सुन मेरे हमसफर 3

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    अव्यांश कुछ देर तक उस ब्रेसलेट को देखते रहा, फिर कुछ सोचने के बाद वह भी पब के अंदर चला गया। अंदर भीड़ पहले से ज्यादा हो चुकी थी और अव्यांश की नजर उसी लड़की को ढूंढ रही थी जिसने काले रंग का लॉन्ग गाउन पहन रखा था। लेकिन उसे वह लड़की कहीं नजर नहीं आई।


   "अंदर ही तो आई थी वह! इतनी देर में कहां जा सकती है?" अव्यांश अभी यह सब सोच ही रहा था कि उसका फोन बजा। उसने फोन निकाल कर देखा कि कायरा उसे कॉल कर रही थी। उसने कॉल रिसीव किया और जैसे ही अपने कान से लगाया, उसकी नजर सामने स्टेज पर नाचती हुई एक लड़की पर गई जिसने शॉर्ट ड्रेस पहन रखी थी। अव्यांश के मुंह से निकला "निशी..........!"


      कायरा उसके मजे लेते हुए बोली "कौन निशी?"


     अव्यांश को ध्यान आया और वह हड़बड़ा कर बोला "कौन? कौन निशी? तेरी फ्रेंड है क्या?" तब तक वो बाहर निकल चुका था।


      कायरा बोली "ज्यादा बकवास न करी! और यह नाम तुमने ही लिया है। सच सच बता, कौन यह निशी? वरना मैं जाकर सबको बता दूंगी।"


     अव्यांश घबरा गया और बोला "ऐसा मत करना, मैं बताता हूं।" और उसने सारी बातें बता दी। कायरा हंसते हुए बोली "भाई! कहीं तू सीरियसली उसके बारे में तो नहीं सोच रहा? ऐसे तो मैं भी ना जाने कितनों से टकराती हूं। मेरी कितनी ही चीजें गुम हुई है। किसी के तो हाथ लगी ही होगी! वह लड़की भी मेरी जैसी ही होगी। तुम देखना, उसे कुछ याद भी नहीं होगा। वो सब छोड़ो और ये बताओ, क्या हो रहा है?"


    अव्यांश ने एक गहरी सांस ली और बोला "कुछ नही। पार्टी ओवर हो चुकी है और मैं अब घर जा रहा हूं। अभी फोन रख, मुझे कैब बुक करनी है।" 


    अव्यांश ने बिना कुछ सुने फोन रख दिया। लेकिन उसका फोन एक बार फिर बजा।


*****


 


   सारांश की एक नजर अवनी पर ही थी। सोनू ने जब अवनी को फोन पकड़ाया था, तभी वह समझ गया था कि फोन पर और कोई नहीं, बल्कि अंशु ही है। सारांश उन दोनों मां-बेटे के बीच कुछ बोलना नहीं चाहता था लेकिन जब अवनी को अपने आंसू पोंछते हुए देखा तो उससे रहा नहीं गया और पीछे से जाकर उसे हग कर लिया। अवनी जल्दी से अपने आंसू छुपाने लगी तो, सारांश ने उसके हाथ से फोन लेकर स्पीकर ऑन कर दिया और बोला "तुम्हारी इतनी हिम्मत, बरखुरदार! जो तुमने हमारी बेगम साहिबा को रुलाया!"


     अंश घबराने का नाटक करते हुए बोला "सॉरी जहांपना! गलती हो गई, माफी चाहूंगा।"


     सारांश उसी अकड़ में बोला "गलती की माफी होती है शहजादे, लेकिन आपने जो किया है वह गुनाह ए अजीम है। इसकी सजा मिलेगी, बरोबर मिलेगी।"


     अंश बोला "बापू! मैंने आपका नमक खाया है।"


     सारांश बोला, "तो अब गाली खा।"


     दोनों बाप बेटे की इस जुगलबंदी को देखकर अवनी हंस पड़ी। सारांश मुस्कुरा कर बोला "अब लग रही हो मेरी बीवी। अंशु! अपनी मां को समझा कि वह ज्यादा तुझे याद ना करें। जब से तू गया है, इसने खुद को इतना बिजी कर लिया है कि मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देती। मतलब रोमांस नाम की कोई चीज ही नहीं बची है लाइफ में।"


     अवनी अपनी बड़ी बड़ी आंखें करके बोली "क्या कर रहे हो आप? ऐसे बच्चे के सामने..........! थोड़ा तो उम्र का लिहाज करिए!"


