सुन मेरे हमसफर 48

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    अव्यांश निशी को डराना नहीं चाहता था, बस थोड़ा सा परेशान करना चाहता था और साथ ही उसे अपने होने का एहसास भी दिलाना चाहता था। इतनी आसानी से निशी उन दोनों के इस रिश्ते से इनकार नहीं कर सकती थी। अव्यांश चाहता था कि निशी अपने इस हक को समझें। वह चाहता था, निशी इस बात को एक्सेप्ट करें कि अव्यांश पर उसका हक है, वो सिर्फ उसका है।


     निशी ने घबराहट में अपनी आंखें बंद कर ली थी। अंशु के पास ये एक बढ़िया मौका था कि वो अपने एहसासों को बिना कहे निशी को समझा दे। लेकिन इतनी जल्दी करने की ना उसकी हिम्मत थी और ना ही कोई इच्छा। यह एहसास निशी की तरफ से उसे चाहिए था। निशी ने अभी भी अपनी आंखें बंद कर रखी थी। उसके चेहरे पर डर और घबराहट साफ नजर आ रही थी।


     अव्यांश ने धीरे से झुककर निशी के गाल को अपने होठों से छू लिया और मुस्कुरा कर कहा "इतना क्यों घबरा रही हो, जैसे मैं तुम्हारे साथ...........!"


    निशी ने अपनी आंखें खोली तो देखा, अव्यांश उसे देखा मुस्कुराए जा रहा था। उसकी आंखों में शरारत और शैतानी साफ नजर आ रही थी। निशी ने खुद को अव्यांश की पकड़ से छुड़ाया और कहा "यह क्या बदतमीजी है?"


    अव्यांश ने अनजान बनते हुए कहा, "बदतमीजी? कैसी बदतमीजी? ऐसा क्या किया मैंने? मैं तो बस तुमसे कुछ सवाल कर रहा था और तुम मेरे हर सवाल का जवाब इंकार करके दे रही थी। फिर पता नही क्यों, एकदम से तुमने अपनी आंखें बंद कर ली। तो इसमें बदतमीजी कहां से हुई? कहीं तुम कुछ और तो एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी?"


     यह सुनकर निशी को गुस्सा आया और उसने बिस्तर से तकिया उठाकर अव्यांश को मारना शुरू कर दिया। अव्यांश ने उस तकिए को पकड़ा और कसकर गले लगा कर बोला "देखो! अगर मैंने तुम्हारी एक्सपेक्टेशन को तोड़ा है तो फिर उसके लिए सॉरी। तुम चाहो तो हम तुम्हारी एक्सपेक्टेशन पूरी कर सकते हैं, अगर तुम चाहो तो..........!"


    निशी शर्म से लाल हुई जा रही थी। उसे समझ ही नहीं आया कि आखिर वह अव्यांश की बात क्या कह कर काटे। आज अगर वो चुप रह गई तो अव्यांश उसे इस बात के लिए ना जाने और कितना परेशान करेगा, उसे चिढ़ाएगा। एकदम से उसे अव्यांश की गर्लफ्रेंड का ख्याल आया और उसने कहा "तुम क्या करने की बात कर रहे हो? तुम्हें वाकई लगता है कि अगर तुम मेरे साथ कोई बदतमीजी करोगे और मैं तुम्हें छोड़ दूंगी? चलो माना, मैं तुम्हारी बीवी हूं। दुनिया की नजरों में ही लेकिन मैं तुम्हारी बीवी हूं। लेकिन तब क्या होगा जब तुम्हारी गर्लफ्रेंड को तुम्हारी इन सारी हरकतों के बारे में पता चलेगा?"


     अव्यांश चौक गया और उसके मुंह से निकला "गर्लफ्रेंड? कौन सी गर्लफ्रेंड?"


