सुन मेरे हमसफर 42

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    निशी परेशान हो गई। घर में तो कोई नहीं था और ना ही उसने बाहर से किसी के आने की आवाज सुनी तो फिर उसका दरवाजा बंद किसने किया? दरवाजा कभी जाम भी नहीं होता था। निशी ने आवाज लगाई "कोई है? मां! पापा!! कोई है घर में? कोई दरवाजा खोलो!"


     निशी को जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह घबरा गई। कहीं कोई चोर तो नहीं घुस आया है घर में? निशी ने दरवाजे पर कान लगाकर बाहर के हलचल को महसूस करने की कोशिश की। वैसे तो बड़ी शांति थी लेकिन कुछ तो हो रहा था बाहर। हल्की हल्की आवाजे उसे सुनाई दे तो रही थी लेकिन उसे कंफर्म नहीं हो रहा था कि यह आवाज़ें उसके घर की ही है या कहीं बाहर से आ रही है!


     निशी और थोड़ा डर गई। उसे यकीन हो गया कि उसके घर में चोर घुस आया है। इस तरह उसकी मां उसे घर में बंद नहीं करेगी और उसकी मां तो अपने प्यारे लाडले दामाद के साथ बाहर शॉपिंग पर गई है, फिर तो कोई चोर ही हो सकता है। अब क्या करें? उसका फोन! निशी ने जल्दी से अपना फोन ढूंढना शुरू किया। उसका फोन उसे बेड के किसी कोने में पड़ा हुआ मिला। उसे लेकर वह कोई नंबर डायल कर पाती उससे पहले ही लगा जैसे किसे ने दरवाजे पर हल्की सी दस्तक दी हो। वह दस्तक कुछ और नहीं बल्कि लॉक खोलने का था।


    निशी ने अपने बेड के पीछे रखा हॉकी स्टिक उठाया और कहा, "तुझे तो ऐसे ही खरीदा था मैंने। चल आज तेरा यूज करके देखती हूं कि तू कितना स्ट्रांग है?"


      निशी ने उस हॉकी स्टिक को किस किया और धीरे से दरवाजे का नॉब घुमा कर दरवाजा खोला। उसने पहले तो यह तसल्ली कर ली कि कोई उसे देख नहीं रहा लेकिन जिसने उसे बंद किया था, आज उसे छोड़ने वाली नहीं थी। उसने एक झटके में दरवाजा खोला और हॉकी स्टिक हाथ में लहराती हुई बोली "मैं नहीं छोडूंगी तुम्हें, चोर.......!"


     इससे पहले की निशी अव्यांश को हिट कर पाती अव्यांश ने एक हाथ से हॉकी स्टिक को पकड़ा और दूसरे हाथ से निशी की कमर को। निशी बुरी तरह शॉक में आ गई। उसने बिल्कुल उम्मीद नहीं की थी कि अव्यांश से इस वक्त घर पर मिलेगा। उसकी पकड़ हॉकी स्टिक पर कमजोर पड़ी और वह गुस्से में बोली "तुम? तुम यहां क्या कर रहे हो? मतलब वो तुम थे जिसने मुझे मेरे कमरे में लॉक किया? हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी, मेरे घर में आकर तुम मेरे साथ बदतमीजी करो?"


      अव्यांश निशा की तरफ धीरे से चुका और उसके कान में कहा "बदतमीजी तो अभी तक मैंने की नहीं है, लेकिन अगर तुम चाहती हो कि मैं करूं तो मैं ऐसा कर सकता हूं। आखिर कर तुम बीवी हो मेरी। तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हूं?"


      निशी एकदम से हड़बड़ा गई। अव्यांश के कहने का क्या मतलब था यह बहुत अच्छे से समझ रही थी और एकदम से अव्यांश का इतना करीब आना उसे बहुत अजीब एहसास दे रहा था। उसकी आंखों के सामने देवेश का चेहरा घूम गया। उसे परेशान करना उसे छेड़ना देवेश को बहुत अच्छा लगता था।


     निशी की आंखों में नमी उतर आई। उसने एक झटके से अव्यांश को खुद से दूर किया और कहा "तुमने मुझे मेरे कमरे में लॉक क्यों किया था? और तुम यहां क्या कर रहे हो? और अगर तुम यहां हो तो फिर मां कहां है?"