    सारांश वैसे ही बेफिक्र अंदाज में बोला, "अरे ऐसे कैसे?  बुड्ढी होगी तुम! उम्र तुम्हारी हो चली है, मेरी नहीं। तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें एक और बार प्रेगनेंसी के बारे में सोचना चाहिए?"


    अवनी सारांश के मुंह पर हाथ रख कर बोली "क्या बकवास कर रहे हो आप? बच्चे शादी के लायक हो गए हैं, और अब उनके बच्चों के साथ खेलने की उम्र है आपकी। मेरे अंशु को बिगड़ने में सिर्फ और सिर्फ आपका हाथ है। बेशर्मी की भी हद होती है।"


     सारांश रोमांटिक होकर बोला,"मैं तो बस अपने बच्चों को बताना चाहता हूं की मैं उनकी मां से कितना प्यार करता हूं। और जब वह दोनों आने वाले थे, तब मैंने किस तरह अपने बच्चों की और उनकी मां की सेवा की थी। इससे उनका ही फायदा है। अंशु भी तो सीख जाएगा कि शादी के बाद अपनी बीवी का ध्यान कैसे रखते हैं।"


     अवनी कुछ बोलती, उससे पहले अंशु बोला "बिल्कुल ठीक। और मुझे एक छोटा भाई या बहन, कुछ भी मिल जाएगा। वैसे ही सोनू से मेरी ज्यादा बनती नहीं है। जब देखो मुझ पर धौंस जमाती है। मुझे परेशान करती है। आप लोग जल्दी से कोई लूला लंगड़ा देखो, और उसकी शादी करवा दो।"


     अवनी दोनों बाप बेटे के बीच फंस गई थी। इस सिचुएशन को वह कैसे हैंडल करें उसे समझ नहीं आ रहा था। उसने दोनों बाप बेटे को डांट लगाई और फोन रख दिया।





*****






    अंश झुंझलाता हुआ अपने कान से फोन लगाए कमरे से बाहर निकला। उसके पीछे पीछे वह दोनों लड़कियां भी बाहर निकली। इन तीनों के चेहरे से साफ जाहिर हो रहा था कि वो जो चाहते थे, वह नहीं हो पाया।


     अंश आकर सबके बीच बैठ गया। उसे इतनी जल्दी आया देख सबने इशारे से एक दूसरे को देखा और अजीब तरह से मुस्कुरा दिए। इतनी देर में अंश के लिए बर्थडे केक भी आ चुका था।


     नाचते हुए निशी की दोस्त मीनू का ध्यान उसकी सुनी कलाई पर गया तो वह बोली "अरे निशि! तेरा ब्रेसलेट कहां गया?"


    निशी एकदम से चौंक गई और अपनी कलाई देखने लगी। वाकई उसकी कलाई में उसका लकी ब्रेसलेट नहीं था। वह पैनिक हो गई और बोली "ओह शिट! यह कहां गिरा? मेरा लकी चार्म! घर से तो पहन कर निकली थी मैं। रास्ते में भी देखा था मैंने, मेरे पास ही था। एकदम से कहां जा सकता है?"


     मीनू बोली "रिलैक्स यार! यहीं कहीं गिरा होगा। जब हम यहां आए थे तब भी शायद तेरी कलाई में ही था। यहां ढूंढते हैं, आसपास मिल जाएगा।"


    निशी और उसकी दोस्त, लोगों की भीड़ में उस ब्रेसलेट को तलाशने लगे। ढूंढते हुए निशी उस जगह आई जहां अंश बैठा हुआ था। उसने कहा "एक्सक्यूज मी! मेरा ब्रेसलेट यहीं कहीं खो गया है। शायद यहां किसी के पैरों से लगकर चला आया हो! प्लीज, क्या आप देख देंगे?"


      निशी की रिक्वेस्ट पर बाकी सब तो अपने अपने पैरों के पास देखने लगे लेकिन अंश वैसे ही बैठा रहा। निशी ने अंश से एक बार फिर रिक्वेस्ट की तो अंश बोला "तुम्हारी चीज है, मैं क्यों अपना एनर्जी वेस्ट करूं?"


