सुन मेरे हमसफर 147

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   अव्यांश निशि का हाथ पकड़ कर भागते हुए माल से बाहर निकला। निशि तो उससे भी ज्यादा तेज दौड़ रही थी। उसकी स्पीड देखकर अव्यांश को हंसी आ गई। पार्किंग लॉट पहुंचकर निशी ने चैन की सांस ली और कहा "थोड़ी देर और अगर तुम नहीं आते ना, तो मैं सच में इस मॉल में ही मर जाती।"


     अव्यांश शरारत से बोल "तुम्हें लगता है मैं तुम्हें ऐसे ही मरने दूंगा? हां वह अलग बात है कि मेरा भी ऑफिस में मन नहीं लग रहा था इसलिए मैं चला आया था तुम्हारे पास।"


     निशी ने तिरछी नजरों से अव्यांश की तरफ देखा और बोली "रियली? अगर सुहानी तुम्हें नहीं बताती तो तुम यहां आने भी वाले नहीं थे। तुम्हें पता भी है कि तुमने आज पूरे दिन में एक बार भी मुझे कॉल नहीं किया!"


    अव्यांश एकदम से निशि की तरफ झुका और उसके करीब आकर बोला "तो क्या तुम मेरे कॉल का इंतजार कर रही थी?"


    निशी से कुछ कहते नहीं बना। अपनी बातों में वह खुद ही फस गई थी। उसने हड़बड़ा कर पूछा "तुम्हारी गाड़ी कहां है?"


     अव्यांश ने उसकी कमर में हाथ डाला और पीछे खड़ी गाड़ी की तरफ धकेलते हुए बोला "गाड़ी से क्या लेना देना है। तुम जिस गाड़ी से कहो कि उसी से चल पड़ेंगे हम।"


     निशि ने अपने दोनों हाथ अव्यांश के सीने पर रखे और उसे खुद से दूर करने की कोशिश करने लगी। "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, छोड़ो मुझे। इस वक्त हम पार्किंग लॉट में है। किसी ने हमे ऐसे देख लिया ऐसे तो..........!"


      लेकिन अव्यांश उसके और करीब आकर बोला "एक्जेक्टली! हम पार्किंग लॉट में है, यहां कौन देखेगा हमें? और अगर किसी ने देखा भी लिया तो तुम मेरी बीवी हो, मेरे पास लाइसेंस है।"


   निशि परेशान होकर बोली "लेकिन मेरे पास लाइसेंस नहीं है।"


    अव्यांश ने चौंक कर पूछा "क्या मतलब?"


     निशि अव्यांश की आंखों में आंखें डाल कर बोली "मेरे पास बंदूक चलाने का लाइसेंस नहीं है। हां चाकू मार सकती हूं तुम्हें लेकिन इस वक्त वो मेरे पास नहीं है।"


    अव्यांश की हंसी छूट गई। उसने हंसते हुए कहा "तुम बस नैनो के बाण चला दो, बड़ा इतने में मर जाएगा।"


     अव्यांश की ऐसी फ्लर्ट भरी बातें सुनकर निशी वही शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी और साथ ही उसे यह भी डर था कि कोई इस तरफ आ ना जाए। उसे एहसास ही नहीं हुआ कि वो अंशु के इतने करीब कैसे आई और उसे ये सारे हक़ कब दे दिए। निशी ने एक बार फिर अव्यांश को खुद से दूर करने की कोशिश की और कहा "मैं बहुत ज्यादा थकी हुई हूं। और ज्यादा देर खड़ी नहीं रह पाऊंगी।"


     इतना सुनने की देर थी अव्यांश ने एक झटके मैं निशी को अपने गोद में उठा लिया और जिस गाड़ी से लगकर निशि खड़ी थी, उस गाड़ी का दरवाजा खोलकर उसे अंदर बैठा दिया। निशि हैरानी से अव्यांश को देखने लगी और फिर अपने चारों तरफ गाड़ी के इंटीरियर को देखकर बोली "यह तुम क्या कर रहे हो? यह किसकी गाड़ी है?"


      इससे पहले की अव्यांश कुछ कह पता, उसके ठीक सामने वाले वाला खिड़की का शीशा टूटा। निशि ने चौक कर अपना सर उठा कर पीछे की तरफ देखना चाहा लेकिन अव्यांश ने उसे रोक दिया और उसकी आंखों पर अपना हाथ रख दिया। निशी उसे डांटते हुए बोली "अव्यांश अपना हाथ हटाओ! क्या हुआ है, ये कैसी आवाज थी?"


