सुन मेरे हमसफर 20

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    चित्रा निक्षय को खींच कर अपने साथ एक कमरे में ले गई और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। निक्षय हैरान होकर बोला "ये तुम क्या कर रही हो? ऐसी क्या खास बात है जिसके लिए तुम्हें दरवाजा बंद करने की जरूरत पड़ रही है?"


     चित्रा निक्षय के करीब गई और उसके गले में बाहें डाल कर बोली "मुझे शादी करनी है।"


     निक्षय पहले तो चौक गया, फिर बोला "ठीक है। यह बात तुम्हारी सही है, लेकिन यह तो सोचो कि तुमसे शादी करेगा कौन? और वह भी इस उम्र में!"


    चित्रा ने निक्षय के पेट में पंच मारा और बोली "पागल इंसान! बीवी हूं मैं तुम्हारी। मेरे बारे में तुम ऐसा बोल भी कैसे सकते हो?"


     निक्षय ने अपना पेट पकड़ लिया और हंसते हुए बोला "मुझे पता है, तुम मेरी बीवी हो। और तुम्हें दूसरी शादी करनी है यह भी मैं समझ रहा हूं। लेकिन यह भी तो सोचो कि मेरे अलावा तुम्हें कोई और झेल भी नहीं सकता, और एक ही मुसीबत दो बार अपने गले में डाल लूं, इतना बेवकूफ मैं नहीं हूं।".


    चित्रा गुस्से में बोली "अगर एक और शब्द तुमने अपने मुंह से निकाला, तो तुम जान से जाओगे और वाकई मुझे किसी और से ही शादी करने की नौबत आ जाएगी।"


     निक्षय ने चित्रा को कमर से पकड़ा और बड़े रोमांटिक अंदाज में बोला "शादी! वह भी इस उम्र में! लोग क्या कहेंगे? एक काम करते हैं, सीधे हनीमून पर ही चलते हैं।"


     चित्रा की आंखें बड़ी बड़ी हो गई। उसने निक्षय को खुद से दूर करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रही। "क्या कर रहे हो तुम? लोग क्या कहेंगे? बच्चे शादी के लायक हो गए हैं और ऐसे में तुम्हें हनीमून पर जाना है!"


     निक्षय ने उसे अपने और करीब खींच लिया और बोला मैं कहां कुछ कह रहा हूं। तुम ही लाई थी मुझे यहां पर। तुम्हें कुछ बात करनी थी। अब शादी के बाद तो लोग हनीमून पर ही जाते हैं ना! आजकल तो लोग शादी से पहले ही............. और यहां क्या मैं अपनी इकलौती बीवी के साथ दूसरे हनीमुन पर नहीं जा सकता?"


     चित्रा खुद को निक्षय के पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली "छोड़ो मुझे, कोई आ जाएगा यहां पर।"


     निक्षय शरारत से बोला "तुम ने हीं दरवाजा लॉक किया था, कहां से कोई आ जाएगा? वैसे भी, सारे लोग अपने-अपने काम में बिजी हैं और अगर कोई आ ही गया तो........." निक्षय का इतना कहना ही था कि वाकई दरवाजे पर दस्तक हुई और अवनी की आवाज आई।


     "कोई है क्या अंदर? कौन है?"


    चित्रा एकदम से घबरा गई और धीरे से बोली "देखा! आ गया ना कोई। अब छोड़ो मुझे।" लेकिन निक्षय आज उसके पूरे मजे लेने के मूड में था। उसने जोर से आवाज लगाई "अवनी! तुम थोड़ी देर बाद आना। हम दोनों यहां रोमांस कर रहे हैं।"


     चित्रा की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने निक्षय के कंधे पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए। अवनी भी हंसते हुए बोली "कोई बात नहीं, एंजॉय योरसेल्फ। मैं बाहर डू नॉट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा दे रही हूं।" इतने में कार्तिक की आवाज भी सुनाई पड़ी "अवनी! तुमने निक्षय को देखा है?"