    निशी मन ही मन उसे गालियां देते हुए बोली 'अगर एक बार देख लेगा तो इसका क्या बिगड़ जायेगा? ऐसे लोग इस दुनिया में होते ही क्यों है, जो खुद को कहीं का महाराजा समझते हैं!' निशी वहीं पर बैठ गई और झुक कर उसके पैरों के पास खुद ही देखने लगी।


    अंश उसकी हर एक हरकत पर नजर बनाए हुए था। मौका देखकर उसने अपने पैर धीरे से उठाएं और उसी के कमर के नीचे सहलाने लगा। उसके टच से निशी एकदम फ्रेश हो गई लेकिन अंश इतने पर ही नहीं रुका और निशी को कुछ रिएक्ट करते ना देख उसने अपना एक हाथ निशी के कमर पर रख दिया जो धीरे-धीरे नीचे फिसल रहा था।


     निशी होश में आई और उसने एक झटके से उठकर बिना कुछ और सोचे अंश को एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया। थप्पड़ की गूंज से आसपास के लोगों का ध्यान भी उनकी तरफ गया। सब के बीच अपनी इंसल्ट अंश को बर्दास्त नहीं हुआ और वह निशि को हर्ट करने के इरादे से उठा।


    "तुम्हारी इतनी हिम्मत, जो तुम मुझे अंश मित्तल को थप्पड़ मारो! औकात क्या है तुम्हारी? लड़की..........." अंश कुछ करता, उससे पहले निशी ने एक और थप्पड़ अंश को जड़ दिया।


      अंश के दोस्त जो वहां मौजूद थे, उसकी हर हरकत से वाकिफ थे और देख भी रहे थे। उन्होंने अंश को कुछ और करने से रोका। निशी भी वहां रुकी नहीं और तुरंत निकल गई। उसकी दोस्त मीनू उसके पीछे भागी। मीनू का पूरा ध्यान निशि के ब्रेसलेट को ढूंढने पर था, इसलिए उसने वहां जो कुछ भी हुआ उस पर ध्यान नहीं दिया।


     निशी गुस्से में बड़बड़ाते हुए बाहर निकली तो मीनू ने उसे रोका। लेकिन निशी के दिमाग में जैसे बम फट रहे थे। वह गुस्से में चीखी "समझता क्या है खुद को? ऐसी जगह पर क्या हम लड़कियां अलाउड नहीं है? क्या हम अपनी मर्जी से इंजॉय नहीं कर सकते? खरीद रखा है उसने इस पूरे पब को? अमीरजादा है, इसका मतलब क्या सबको अपना नौकर समझेगा? हिम्मत कैसे हुई उसकी मुझे हाथ लगाने की? मेरा दिल कर रहा है मैं उसकी जान ले लूं!"


     मीनू ने उसे शांत करते हुए कहा "शांत गदाधारी शांत! उस इंसान को तू न जानती है, ना पहचानती है। छोड़ उसे, रात गई बात गई। चलो घर चलते हैं।"  और उसने जल्दी से कैब बुक किया।


    कैब का इंतजार करते हुए निशी की नजर, सड़क के दूसरी तरफ खड़े कुछ लड़कों के झुंड पर गई। उनके बीच में एक लड़का गिटार लेकर कोई खूबसूरत सा ट्यून बजा रहा था। उस ट्यून ने निशिका गुस्सा एकदम से शांत कर दिया। वो उस धुन में खो गई।


     इतने में मीनू ने उसको हाथ पकड़ा और बोली, "कैब हमारा इंतजार कर रही है। चल जल्दी वरना अगर तेरे पापा को पता चल गया तो, हम दोनों की खटिया खड़ी कर देंगे।"


    मीनू और निशी, अव्यांश के सामने से कैब में निकली लेकिन अव्यांश गिटार बजाने की धुन में ऐसा खोया था कि उसे कुछ होश ही नहीं रहा। जब उसका गाना खत्म हुआ, तो सामने खड़े लड़के ने उसकी तारीफ की और उन्हें सिखाने को कहा। तो अव्यांश बोला "फिलहाल तो पॉसिबल नहीं है। क्योंकि मैं नहीं जानता मैं यहां कितने वक्त के लिए हूं। वैसे भी, इस वक्त मैं अपने सपने के पीछे भाग रहा हूं। ना जाने मेरे सपने मुझे कहां लेकर जाएंगे।" और एक बार फिर से अब अव्यांश ने गिटार पर धुन छेड़ दी। "मगर यह तो, कोई न जाने, कि मेरी मंजिल, है कहां!"



क्रमशः

गरिमा गुप्ता 


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