सुन मेरे हमसफर 316
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रेणु जी परेशान थी। निशी का फोन नहीं लग रहा था और जब से वह घर से निकली थी, उसने बस एक बार ही फोन करके अपने पहुंचने की खबर की थी। उसके बाद से दोनों मां बेटी की कोई बात ही नहीं हुई। रेनू जी ने अपनी परेशानी मिश्रा जी के साथ शेयर की और उन्हें पूरी बात बताई। मिश्रा जी को अपनी बेटी की चिंता नहीं थी। उन्होंने कहा, “रेणु जी, आपकी बेटी अगर अपने ससुराल पहुंच गई है तो फिर हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। उसके ससुराल वाले हमसे बेहतर उसका ख्याल रखते हैं।"
लेकिन रेणु जी मां थी। कैसे इतनी बात से संतुष्ट हो जाती।
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Nice part
जवाब देंहटाएंअंशु बेवकूफ हो रहेगा
जवाब देंहटाएंMai ye part pura kyo nahi padh pa rahi pura open hi nahi ho raha
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