सुन मेरे हमसफर 14

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   सारे मेहमान एक एक कर वहां से जाने लगे। सारांश को मिश्रा जी के लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन उससे भी ज्यादा अव्यांश को बुरा लग रहा था। उसकी आंखों के सामने बार-बार निशि का रोता हुआ चेहरा घूम रहा था। वो जाकर सब कुछ संभालना चाहता था लेकिन किस हक से? बस यही सवाल उसके कदम रोक दे रहे थे।


     सारांश ने मन ही मन कुछ डिसाइड किया और अवनी को इशारों में कुछ समझाया। अवनी ने सारांश का हाथ पकड़ लिया और बोली "चले! अब यहां पर हमारा कोई काम नहीं है।"


     सारांश भी उदास चेहरा लिए वहां से जाने लगा। दोनों कुछ कदम आगे चले थे कि उन्हें महसूस हुआ, अव्यांश उनके साथ नहीं था। दोनों ने मुड़कर देखा तो अव्यांश वही चुपचाप खड़ा, मुट्ठी बांधे कुछ सोच रहा था। उसकी आंखें बता रही थी कि वह अपने आप से अंदर ही अंदर लड़ रहा है।


     सारांश उसके पास आया और कंधे पर हाथ रख कर बोलना "पसंद करता है उसे?"


     अव्यांश जो निशि के ही बारे में सोच कर परेशान हुआ जा रहा था, उसने बस अपनी गर्दन हिला दी। फिर एकदम से उसे एहसास हुआ कि सारांश ने उससे क्या पूछा है? उसने चौक कर अपने पापा की तरफ देखा जो मुस्कुरा कर उसे ही देख रहे थे। अव्यांश को लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो। उसने घबरा कर अवनी की तरफ देखा तो वह भी अपने दोनों हाथ बांधे मुस्कुरा रही थी। अव्यांश समझ गया कि वह आप फंस चुका है। उसने गहरी सांस ली और अपना सर झुका लिया।



*****




 सबके अपने अपने कमरे में जाने के बाद श्यामा ने पानी का जग लिया और सिया के कमरे में गई। सिया सोने की तैयारी ही कर रही थी। उन्होंने आज अपने कमरे में ही खाना खाया था। घर से 3 लोग गायब थे, ऐसे में उनका भी मन नहीं था सब के बीच बैठकर खाने का। और फिर अपनी दोस्त का फोन आया तो उसी के साथ खाना इंजॉय किया।


     सिया ने श्यामा से पूछा "सब ने खाना खा लिया?"


     श्यामा बोली "हां मां। बस समर्थ के कमरे में जा रही थी। आप तो जानती ही है, उसकी आदत।"


    सिया ने गहरी सांस ली और बिस्तर पर लेटते हुए बोली "जाते हुए लाइट ऑफ कर देना और समर्थ से कहना ज्यादा देर जागने की जरूरत नहीं है। अगर उसे काम है तो सुबह थोड़ी और जल्दी उठ जाया करें।" श्यामा ने मुस्कुराकर हा गर्दन हिलाया और लाइट ऑफ कर बाहर निकल कर किचन में गई और वहां से कॉफी का मग लेकर समर्थ के कमरे में चली आई।


    समर्थ इस वक्त अपने ऑफिस के काम में लगा हुआ था। देर रात तक काम करना उसकी आदत में शुमार हो चुका था और उसकी इस आदत से सभी परेशान थे। लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तब कहां किसी की सुनते हैं। श्यामा ने कॉफी समर्थ के सामने वाली टेबल पर रखा और उसका बाल बिगाड़ कर बोली "ज्यादा देर तक जागने की जरूरत नहीं है। दादी नाराज हो रही थी और पापा को पता चला तो वो और भी ज्यादा गुस्सा करेंगे। अगर अपनी मनमानी ही करनी है तो मेरे लिए बहू ले आओ। कब तक मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाती रहूंगी?"


    समर्थ ने भी मुस्कुराकर श्यामा का हाथ चूम लिया और मुंह बिचका कर बोला "फिर से मेरी शादी की बात! कितनी बार कहा है मुझे जब शादी करनी होगी तो मैं बता दूंगा। और ये कॉफी आप खुद बनाकर लाती है मेरे लिए, मैंने नही कहा आपको। और मैं ये भी जानता हूं, जब तक मैं जागता हूं तब तक आप भी नहीं सोती। आप जाकर आराम से सोइए। मेरी चिंता मत कीजिए। और थोड़ा पापा को संभाल लेना प्लीज!"


