सुन मेरे हमसफर 41

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     समर्थ सारांश के अचानक थे अनाउंसमेंट से परेशान हो गया। जिस सख्त लहजे में सारांश ने अपनी बात रखी थी और समर्थ की शादी की बात की थी, इससे समर्थ का परेशान होना लाजमी था। एक तो वैसे ही वह अपने और तन्वी के रिश्ते को ना कोई नाम दे पा रहा था और ना ही उसने आगे बढ़ कर एक कदम भी उठाया जा रहा था। वही तन्वी उससे उम्मीद लगाए बैठी थी जो शायद धीरे-धीरे टूटने लगा था।


     समर्थ एकदम से बोल पड़ा "मैं कोई शादी नहीं करने वाला। यह मेरा फैसला है और मेरे फैसले को कोई नहीं बदल सकता।"


     घर वाले भी सारांश के इस अनाउंसमेंट से थोड़े सदमे में थे लेकिन किसी को तो सकती दिखानी थी! समर्थ की शादी हो जाए इससे बढ़कर और कुछ चाहिए भी नहीं था। लेकिन समर्थ ने भी जैसे अपना फैसला सुना दिया हो कि वह शादी नहीं करेगा।


     सबने समर्थ की तरफ देखा। सिया ने कहा "समर्थ बेटा! आखिर इसमें बुराई क्या है? तू क्यों शादी नहीं करना चाहता? इस उम्र में कोई लड़की तुझसे शादी करने को तैयार है, तेरे लिए रिश्ता आया है तो फिर हर्ज ही क्या है?"


      समर्थ ने अपनी दादी का हाथ पकड़कर घुटने के बैठा और कहा "ये मेरा अपना फैसला है, मेरी लाइफ है। मुझे किसके साथ रहना है किसके साथ नहीं रहना है या अकेले रहना है, ये मेरा फैसला है। क्यों मुझ पर जबरदस्ती अपना फैसला थोपा जा रहा है? इससे पहले चाचू ने कभी इस तरह से बात नहीं की जैसे वह करके गए हैं।"


    सिया ने समझाना चाहा "लेकिन बच्चा! आखिर तेरे शादी ना करने की वजह क्या है? सारांश ने कुछ सोचा है तुम्हारे लिए तो अच्छा ही सोचा होगा। याद है, अंशु की शादी के वक्त जब उसने एकदम से निशी के लिए हमें फोन किया था! तब हम सब ने भी तो यही कहा था। हमें सारांश पर भरोसा है बेटा, वह कोई गलत फैसला नहीं लेगा।"


     सिद्धार्थ आगे आया और कहा "सारांश पर हम आंखें बंद कर भरोसा करते हैं और उससे कहीं ज्यादा भरोसा तू अपने चाचू पर करता है। उसके इस फैसले पर भी भरोसा करके देख। अगर उसने तेरे लिए कोई रिश्ता चुना है तो बहुत सोच समझकर ही चुना होगा। कहीं से भी कोई गड़बड़ होती तो इस तरह अपना फैसला सुना कर नहीं जाता।"


      समर्थ ने बगावत करने की कोशिश की लेकिन वह कुछ कहता उससे पहले ही सिद्धार्थ ने उसे बीच में रोका और कहा "घर के बड़ों के फैसले ना मानने का रिवाज हमारे यहां नहीं है। बड़ों ने जो फैसला लिया तो बस ले लिया। जब पूछा जाता है तभी जवाब देना चाहिए और सारांश ने तुमसे पूछा नहीं है बल्कि बताया है। तुम इंकार नहीं कर सकते।"


     समर्थ ने उम्मीद से अपनी मां की तरफ देखा लेकिन श्यामा के चेहरे पर जो भाव थे, उसे देख समर्थ समझ गया कि इस वक्त इस हालत में वह अकेला खड़ा है और उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। वह उठा और अपने कमरे में चला गया। उसके चलने के तरीके से ही पता चल रहा था कि इस वक्त वह सब से कितना नाराज है।