     अव्यांश ने कुछ कहा नहीं, बस वह मेन डोर की तरफ जाने लगा। निशी ने एक बार फिर आवाज लगाई "ओ हेलो! मिस्टर!! कुछ पूछा मैंने तुमसे।"


    अव्यांश मेन डोर के पास जाकर खड़ा हो गया और पलटकर निशी से कहा "ए जी! ओ जी!! सुनिए जी!!! यह ज्यादा बेहतर लगता है। तुम चाहो तो मुझे मेरे नाम से बुला सकती हो या फिर मिस्टर हस्बैंड भी बुला सकती हो। मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा।"


    निशी अपनी ही बातों से झेप गई। वह कुछ पूछ पाती उससे पहले ही अव्यांश ने जाकर पूरे घर की लाइट ऑफ कर दी। अंधेरा होते ही निशी ने देखा पूरे घर में कैंडल्स जल रहे थे। छोटे-छोटे कैंडल्स देखने में बहुत खूबसूरत थे और उनसे एक अलग ही तरह का अरोमा निकल रहा था। माहौल में एक अलग ही खुशबू फैली हुई थी जो अपनी बेवकूफी में उसे महसूस ही नहीं हुई थी।


    बिना कुछ ज्यादा किए अव्यांश ने उस पूरे हॉल को सिर्फ कैंडल्स के जरिए काफी अच्छे तरीके से डेकोरेट कर दिया था। निशी के चेहरे पर अपने आप ही एक मुस्कुराहट आ गई। अव्यांश ने उसे पीछे से कंधे से थामा और कहा "मेरे साथ एक ड्रिंक लेना चाहोगी?"


    निशी ने हैरानी से अव्यांश की तरफ देखा तो अव्यांश ने कहा "अब यह मत कहना कि तुम ड्रिंक नहीं करती। मैंने देखा था तुम्हें ड्रिंक करते हुए। घबराओ मत, ज्यादा मैं भी नहीं करता, बस एक लिमिट में।"


    अव्यांश ने निशी को सोफे पर बैठाया तो निशी ने पूछा "तुमने मुझे कहां देखा था? हम पहले तो नहीं मिले थे फिर तुम्हें कैसे पता कि मैं ड्रिंक करती हूं?"


     अव्यांश ने दो गिलास में थोड़ी सी वाइन निकाली और एक ग्लास निशी की तरफ बढ़ा कर बोला "यह तो तुम ना ही पूछो तो बेहतर है। इसका जवाब फिलहाल में तुम्हें दे नहीं सकता। थोड़ी सी है इसलिए दे रहा हूं वरना नहीं देता क्योंकि मुझे भी पसंद नहीं है।"


     निशी में एक सीप लिया और फिर से पूछा "मां कहां है? वह तो तुम्हारे साथ ही ना!"


      अव्यांश ने बड़े कैजुअल तरीके से कहा "मां और पापा, दोनों ही आज रात घर नहीं आने वाले। मैंने उन दोनों को डेट पर भेजा है।"


      निशी की आंखें हैरानी से फैल गई। इस बारे में तो वो भी कभी सोच नहीं पाई थी। "मां पापा की डेट? यह कब किया तुमने?"


     अव्यांश ने भी बड़े आराम से जवाब दिया "आज ही। तुमने ही तो कहा था कि मैं तुम्हारे मां बाप पर जादू चलाने की कोशिश कर रहा हूं। तो चला दिया।"


     निशी हैरान होकर बोली "तो तुम मां पापा के लिए प्लान कर रहे थे? मुझे लगा तुम.............!" निशी अपनी बात पूरी नहीं कर पाई।


      अव्यांश चिढ़ाने के अंदाज में बोला "तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें डेट पर ले जाना चाहता हूं? सॉरी बट मेरा ऐसा कोई प्लान नहीं है। पहले हम दोस्त तो बन जाए, उसके बाद देखा जाएगा। वैसे मुझे अच्छा लगा जो तुमने मेरी फ्रेंडशिप एक्सेप्ट कर ली।" अव्यांश ने वाइन की ग्लास की तरफ इशारा किया।


     निशी ने अपनी ग्लास की तरफ देखा और मुस्कुरा कर एक घूंट लेकर कहा "तुम इतने बुरे भी नहीं हो जितना मैंने सोचा था।" 


     अव्यांश के होठों पर मुस्कुराहट आ गई। उसने धीरे से कहा, "अब जैसा भी हूं, तुम्हारा ही हूं।"


   निशी ने चौंक कर पूछा, "कुछ कहा तुम ने?"


    अव्यांश ने जल्दी से कहा "नही! मैने कहा, चलो एक लिस्ट मेरे बारे में तुमने कुछ सोचा तो सही, अच्छा या बुरा कोई फर्क नहीं पड़ता।"


     निशी ने मुस्कुराकर पूछा "वैसे तुम्हें यह आइडिया आया कहां से? आई मीन मां पापा को डेट पर भेजना, वह भी इस उम्र में!"


