सुन मेरे हमसफर 308

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निशी ने अव्यांश को पीछे से आवाज लगाई "अव्यांश! मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"


 अव्यांश ने एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखा और कहा "जानता हूं। मुझे भी तुमसे कुछ बात करनी है। बैठो वहां।"


 निशि साइड से अव्यांश का चेहरा देख रही थी और उसके चेहरे से मन में चल रहे उथल-पुथल को समझने की कोशिश कर रही थी। अभी कुछ देर पहले जिस तरह अव्यांश ने उसके मुंह पर दरवाजा बंद किया था, उससे निशि को लगा नहीं था कि अव्यांश उसके लिए दरवाजा खोलेगा लेकिन न सिर्फ उसने दरवाजा खोला बल्कि इस वक्त वह इतना शांत कैसे हैं?


 अव्यांश का यह शांत रवैया देखकर निशि को घबराहट होने लगी थी। क्योंकि निकलते टाइम सारांश ने भी उसे बताया था की अव्यांश इस वक्त बहुत ज्यादा गुस्से में है और कैसे भी करके उसके गुस्से को संभालना होगा। निशी ने मन में सोचा 'पापा गलत नहीं हो सकते। उनसे बेहतर अव्यांश को कोई नहीं समझ सकता। लेकिन यह ऐसे शांत क्यों है? कहीं यह तूफान से पहले की शांति तो नहीं?' 


निशी को ऐसे सोचते देख अव्यांश ने पूछा "तुम बैठी क्यों नहीं?"


 निशी की तंद्रा टूटी। उसने हड़बड़ा कर कहा "नहीं वह मैं बस......"


 अव्यांश ने उसकी बात पूरी नहीं होने दी और बीच में ही टोक कर कहा "डोंट वरी, तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें हाथ तक नहीं लगाने वाला तो मेरी तरफ से तुम निश्चित रहो। यू आर सेफ हेयर।"


निशि अव्यांश के बातों में छुपे ताने और गुस्से को महसूस कर कांप गई। उसने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन अव्यांश ने पूछा " कॉफी चलेगा?"


चाय और कॉफी के साथ बात करते हुए माहौल थोड़ा सा आसान लगने लगता है। बस यही सोचकर निशी ने हां कहा और जाकर सामने पड़े डाइनिंग टेबल के पास एक कुर्सी खींच कर बैठ गई। अव्यांश दो कप में काफी लेकर आया और एक सामने रख दिया। निशी एक बार फिर अव्यांश के चेहरे की तरफ ध्यान से देखने लगी और खुद को तैयार करने लगे कि वह अपनी बात कह कर रहेगी।


अव्यांश ने निशी के ठीक सामने वाली कुर्सी खींची और बैठ गया। उसने कॉफी का एक सिप लेते हुए पूछा "तुम्हें कुछ बात करनी थी, तुम कह सकती हो।"


 निशि अपनी बात रखने के लिए उचित शब्दों को ढूंढने लगी तो अव्यांश ने इरिटेट होकर कहा "मेरे पास और भी काम है। तुम्हें जो कहना है कहो और निकलो यहां से।"


 निशि ने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा "अव्यांश! तुम ऐसे कैसे बात कर सकते हो मुझसे, जैसे मैं कोई अनजान हूं।"


 अव्यांश ने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि उसका फोन बजने लगा था। उसने अपना फोन निकाल कर टेबल पर रखा और कॉल रिसीव कर स्पीकर पर रख दिया। यह कॉल उसके बैंगलोर वाले ऑफिस की मैनेजर शिल्पी का था जो उस पर ट्राई करने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी और यह बात निशी बहुत अच्छे से जानती थी।


 शिल्पी का नाम देखकर ही निशि की भौंहे तन गई। ' यह दोनों अभी भी टच में है?' 


अव्यांश ने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा "बोलो शिल्पी, कुछ काम था?"


 शिल्पी ने पूछा "अव्यांश अगर तुम फ्री हो तो क्या हम साथ में मूवी देख सकते हैं?"


