क्या हैं आप? मुझे अकेला क्यों नहीं छोड़ देते? क्या चाहिए आपको मुझसे? मैंने कहा था ना, मैं अब आपके रास्ते में नहीं आऊंगी। फिर आप क्यों मेरे रास्ते आ रहे हैं? अगर किसी ने आपको मेरे साथ देख लिया तो..........…"


    तन्वी अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही समर्थ ने गुस्से में तन्वी को जोर से धक्का दिया, जिससे वह सीधे अपने पीछे दीवार से जा लगी। दर्द की एक लहर तन्वी के पूरे शरीर में दौड़ गई। वह वहां से हटती उसे पहले ही समर्थ में अपने दोनों हाथ दीवार पर रख तन्वी को वहां लॉक कर दिया और गुस्से में भरकर बोला "किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा? सोचने दो जिन्हें सोचना है। सबके दिमाग का ठेका नहीं ले रखा मैंने! देखने दो जिन्हें देखना है, सोचने दो जिन्हें कुछ भी सोचना है, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता!!!"


     तन्वी को बात समझते देर नहीं लगी। उसने नरम लहजे में पूछा "आपने पी रखी है?" लेकिन समर्थ उसी तरह गुस्से में वहां खड़ा रहा। उसने कोई जवाब नहीं दिया।


      तन्वी फीकी हंसी के साथ बोली "रहने दीजिए सर! इस वक्त हमारा बात करने का कोई फायदा नहीं है। अभी आप नशे में है।"


     समर्थ हंसने लगा। वो तन्वी के थोड़ा और करीब आया, और उसके चेहरे को अपनी तरफ उठाकर उसकी आंखों में देखने लगा। "तुम्हारी आंखों से ज्यादा नशा किसी भी वाइन में नहीं है।"


     समर्थ की वो मदहोशी भरी आवाज..........! तन्वी का दिल धक से रह गया। कहीं कुछ गलत ना हो जाए, ये सोचकर वो घबराने लगी। इस वक्त वो दोनों जहां थे और जिस हालत में थे, वो दोनों ही सही नहीं था। तन्वी जानती थी समर्थ कैसा है। लेकिन इस वक्त वो नशे में था और नशे में अगर कुछ गलत हो गया तो समर्थ कभी अपने आप से नजर नहीं मिला पाएगा। उसने खुद को समर्थ की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की और कहा, "अभी आप नशे में है सर! अगर आपको कुछ बात करनी है तो कल आराम से हम बात कर सकते हैं। आपको जो कुछ भी कहना है आप कह सकते हैं, लेकिन अभी नहीं। छोड़िए मुझे और जाने दीजिए।"


    तन्वी वहां से जाने को हुई लेकिन उससे पहले ही समर्थ में उसकी कमर में हाथ डाला और अपनी तरफ खींच लिया। इससे पहले कि तन्वी कुछ रिएक्ट कर पाती, समर्थ ने एकदम से झुक कर तन्वी के गर्दन पर काट लिया।


    शर्म और डर, और दोनों की वजह से तन्वी किसी सूखे पत्ते की तरह कांप गई। समर्थ से इस नजदीकी की चाहत उसे हमेशा से थी लेकिन इस हालत में नहीं और इस तरह तो बिल्कुल भी नही। तन्वी किसी जल बिन मछली की तरह समर्थ की बाहों में छटपटाने लगी लेकिन समर्थ को आज ना जाने क्या हुआ था, जो खुद से बगावत करने पर उतारू था। उसने तब तक तन्वी को नहीं छोड़ा जब तक कि उसके काटने से तन्वी के गर्दन पर निशान न पड़ गए।





     निशी ने जैसे ही टर्न लिया, अव्यांश का दिल जैसे उछल कर बाहर आने को तैयार था। लेकिन ब्रेक लगने से उसने राहत की सांस ली और अपने धड़कते दिल पर हाथ रख खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा कि अभी वह जिंदा है। उसने नाराजगी से निशी की तरफ देखा तो निशी ने दूसरी तरफ इशारा करते हुए कहा "उधर मीडिया वाले खड़े हम लोगों का ही इंतजार कर रहे हैं। अब इसी पोज में तस्वीरें खिंचवाने है या बाहर भी उतरोगे?"


     अव्यांश जैसे नींद से जागा। उसने जल्दी जल्दी अपना सर हिलाया और कहा "हां! हां मैं बस!! मैं बस वह........ उतर ही रहा था।"


     अव्यांश हड़बड़ाहट में दरवाजा खोलने को हुआ तो निशी ने एकदम से उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली "पहले खुद को ठीक तो कर लो। शक्ल पर 12 बजे हुए हैं। किसी ने तुम्हें ऐसे देख लिया तो सब यही समझेंगे कि या तो जबरदस्ती तुम्हारी शादी करवाई गई है या फिर तुम आज अपनी गर्लफ्रेंड के रिसेप्शन में आए हो। और किसी का नहीं तो कम से कम अपनी फैमिली के इज्जत का ध्यान रखो। कौन कहेगा कि तुम सारांश मित्तल के बेटे हो!"


