सुन मेरे हमसफर 51

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    "ओ रोमियो जूलियट! पहले काम खत्म कर लो, यह सब बाद में भी करते रहना।" समर्थ की आवाज से कुहू चौक गई और कुणाल उससे दो कदम पीछे हटता हुआ बोला "मैं देखता हूं उधर।"


    कुणाल वहां से जाने को हुआ तो कुहू ने एक बार फिर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली "कुणाल! पहले मेरी बात तो सुनो।" लेकिन कुणाल इस बारे में फिलहाल कुछ ना कहना चाहता था ना ही सुनना चाहता था। उसने बात को टालते हुए कहा "कुहू! अभी नहीं। अभी इन सबका वक्त नहीं है। फिलहाल हम यहां अपनी नहीं तुम्हारे भाई के रिसेप्शन पार्टी अरेंज कर रहे हैं। हम इस बारे में बाद में बात करेंगे। वरना अगर तुम्हारे भाई को जरा सी भी कमी नजर आई तो इसका बदला वह तुम्हारी रिसेप्शन में लेगा। अगर तुम अपना फ्यूचर प्लानिंग करना चाहती हो तो आज सब कुछ परफेक्ट होना चाहिए।" 


   कुहू भी कुछ सोचकर पीछे हट गई। उसने कुणाल को रोका नहीं, बस मुस्कुरा कर उसे जाने का इशारा किया। कुणाल को भी वहां से निकलना था सो मौका मिलते ही वह भी वहां से दूर चला गया। कुहू को पता नहीं क्यों लेकिन अजीब सी फीलिंग आ रही थी। "उसने हमारी रिसेप्शन पार्टी नहीं कहा। मेरी रिसेप्शन पार्टी से क्या मतलब?" कुहू अपने ख्यालों में गुम थी जब सुहानी ने उसे आवाज लगाई और अपने पास आने को कहा। कुहू भी उस ओर चल पड़ी।



*****



      पार्टी का सारा अरेंजमेंट किसी पेस्ट्री पार्टी की तरह ही रखा गया था और सारी मीडिया बाहर खड़ी थी। यह एक ग्रैंड सेरिमनी थी जहां पर न सिर्फ बिजनेस वर्ल्ड के, बल्कि ग्लैमर वर्ल्ड के अभी कई नामी-गिरामी चेहरे एक साथ एक ही जगह पर नजर आने वाले थे, जिन्हें देखने और उनका इंटरव्यू लेने के लिए सभी मीडिया हाउस के रिपोर्टर बेचैन थे।


     मेहमानों का आना जाना शुरू हो चुका था। सभी रेड कारपेट पर चलकर अपनी तस्वीरें खिंचवाते हुए पार्टी हॉल में इंटर कर रहे थे। मित्तल परिवार भी एक एक कर रेड कारपेट पर चलता हुआ जा रहा था। कुछ लोगों ने उनसे सवाल करने की कोशिश की जिनका जवाब देने का जिम्मा समर्थ ने अपने ऊपर ले लिया।


      समर्थ ने बड़े शालीनता से मीडिया को फोटोज दिए और उनके पूछे गए सवालों के जवाब देने शुरू किए। और बाकी सब पार्टी हॉल में चले आए। 


   सभी अपने वेस्टर्न लुक में थे। लेकिन हमारे परिवार की सबसे बड़ी सदस्या, सिया कंचन और धानी अपने पुराने अवतार में ही थी। रेनू जी भी पहले तो सबके कपड़े देख थोड़ी असहज हो रही थी लेकिन उन तीनों के साथ उन्होंने भी राहत की सांस ली। बाकी हमारी अवनी, श्यामा, काव्या और उनकी तीनों लाड़ली वेस्टर्न अवतार में कयामत लग रही थी।


     पार्टी का थीम ही वाइट और रेड रखा गया था। रेड लड़कियों के लिए और वाइट लड़कों के लिए। उन दोनों को ही तय करना था कि अपने पाटनर के कलर का कौन सा सामान या निशानी उन्हें अपने पास रखनी है। अवनी ने सफेद रंग का क्लच अपने पास रखा था तो सारांश ने लाल रंग की टाई। श्यामा की बात करें तो उसने सफेद रंग का फूल अपने बालों में लगा रखा था और सिद्धार्थ ने लाल रंग का रुमाल अपने पॉकेट में। काव्या ने सफेद मोती को अपने कलाई में ब्रेसलेट की तरह लगाया था तो वहीं कार्तिक ने लाल रंग की बो टाई।


     सभी एक दूसरे को देख कर कॉन्प्लीमेंट दिए जा रहे थे और एक दूसरे को छेड़ने का मौका भी नहीं छोड़ रहे थे। कुछ कहकर तो कुछ इशारों में छेड़छाड़ जारी थी और रोमांस भी। वाकई, हवाओं में प्यार की खुशबू फैली हुई थी। किसी ने सारांश से पूछा "लेकिन हम जिनके लिए आए हैं, वह दोनों अभी तक यहां आने के लिए निकले या नहीं?"


