सुन मेरे हमसफर 4

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     अवनी ने फोन रख कर सारांश को अच्छे से डांट लगानी शुरू की। सारांश बड़े प्यार से अपनी को देखे जा रहा था और उसकी डांट को इंजॉय कर रहा था। काव्या ने उन दोनों को इस तरह देखा तो अपने सर पकड़ लिया और उनके पास आकर बोली "तुम दोनों का रोमांस खत्म हो गया हो तो चले? चित्रा अभी आती ही होगी। उसने तुम दोनों को ऐसे देख लिया ना तो समझ लो सबके सामने क्या करेगी!"


     "किसी ने मुझे याद किया?" चित्रा की आवाज सुनकर उन तीनों ने देखा, गुलाबी साड़ी में लिपटी चित्रा उनके पीछे ही खड़ी थी जो आज भी बेहद खूबसूरत लग रही थी। 


    चित्रा की नजर जब अवनी की लाल आंखों पर गई तो वह बोली "यह क्या? आज के दिन कौन रोता है? माना, 25 साल पहले तुम दर्द में रो रही थी इस सडू के कारण, लेकिन क्या मैं अभी रोने का रीजन जान सकती हूं? इस सडू ने कुछ सुनाया तुम्हें? तुम बताओ मुझे, मैं अभी इसकी अकल ठिकाने लगाती हूं।"


     अवनी कुछ कहती उससे पहले सारांश बोल पड़ा "भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा। जो अच्छा करें, उसी के साथ बुरा करो तुम लोग। तुम्हारी प्यारी दुलारी अवनी, मेरे बेटे को याद कर रो रही थी और मैं तो बस उसे हंसाने की कोशिश कर रहा था। वैसे मैं तुझे सफाई क्यों दे रहा हूं? तू मेरी दोस्त है या अवनी की?"


     चित्रा बोली "तेरी दोस्त हूं, तभी तो तेरी वाट लगाने का मौका ढूंढती हूं। लेकिन तू है कि मुझे हाथ साफ करने का मौका ही नहीं देता!"


      सारांश चिढ़कर बोला "तुझे अगर हाथ साफ करने का इतना ही शौक है तो फिर तेरे पास ऑलरेडी एक पंचिंग बैग है, तेरा निक्षय। उस पर अपना हाथ साफ कर। उसे तो तू हाथ तक नहीं लगाती। उसके सामने तो भीगी बिल्ली बनकर रहती है। मेरी समझ नहीं आता, आखिर इस निक्षय ने इस जंगली बिल्ली के गले में घंटी बांधी तो बांधी कैसे?"


    निक्षय उनके पास आया और चित्रा को पीछे से हग करते हुए बोला "प्यार से और समझदारी से।"


     सारांश ने एक गहरी सांस ली और कहा "फिर तो मेरे भाई! मेरे में तुम्हारे जैसी समझदारी बिल्कुल भी नहीं है। तुम किसी दूसरी दुनिया के लगते हो।" फिर वो चारों तरफ देखते हुए काव्या से बोला "वैसे काव्या! सभी नजर आ रहे हैं, लेकिन कार्तिक कहां रह गया? वह कहां है?"


     काव्य बोली "आजकल एक प्रोजेक्ट को लेकर कुछ ज्यादा ही बिजी है। तुम्हें तो पता ही होगा, मिस्टर रायचंद के साथ जो कोलैबोरेशन की बात आज फाइनल होनी थी!"


    सारांश बोला "हां! वह तो होनी थी। लेकिन अब तक तो वह हो चुकी होगी, फिर यह कहां रह गया?"


     काव्या की नजर दरवाजे पर गई जहां से कार्तिक एक कपल के साथ अंदर आ रहा था। उसे देखते ही काव्या खुशी से बोली "वह रहे!"


    सारांश की नजर कार्तिक और उनके साथ चले आ रहे मिस्टर एंड मिसेस रायचंद पर गई तो निक्षय के साथ उनके पास चला गया। वहां बस चित्रा अवनी और काव्या रह गए।


      कार्तिक ने काव्या की तरफ देखकर आंखों से कुछ इशारा किया तो काव्या ने भी अपना सर हिला दिया। उन दोनों को इस तरह इशारों में बात करते देख चित्रा बोली "क्या है यह सब? कुछ बात है क्या?"