    अव्यांश हंसकर बोला "मैं मिश्रा जी को पिछले 6 महीने से जानता हूं। अक्सर मैं उन्हें परेशान भी था और कभी-कभी मोटिवेट भी करता था कि उन्हें अपनी वाइफ के साथ कभी तो घूमने जाना चाहिए। काम जिंदगी नहीं है, वह जिंदगी का हिस्सा है और परिवार जिंदगी है। काम भी जरूरी है तो परिवार भी तो जरूरी है। मॉम डैड को मैंने अक्सर रोमांटिक डेट पर जाते देखा है। इनफैक्ट, उनकी डेट हम लोग ही अरेंज करते हैं। तो मैंने सोचा, और कुछ नहीं तो यही सही। एक लिस्ट इसी बहाने उन दोनों को अपने लिए थोड़ा वक्त मिलेगा एक दूसरे के साथ। और जब भी कभी वह मुझे याद करेंगे तो उनके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल होगी और वो आज की रात को याद करेंगे। अब तुम यह नहीं कह सकती कि मैंने जो कुछ किया उनके लिए किया। मैं तो बस उनके गुड बुक्स में आना चाहता था, सो मैंने किया।"


    निशी अव्यांश के इस बात से काफी प्रभावित हुई लेकिन फिर उसके चेहरे पर सीरियस एक्सप्रेशन आ गए जिसे देख अव्यांश ने पूछा, "क्या हुआ तुम्हें? सब ठीक तो है? कहीं तुम्हें मूड स्विंग्स तो नही हो रहे? आई मीन, तुम्हारी डेट तो........."


    निशी अव्यांश की बात समझ गई। लेकिन अव्यांश का इस तरह इतने नॉर्मल तरीके से उसके डेट्स को लेकर बात करना थोड़ा अनकंफर्टेबल कर गया। उसने अपने पीछे से कुशन उठाया और अव्यांश की तरफ उछाल दिया जिसे अव्यांश ने पकड़ लिया और कहा, "देखो! अब हम दोस्त है तो मुझसे तुम कोई बात छुपाना मत। क्योंकि दोस्तों के बीच कोई सिक्रेट्स नहीं होते। और जब तक तुम मुझे बताओगी नहीं तो मुझे समझ कैसे आएगा? अगर तुम्हें यह सारे अरेंजमेंट पसंद नहीं आए या फिर ये वाइन का टेस्ट पसंद नहीं आया तो बता सकती हो। मैं तो अपने हिसाब से बेस्ट वाइन लेकर आया था। हां, अरेंजमेंट वैसा नहीं हुआ जैसा मैंने सोचा था।"


अव्यांश को ऐसे गिल्टी फील करते देख निशी ने कहा "वह बात नहीं है। यह सब कुछ बहुत अच्छा है। इनफैक्ट मैंने ऐसा कुछ सोचा नहीं था। मैं बस हमारे रिलेशनशिप को लेकर थोड़ी बात करना चाह रही थी।"


    अव्यांश समझ गया की निशी इतना क्यों हिचक रही है। उसने कहा "देखो! इस बारे में तो मैं भी तुमसे बात करना चाहता था। अब जबकि हम दोनों दोस्त बन गए हैं तो मुझे लगता है मुझे यह बात तुमसे शेयर करनी चाहिए। ये शादी ना तुम्हारी मर्जी से हुई है ना मेरी मर्जी से।"


     निशी चौंक गई और कहा "मतलब! तुम्हारी मारी से नहीं हुआ? तो फिर तुमने मना क्यों नहीं किया?"


     अव्यांश ने उसे उसी तरह जवाब दिया "तुम मना कर पाई? नहीं ना। और तुम्हें क्या लगता है, मैंने कोशिश नहीं की होगी? मुझे अभी शादी नहीं करनी थी लेकिन सब ने जबरदस्ती की। एक्चुअली, मेरी एक गर्लफ्रेंड है जो कुछ टाइम के लिए पेरिस गई है, अपने मॉडलिंग कैरियर के लिए। तुम मेरी फैमिली को इतना तो समझ ही गई होगी वो किस टाइप के है। वो मॉडल बहू कभी एक्सेप्ट नहीं करेंगे। इसी बात को लेकर घर में थोड़ी खटपट हुई थी। कुछ टाइम पहले ही वो पेरिस चली गई। अब उसे वहां सेटल होने में कुछ साल तो लगेंगे ही। इस बीच सब मिलकर मेरी शादी के पीछे पड़ गए। उन्हें लगने लगा कि कहीं मैं उस लड़की के पीछे घर छोड़कर ना भाग जाऊं। इसलिए उन्होंने मेरे लिए रिश्ता देखना शुरु कर दिया। किस्मत से वो लोग तुम्हारी शादी में शामिल हुए और जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने नो बॉल पर चौका....... नही! चौका नही सीधे छक्का मार दिया।"


    अव्यांश ने तिरछी नजरों से निशी को देखा और उसके चेहरे पर आए एक्सप्रेशन को समझने की कोशिश करने लगा। निशी जो थोड़ी नर्वस हुई जा रही थी वह अव्यांश के इस बात को सुनकर थोड़ी सी रिलैक्स हुई कि चलो कहीं कुछ तो है जो उन दोनों में कॉमन है। अव्यांश को बस यही कंफर्ट चाहिए था, फिर चाहे वह झूठ बोलकर ही क्यों ना हो। वक्त आने पर वो खुद आगे आकर अपने प्यार का इजहार करेगा। तब तक के लिए इंतजार.........!




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