सुन मेरे हमसफर 146

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सुहानी का मैसेज मिलते ही अव्यांश फौरन काम का बहाना बनाकर ऑफिस से बाहर निकल गया। सारांश बस पीछे बैठे मुस्कुराकर उसे जाते देखते रहे लेकिन कुछ कहा नहीं। वो अच्छे से जानते थे कि उनका बेटा साफ झूठ बोल रहा है और इस मामले में अंशु बिल्कुल अपने पापा पर गया था।


     निशि को मजबूरन कुहू के साथ शॉपिंग में लगना पड़ रहा था। सुहानी और काया तो बहाना बनाकर निकल गई, लेकिन फस गई बेचारी निशी। सुहानी ने उसे हिम्मत तो बंधाई थी लेकिन अब उसका पेशेंस लेवल खत्म होने को था और कुहू की शॉपिंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। अंशु का भी कोई अता पता नहीं था।


    कुहू ने एक गाउन उठाया और चेंज करने चली गई। चेंज करके जब वह बाहर आई तो उसे वहां निशि कहीं नजर नहीं आई। इधर-उधर देखने के बाद उसे निशी तो नहीं लेकिन कपड़ों के रैक के पीछे उसे अंशु का आधा सर जरूर नजर आया और वह समझ गई।


      कुहू सीधे रैक के पास गई और बोली "तुझसे इतना भी सब्र नहीं होता? तेरे पास ही रहेगी वो, पूरी लाइफ।"


    कुहू की आवाज सुनकर अंशु ने अपना एडी ऊपर उठाया और वहीं से कुहू की तरफ देखकर मुस्कुरा दिया। निशी तो वैसे ही उसे देखकर खुश भी थी और थोड़ी घबराई भी कि न जाने कुहू उसे क्या कुछ कहेगी।


      अंशु ने निशि का हाथ पकड़ा और कुहू के सामने जाकर बोला "आप मुझे ताना दे रहे हो? शादी हो जाने तो आपकी, यह सवाल मैं आपसे करूंगा। नहीं नहीं...... कुणाल जीजू से करूंगा और आपको चिढ़ाऊंगा। फिर देखता हूं आपकी।"


       कुहू मुस्कुरा उठी लेकिन अंदर ही अंदर उसका दिल दर्द से भर उठा। क्या कभी कुणाल मेरे लिए ऐसा कुछ करेगा? क्या कभी मैं कुणाल के दिल में वो जगह बना पाऊंगी? यह सोचकर ही कुहू का दिल रो पड़ा। लेकिन अपने होठों की मुस्कान उसने काम नहीं होने दी और अव्यांश से कहा "पहले शांति से शादी हो जाने दे मेरी, उसके बाद तुझे जितना चिढ़ाना है उसे चिढ़ा लेना। मैं कुछ नहीं कहूंगी। लेकिन मेरी शादी के लिए मेरा शॉपिंग करना जरूरी है और मेरे शॉपिंग के लिए निशि का मेरे साथ होना जरूरी है। इसलिए इसे मेरे पास रहने दे।" कुहू ने जल्दी से निशि का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया।


     अंशु भी कहा इतनी जल्दी हार मानने वाला था। उसने भी निशि का हाथ जोर से पकड़ा और अपनी तरफ खींचकर बोला "क्या दी! सुबह से आप लोग लगे हो। मुझे भी तो मेरी बीवी के साथ थोड़ा सा टाइम स्पेंड तो करने दो। नई नही शादी है हमारी, थोड़ा सा साथ में टाइम स्पेंड करने का मौका हमें भी मिलना चाहिए। माना आपकी शादी है लेकिन ये तो सोचो, आपकी शादी में ना मुझे टाइम मिलेगा ना इसे। मैं तो कहता हूं इतना ताम झाम करने की क्या जरूरत है, सीधे से मंदिर में जाकर शादी निपटा दो ना, 2 मिनट में काम खत्म हो जाएगा। मेरा मतलब, एक दिन में मामला निपटा जाएगा।"

 

     कुहू ने अंशु के कान पकड़ लिए और उसे खींचकर बोली "तेरी जैसी किस्मत नहीं है मेरी, और ना हीं चाहिए। मुझे मेरी शादी प्रॉपर तरीके से चाहिए और ऐसा ही होगा। तू निशि को मेरे हवाले कर दे और निकल जा यहां से।"


      अंशु ने एक हाथ से अपने कान छुड़ाएं और दूसरे हाथ से निशि को अपने पीछे करके बोला, "दी! बहुत देर हो गई है। मुझे निशी से बहुत जरूरी काम है, इसलिए मैं अभी इसे लेकर जा रहा हूं। वह दो शैतान है ना आपके साथ! उनको बुला लो आप। निशि को मैं कल आपके हवाले कर दूंगा,ठीक है? बाय!"