   श्यामा को अपने बेटे की यह नाराजगी अच्छी नहीं लगी। समर्थ शादी से क्यों भाग रहा था, यह बात तो उसे भी नहीं पता थी और वह खुद भी अपने बेटे का घर बसते हुए देखना चाहती थी लेकिन इस सबके लिए उसे अपने बेटे की खुशियों से समझौता करना भी मंजूर नहीं। उसने समर्थ के लिए स्टैंड लेने की कोशिश की और कहा "समर्थ अभी तैयार नहीं है इस रिश्ते के लिए। मुझे नही लगता है कि हमें उसके साथ कोई जबरदस्ती करनी चाहिए।"


    सिया जानती थी कि यह सारी बातें श्यामा नही बल्कि समर्थ की मां कह रही है। अपने बेटे के मोह में वो समर्थ की उम्र भूल चुकी है। उनके कुछ कहने से पहले ही सिद्धार्थ ने श्यामा से नाराज होकर कहा, "यह काम जो अभी सारांश करके गया है, वह हमें बहुत पहले कर देना चाहिए था। एक उम्र के बाद कोई भी रिश्ता मिलना मुश्किल हो जाता है।"


     श्यामा ने एक बार फिर कोशिश की और कहा, "आपने भी तो शादी से इंकार कर दिया था।"


     सिद्धार्थ और श्यामा के बीच बात ना बढ़े इसलिए अवनी ने श्यामा के कंधे पर हाथ रखा और कहा "भाभी! सिद्धार्थ भैया के शादी ना करने के पीछे एक वजह थी। अगर वह वजह ना होती तो सिद्धार्थ भैया की शादी हमसे भी पहले हो चुकी होती। लेकिन समर्थ शादी क्यों नहीं करना चाहता, इसके पीछे हमें कोई वजह नजर नहीं आती। वो इस रिश्ते या शादी से इंकार करने की अपनी कोई तो वजह दे! ऐसे ही कोई शादी से नहीं भागता। लड़कियां भी तो शादी से इंकार करती है लेकिन रिश्ता आने पर वो इनकार नहीं करती है। लेकिन समर्थ में जैसे आंखें बंद कर लिया है। हमारे घर में शादी को लेकर कहीं से कोई समस्या नहीं रही। हम सब एक खुश परिवार है, तो फिर ऐसा क्या वजह है जो समर्थ को शादी का नाम लेना भी पसंद नहीं? जरूर ऐसी कोई वजह है जो समर्थ हम सब से छुपा रहा है।"


     श्यामा ने कुछ कहना चाहा "लेकिन अवनी तुम.........!" सिद्धार्थ ने श्यामा की बात बीच में काट कर कहा "लेकिन वेकिन कुछ नहीं श्यामा! या तो यह लड़का सारांश के लाए रिश्ते के लिए हां करें या फिर शादी ना करने की वजह बताएं। अगर कोई लड़की है तो हमें बताएं, हम कौन सा उसके प्यार के दुश्मन है जो मना कर देंगे! इसके आगे कोई बहस नहीं होगी। अपने बेटे के मोह में पड़ कर नहीं बल्कि उसकी मां बनकर सोचो। वह करो जो उसके लिए सही है।" इतना कहकर सिद्धार्थ भी अपने कमरे में चला गया।


     श्यामा परेशान हो गई तो अवनी ने उसे दिलासा दिया और कहा, "भाभी! आप जाकर एक बार समर्थ से उसके मन की बात जानने की कोशिश कीजिए, मैं सारांश को समझाती हूं। हमें दोनों तरफ देखना होगा।"


     सिया अपने दोनों बहुओं को समझाते हुए कहा "अवनी बिल्कुल ठीक कह रही है। आखिर एकदम से ऐसा क्या हुआ है जो सारांश ने इस तरह फैसला सुना दिया! कुछ तो बात हुई है वरना इससे पहले हमने समर्थ की शादी के बारे में बात की है लेकिन इस तरह एकदम से फैसला नहीं सुनाया। समझ नहीं आ रहा किस की तरफदारी करें।"





इंदिरा नगर, बेंगलुरु


    रेनू जी को ड्राइवर के साथ अपने टुमकुर रोड वाले फार्महाउस की तरफ भेजकर अव्यांश घर वापस आ गया। दरवाजे पर खड़े होकर उसने पहले तो बेल बजाने का सोचा लेकिन फिर इस आइडिया को ड्रॉप करते हुए उसने अपनी पॉकेट से घर की चाबी निकाली जो उसे रेनू जी ने दी थी और दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुआ।


    पूरे फ्लैट में सन्नाटा पसरा हुआ था। अव्यांश को थोड़ा सा अजीब लगा। जब निशी के होने की कोई आहट नहीं मिली तो उसे लगा कि कहीं वो बाहर न चली गई हो! 'लेकिन उसने तो कहा था कि वो आज इस घर से बाहर कदम भी नही रखेगी! तो क्या वो घर में है?'