    अवनी हंसते हुए बोली "दोनों मियां बीवी रोमांस कर रहे हैं। हमें उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए।" कार्तिक की हंसने की आवाज चित्रा के कानों तक पहुंच रही थी और वो शर्म से और ज्यादा निक्षय के सीने गड़ी जा रही थी।


     अवनी वहां से जाने को हुई लेकिन जब उसकी नजर अव्यांश के कमरे के बाहर पड़ी तो उसके कदम उस ओर बढ़ चले। उसने धीरे से कहा "मना किया था मैंने, परेशान मत करना अभी। कम से कम एक-दो दिन तो इन दोनों को चैन से जीने दे, लेकिन नहीं। यह तीनों कहीं भी कभी भी शुरू हो जाती हैं।"



      अव्यांश ने अपने दोनों हाथ बांध लिया और पूछा "क्यों? मैं अपने कमरे में क्यों नहीं जा सकता?"


     सुहानी और काया कुहू के आगे आकर खड़ी हो गई और अव्यांश से बोली "पहले हमारा नेग निकालो, उसके बाद अंदर जाने की परमिशन मिलेगी।"


      अव्यांश पहले तो मुस्कुराई फिर उसने अपने दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में जोड़ दिए और सुहानी और काया के बीच ले जाकर दोनों हाथ फैला दिया। जिस से दोनों एकदम से लड़खड़ाती हुई अलग हो गई और कुहू अव्यांश के सामने आ गई।


     अव्यांश ने सीधे-सीधे कहा "नेग तो बाद में, पहले यह बताइए, अचानक से आपकी शादी तय हो गई, ये बात मुझे कौन बताएगा? इतनी बड़ी बात और आपने मुझसे छुपा के रखी!"


     सुहानी और काया भी अव्यांश के साइड आकर खड़ी हो गई और बोली "यह शिकायत तो हमें भी है भाई! उन्होंने हमें भी कुछ नहीं बताया।"


      अपने ऊपर इल्जाम लगते देख कुहू जल्दी से बोली "अरे यार! यह सब हम बाद में भी डिस्कस कर लेंगे, पहले नेग जरूरी है। यह सारी शिकायतें सगाई के बाद भी कर सकते हो तुम लोग, अभी अगर नेग नहीं मिला तो कभी नहीं मिलेगा।"


     सुहानी और काया एक बार फिर कुहू साइड आकर खड़ी हो गई और बोली "यह बात भी सही है। पहले हमारा नेग निकालो।"


    अवनी आई और बोली "क्या कर रहे हो तुम लोग? मना किया था ना मैंने!"


      सुहानी बोली "कुछ नहीं मम्मा! हम तो बस भाई से नेग मांग रहे हैं। यह तो हमारा हक बनता है। हम थोड़ी ना कोई परेशान कर रहे हैं! चुपचाप हमारा नेग हमें देकर अंदर चला जाए।"


     अवनी ने उन्हें कुछ देना चाहा लेकिन उन तीनों ने लेने से इनकार कर दिया तो अवनी ने पूछा "क्या चाहिए तुम लोगों को?"


     काया बोली "मासी! हमें बस भाई से नेग लेना है, वह कुछ भी दे दे।"


     अव्यांश ने अवनी को देखा और अपने पॉकेट से एक एनवेलप निकालकर काया के हाथ में पकड़ा दिया। सुहानी तुनक कर बोली "यह क्या भाई! सिर्फ उसे मिलेगा, हमें नहीं?"


      अव्यांश को अब काफी नींद आ रही थी। उसने उबासी लेकर कहा "तुम तीनों के लिए है, देख लो।" अव्यांश ने एकदम से तीनों को साइड किया और अदर चला गया। अवनी ने कुहू के कान पकड़े और बोली "अब तुम लोग भी निकलो। पार्लर जाना होगा। वहां टाइम लग सकता है तुम लोगों को।"


     काया उस एनवेलप को खोल कर देखती हुई बोली "हां मासी, अब तो जाना ही पड़ेगा। भाई ने पार्लर के पास दिए हैं। और वहां जाने के लिए तैयार भी होना होगा।"


      "निकलो तुम लोग!" कहकर अवनी वहां से चली गई। वह तीनों भी वहां से जाने लगे लेकिन सुहानी ने पीछे पलट कर गुस्से में अव्यांश कमरे की तरफ देखा तो पाया अव्यांश दरवाजे पर ही खड़ा उन तीनों को देख कर विक्ट्री स्माइल दे रहा था। तीनों ही गुस्से में कुछ करती या कहती, उससे पहले अव्यांश ने तीनों को बाय किया और चिढ़ाता हुआ जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया।