     श्यामा समर्थ के सर पर हाथ फेरा और वहां से जाने को मुरी लेकिन उन दोनों के कानों में सिया की आवाज पड़ी। "समर्थ श्यामा सिद्धार्थ कहां हो तुम सब?" 


    श्यामा चौक गई और बोली मां को क्या हुआ? अभी तो सोने जा रही थी।" 


   समर्थ भी अपनी कुर्सी पर से उठता हुआ बोला "कुछ तो बात जरूर हुई है, वरना दादी इस तरह आवाज नहीं देती।"


दोनों निकल कर बाहर आए तो देखा सिया हॉल में खड़ी सबको आवाज दे रही थी। सिद्धार्थ भी अपने कमरे से बाहर निकल आया और सिया से वजह पूछी, "क्या हुआ मां आप इस तरह! कुछ हुआ है क्या सब ठीक तो है?"


      सिया बोली "इमरजेंसी है बेटा इसलिए तुम सबको बुलाया। सारांश का फोन आया था। तुम सब से कुछ बहुत जरूरी बात करनी है।" 

 

    सभी चुपचाप ध्यान से सिया की बात सुन रहे थे सिया ने जो कुछ भी बताया उससे सभी हैरान रह गए, सिवाय समर्थ के। समर्थ खुश था। उसके होठों पर मुस्कुराहट तैर गई और उसे ऐसे मुस्कुराते देख सब की नजर उस पर ठहर गई। समर्थ एकदम से शांत हो गया और मन ही मन बोला "कंट्रोल समर्थ, वरना सब तेरे पीछे पड़ जाएंगे।"


    सिया ने देखा सोनू वहां नहीं थी। श्यामा बोली "कार्तिक के घर गई है। उन लोगों का गर्ल्स नाइट आउट का प्लान था।"


   सोनू, कुहू, काया और फोन लाइन पर शिविका, तीनों बातें करने में व्यस्त थे जब सिया ने सोनू को कॉल किया और सब के साथ घर आने को कहा। काया ने पूछा "क्या हुआ दादी सब ठीक तो है ना?"


"वह सारी बातें बाद में। बस तुम लोग कार्तिक काव्या और अपनी दादी को लेकर जल्दी से यहां आ जाओ। कुछ बहुत जरूरी बात है।" सिया बस इतना बोली और फोन रख दिया।


  कार्तिक और काव्या किचन में थोड़ा रोमांटिक मोमेंट इंजॉय कर रहे थे। लेकिन सोनू भागते हुए आई और उन दोनों को डिस्टर्ब करते हुए बोली "मासी चाचू दादी ने हम सबको घर बुलाया है, जल्दी।"


   अपने इस रोमांटिक मोमेंट को इस तरह बर्बाद होते देख कार्तिक झुंझला कर बोला "हां तो जाओ ना तुम लोग, मुझे बताने आने की क्या जरूरत थी?"


    सोनू अपनी बत्तीसी दिखाते हुए बोली "चाचू! दादी ने हम सब को वहां आने को कहा है, मतलब हम सबको। अपना प्रोग्राम आप वहां से आने के बाद भी कंटिन्यू कर सकते हैं। तो चले! दादी ने जल्द से जल्द पहुंचने को कहा है।"


   काव्या की हंसी छूट गई लेकिन कार्तिक यह सुनकर परेशान हो गया। आखिर ऐसी कौन सी बात हो सकती है जिसकी वजह से बड़ी मां ने इस तरह बुलाया है? सोचते हुए कार्तिक ने काव्या को तैयार होने को कहा और खुद धानी को बुलाने उनके कमरे की तरफ बढ़ गया।


    अगले 15 मिनट में सभी मित्तल हाउस में मौजूद थे। सिया ने उन्हें जो कुछ भी बताया उसे सुनकर सभी के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे लेकिन कार्तिक बिल्कुल शांत था। वो बोला "बड़ी मां सच कहूं तो सारांश के हर फैसले में मैं उसके साथ हूं। वो जो भी करता है बहुत सोच समझकर करता है। ऐसे में मैं उसके किसी भी फैसले पर सवाल नहीं खड़े कर सकता। लेकिन बात यहां बच्चों की है तो इसमें दोनों बच्चों की रजामंदी होनी चाहिए। फिर भी उसने सबसे पहले अपने परिवार से इस बारे में पूछा है तो मैं अभी कुछ कहना चाहूंगा। सारांश और अवनी की शादी जिन हालातों में हुई थी वह हम सब जानते हैं इतना तो हमें पता ही है कि लड़की वालों के हैसियत से हमें कोई लेना देना नहीं। अगर लड़की संस्कारी नहीं होती तो सारांश कभी उसे अंशु के लिए पसंद नहीं करता। देखा जाए तो हमें सिर्फ लड़की और उसके संस्कार से मतलब है। रही बात अंशु की तो, शादी वह आज करें या दो 4 साल बाद, क्या फर्क पड़ता है। कहीं ऐसा ना हो कि एक उम्र के बाद समर्थ की तरह वह भी शादी करने से ही मना कर दे। और यह भी हो सकता है कि जैसे अवनी के इस घर में आने के बाद सिद्धार्थ भाई की भी शादी हो गई, वैसे ही उस लड़की के कदम जब इस घर में पड़े तो समर्थ की भी बैंड बज जाए।"