     अव्यांश ने हाथ हटाने की बजाय अंदर आकर दरवाजा बंद किया और निशि से बोला "आज गाड़ी तुम चलाओगी।"


     निशि और भी ज्यादा हैरान रह गई। उसे स्लो ड्राइविंग नहीं आती थी और वह अच्छे से जानती थी कि अव्यांश को उसका इतनी स्पीड में गाड़ी ड्राइव करना बिल्कुल पसंद नहीं था तो फिर आज अचानक से उसे ड्राइव करने देने के पीछे क्या वजह थी? लेकिन यह सवाल करने की बजाय निशी ने हाथ आए मौके को भुनाना चाहा और बोली "मेरी आंखों पर से हाथ हटाओगे तब तो मैं ड्राइविंग सीट पर जाऊंगी ना!"


     अव्यांश ने निशि की आंखों पर से अपना हाथ हटाया और शीशे पर अपना हाथ रख कर बोला "बाहर जाने की जरूरत नहीं है, यही से ड्राइविंग सीट पर जाओ।"


     निशि को कभी कभी अव्यांश की बातें बहुत बचकानी लगती थी। इससे पहले की उसका मूड बदल जाए, निशि रेंगते हुए ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ गई। लेकिन अंशु आगे नहीं आया। वह अभी भी पीछे बैठा हुआ था। निशी बोली "मैं तुम्हारी ड्राइवर नहीं हूं, इसलिए चुपचाप जाकर मेरे बगल में बैठो।"


     अव्यांश ने पीछे से निशि को अपनी बाहों में भर लिया और बोला "तुम बस ड्राइविंग करो, बाकी का काम मैं कर लूंगा, चाहे तुम्हारे बगल में बैठू या तुम्हारे पीछे। मुझे तो यहीं पर ज्यादा मजा आ रहा है।"


      निशी ने नाराजगी में अव्यांश की कलाई पर अपने दांत गड़ा दिया लेकिन अव्यांश ने ना उसे छोड़ा, ना ही अपनी पकड़ ढीली की। ना चाहते हुए भी निशी को उसके आगे हार माननी पड़ी। उसने गाड़ी की चाबी के लिए अव्यांश के सामने हाथ आगे कर दिया तो अव्यांश ने उसे इशारे से आगे की तरफ दिखाई। गाड़ी में पहले से चाबी लगी हुई थी। निशी ने गाड़ी स्टार्ट की और पार्किंग से बाहर निकल गई। अव्यांश उसे परेशान करने में लगा था, लेकिन बार-बार उसकी नजर अपनी तरफ की खिड़की पर थी जहां एक बुलेट फसी हुई थी।




*****




    कुहू के घर से निकाल कर कुणाल अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया लेकिन गाड़ी स्टार्ट करने से पहले वह अपने दिमाग में उठ रहे तूफानों को शांत कर लेना चाहता था। उसने खुद से सवाल किया 'क्या पहले कुहू से बात करना सही होगा या फिर जैसा कार्तिक ने समझाया, मुझे शिवि से मिलना होगा? क्या वह समझेगी मेरी बात को? वो तो सीधे-सीधे मुझे ब्लेम करेगी। वैसे ही न जाने उसे किस बात की नाराजगी है मुझसे। आज तक कभी एक बार भी उसने सीधे से मुझसे बात नहीं की होगी। करेगी भी कैसे? उसकी नजर में मैं नेत्रा का बॉयफ्रेंड था। ये नेत्रा अभी ना, एक बार भी अपनी बहन को सब कुछ क्लियर नहीं कर सकती थी? ऐसे तो बहुत सी बातें करती है, उनकी बातें खत्म ही नहीं होती। लेकिन जो जरूरी है वह नहीं करेंगी। इन लड़कियों को फालतू का गॉसिप करना इतना पसंद क्यों है?'