निशी की आंखे हैरानी से फैल गई । ' मूवी डेट! मतलब मुझे गए दो-तीन दिन हुए नहीं कि बात यहां तक पहुंच गई है? बड़ी बेशर्म है ये लड़की।' 


अव्यांश ने जवाब दिया "सॉरी शिल्पी! शायद आज नहीं हो पाएगा। हम किसी और दिन का प्लान बनाते है।"


 शिल्पी ने पूछा "तुम बिजी लग रहे हो। कहां हो अभी? कहो तो मैं लेने आ जाऊं?"


अव्यांश ने सपाट सा जवाब दिया, "एक गेस्ट के साथ हूं।"


 गेस्ट! निशि हैरानी से अव्यांश की तरफ देखने लगी। कहां तो वह पूरी दुनिया के सामने यह बताता फिरता था कि निशी उसकी पत्नी है और आज एकदम से वह गेस्ट हो गई?


 अव्यांश ने कहा "मैं तुमसे बाद में बात करता हूं। अगर जल्दी फ्री हो गया तो तुम्हें पिक कर लूंगा। ठीक है बाय।" अव्यांश ने कॉल खत्म किया और अपनी कॉफी का मग उठा कर कहा "हां तो तुम अपनी बात रख सकती हो। अगर तुम्हारी बात जल्दी खत्म हो जाती है तो फिर मैं निकल सकता हूं जैसा कि तुमने हमारी कन्वर्सेशन सुनी।"


 निशि ने गुस्से में पूछा "क्या मैं जान सकती हूं रात के इस टाइम अपनी बीवी को किसी के सामने गेस्ट बताना, उसके साथ मूवी डेट प्लेन करना, क्या यह सही है?"


 अव्यांश ने मुस्कुराकर कहा "एक गेस्ट हमेशा गेस्ट होता है। तुम मेरी लाइफ से जा चुकी हो अब अगर तुम वापस आई हो तो जाहिर सी बात है किसी मतलब से ही आई होगी। कुछ और तो मैं एक्सपेक्ट नहीं कर सकता। तुम जिस काम के लिए आई हो वह करोगी और फिर वापस चली जाओगी तो जाहिर सी बात है मैंने तुम्हें गेस्ट करके कुछ गलत तो नहीं किया। वरना इसके अलावा हमारा क्या रिश्ता है। यह मत कहना कि तुम मेरी पत्नी हो। हां तलाक अभी पूरी तरह से हुआ नहीं हमारा लेकिन हम ऑलरेडी अलग हो चुके हैं। इसलिए मेरे से कुछ एक्सपेक्ट मत करना। और मैं जानता हूं तुम क्या कहने जा रही हो, इसलिए बीवी बनने की कोशिश मत करो। जो काम है सीधे-सीधे मुद्दे पर आओ।"


 निशि की आंखों में आंसू आ गए। उसने अव्यांश की तरफ देखकर कहा "इतना पराया कर दिया मुझे? बिना कुछ कहें बिना कुछ सुने सारे फैसले खुद ले लिए तुमने। एक बार मुझे कुछ कहने का मौका तो दो। हम कोई अनजान नहीं है अव्यांश! शादी हुई है हमारी।"


 अव्यांश ने अपनी कुर्सी पर से उठते हुए कहा "इस रिश्ते को सिर्फ मैंने निभाया है और हर संभव कोशिश की तुम्हें कंफर्ट करने की लेकिन तुम्हें हमेशा से मुझसे प्रॉब्लम रही है तो अब अगर मैं तुम्हें इस रिश्ते से आजाद कर रहा हूं तो फिर प्रॉब्लम क्या है? ओह सॉरी! मैं कैसे भूल गया था, तुम्हारा बॉयफ्रेंड! तुम उसी को ढूंढते हुए यहां आई हो ना?"


 निशी ने हैरान होकर कहा "क्या? मेरा बॉयफ्रेंड? तुमसे किसने कह दिया कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड है?"


