सुन मेरे हमसफर 275
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कार्तिक तो यह शादी कैंसिल करने के लिए गुस्से में बाहर की तरफ लपके। कुहू की एक गलती के कारण इस वक्त बात कितनी ज्यादा बिगड़ गई थी ये शायद कुहू नहीं जानती थी। और कार्तिक का गुस्सा तो कुहू पर इतना ज्यादा भड़क चुका था कि अगर कुहू इस वक्त उसके सामने होती तो न जाने वह क्या ही करता।
चित्रा भी भागते हुए कार्तिक के पीछे गई और आवाज लगाई "कार्तिक...!!! कार्तिक गुस्से में काम मत लो, सारा मामला खराब हो सकता है।" चित्रा ने जाकर कार्तिक की कलाई पकड़ी और अपना पूरा जोर लगाकर उसे रोका।
कार्तिक को रुकना पड़ा। उसने गुस्से में चित्रा से पूछा "उसकी हर हरकत पर तुम्हारी नजर थी। बेटी है वह तुम्हारी, हमने हमेशा तुम्हें काव्या से ज्यादा कुहू का अपना समझा। हमारे लिए हमेशा ही पहले तुम कुहू की मां थी और काव्या का हक बाद में। यह बात खुद काव्या भी कहती है। तुम दोनों मां बेटी के बीच में काव्या कभी नहीं आई। लेकिन चित्रा! यह सब करने से पहले एक बार तो उसने हमारे बारे में सोचा होता।"
चित्रा को बहुत बुरा लग रहा था। उसने इस बारे में कुहू से कहा भी था लेकिन वह माने तब तो। चित्रा ने कहा "कार्तिक मैं समझ रही हूं तुम्हारा गुस्सा। सच कहूं तो इस बारे में मुझे भी कुछ नहीं पता था और उसने मुझे अपनी कसम दी थी कि मैं तुम लोगों को इस बारे में कुछ ना कहूं, इन फैक्ट किसी से कुछ ना कहूं। वरना मैं बहुत पहले ही आकर तुम सबको यह सारी बातें बता चुकी होती। मुझे भी उसपर बहुत गुस्सा आ रहा है। कार्तिक मुझे खुशी थी, बहुत खुशी थी कि वह अपने करियर के बारे में सोच रही थी अपने पैशन को फॉलो कर रही थी लेकिन अपने पैशन के लिए उसने जो तरीका चुना वह गलत था। इस तरह गुस्से में सब कुछ बर्बाद करने से पहले एक बार शांति से बैठकर सोच लेना चाहिए।"
कार्तिक बिफर पड़े और कहा "अब सोचना क्या रह गया है और किस बारे में सोचना बाकी रह गया है? क्या कर सकते हैं हम?"
बाकी सब भी तब तक पीछे-पीछे वहां आ चुके थे। सभी को इंतजार था कि कार्तिक क्या फैसला लेंगे। चित्रा ने अभी भी कार्तिक की बांह पकड़ रखी थी। उसने कहा, "कुछ भी करने से पहले एक बार बड़े बुजुर्गों के साथ बैठकर शांति से इस समस्या का समाधान निकालना होगा। अपना गुस्सा शांत करो और सबके साथ बैठकर बात करो। चलो मेरे साथ, और आप सभी चलिए।" चित्रा ने सबको साथ आने को कहा और कार्तिक को लेकर वहां से चली गई।
निर्वाण परेशान सा खड़ा अभी भी उस चिट्ठी के बारे में ही सोचे जा रहा था कि आखिर उसकी मॉम ने झूठ क्यों बोला! 'कुहू दी तो कुणाल से शादी करना चाहती थी तो फिर वह ऐसी चिट्ठी लिखकर क्यों जाएगी? क्या सच में नेत्रा ने कुहू दी के हैंडराइटिंग की कॉपी कर ली है? लेकिन इस बारे में उसने मुझे कुछ बताया क्यों नहीं? उसने ये चिट्ठी लिखी तो लिखी कब? उस पर भी कुहू दी के फोन से मॉम के फोन पर मैसेज भेजा कैसे? ये सब क्या हो क्या रहा है?"
पीछे से अव्यांश की आवाज आई "यही सवाल तो मैं भी कर रहा हूं। क्या हो क्या रहा है यह सब?"
निर्वाण चौक गया। उसने अपना डर छुपाते हुए कहा "क्या हो रहा है का क्या मतलब? हम सब परेशान हैं, कुहू दी दी की वजह से परेशान है और क्या बात है?"
अव्यांश तेज कदमों से चलकर निर्वाण के पास आया और आकर ठीक उसकी आंखों के सामने खड़ा हो गया। निर्वाण थोड़ा सा नर्वस महसूस करने लगा था। उसने इधर-उधर देखा तो अव्यांश ने एक हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ी और उसका चेहरा अपने सामने करके आंखों में आंखें डालकर बोला "सच-सच बता, नेत्रा कहां है?"
निर्वाण धीरे से मीमिया कर बोला "नेत्रा? नेत्रा होगी अपने दोस्तों के साथ। उसका तो मन ही नहीं था इस शादी में आने का तो मैं क्या ही कर सकता हूं।"
अव्यांश ने फिर सवाल किया "अगर उसका मन नहीं था यहां आने का तो फिर वह यहां क्या कर रही थी?"
निर्वाण कुछ जवाब सोचने लगा फिर बोला "हो सकता है मॉम के डर से वह यहां आई हो और फिर कुछ देर बाद यहां से चली गई हो।"
अव्यांश ने निर्वाण को छोड़ दिया और जाकर उसके बगल में खड़ा हो गया फिर कुछ सोचते हुए बोला "बात तो तेरी सही है। हो सकता है बुआ के डर से हो यहां आई हो। लेकिन एक बात बता, तेरी मॉम क्या कह है, क्या कर रही है तुझे कुछ आईडिया है?"