     कुहू कुछ बोल पाती उससे पहले ही अंशु निशी को लेकर वहां से गायब हो गया। अब कुहू बेचारी अकेली पड़ गई। कहां जाएं क्या करें, कहा तो सबके साथ शॉपिंग का प्लान था और अब उसे अकेले ही सब करना था। उसने सुहानी को कॉल लगाया लेकिन सुहानी ने फोन रिसीव नहीं किया। दूसरी तरफ काया ने भी अपना फोन साइलेंट पर करके अपने बैग में डाल दिया था इसलिए कुहू के कॉल का उसने भी जवाब नहीं दिया। 


   कुहू ने जो गाउन पहना था उसे वापस से चेंज कर पैक करवा दिया और उसकी बिलिंग करवा कर आगे की शॉपिंग लिस्ट देखने लगी। जो कपड़े उसने लिए थे उसकी मैचिंग ज्वैलरी भी लेनी जरूरी थी, इसलिए किसी का इंतजार ना करते हुए वह सीधे ज्वेलर्स की दुकान में घुस गई।



*****




     कुणाल अपना दिमाग शांत करने के लिए दिल्ली की सड़कों पर इधर-उधर गाड़ी भगा रहा था। सारी बातें उसके दिमाग में एक-एक कर घूम रही थी। क्या करें, कैसे करें, कुछ समझ नहीं आ रहा था। हालात इतने बिगड़ गए थे कि उसे आप अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था। बहुत सोच समझ कर उसने तय किया कि आज वह किसी भी हाल में कुहू को सारी सच्चाई बता कर रहेगा और यह रिश्ता खत्म करके रहेगा।


     अपने मन में पूरी तरह ठान लेने के बाद कुणाल सीधे कुहू के घर पहुंचा। बड़ी हिम्मत करके उसने कुहू को आवाज़ लगाई। काव्या आज घर पर ही थी, अपनी सासू मां के साथ। कुणाल को अचानक से आया देख काव्या चौक गई और उसने बाहर निकाल कर देखा तो कुणाल परेशान सा हॉल में खड़ा था। उसने पूछा "क्या हुआ बेटा, बहुत परेशान लग रहे हो? कुछ बात हुई है क्या?"


     कुणाल उनके सवालों को इग्नोर कर बोला "मुझे कुहू से बात करनी है। कहां है वह? आप प्लीज उसे बुला दीजिए, बहुत जरूरी है।"


    काव्या के मन में एक अजीब सा डर बैठ गया। बात उसकी बेटी की थी। उसने कुणाल के दोनों बाजू को पकड़ा और बोली "तुम पहले आराम से बैठ जाओ। देखो, जो भी बात है, वो ठंडे दिमाग से होनी चाहिए। इस तरह परेशान होकर कोई भी बात नहीं की जाती। और वैसे भी, कुहू तो सबके साथ शॉपिंग पर गई है। कब तक आएगी, नहीं पता। तुम बैठो, मैं उसे फोन करके घर आने को कहती हूं।"


     काव्या अपना फोन लेने जाने को हुई लेकिन कुणाल उसे रोकते हुए बोला "इसकी जरूरत नहीं है। मैं यहां रुक नहीं सकता, मुझे उससे बहुत जरूरी बात करनी है। मैं खुद उससे मिलने जा रहा हूं।"


     काव्या ने पलट कर पूछा "लेकिन कुणाल बेटा! सब ठीक तो है? आखिर बात क्या है?" लेकिन कुणाल ने तो जैसे उनकी कोई बात सुनी ही नहीं और वह तेज कदमों से घर से बाहर निकल गया। धानी न जब आवाजें सुनी तो वह भी बाहर निकलकर आई लेकिन तबतक कुणाल वहां से जा चुका था। उन्होंने इशारे से पूछा तो काव्या मुस्कुरा कर बात टाल गई। धानी भी वापस अपने कमरे में चली गई।