     अव्यांश फाइनली पूरी तरह होश में आया। उसने खुद को गाड़ी के रियर व्यू मिरर में देखा और अपने बालों में हाथ घुमाते हुए मुस्कुरा दिया। गाड़ी सीधे जाकर मेन एंट्रेंस के पास ही खड़ी हुई थी इसलिए मीडिया रिपोर्टर की नजर उन्हीं पर थी। लाल शर्ट सफेद टक्सीडो में अव्यांश ने पहले अपने साइड का दरवाजा खोल कर कदम बाहर निकाले और बड़े स्टाइल में चलते हुए वह ड्राइविंग सीट के पास पहुंचा। दरवाजा खोल कर उसने बड़े अदब से निशी के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया।


     निशी भी उसका हाथ पकड़कर बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए अव्यांश के साथ खड़ी हो गई। रेड कलर का गाउन जिस पर सफेद फूलों की कारीगरी की गई थी, जो निशी के कंधे से होते हुए कमर तक जा रही थी। कंधे से पीछे की तरफ गिरता दुपट्टा जो आगे आकर उसकी कलाई से बंधे थे जो साड़ी का लुक दे रहे थे। कुल मिलाकर निशी और अव्यांश, दोनो की ही शाही लुक दिया गया था। थीम पार्टी होने के बावजूद दोनों सबसे अलग नजर आ रहे थे।


     एक लड़की को ड्राइविंग सीट से उतरते देख सबको पहले तो हैरानी हुई और उससे भी ज्यादा हैरानी तब हुई जब उन्हें पता चला कि यह कपल कोई और नहीं बल्कि इस पार्टी की सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन है। ये पहली बार था जब अव्यांश इस तरह मीडिया की नज़रों में आया था। वरना अब तक तो सुहानी, अव्यांश और यहां तक कि शिवि भी कभी कैमरे के सामने नहीं आई थी। बस कुछ लोग ही थे जो उन्हें सोशल मीडिया के जरिए जानते थे।


     रिपोर्टर्स उन दोनों से कुछ पूछना चाहते थे लेकिन समर्थ ने पहले ही सबको इंस्ट्रक्शन दे रखे थे कि कोई भी अव्यांश और निशी के करीब ना जाने पाए। जिन्हें तस्वीरें लेनी है आराम से ले सकते हैं लेकिन कोई सवाल नहीं। अव्यांश ने निशि का हाथ पकड़े हुए आगे कदम बढ़ाया। कुछ बॉडीगार्ड्स उन दोनों के साथ चल रहे थे। अव्यांश ने निशी के साथ खड़े होकर कुछ पोज दिए और तकरीबन 5 मिनट के फोटो सेशन के बाद दोनों पार्टी हॉल में चले गए। वहां पहुंचते ही जैसे पूरी पार्टी में जान आ गई।


    सारांश इस बार इस पार्टी में खुलकर अपने बेटे को सबके सामने लाना चाहता था। ये मौका सही भी था। ऑफिसियली अव्यांश अब कंपनी को संभालने जा रहा था ऐसे में उसका सबसे पहचान होना बेहद जरूरी था। मित्तल परिवार की निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम लोग जानते थे। बस उन्हें ही पता था जो उनके साथ काम करते थे और जो उनके बेहद करीबी थे। ऐसे में यह सिया का फैसला था कि अपने बच्चों को इन चकाचौंध की दुनिया से दूर रखेगी और एक साधारण सी जिंदगी जीने देगी, जिसमें कोई तामझाम नहीं हो, एक सुकून भरी जिंदगी। आगे का फैसला बच्चों का ही होता कि वो यहां से कहां जाना चाहते हैं।


     सारांश ने इस पार्टी को काफी अच्छी तरीके से बिजनेस वर्ल्ड में अव्यांश को इंट्रोड्यूस करने के लिए यूज़ किया। हर कोई मित्तल परिवार के बेटे और बहू से बड़े आदर और शालीनता से मिल रहे थे। सबसे मिलने के बाद मौका पाते ही अव्यांश ने धीरे से सारांश का हाथ दबाया था और कहा "डैड! मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"


     सारांश का फिलहाल कोई मूड नहीं था। उसे लगा अव्यांश बस यूं ही कुछ भी कहना चाह रहा है। फिर भी उसने पूछा, "ऑफिस के रिलेटेड कुछ है?"


    अव्यांश ने इनकार कर दिया तो सारांश ने कहा "तो फिर अभी नही, बाद में। घर चल कर बात करते हैं। फिलहाल यहां आए मेहमानों से मिलो। ये तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है। काश इस वक्त समर्थ यहां होता। वो तो पता नही कहां निकला है।"


     अव्यांश ने धीरे से कहा "यही तो मैं आपसे बात करना चाह रहा हूं डैड! भाई यहां नहीं है और मुझे उनके बारे में ही बात करनी है।"


   सारांश पहले तो चौक गया। फिर उसे लगा कि शायद कुछ सीरियस बात हो। उसने पूछा "क्या हुआ? तेरी आवाज से कुछ गड़बड़ का एहसास हो रहा है मुझे।"


     अव्यांश ने पहले दो अपने अगल बगल देखा। फिर जब उसे लगा कि किसी का ध्यान उस दोनों पर नहीं है तो वो सारांश को एक साइड लेकर गया और बोला "मैंने.......! मैंने भाई को किसी के साथ देखा।"


     सारांश को ना जाने क्यों, लेकिन शक हुआ। उसने पूछा "किसके साथ देखा तूने? कोई लड़की थी?"


    अव्यांश ने पहले तो अपनी नजर झुका ली। फिर गहरी सांस लेकर बोला "अभी जब मैं और निशी आ रहे थे तो आगे मोड़ पर मैंने देखा, भाई को किसी का हाथ पकड़ कर कहीं ले जा रहे थे। मैंने उसका चेहरा तो नहीं देखा लेकिन इतना कंफर्म है कि उनका मूड कुछ सही नहीं था।"


    सारांश को समझते देर न लगी कि वो लड़की कोई और नहीं बल्कि तन्वी ही हो सकती है। क्योंकि जहां सारे एंप्लॉय वहां मौजूद थे, ऐसे में बस एक समर्थ और एक तन्वी ही वहां से गायब थे।



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