    निशी तब तक सूट पहनकर बाहर निकल चुकी थी। अव्यांश को एक बार फिर निशी के सामने अपना कॉन्फिडेंस होता हुआ सा महसूस हुआ। वह जल्दी से अपनी अलमारी की तरफ गया और वहां से एक सूट निकाला। लेकिन गलती से वह निशि का ड्रेस था। उसने झेंपकर उस ड्रेस को वापस अलमारी में रखा और बंद कर दूसरी अलमारी खोली जिसमें उसके कपड़े रखे हुए थे। उसने जल्दी से अपने लिए एक कंफर्टेबल सूट निकाला और बाथरूम की तरफ जाने लगा।


    दरवाजे पर हुई दस्तक से अव्यांश के कदम रुक गए। उसे लगा फिर से वो तीनों उसे परेशान करने आई है। निशी के सामने वह कोई तमाशा नहीं चाहता था इसलिए उसने जाकर जल्दी से दरवाजा खोला। घर का एक सर्वेंट खाना लेकर आया था वह भी एक थाली में। अव्यांश ने पूछा "ये किसके लिए? तो अटेंडेंट बोला "बड़ी मैडम जी ने भिजवाया है, आप दोनों के लिए। उन्होंने कहा, अभी आप दोनों अपने कमरे में खाइए, लेकिन इसके बाद से आप दोनों को भी सबके साथ ज्वाइन करना होगा।"


       सर्वेंट आया और कमरे में खाना रखकर चला गया। अव्यांश निशी की तरफ बिना देखे बोला "तुम खाना खा लो, मैं बाद में खा लूंगा।" और बाथरूम में चला गया।


    करीब 15 मिनट बाद जब वो बाथरूम से निकला तो देखा निशी बिस्तर का एक कोना पकड़े बैठी हुई थी। सुबह का नाश्ता उन दोनों ने एयरपोर्ट पर ही किया था और इस बात को काफी देर हो चुकी थी। इसके बावजूद निशी ने खाने को हाथ भी नहीं लगाया था। अव्यांश ने जब खाना जस का तस पड़ा देखा तो उसने कहा "खाने का अपमान नहीं करते और जब भूख लगे तो किसी भी वजह से खाना नहीं छोड़ते। और सामने रखे खाने को तो बिल्कुल भी नहीं।"


   निशी अभी भी कुछ नहीं बोली। अव्यांश ने प्लेट उठाया और निशी के बगल में जाकर बैठ गया। "तुम्हारे पापा तो कहते थे कि तुम बहुत ज्यादा बात करती हो! लेकिन एक बार भी हम में से किसी ने तुम्हें बात करते नहीं देखा। और अगर मिश्रा जी ने....... आई मीन पापा ने तुम्हें इस तरह देख लिया तो कहीं उन्हें सच में हार्ट अटैक ना जाए!"


    निशी ने नाराजगी में उसे घूर कर देखा लेकिन कहा कुछ नहीं। अव्यांश ने पहला निवाला उठाया और निशी की तरफ बढ़ा दिया। लेकिन निशी ने नहीं खाया। अव्यांश पहले तो थोड़ा सोच में पड़ गया फिर वह निवाला अपने मुंह में डालकर चबाता हुआ बोला "देखो! मैंने खा लिया है। इसका मतलब खाने में कुछ नहीं है। अब तो खा लो!"


     निशी के होंठो पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई, जिसे उसने बड़ी सफाई से छुपा लिया। आखिर उसे इसी घर में रहना था कब तक वह इस तरह रह सकती थी। उसने थोड़ा सा खाया और बाकी का पूरा खाना अव्यांश ने साफ कर दिया। "बड़ी मां के हाथ में जादू है। उनके हाथ की खीर और शाही पनीर, वो स्वाद किसी होटल में नहीं मिलेगा।"


      अव्यांश ने प्लेट को साइड में रखा और हाथ धोने बाथरूम की तरफ जाने लगा तो निशी एकदम से पूछ बैठी, "कौन हो तुम?" अव्यांश बुरी तरह चौक गया।





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