सुन मेरे हमसफर 311

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    कुणाल शिवि के पीछे पीछे चल रहा था। उसने एकदम से अपनी स्पीड बढ़ाई और शिवि के साथ चलते हुए कहा "तुम्हें क्या लगता है, यह सब कुछ ठीक होने में कितना टाइम लगेगा?"


 शिवि ने सर झुकाए ही चलते हुए कहा "अब इस सब के बारे में मैं क्या कह सकती हूं। यह सब तो अब भाई के हाथ में है कि वो कब तक इस मामले को खींचना चाहते हैं।"


कुणाल ने कहा "लेकिन मैं तो तन्वी की तबीयत के बारे में पूछ रहा था। तुम किस बारे में बात कर रही हो?"


 शिवि के कदम चलते हुए एकदम से रुक गए। कुणाल आकर शिवि के सामने खड़ा हो गया और उसे सवालिया नजरों से देखने लगा। शिवि ने नजरे उठाकर कुणाल की तरफ देखा और उसे अपनी तरफ देखा पाकर उसने नज़रें फेर ली। कुणाल ने थोड़ा झुककर पूछा "क्या हुआ, तुम किस बारे में बात कर रही हो?"


 शिवि ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा "कुछ नहीं, मैं तो बस यह कह रही थी कि भाई......"


कुणाल ने शिवि को एकदम से उसके दोनों कंधे से पकड़ा और कहा "शिवि! मुझे नहीं लगता कि हमारे बीच ऐसे हिचक होनी चाहिए। अब मैं भी तुम्हारे परिवार का हिस्सा हूं जज मुझे भी पूरी बात जानने का हक है जो भी तुम जानती हो। तुम्हारी परेशानी अब मेरी भी परेशानी है।"


 शिवि ने दो पल तो नजर उठाकर कुणाल की आंखों में देखा फिर परेशान होकर कहा "एक्चुअली, समझ में नहीं आ रहा कि भाई करना क्या चाह रहे हैं। डॉक्टर के जितने भी रिपोर्ट्स है वह सब उन्होंने अपने पास रखा है। ना खुद देख रहे हैं ना किसी को देखने दे रहे हैं, ना पुलिस को इन्फॉर्म कर रहे हैं न एफआईआर लिखवाई है ना किसी तरह का कोई कंप्लेंट। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि भाई आखिर करना क्या चाह रहे हैं। कब तक इस मामले को खींचना चाहते हैं? इस सब मामले में जितनी देरी होगी, हमारा केस उतना ही कमजोर होगा, ये बात क्या भाई को समझ नहीं आ रही? मुझे यकीन नहीं हो रहा कि इतना समझदार इंसान ऐसे बेवकूफी कैसे कर रहा है।"


 कुणाल ने परेशान शिवि को एकदम से अपने गले लगा लिया उसके सर को सहलाते हुए कहा "तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा। तुम्हारा भाई इतना भी बेवकूफ नहीं है जितना तुम समझ रही हो, बल्कि उससे कहीं ज्यादा स्मार्ट है। इसलिए तुम परेशान मत हो और घर चलो। इतनी परेशानी अपने सर पर रखोगी तो जल्दी बूढ़ी हो जाओगी। शिवि! क्या हो गया तुम्हें, क्या सोच रही हो?"


अचानक से शिवि को लगा जैसे कुणाल की आवाज दूर से आ रही है। लेकिन कुणाल तो उसके पास था। एक बार फिर शिवि को कुणाल की आवाज सुनाई दी, "शिवि!" इस बार यह आवाज थोड़ी जोर से थी।


 शिवि जैसे नींद से जागी। उसने अपने इधर-उधर देखा तो वहां वो अकेली खड़ी थी और कुणाल उससे काफी आगे गाड़ी के पास। शिवि ने अपने सर पर हाथ मारा। मतलब यह सब सोच रही थी! ना उसने कुणाल को कुछ कहा, ना कुणाल ने उसे।