    अपने आप से सवाल जवाब करता हुआ कुणाल कब गाड़ी स्टार्ट करके वहां से निकला उसे खुद पता नहीं चला। उसके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन था कि वह कुहू से बात करें। इसलिए उसने एक हाथ से अपनी ड्राइविंग जारी रखी और दूसरे हाथ से कुहू को कॉल लगाने लगा। कुछ देर फोन को कान से लगाने के बाद उसने स्पीकर ऑन कर सामने डैशबोर्ड पर रख दिया।


     पूरी रिंग जाने के बावजूद कुहू ने कॉल नहीं उठाया। कुणाल ने दोबारा से उसे कॉल लगाया लेकिन इस बार भी कुहू ने कॉल नहीं उठाया। कुणाल झुंझला कर बोला "प्लीज कुहू! मुझे बात करनी है तुम से। आखिर तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम क्यों नहीं है? इतना भी क्या बिजी हो गई हो कि मेरा कॉल तक रिसीव नहीं कर सकती। कम ऑन पिकअप द फोन!"


    अपने फ्रस्ट्रेशन में कुणाल ने स्टीयरिंग व्हील पर जोर से हाथ मारा। कुहू को फोन लगाने के चक्कर में उसका ड्राइविंग पर फोकस ही नहीं रहा और उसकी गाड़ी अनबैलेंस होकर दूसरे लेन में सामने से आ रही किसी और गाड़ी से जा टकराई।




*****





   गाड़ी ड्राइव करते हुए निशी अपना पूरा फोकस सामने सड़क पर रखना चाह रही थी लेकिन अव्यांश बार-बार उसे परेशान कर रहा था। इस सब में वह पूरी तरह भूल चुकी थी की गाड़ी के शीशे पर उसने कोई आवाज सुनी थी। अव्यांश ने उसका ध्यान भटकने के लिए ही उसे ड्राइविंग करने को कहा था लेकिन जाना कहा था यह तो उसने बताया ही नहीं।


     निशी ने एक बार पीछे की तरफ देखा और अव्यांश से बोली "हम लोग घर जा रहे हैं ना? मैं गाड़ी उसी तरफ घूमा रही हूं।"


     लेकिन अव्यांश ने एकदम से आगे बढ़कर एक हाथ से गाड़ी की स्टेरिंग व्हील पकड़ी और घर जाने वाले रास्ते की ओर करने की बजाय दूसरे तरफ गाड़ी घुमा दिया। निशी हैरान होकर बोली "ये क्या किया तुमने? हमें घर जाना था ना? अव्यांश! मैं बहुत ज्यादा थकी हुई हूं। तुमने मुझे ड्राइव करने को कहा और मैं किस तरह ड्राइव कर रही हूं ये सिर्फ मैं जानती हूं। मुझे घर जाकर आराम करना है।"


    लेकिन अव्यांश ने उसके किसी भी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। उसने एक बार अपना फोन चेक किया और निशि से बोला "गाड़ी रोको।"


      निशि अपने चारों तरफ देखकर बोली "यहां बीच रास्ते में? यहां कहां गाड़ी रोकू? देखो अव्यांश! मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं है कि मैं यहां पर किसी मॉल में जाकर जरा सी भी शॉपिंग कर पाऊं। अगर तुम्हारा ऐसा कोई प्लान है तो प्लीज उसे कल के लिए पोस्टपोन कर दो।"


     अव्यांश ने इस बार उसे सख़्त आवाज में कहा "मैंने कहा गाड़ी रोको तो चुपचाप गाड़ी रोको।"


     अव्यांश ने कभी निशी से इस तरह बात नहीं की थी। निशी को थोड़ा सा डर लगा। उसने जल्दी से ब्रेक पर पैर रखा और गाड़ी एक झटके में रुक गई। अव्यांश ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और निशी के साइड का दरवाजा खोलकर बोला "बाहर निकालो।"


      निशी एक बार फिर अपने चारों तरफ देखने लगी। यहां तो कोई मॉल नहीं था। रास्ते में छोटे-मोटे दुकान थे, वह भी कुछ खास नहीं। उसे समझ नहीं आया कि अव्यांश उसे कहां लेकर आया है। और अभी-अभी अव्यांश ने जिस लहजे में उससे बात की थी, उसके बाद निशि का बिल्कुल भी मन नहीं हो रहा था कि वह अव्यांश से कोई सवाल करें। वह चुपचाप गाड़ी से उतरी और अपने दोनों हाथ बांध कर खड़ी हो गई।


     अव्यांश ने कुछ कहा नहीं बस अपनी घड़ी में टाइम देखता रहा और निशि गुस्से में अव्यांश को।

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