    काव्या थोड़ी हिचकिचा रही थी। उसने कुछ कहने की कोशिश की तो चित्रा बोली "अब बोल भी दो! इतना सोचोगी तो पेट खराब हो जाएगा। ये कम्मो तुम्हें क्या इशारा करके गया है?"


    अब तो अवनी भी काव्या को ध्यान से देखने लगी और उसके कुछ कहने का इंतजार करने लगी। काव्या ने हिचकिचाते हुए कहा "चित्रा! एक जरूरी बात तुम्हें बतानी थी, कुहू के बारे में।"


     कुहू नाम सुनकर चित्रा परेशान हो गई और बोली "क्या हुआ मेरी बच्ची को? बताओ काव्या, क्या हुआ उसे?"


     काव्या ने ना में सर हिलाया और समझाते हुए बोली "उसको कुछ नहीं हुआ, वह बिल्कुल ठीक है। लेकिन उसके बारे में कुछ बात है जो तुम्हें बतानी है। वह हम, कुहू के रिश्ते के बारे में सोच रहे थे।"


     चित्रा परेशान होकर बोली "तुम लोग इतना क्यों टेंशन ले रहे हो? ये उसकी लाइफ है। वो पहले अपना करियर बनाना चाहती है तो तुम लोग उसकी शादी के बारे में क्यों सोच रहे हो? देखो काव्या! मैंने पहले ही कहा था, मेरी बेटी के लिए उसकी लाइफ का डिसीजन कोई और नहीं लेगा, वो खुद लेगी। और कोई भी इस में इंटरफेयर नहीं करेगा। तो फिर से क्यों?"


     काव्या अपनी बात रखते हुए बोली "ऐसा नहीं है चित्रा! हम भी उसके कैरियर में कोई रुकावट नहीं चाहते, और ना ही यह लड़का हमने चुना है।"


     चित्रा और अवनी एक साथ बोल पड़ी "तो फिर किसने चुना है?"


      काव्या धीरे से बोली "कुहू ने।"


     चित्रा का माथा ठनका। इससे पहले कि उसका दिमाग खराब हो, काव्या जल्दी से बोली "वो लड़का उसके साथ ही पढ़ता था।"


      चित्रा गुस्से में बोली "और इतनी बड़ी बात मेरे से छुपाई गई? उस लड़की की इतनी हिम्मत कि वो मेरे से बात छुपाएगी? तुम दोनों को पहले बता दिया, बस मेरे से बात छुपाने लगी है। इतनी बड़ी हो गई है वह या फिर मैं पराई हो गई हूं?"


     काव्या जल्दी से बोली "नहीं चित्रा! इस बारे में तो उसने हमें भी कुछ नहीं बताया था। कल रात ही हमें पता चला और जब उसे इस बारे में हमने पूछा तब जाकर उसने बताया। हम लोग कल रात ही तुम्हें कॉल करने वाले थे, लेकिन सोचा आज पार्टी में तुम सामने से उस लड़के से मिल लोगी और तुम ही डिसाइड करोगी। कोई और कुछ नहीं बोलेगा।"


     चित्रा खुद को शांत करने की कोशिश करते हुए बोली "कौन है वह?"


     काव्या कार्तिक की तरफ देखते हुए बोली "वह जो मिस्टर एंड मिसेज रायचंद बैठे है, जिसे कार्तिक लेकर आया है, उनका बेटा कुणाल। कार्तिक मिले हैं उससे। उन्हें तो बहुत पसंद है, लेकिन उसे मैंने देखा नहीं है। सिर्फ तस्वीर देखी है। कुहू ने बताया था, वो भी आने वाला है। तुम खुद से मिल लेना और तुम ही तय करना कि ये रिश्ता होगा या नहीं! प्लीज चित्रा! तुम गुस्सा मत होना और कार्तिक को कुछ मत बोलना। अभी तक तो कुहू ने भी उस लड़के को अपने दिल की बात नहीं बताई है।"


     चित्रा ने एक गहरी सांस ली और ओके बोल कर उस तरफ चली गई जहां कार्तिक सारांश बैठे थे। चलते हुए चित्रा ने अपने हाथ में माइक उठा लिया और बोली "प्यारे बच्चों! जो अंडे से बाहर निकल चुके हो, मेरा मतलब सोनू के साथ जिसको जिसको बर्थडे सेलिब्रेट करना है, उनके लिए पूल साइड सारा इंतजाम किया हुआ है। तो बच्चो! अपने मां-बाप को गोली मारो और निकलो। मेरा मतलब यह पार्टी अब हमारी है, तो बच्चों, अपना रास्ता नापो और पार्टी इंजॉय करो।" चित्रा की अनाउंसमेंट सुनकर सारे खुश हो गए और पूल की तरफ भागे। 