निर्वाण अपने अपना सर इनकार में हिला दिया और बोला "पता नहीं भाई! मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।"
अव्यांश ने अपने जेब से एक चॉकलेट निकाला और निर्वाण के हाथ में दे दिया। एक दूसरा चॉकलेट उसने अपने मुंह में डाला और बोला "इसी बात से तो मैं भी परेशान हूं। एक बात बताओ ये चिट्ठी का क्या चक्कर है?"
निर्वाण ने चॉकलेट मुंह में डाला और उसे खाते हुए बोल पड़ा "पता नहीं भाई! ये चिट्ठी वाला सीन तो हमारे स्क्रिप्ट में था ही नहीं।"
अव्यांश ने एकदम से निर्वाण की गर्दन अपनी कलाई में दबोच ली तो निर्वाण चिल्लाया "भाई क्या कर रहे हो मर जाऊंगा मैं!"
अव्यांश ने बड़े प्यार से पूछा "चिट्ठी वाला सीन हमारे स्क्रिप्ट में नहीं था तो फिर आया कहां से? किसके दिमाग की उपज है यह?"
निर्वाण माफी मांगते हुए बोला "भाई मुझे सच में नहीं पता यह सब क्या हो रहा है। मॉम को वह चिट्ठी कहां से मिली वह मैसेज कहां से मिला मुझे कोई आईडिया नहीं है।"
अव्यांश ने पूछा "तो तुझे क्या लगता है, यह सब नेत्रा ने किया है?"
अव्यांश की पकड़ से निर्वाण ने अपनी गर्दन छुड़ाई और झूंझलाकर कहा "वह कहां से करेंगी यह सब? कुहू दी को बेहोश करने के चक्कर में खुद बेहोश हो कर पड़ी हुई है।"
अव्यांश को यकीन नहीं हुआ। उसने चौंक कर पूछा "क्या?"
अव्यांश की आवाज थोड़ी तेज थी। निर्वाण ने हाथ उठाकर उसे धीरे से बोलने को कहा तो अव्यांश ने धीरे से पूछा "क्या कह रहा है तू? लेकिन तूने सब किया कैसे?"
निर्वाण ने परेशान होकर कहा "तुम्हें क्या लगता है भाई मैं एक साथ दोनों को मैनेज कर सकता था? कुहू दी को नेत्रा मैनेज कर लेती लेकिन उसके बाद मैं क्या करता? तुम तो आने से रहे। नेत्रा तो खुद कुणाल के साथ शादी करने के सपने देख रही थी। अगर कुहू दी सबको नहीं मिलेगी तो ऐसे में सारे लोगों को कन्वेंस करके उनकी जगह वो खुद मंडप में कुणाल के साथ बैठ जाएगी। उसी प्लान के लिए हां तो कह दिया था उसने और मेरा साथ देने को तैयार हो गई थी। जैसा कि हम दोनों का प्लान था, तो मैं उसके साथ था। 2 दिन उसको यहां से दूर रखा। वह तो वैसे ही यह शादी नहीं अटेंड करना चाहती थी लेकिन जब मैं उसे अपना प्लान बताया तब कहीं जाकर वह मानी। उस बेवकूफ को पता ही नहीं था कि क्लोरोफॉर्म को असर दिखने में थोड़ा टाइम लगता है। जैसा टीवी सीरियल वाले, फिल्म वाले दिखाएंगे वैसे ही असर होगा ना दिमाग पर!"
अव्यांश ने निर्वाण को बीच में ही रोका और पूछा "लेकिन नेत्रा बेहोश हुई कैसे?"
निर्वाण ने झूंझलाकर कहा "जब कुहू दी बेहोश नहीं हुई तो उसने उसे रुमाल से अपने नाक पोंछ कर मुझे दिखाई कि वो क्लोरोफॉर्म नकली है। तो मैंने ही उसे आईडिया दिया था कि वह शिवि दी को फोन करें और पूछे। वह उनके साथ फोन पर बात भी कर रही थी। जब मैंने देखा कुहू दी बेहोश हो गई है तो मैं चुपके से कमरे से बाहर निकल गया तुम्हें फोन करने के लिए। और जब वापस आया तो मुझे वह नजर आया था कि मेरा दिमाग खराब हो गया। कुहू दी तो बेहोश हुई थी मेरे सामने ही। लेकिन जब मैं वापस आया तो नेत्रा भी वहीं जमीन पर बेहोश गिरी हुई थी। अरे यार! इतनी जल्दी उसको बेहोश होना था। पहले कुहू दी को तो ठिकाने लगा देती!"
अव्यांश ने गुस्से में निर्वाण को देखा और बोला, "भाई जबान संभाल कर! तुझे कुहू दी को किडनैप करने को भेजा था उनका मर्डर करने नही!"
पास से ही तीसरी आवाज आई "कुहू दी का मर्डर हो गया?" निर्वाण और अव्यांश के कान खड़े हो गए।
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वापस लौट के बाद भी सूची की मां ने सूची को खास तौर पर हिदायत दी थी कि वह बस अपने काम से कम रखें और रौनक के साथ ज्यादा मेलजोल ना बढ़ाए। इस पर सूची ने पहली बार यह सवाल भी किया था, कि आखिर क्यों? जब रौनक की मां को इससे कोई एतराज नहीं था तो फिर उसकी मां को क्यों?
कहते है प्यार किसे? एपिसोड 6
Ab ye kisne sun liya ki kuhu ka murder ho gya।sab golmal hai
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