सुन मेरे हमसफर 317
317 अव्यांश निशि के पास ही बैठा था और बार-बार उसका टेंपरेचर चेक कर रहा था। जो कुछ भी उसे समझ में आता वह सब कुछ करके देख लिया था। और ऐसे में इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। कल निशी का बर्थडे था और ऐसे में उसने निशी के लिए तलाक के पेपर तैयार करवा लिए थे, उसके बर्थडे पर सबसे खूबसूरत गिफ्ट समझकर। लेकिन क्या निशि अपने दिल की बात बता पाएगी और ये अलगाव रोक पाएगी? रात भर ना सोने के कारण अव्यांश बैठे बैठे ही ऊंघने लगा था। उसकी पलके नींद से बोझिल हुई और वह वही निशी के बगल में सो गया। दूसरी तरफ हॉस्पिटल में, डॉक्टर तन्वी को एग्जामिन कर रहे थे। तन्वी को होश आ चुका था और वह खाली नजरों से अपने चारों तरफ देख रही थी। इस वक्त वह कहां थी और उसके आसपास क्या हो रहा था, उसे कुछ पता नहीं चल रहा था। डॉक्टर ने तन्वी को समझाते हुए कहा, “अब आप बिल्कुल ठीक है। बस अपने दिमाग पर जोर मत देना। खुश रहो, यह सबसे बड़ी दवाई है आपके लिए। इसके अलावा भी जो दवाई है वह में लिख दे रहा हूं।" तन्वी को डॉक्टर की कहानी कोई भी बात समझ में नहीं आई। वो तो बस उस डॉक्टर को देखे जा रही थ...