     काव्या को अजीब सी घबराहट होने लगी। उसने कुहू को फोन लगाया। अब कुहू तो शॉपिंग में बिजी थी। उसने पहले तो कॉल इग्नोर करना चाहा लेकिन मां का कॉल देखकर उसने कॉल रिसीव कर लिया और बोली "मम्मी! थोड़ा टाइम और लग जाएगा। हो सकता है रात हो जाए। हमारे वापस आने का इंतजार मत करना।"


    लेकिन काव्या उसके किसी भी बात पर रिएक्ट करने की बजाय सीधे-सीधे पूछा "तेरे और कुणाल के बीच सब ठीक तो है ना?"


     ज्वेलरी सेलेक्ट करते हुए कुहू के हाथ एकदम से रुक गए और उसका पूरा ध्यान अपने फोन की तरफ गया। अपनी मां की बातों से उसे अजीब सा डर लगने लगा। 'कहीं मम्मी को सब कुछ पता ना चल गया हो। हे भगवान! ये ऐसा सवाल क्यों कर रही है? क्या कुणाल ने उन्हें कुछ बताया है या शिवि ने? इस बारे में तो सिर्फ शिवि को पता है। उसने कहा था कि वह इस बारे में मम्मी पापा से बात करेगी। कहीं सचमुच उसने कुछ बता तो नहीं दिया?' 


    कुहू को चुप देख काव्या ने फिर सवाल किया "कुहू! तेरे और कुणाल के बीच सब ठीक तो है ना? जवाब दे मुझे!"


     जवाब देने की बजाए कुहू ने अपनी मां से सवाल किया "आप ऐसे क्यों पूछ रहे हो मम्मी? कुछ हुआ है क्या? आप ऐसे क्यों रिएक्ट कर रहे हो? पहले तो यह बताइए कि आपको क्या हुआ है!"


     काव्या परेशान होकर बोली "मुझे कुछ नहीं हुआ है। लेकिन बात जब अपने बच्चों की हो तो हर मां डरती है। कुणाल आया था घर। उसे तुझे कुछ बात करनी है।"


    ये सुनकर कुहू के रोंगटे खड़े हो गए। उसने खुद से कहा 'हे भगवान! मतलब वाकई कुणाल ने मम्मी से कुछ कहा है।' 


     काव्या आगे बोली "मैंने उससे कहा बैठने को लेकिन उसे तुझसे बहुत जरूरी बात करनी थी इसलिए वह तेरे पास जाने के लिए निकला है। मैंने पूछा उससे लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। उसके चेहरे पर जो परेशानी के भाव थे, उससे साफ समझ आ रहा था कि कोई बहुत बड़ी बात है। सच सच बता, क्या बात है?"


     कुहू बात को छुपाते हुए हंसकर बोली "कोई बात नहीं है मम्मी! उसकी आदत है, वो छोटी-छोटी बातों को बहुत सीरियसली ले लेता है। बेवजह पैनिक हो जाता है। ये उसकी पुरानी आदत है और उसके इस आदत को लेकर हम फ्रेंड्स उसे बहुत डांट लगाते थे। वह अभी भी नहीं सुधरा है। आप चिंता मत कीजिए, ऐसी कोई बात नहीं है, और घबराने वाली तो कोई बात ही नहीं है। हो सकता है शादी में मैचिंग कपड़ों के लेकर या कुछ ऐसे ही छोटी-मोटी चीजों को लेकर वह परेशान हो रहा हो! कुणाल यहां आ रहा है ना, तो मैं मिल लूंगी उससे। इसमें कौन सी बड़ी बात है!"


    काव्या का दिल नहीं मान रहा था। उसने फिर पूछा "सच्ची कोई बात नहीं है ना? देख मुझसे झूठ मत बोलना।"


     कुहू हंसते हुए बोली "मम्मी! आप भी ना, बेवजह परेशान हो रही हो। ऐसा कुछ नहीं है। अगर कुछ हुआ तो मैं आपको जरूर बताऊंगी, ठीक है? मैं अभी थोड़े ज्वेलरी देख रही हूं, उसके बाद घर जाकर मिलती हूं, बाय!"

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