     सारांश ने हंसते हुए जवाब दिया "बस थोड़ी देर में पहुंचते ही होंगे। वैसे भी नई नई शादी है तो दोनों को एक साथ टाइम स्पेंड करने के लिए मौका ढूंढना नहीं पड़ता, मिल जाता है।"


     वहीं खड़े एक और ने कहा "यह बात तो सही है। अभी जितना वक्त दोनों को एक साथ मिलेगा, वो ही अच्छा है। वरना तो धीरे धीरे घर परिवार को जिम्मेदारी, फिर बच्चो की जिम्मेदारी में ये रोमांस कहीं गुम हो जाता है।"


    सिद्धार्थ इस सब से सहमत नही था। उसने कहा, "बिल्कुल गलत! चाहे कितनी भी जिम्मेदारी हो, दोनों मिलकर संभालेंगे तो रोमांस का पूरा वक्त मिलेगा। आखिर ये सबसे ज्यादा जरूरी है। लाइफ चाहे कितनी भी बोरिंग हो या उतार चढ़ाव से गुजरे, बस अपने पार्टनर के साथ गुजरा एक खास पल ही हमारे सारे तनाव दूर कर देता है। रोमांस का तरीका भले बदल जाए लेकिन प्यार कम नहीं होना चाहिए। एक वो ही तो है जो हमे हर सुबह लाइफ के प्रॉब्लम्स को फेस करने की हिम्मत देती है।"


    सारांश भी अपने भाई के विचारों से काफी ज्यादा इंप्रेस्ड था। उसने कहा, "इस मामले में मैं भाई को पूरी तरह सपोर्ट करता हूं। जब दिन के चौबीस घंटे में हर किसी के लिए टाइम निकालते है तो फिर उसको कैसे इग्नोर कर सकते है जो अपना सब कुछ छोड़ कर आपके पास आई है।"


   कार्तिक ने भी उन दोनो से इंप्रेस्ड होते हुए कहा, "भई इस मामले में मैने हमेशा इन दोनों से कुछ ना कुछ सीखा ही है। दोनों बेस्ट हस्बैंड है। लेकिन मैं अभी तक तय नहीं कर पाया हूं कि इन दोनों में ज्यादा बेस्ट कौन है?"


     सिद्धार्थ ने तपाक से जवाब दिया, "ओबियसली मैं! और कौन?"


    सारांश कहां पीछे रहने वाला था। उसने भी अपने हाथ में पकड़ा वाइन का ग्लास ऊपर उठाया और कहा, "बिल्कुल नहीं! मेरे से ज्यादा आप नही हो सकते। मेरी शादी आपसे पहले हुई थी। आप तो शादी करने के लिए तैयार ही नहीं थे।"


      सिद्धार्थ भी कहां पीछे रहता। उसने कहा "मैंने एक हफ्ते में ही श्यामा को प्रपोज कर दिया था। तेरी तरह 3 साल पीछा नहीं किया। वह तो तुझे कार्तिक का एहसान मानना चाहिए जो उसने आगे बढ़कर तेरे लिए रास्ता साफ किया, वरना पता नहीं कब तक तू अवनी का पीछा करने वाला था।"


     सारांश को यह बात दिल पर लग गई। उसे कैसे भी खुद को साबित करना था। कार्तिक के होठों पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई। उसने वहां खड़े लोगों को धीरे से इशारा किया और वहां से लेकर चला गया। दोनों भाई आपस में उलझे हुए थे और दोनों ही हार मानने को तैयार नहीं थे।



*****



    इधर निशी तैयार होकर जब नीचे आई तो अव्यांश को खुद को घूरते हुए पाया। अब हमारे अव्यांश महाराज भी क्या करें! अपनी बीवी पर तो वह पहले दिन से ही लट्टू थे और आज तो वह कुछ ज्यादा ही कहर ढा रही थी। आज की रात तो उन दोनों की थी और उन दोनों का ही खास दिखना बनता था।


     निशी ने अव्यांश की आंखों के सामने चुटकी बजाई जो अव्यांश होश में आया और बोला "तुमको कितना टाइम लगता है तैयार होने में? सारे गेस्ट वहां पहुंच चुके हैं और बस हम दोनों ही लेट है। तुम्हारा नहीं पता लेकिन मुझे लेट होना पसंद नहीं है। आज पहली बार..........!" इतना कहते हुए अव्यांश नजरें चुराने लगा। 