अव्यांश हंस पड़ा और उसे ताना देते हुए कहा "मैं इतना बेवकूफ नहीं हूं जितना तुम मुझे समझती हो। हां तुम्हारे प्यार में थोड़ा पागल हो गया था लेकिन अब संभल चुका हूं। इसलिए साफ़-साफ़ सुन लो, तुम्हारा बॉयफ्रेंड इस वक्त कहां है और मैं उसके साथ क्या करने वाला हूं इस बारे में मैं तुम्हें कुछ नहीं बताने वाला। और अगर इस बार तुमने मेरे सामने मेरे पैरों में गिरकर नाक रगड़कर माफी भी मांगी मिन्नत भी की, तब भी इस बार मैं उसे नहीं छोड़ने वाला। सॉरी मिस निशि मिश्रा! मैं एक बार तुम्हारे झांसे में आ चुका हूं। इस बार तुम मेरा इमोशनली फायदा नहीं उठा पाओगी।"


निशी से कुछ कहते नहीं बन रहा था। उसने पूछा "ये तुम क्या कह रहे हो, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। तुम मुझे खुलकर बताओगे?"


 अव्यांश ने हंस कर कहा "तुम्हारे ऐसे भोलेपन पर ही तो मैं मर मिटा था यार! सिर्फ एक तुम्हारी खुशी के लिए मैं वह कर बैठा जो मुझे नहीं करना चाहिए था और वह एक गलती मेरे पूरे परिवार पर भारी पड़ी है और वह गलती अब मैं तुम्हारा नहीं करूंगा। सो मिस निशि मिश्रा! आप यहां से जा सकती है। क्योंकि मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है, ना सांत्वना और ना ही सहानुभूति। बेहतर होगा आप जहां से आई है वहां वापस लौट जाइए।"


अव्यांश उठ कर वहां से जाने लगा तो निशि ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ लिया और पूछा "अव्यांश प्लीज! मुझे नहीं समझ में आ रहा तुम क्या कह रहे हो। मुझे कोई आईडिया नहीं है कि क्या हुआ है। पिछले तीन दिनों से मैं तुम लोगों से बात करने की कोशिश कर रही हूं लेकिन किसी से मेरी कोई बात नहीं हो पा रही तो मुझे कैसे पता चलेगा कि वहां पर क्या हुआ है। और देवेश ने क्या किया है?"


 अव्यांश ने अपना हाथ इतनी जोर से झटका कि निशी लड़खड़ा कर तीन-चार कदम पीछे हो गई। अव्यांश ने गुस्से में निशि को उंगली दिखाकर कहा "अपना भोलापन ले जाकर किसी और को दिखाना। तुम्हारे बॉयफ्रेंड ने मुझे क्लीयरली कहा था कि तुम रोते हुए मेरे पास आओगी और उसकी जान की भीख मांगोगी। लेकिन इस बार मैं उसे पुलिस के हत्थे चढ़ाने नहीं दूंगा। इस बार वो मेरे हाथों मारेगा।"


 अव्यांश ने गहरी सांस ली और अपनी उंगली नीचे करके बोला "खैर मुझे जो इनफार्मेशन चाहिए वह तुम भी मुझे दे सकती हो। तो बताओ देवेश के दो साथी अंश ढोलकिया और लावण्या ढोलकिया इस वक्त कहां है? तुम बता दोगी तो मैं शायद देवेश को जाने दूं।"


निशि को समझ नहीं आया कि वह अव्यांश के इस बिहेवियर पर रोए या उसके सवाल पर हैरान हो। उसने कहा "अंश ढोलकिया? लावण्या ढोलकिया? मैं ये नाम पहली बार सुन रही हूं। तुम किसके बारे में बात कर रहे हो और इस सबसे मेरा क्या लेना देना?"


अव्यांश ने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा "यह सवाल तुम खुद से पूछो, शायद जवाब मिल जाए। और अगर तुम्हें नहीं पता तो एक बार उन लोगों को ही फोन करके पूछ लो जिनके पास तुम्हारे बॉयफ्रेंड के सीक्रेट होते हैं। मैं तुम पर गुस्सा नहीं कर सकता क्योंकि डैड ऐसा चाहते हैं। तुम्हारे पास सोचने के लिए कुछ घंटे का समय है, तब तक मैं अपना एक काम निपटा कर आता हूं।"

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