 कुणाल को लगा कि शिवि परेशान है। वो शिवि के करीब आया और उसके सर पर हाथ फेर कर कहा "तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा। तुम्हारे दोनो भाई काफी स्मार्ट है और हर तरह के सिचुएशन को डील करना अच्छे से जानते है। समर्थ भाई थोड़े इमोशनल है लेकिन जो छोटा वाला है ना, उस पर कहां किसी का बस चलता है। वो कुछ ना कुछ तो जरूर कर रहा होगा। अगर समर्थ भाई चुप है तो इसके पीछे बहुत बड़ी बात होगी। तुम चिंता मत करो।"


 कुणाल के ऐसे करीब आने से शिवि थोड़ी सी हड़बड़ा गई और गाड़ी की तरफ आगे बढ़ते हुए कहा "तुम भी चिंता मत किया करो। मैं ठीक हूं और बिल्कुल ठीक हूं। यहां की सिचुएशन को मैं भी संभालना जानती हूं, इसलिए तुम्हें मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है।"


शिवि ने जैसे ही गाड़ी की दरवाजे को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया, वैसे ही कुणाल शिवि को कमर से पकड़ा और उसे अपनी तरफ घुमा दिया। डर के मारे शिवि की चीख निकल गई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। कुछ पल बाद ही उसे समझ आया कि यह सारी हरकत कुणाल की थी तो उसने गुस्से में कुणाल को देखा और पूछा "यह क्या हरकत है?"


कुणाल ने भी मुस्कुरा कर कहा "तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी परवाह न करूं लेकिन मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता।" शिवि ने सवालिया नजरों से कुणाल को देखा तो कुणाल ने आगे कहा "मैं तो तुम्हारी परवाह करता ही नहीं हूं। क्योंकि मैं जानता हूं तुम इतनी स्ट्रांग हो कि किसी भी सिचुएशन से बाहर निकल सकती हो और कोई भी सिचुएशन को हैंडल कर सकती हो। तुम भाई बहनों की मुझे यही खास बात बहुत अच्छी लगती है इसलिए मुझे कभी तुम्हें लेकर टेंशन नहीं होती। बस तुम यह गलतफहमी में मत रहो तुम्हें तुम्हें लेकर परेशान होता हूं।"


 शिवि को लगा जैसे हैं कुणाल उसका मजाक उड़ा रहा हो। वाकई में जो कुछ भी कुणाल ने कहा था उस हिसाब से शिवि कुछ ज्यादा ही सोच रही थी। उससे कुछ जवाब देते नहीं बना तो वह पलट कर गाड़ी में बैठने को हुई लेकिन एक बार फिर कुणाल ने उसे ऐसा करने से रोक दिया और गाड़ी के दरवाजे पर जोर से हाथ रखकर शिवि को और परेशान करने का सोचा।


शिवि ने नाराज होकर पूछा, "अब घर जाने में देर नहीं हो रही? देखो, तुम्हारा मुझे पता नही लेकिन मैं काफी ज्यादा थक गई हूं और मैं घर जाकर आराम से सोना चाहती हूं।"


 शिवि का ऐसे बात-बात पर चिढ़ जाना कुणाल को न जाने क्यों बहुत अच्छा लगता था। उसने बड़े रोमांटिक अंदाज में कहा, "तुम्हारी इस थकान की परवाह मुझे भी है। अब तुम अकेली नहीं हो। अब तुम मेरी पत्नी हो तो ऐसे में तुम्हारी हर जरूरत का ख्याल तो रख ही सकता हूं, भले ही तुम्हारी परवाह न करू। मुझे अच्छा लगा कि तुम अब हमारे घर को अपना घर कहने लगी हो। तो चलो मैं तुम्हें घर ले चलता हूं और वहां जाकर तुम्हारी सारी थकान उतारने की कोशिश भी करता हूं। मेरा मतलब तुम्हारे लिए मैंने मसाजर का इंतजाम किया है। तुम कुछ गलत मत समझना।"


कुणाल शिवि के कानो में ते सारी बाते बोल रहा था और शिवि के रोंगटे खड़े हो रहे थे। वो अपने आप में ही सिमटती जा रही थी।


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