    सुहानी भागते हुए आई और चित्रा के गले लग गई। चित्रा ने उसे भी सबके साथ जाने को कहा लेकिन वो कुछ देर वही खड़ी रही। चित्रा की नजर पास खड़ी शिवि पर गई जो वहां खड़ी मुस्कुरा रही थी। उसे अपने पास बुलाकर पूछा "तुम क्यों नहीं जा रही? तुम भी हमारी पार्टी इंजॉय करने वाली हो क्या?"


     शिवि कुछ बोलती, उससे पहले सारांश बोला "अभी उसकी फ्लाइट है। उसे निकलना होगा।"


    शिवि के जाने की बात वो जानती थी लेकिन फिर से सुनकर सोनू उदास हो गई और बोली "आप भी चले जाओगे मुझे छोड़कर? वो गधा अंशु तो यहां है नहीं, आप भी चले जाओगे तो मेरा मन नहीं लगेगा। आप कल चले जाना, प्लीज!"


     शिवि उसे समझाते हुए बोली "ऐसा नहीं हो सकता सोना! कल सेमिनार है मेरा, और आज रात को निकलूंगी तभी तो टाइम पर पहुंच पाऊंगी! निकलना तो मुझे सुबह ही था, लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिए रुकी थी।"


     सोनू उदास होकर बोली "क्या जाना जरूरी है?"


    सारांश जवाब देते हुए बोला "एक डॉक्टर के लिए यह बहुत जरूरी होता है। मैंने पूरी कोशिश की थी कि मैं सारे सेमिनार अटेंड कर लूं। लेकिन ऑफिस के काम से फुर्सत ही नहीं मिली। लेकिन हमारी शिवि ऐसा कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी। शिवि बेटा! आप निकलो। ड्राइवर आपको एयरपोर्ट छोड़ देगा। एक काम करते हैं, मैं भी चलता हूं साथ।"


       सिद्धार्थ उसे रोकते हुए बोला "सारांश! अभी तुम्हारा यहां होना ज्यादा जरूरी है। तुम इस तरह नहीं जा सकते। शिवि कोई छोटी बच्ची नहीं है जो अकेली नहीं जा सकती!"


     शिवि बोली "कोई बात नहीं चाचू! मैं कोई पहली बार नहीं जा रही। और वापस आकर आपको पूरी डिटेल भी दूंगी।" शिवि ने सोनू को प्यार से हग किया और वहां से निकल गई। 


    उसके जाने के बाद कार्तिक ने मिस्टर एंड मिसेस राजवंश को सिया और बाकी फैमिली से मिलवाया। सोनू और शिवि से तो वह दोनों पहले ही मिल चुके थे। समर्थ भी उनके साथ ही इस डील में शामिल था, तो उसे ना जानने वाली कोई बात ही नहीं थी। अंशु वहां था नहीं और कुहू को कार्तिक ने कुछ देर के लिए वही रोक लिया था।


     मिस्टर एंड मिसेज रायचंद पूरी फैमिली से मिलकर बहुत खुश थे और इंप्रेस्ड भी। उनका बेटा कुणाल अभी तक आया नहीं था और कुहू की नजरे बार-बार दरवाजे की तरफ जाती। चित्रा ने उसे साइड से कोहनी मारी और शांत रहने का इशारा किया। कुछ देर बाद ही मिस्टर रायचंद के फोन की घंटी बजी। उन्होंने फोन उठाया तो उसी तरफ कुणाल था। कुणाल को पार्टियों के बारे में बता कर उन्होंने फोन रख दिया।


     कुणाल के आने की खबर सुनकर ही कुहू बिना किसी की परवाह किए हाल के बाहर निकल गई। बाहर आकर उसने देखा वहां कोई नहीं था। उसने चारों तरफ नजर आई लेकिन कुणाल की गाड़ी से कहीं नजर नहीं आई। इंतजार करने के बाद उसने कुणाल का नंबर डायल किया लेकिन रिंग जाने के बावजूद उसने फोन नहीं उठाया। कुहू मायूस हो गई।



सुन मेरे हमसफर 5 



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