     सबकी नजर समर्थ की तरफ घूम गई। सबको कार्तिक किस बात में पॉइंट नजर आ रहा था। सारांश यूं ही कोई भी फैसला नहीं करेगा इसीलिए घर में वोटिंग की गई। सोनू काया और कुहू तो बहुत ज्यादा खुश थी। बरसों बाद घर में कोई नया सदस्य जुड़ने जा रहा था। घर की पहली बहू। भले ही बड़ी ना सही। लेकिन जैसे इस घर का रिवाज हो गया था, पहले छोटे भाई की शादी फिर बड़े भाई की। मेजॉरिटी हां की थी, बस एक समर्थ था जिसने ना किया था। क्योंकि जो समर्थ अव्यांश के शादी की बात सुनकर खुश था वही कार्तिक की बातों से वह थोड़ा डर सा गया था।


    कब इस बात से सभी सहमत थे फिर भी सिया ने फैसले की सारी जिम्मेदारी सारांश और अवनी पर छोड़ दी। बात पूरी लाइफ की थी इसलिए सारांश ने अव्यांश से एक बार फिर इस बारे में पूछा, "अंशु एक बार फिर तुझ से पूछता हूं, क्या तुम निशि के साथ पूरी जिंदगी गुजारना चाहते हो। जल्दबाजी में नहीं होता। आखिर तुम कितना जानते हो उसे! अभी-अभी उसका रिश्ता टूटा है, ऐसे में क्या वह तुम्हें अपना पाएगी क्या तुम उसे अपनाने को तैयार हो? शादी का रिश्ता प्यार से जुड़ा होना चाहिए ना कि तरस खाकर।"


    अव्यांश बोला, "पापा! आपकी और मां की शादी भी तो अचानक से हुई थी! माना मैं निशि को ज्यादा नहीं जानता लेकिन मिश्रा जी को तो आप और मैं बहुत अच्छे से जानते हैं। हमारी कंट्री में अरेंज मैरिज कॉमन सी बात है। मैं यह नहीं कहता कि मैं निशि से प्यार करता हूं। लेकिन इतना है कि मैं उसकी परवाह करता हूं। आज अगर उसके साथ इतना कुछ हुआ है तो सब में कहीं ना कहीं मैं भी जिम्मेदार हूं। अंश ने जो कुछ भी किया, वह मेरे नाम से किया। मैं चाहता तो उसे बहुत पहले रोक सकता था लेकिन........."


    अवनी सारांश की बांह थामे बोली "अंशु ठीक कह रहा है। हमें मिश्रा जी जैसा परिवार नहीं मिलेगा। हम निशी को नहीं जानते लेकिन मिश्रा जी को तो जानते हैं। हमें उनके संस्कारों पर पूरा भरोसा है। बस एक बार घरवालों की सहमति मिल जाए। आप एक बार फिर से फोन कीजिए। इतनी देर हो गई है, हो सकता है सब ने बात कर ली हो!"


    सारांश ने अपना फोन निकाला और सिया का नंबर डायल करने को हुआ लेकिन सिया ने ही खुद फोन कर दिया। सारांश ने फोन कान से लगाया और चुपचाप सिया की बातें सुनता रहा। उसे चुप देख अवनी परेशान होकर बोली "क्या हुआ? क्या कहा मां ने?"


    सारांश ने सड़ी सी शक्ल बनाकर कहा "सारे घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार है।" फिर जोर से हंस पड़ा। अवनी ने अपना सिर पीट लिया। "आपकी आदत कभी नहीं जाएगी। बस मिश्रा जी से बात करनी होगी। वह तैयार हो जाए इस रिश्ते के लिए।"


    अव्यांश खोया हुआ सा बोला, "नहीं मां! मिश्रा जी नहीं बल्कि सबसे पहले निशी की मंजूरी मिलनी जरूरी है। अगर वह हां करती है तभी यह रिश्ता जुड़ेगा। मैं उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता।"



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