सुन मेरे हमसफर 315
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डॉक्टर ने निशि को दिखा और अव्यांश से पूछा "ये तुम्हारी वाइफ है ना?"
वह डॉक्टर सारांश को बहुत अच्छे से जानते थे। और अव्यांश को भी इसलिए उनका सवाल सुनकर अव्यांश इनकार नहीं कर पाया और कहा, "हां लेकिन अंकल यह होश में नहीं आ रही। अगर प्रॉब्लम ज्यादा है तो हम इसे लेकर हॉस्पिटल चलते हैं।"
डॉक्टर ने अव्यांश की तरफ देखा और उसके चेहरे पर घबराहट देख उसे ताना मारते हुए कहा, “बहुत फिक्र हो रही है अपनी बीवी की। इतनी फिक्र हो रही है तो सबसे पहले से कपड़े चेंज करो। गीले कपड़े में यह ठीक नहीं होगी, उल्टे और ज्यादा बीमार हो जाएगी। और इसको हुआ कुछ नहीं है, बॉडी टेंपरेचर डाउन हो गया है। ऐसा लग रहा है जैसे पूरी रात बारिश में खड़ी रही थी। लेकिन उस टाइम तुम कहां थे और कर क्या रहे थे तुम दोनों जो उसकी हालत ऐसी हो गई?"
अव्यांश ने सफाई देने की कोशिश की और कहा, "अंकल मैं यहां नहीं था। किसी काम से बाहर निकाला था। मुझे नहीं पता था कि यह इतनी लापरवाह निकलेगी।"
डॉक्टर ने उठते हुए कहा, “मुझे जो करना था मैंने कर दिया है। इसके आगे सबसे पहली बात जो बहुत ज्यादा जरूरी है, इसके बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन करना। उसके बाद ही इसे कोई दूसरा मेडिसिन दे पाऊंगा। तुम इसका ख्याल रखो और जब यह होश में आ जाए तो मुझे कॉल कर देना, मैं किसी के हाथों दवाई भिजवा दूंगा।"
अव्यांश अभी भी पूरी तरह से कन्वेंस नहीं हुआ था। उसने कहा, “लेकिन अंकल! अगर ऐसे इसकी तबीयत थोड़ी और खराब हो गई तो?"
डॉक्टर ने बड़े आराम से कहा, “देखो बेटा, इतनी समझ तो तुम्हें भी है कि फर्स्ट एड क्या होता है कैसे होता है। ये तुम भी बहुत अच्छे से जानते हो। तुम्हारे पापा ने बहुत अच्छे से समझाया भी है और सिखाया भी है इसलिए अब आगे तुम संभालो। बस एक बार ये होश में आ जाए तो मुझे फोन कर देना। इसके अलावा कुछ नहीं। अब ऐसी कंडीशन में एस्टेरॉयड तो दे नहीं सकता। आगे का तुम संभाल सकते हो। मैं चलता हूं। अगर तुमसे ना संभले तो मुझे फोन कर सकते हो।" डॉक्टर उठे और वहां से चले गए।
डॉक्टर को इतना कैजुअल बिहेव करते देखा अव्यांश को बहुत अजीब लगा था। लेकिन बात ऐसी थी कि जब अव्यांश ने इतनी सुबह उन्हें फोन करके बुलाया था तो उसी टाइम उन्होंने सीधे सारांश को फोन लगाया था और सारी बातें पूछी थी। सारांश को भी नहीं पता था कि वहां के कंडीशन क्या है इसलिए जितना हुआ उन्होंने एक्सप्लेन कर दिया। अब डॉक्टर साहब जब जानते थे कि दोनों पति-पत्नी के बीच थोड़ा मनमुटाव है। ऐसे में वह अपनी नाक नहीं घुसना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पूरा अव्यांश पर छोड़ दिया क्योंकि निशी की तबियत इतनी खराब नही थी कि उसे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़े और उन्हें अव्यांश पर पूरा भरोसा था।
डॉक्टर के जाने के बाद अव्यांश ने निशी की तरफ देखा जो ठंड से बिल्कुल सफेद पड़ गई थी। उसने सबसे पहले तो पूरे घर को अच्छी तरह से बंद किया ताकि ठंडी हवाएं अंदर ना आ पाए, फिर उसने चिमनी में पहले से आग जला रखी थी उसने वहीं पर एक गद्दा लगाया और निशि को धीरे से वहां लिटा दिया ताकि आग की गर्मी निशि को मिलती रहे। उससे भी अव्यांश को तसल्ली नहीं मिली तो ऊपर कमरे से जाकर ब्लोअर ले आया। लेकिन सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी निशी के कपड़े चेंज करना। वह कैसे होगा?