    अव्यांश ने किचन में झांक कर देखा, वहां भी कोई नहीं था। निशी के कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था। उस पतले से झरोखे से अव्यांश ने देखा, निशी अपने बिस्तर पर बैठी कान में हेडफोन लगाएं अपने लैपटॉप पर कुछ काम करने में लगी हुई थी। अब वह काम कर रही थी या सोशल मीडिया पर अपना टाइम पास कर रही थी, यह तो अव्यांश को समझ नहीं आया। लेकिन ये उसके लिए एक बढ़िया मौका था। उसने धीरे से दरवाजा बंद किया और बाहर से लॉक कर दिया ताकि निशी बाहर ना आ पाए। फिर वह बाहर की तरफ गया। अपने साथ लाया समान, जो उसने बाहर ही रख छोड़ा था, उसे लेकर अंदर आया। पूरे हॉल का एक बार अच्छे से मना करने के बाद अव्यांश ने अपना काम शुरू कर दिया।


     निशी अपने कान में हेडफोन लगाए कोई गाना सुन रही थी और अपने दोस्तों के साथ चिटचैट करने में लगी हुई थी। फ्रेंड्स के साथ उसे टाइम का पता ही नहीं चला और वह भी तब जब सब ने निशी से उसके शादी के बाद की लाइफ और उसके हस्बैंड के बारे में पूछा।


    अव्यांश के बारे में निशी कोई बात नहीं करना चाहती थी। लेकिन सबके पूछने पर उसने फाइनली अव्यांश के बारे में बात करना शुरू किया। एक एक कर अव्यांश की गलतियां और उसकी गंदी हरकतें, उसकी बेवकूफी वाली आदत, अब तक जो कुछ हुआ वो सबको बताने लगी। उसे तो सबसे ज्यादा चिढ़ थी कि अव्यांश ने यहां आकर उसके घर में उसकी जगह ले ली थी। मां पापा सब उसके ही फेवर में थे। दो बार तो मां ने उसे डांट भी दिया था।


     लेकिन यहां उसका पासा उल्टा पड़ गया। जिन बातों को निशी, अव्यांश की निगेटिव साइड बनाने की कोशिश कर रही थी, वो ही सारी बातें उसके दोस्तों को बड़ी प्यारी लग रही थी। बिना देखे, बिना मिले, सब के सब अव्यांश पर लट्टू हुए जा रही थी। निशी इस बात से चिढ़ गई। पता नहीं क्यों लेकिन उसे बहुत बुरा लगा।


     निशी ने सब को डांट लगाई "तुम लोग भी ना! मतलब, मैनर्स नाम की कोई चीज नहीं है तुम लोगों में? वो एक शादीशुदा इंसान है। कैसे तुम लोग एक शादीशुदा इंसान पर डोरे डाल सकती हो? तुम लोगों की चॉइस को हुआ क्या है?"


     उसकी एक दोस्त ने कहा "कुछ भी बोल यार! लेकिन तेरा पति है बड़ा हैंडसम। मीनू ने बताया कि वो मित्तल परिवार का बेटा है! काश कि वो मुझे मिल जाता! अगर तुझे वह पसंद नहीं है तो छोड़ दे उसे मेरे लिए।"


     निशी को गुस्सा आ गया उसने कहा "माना वो दिखने में हैंडसम है, इसका मतलब यह तो नहीं कि वो तेरे लिए अवेलेबल होगा!"


    गुस्से में निशी ने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और उठकर किचन की ओर चल दी। लेकिन उसके कमरे का दरवाजा खुल ही नही रहा था। निशी बुरी तरह डर गई।




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