    निशि को अव्यांश का ये रिएक्शन थोड़ा अजीब लगा। उसने अव्यांश को उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में याद दिलाते हुए कहा "अरे! तुम्हारी वही गर्लफ्रेंड जो मॉडलिंग करने पेरिस गई है।"


    अव्यांश को एकदम से याद आया कि यह झूठ तो खुद उसने ही कहा था। जब सारी कहानी उसे याद आई तो उसने हड़बड़ाकर कहा, "नही नहीं! मेरी गर्लफ्रेंड बहुत ओपन माइंडेड है। उससे इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उसने पहले कभी इस मामले में मुझे नहीं रोका, फिर तुम तो मेरी बीवी हो। और हस्बैंड वाइफ के बीच तो यह सब नॉर्मल है। उसे क्यों बुरा लगेगा?"


     निशी ने हैरान होकर कहा "कैसी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी? तुम्हें यकीन है ना कि वह लड़की ही है?"


     अव्यांश ने पूरे कॉन्फिडेंस में जवाब दिया "अरे बिल्कुल! वो एक लड़की ही है। मैने खुद चेक किया है।"


    निशी के चेहरे पर एक साथ कई भाव आए और गए। इस वक्त उसका दिल कर रहा था कि वो अव्यांश को उसकी इस बेशर्मी के लिए बुरी तरह पीट डाले। उसने कहा "कोई भी लड़की अपने हस्बैंड को या अपने बॉयफ्रेंड को किसी और के साथ इमेजिन भी नही कर सकती, इतना जान लो तुम! इसलिए मुझसे दूर रहो।"


     निशी वहां से बाथरूम की तरफ जाने को हुई तो अव्यांश ने उसे पीछे से आवाज देते हुए कहा "हस्बैंड और बॉयफ्रेंड! इसका मतलब मैं तुम्हें इस सब में शामिल कर सकता हूं ना?"


    निशी के कदम जहां थे वहीं रुक गए। अपनी बात का असर होते देख अव्यांश ने आगे कहा "आफ्टर ऑल, अगर मैं उसका बॉयफ्रेंड हूं तो तुम्हारा हस्बैंड भी तो हूं। मतलब तुम भी मुझे किसी और के साथ........." अव्यांश अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही निशी जल्दी से बाथरूम में चली गई। अव्यांश मुस्कुरा कर रह गया।


    "चलो! थोड़ी तो उम्मीद है। और उम्मीद पर ही दुनिया कायम है।"


     निशी के वहां से जाने के बाद अव्यांश एक बार फिर अपने उस सोच में गुम हो गया, जिस बारे में वो पहले सोच रहा था, और फिर से अपना फोन अपने हाथ में घुमाने लगा। मन बेचैन था और कुछ गलत होने की आशंका थी। ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा उसे, जब उसका फोन बजा।





एमजी रोड, बेंगलुरु


     कुणाल अपनी गाड़ी को गरूड़ा मॉल के पार्किंग एरिया में पार्क कर अपनी गाड़ी की बोनट पर बैठा हुआ था। हताशा और निराशा, उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। शायद एक खबर मिली थी उसे, जिसे वह ढूंढ रहा था वो यही कही थी। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उसके हाथ नाकामी ही लगी, जिसने उसे बुरी तरह तोड़ कर रख दिया। लेकिन कोई पहली बार नहीं था। हर बार वो अपनी सारी उम्मीद बटोर कर पूरी हिम्मत से उसे ढूंढता और हर बार वो पूरी तरह टूट कर बिखर जाता। इस बार तो उसने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। 


    इतने में एक आदमी आया और उसके सामने खड़े होकर बोला "मिस्टर कुणाल रायचंद!"


    कुणाल ने चौक पर अपने सामने खड़े इंसान को अजीब नजरों से देखा। कौन था वह आदमी? और उसे उसका नाम कैसे पता? वह कुछ पूछ पाता उससे पहले उस इंसान ने एक फोन उसकी तरफ बढ़ा दिया और चुपचाप वहां से चला गया।


    कुणाल ने हैरानी से उस फोन को देखा। 'कहीं ये किसी अंडरवर्ल्ड डॉन का तो कॉल नहीं है, जो इस तरह उसे ऐसी जगह पर धमकाने के लिए आया है?' कुणाल ने घबराते हुए फोन कान से लगाया और धीरे से बोला "हेलो!!"