दूसरी तरफ,
काया ऋषभ के साथ थी और ऋषभ जितने मैच्योर तरीके से बिहेव कर रहा था, काया से रहा नहीं गया। उसने पूछा "तुम ऋषभ ही हो ना?"
ऋषभ ने मजाक में कहा, “तुम्हें लगता है मैं कार्तिक हूं? मुझे लगा था, तुम मुझे बहुत अच्छे से पहचानती हो।"
काया ने थोड़ा परेशान होकर कहा, “हां, लेकिन इस वक्त मुझे तुम्हारे और कार्तिक में कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा।"
यह सुनकर ऋषभ का चेहरा गंभीर हो गया। वह कुछ कहने को हुआ लेकिन इतने में काया का फोन बजा। काया ने कहा, “भाई का फोन है। मैं देखती हूं।"
ऋषभ ने कहा, “मैं तुम्हारे लिए खाने को कुछ लेकर आता हूं। तुम तक तक बात कर लो।" ऋषभ फौरन वहां से निकल गया।
काया ने कॉल रिसीव किया और कहा, “भाई सब ठीक है?"
दूसरी तरफ से अव्यांश ने कहा, “ठीक है या नहीं मुझे नहीं पता, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। तू क्या कर रही है?"
काया ने अपने कंप्यूटर की तरफ देखते हुए कहा, “पूरी रात तो लगी हुई थी। जितना हो सकता है मैंने किया है। एक बार सोमू भाई देख लेते, तब जाकर में इससे आगे कुछ कर पाती। मुझे उनसे मिलना होगा। लेकिन आप इतने परेशान क्यों हो, सब ठीक है ना? मैंने सुना निशी भाभी आपसे मिलने गई है। आप दोनों के बीच कुछ हुआ क्या?"
अव्यांश ने निशी की तरफ देखा और कहा, “पता नहीं। मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा।"
काया ने उसे समझाते हुए कहा, “भाई! आप दोनों को बात करने की जरूरत है। जब तक आप लोग एक दूसरे से बात नहीं करोगे तब तक किसी भी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नहीं निकलेगा। मेरे और ऋषभ के बीच भी तो कितनी बड़ी गलतफहमी हो गई थी। लेकिन उसने सामने से आकर सारा कुछ कन्फेस किया और जो मैं सोच रही थी वह सब एक्सप्लेन किया। आज हम दोनों साथ हैं वरना मैं तो उसे लात मार के अपनी लाइफ से निकलने वाली थी।"
अव्यांश ने कुछ नहीं कहा, वह बस सुन रहा था। काया ने उसे चुप देखा तो कहा, “भाई एक बार आप भाभी की बात अच्छे से सुन लो। उसके बाद आपके मन में जो भी बात है जो भी सवाल है वह पूछ लो। हो सकता है कोई और हो जो आप दोनों के बीच आने की कोशिश कर रहा हो। हो सकता है भाभी को भी आपसे प्यार हो और कह न पा रही हो। कम से कम आपके मन में यह मलाल तो नहीं रहेगा कि आपने अपने रिश्ते को एक मौका देने की कोशिश नहीं की।"
अव्यांश ने गहरी सांस ली यार कहा, “पता नहीं कायू, एक नहीं कई मौके दिए मैंने इस रिश्ते को। मैंने कभी निशी पर कोई प्रेशर नहीं डाला। उसके हर फैसले की रिस्पेक्ट की है मैंने और शायद यह फैसला उसी का था। मैंने सब कुछ उस पर छोड़ा था। अब आगे भी जो होगा वह उसी की मर्जी से होगा। प्यार जबरदस्ती नहीं होता है लेकिन कोई इंसान प्यार में किस हद तक जा सकता है बस में यह सोच रहा हूं।"
काया ने चौक कर पूछा "कुछ हुआ है क्या? आप ऐसे बात क्यों कर रहे हो?"
अव्यांश ने कहा, “तू मेरा एक काम करेगी?"
काया ने कहा, “हां भाई आप बताओ तो सही।" दूसरी तरफ से अव्यांश ने जो कहा, उसे सुनकर काया ने हैरान होकर पूछा "आप सच में चाहते हो मैं यह काम करूं? मतलब कहीं इससे कोई प्रॉब्लम हुई तो?"
अव्यांश ने कोई जवाब दिए बिना ही फोन काट दिया और निशी की तरफ देखा जो अभी भी बेहोश थी। उसने कहा, "सही या गलत मैं नहीं जानता। मैं बस सच जानना चाहता हूं फिर वो चाहे जैसे भी मिले।"
बहुत इंतजार करवाए आप। मुझे ये स्टोरी बहुत पसंद हैं।
जवाब देंहटाएंMaam plz thodi jaldi part dijiye bhut intazar rhta h ki kab part upload
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