    निशी के होंठो पर स्माइल आ गई। उसने कुछ सोचने का नाटक करते हुए कहा "लेकिन मैंने तो कुछ और ही सुना था। सुबह उठने में लेट, ऑफिस जाने में लेट, कॉलेज में भी तुम लेट ही पहुंचते थे। आई मीन जब पहला क्लास ओवर हो जाता था तब।"


     अव्यांश अपनी झेंप को छुपाते हुए बोला "अरे तो क्या हुआ! पैदा होने में तो आगे था ना! बाकी सारे काम में मैं पीछे रहा तो क्या। यह भी तो पुरानी बातें हो गई। अब मैं ऐसा बिल्कुल नहीं हूं। तुमको यकीन नहीं होता तो पूछ लेना अपने पापा से। मैं ऑफिस में कभी लेट नहीं हुआ।"


     निशी को उसकी हड़बड़ाहट देख हंसी आ गई। अव्यांश किस कदर लापरवाह और लेट लतीफ था इस बारे में उसने अपने पापा से कई कहानियां सुन रखी थी। हां! धीरे-धीरे उसने अपने आप में काफी ज्यादा बदलाव किए थे। 6 महीने पहले के अव्यांश में और आज के अव्यांश में काफी ज्यादा फर्क था। शायद इसीलिए उसकी मां ने उसे घर से दूर भेजा था।


     उसे हंसते देख अव्यांश नाराज होकर बोला "अब क्या यही रहना है? चलो जल्दी!" कहते हुए उसने अपना हाथ निशी की तरफ बढ़ा दिया। निशी ने भी बिना किसी झिझक के अपने दोस्त के हाथ में हाथ दे दिया। अव्यांश को ये अच्छा लगा। उसने दरवाजे से निकलने से पहले गाड़ी की चाबी उठा ली। यह गाड़ी उसकी अपनी नहीं थी बल्कि ये वही कार थी जो उसकी दादी ने अपनी लाडली नई बहू को तोहफे में दी थी, "लाल रंग की स्पोर्ट्स कार" जिसे चलाने का मौका उसे अभी तक नहीं मिला था। और मौके पर चौका मारने का यह मौका खोना नहीं चाहता था।


    अव्यांश बड़े शान से एक हाथ में निशी का हाथ थामे, दूसरे हाथ में गाड़ी की चाबी घुमाते बाहर निकला। लेकिन गाड़ी तक पहुंचते ही निशी ने एक झटके में अव्यांश के हाथ से चाबी छीन ली। अव्यांश चौंक पड़ा और बोला "यह क्या कर रही हो? तुम्हें गाड़ी चलानी नहीं आती और यह कोई नार्मल कार नहीं है!"


    अव्यांश ने गाड़ी की तरफ देखा और प्यार से उसके बोनट को ऐसे सहलाया जैसे कोई बड़ी ही नाजुक सी चीज हो और कहा, "मेरी बेबी को चोट लग जाएगी। उसे खरोच आ जाएगी। उसी खूबसूरती में दाग लग जाएगा और यह मुझसे देखा नहीं जाएगा। इसीलिए चाबी मुझे दो, गाड़ी मैं चलाऊंगा।"


    निशी ने एकदम से इनकार कर दिया और कहा "बिल्कुल नहीं! दादी मां ने क्लीयरली मुझसे कहा था कि मैं ये गाड़ी जब मर्जी जैसे मर्जी चला सकती हूं। चाहे तो इसे कहीं पर भी ठोक भी सकती हूं लेकिन तुम्हें हाथ लगाने नहीं दे सकती। इसलिए चुपचाप पैसेंजर सीट पर बैठी और मुझे ड्राइव करने दो।"


     अव्यांश चेहरा रोने जैसा हो गया। "तुम्हें पता भी है तुम क्या करने जा रही हो? तुम इतनी पत्थर दिल कैसे हो सकती हो? इस पर मेरी कब से नजर थी। ये एक लिमिटेड एडिशन कार है। किसी और के पास ये मॉडल नहीं है और तुम इसके साथ ऐसा सलूक कर रही हो?"


    निशी ने उसे पूरी तरह इग्नोर किया और जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गई। "तुम्हें बैठना है तो बैठो वरना मैं अकेले ही जा रही हूं।" अव्यांश घबराता हुआ जल्दी से जाकर गाड़ी में निशी के बगल में बैठ गया और मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा।




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