     दूसरी तरफ से एक आवाज आई "मैंने तुम्हें ढूंढ लिया है इसका मतलब यह कि अब तुम्हारा छुपने का या कहीं भागने का कोई फायदा नहीं है। जहां भी हो, वापस लौट आओ क्योंकि तुम्हारे पास अब और कोई दूसरा रास्ता नही है।"


     कुणाल बुरी तरह चौक गया "अव्यांश! तुम?"


     अव्यांश ने सपाट लहजे में कहा "हां मैं! तुम्हें पता है, कुहू दी तुम्हारे लिए कितनी परेशान है? सगाई का मतलब सिर्फ अंगूठी पहनाना नहीं होता है मिस्टर कुणाल रायचंद! इस रिश्ते के लिए हा तुमने किया था। अगर तुम्हें यह रिश्ता नहीं करना था तो पहले इनकार कर देते। इस तरह किसी को उम्मीद देकर, यूं छोड़ जाना सही नहीं होता। किसी और का मुझे पता नहीं, लेकिन अगर किसी ने मेरी बहन के साथ ऐसा कुछ किया मैं उस इंसान के साथ किया कर जाऊंगा, मुझे खुद नहीं पता।"


      कुणाल दर्द में मुस्कुरा दिया और बोला "जानता हूं तुम अपनी बहन से बहुत प्यार करते हो। घबराओ मत, मैं भी किसी के साथ कोई नाइंसाफी नहीं करना चाहता। मैं कल ही दिल्ली लौटने का ही सोच रहा था। कुहू से मुझे बहुत कुछ कहना है। शायद वह मेरी बात समझे।"


      अव्यांश ने इस पर सख्त लहजा अपना लिया और कहा "देखो कुणाल! मुझे नहीं पता तुम्हारे दिमाग में क्या है लेकिन जो भी है, उसे अपने तक रखो तो बेहतर होगा। मेरी बहन तक उसकी आंच भी नहीं आनी चाहिए। और कल नहीं, आज! आज तुम आज दिल्ली वापस आ रहे हो। तुम्हारे फ्लाइट के टिकट एयरपोर्ट पर मिल जाएगी, और मुझे नहीं लगता तुम्हें लगेज साथ लेने की जरूरत है। कल मेरी और निशी की रिसेप्शन पार्टी है, और मैं नहीं चाहता मेरी कुहू दी के चेहरे पर हंसी की जगह उदासी की लकीरे हो। इसलिए फौरन वहां से निकलो।"


    कुणाल ऐसी हालत में नहीं था कि वह किसी के आर्डर सुनता। लेकिन अव्यांश ने तो जैसे ठान लिया था कि अब उसे उसकी मनमर्जी नहीं करने देगा। कुणाल ने अपने कल आने की बात की फिर से दोहराई तो अव्यांश ने कहा "कुणाल! अब ये तुम्हारे हाथ में है कि तुम अपनी मर्जी से आना चाहते हो या फिर मेरे आदमी, जो इस वक्त मॉल के बाहर खड़े हैं तुम्हें उठाकर जबरदस्ती ले आए। यह तुम पर है, तुम इज्जत से आना चाहते हो या..........! आगे तुम्हारी मर्जी।"


     कुणाल को अव्यांश से इस तरह के व्यवहार की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। उसने तो सुना था कि सिद्धार्थ मित्तल और सारांश मित्तल दोनों जितने नरम दिल है उतने ही पत्थर दिल भी। अव्यांश बिल्कुल अपने बाप पर गया था। वहीं निशी जब बाथरूम से निकली तो अव्यांश के चेहरे पर सख्त भाव थे, उन्हें देख थोड़ा डर गई





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