सुन मेरे हमसफर 305

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"तुम्हें यकीन नहीं हो रहा है? सारांश ने पूछा।


निशी ने इनकार में अपना सर हिला दिया। सारांश ने उस ब्रेसलेट की तरफ दिखाते हुए कहा "इसको ध्यान से देखो। मैंने इस ब्रेसलेट के ठीक बीच में अवनी का नाम लिखवाया था। लेकिन अंशु ने क्या किया, उसने अवनी के पहले दो अक्षर को हटाकर तुम्हारा नाम का आखिरी तीन अक्षर जोड़ दिया। अब इसे देखकर तुम्हें नहीं लगता कि इस नाम को बीच में होना चाहिए था, ब्रेसलेट के ठीक बीच में? लेकिन यह साइड में क्यों है?"


निशी को यह बात पहले भी थोड़ी अजीब लगती थी। देखा जाए तो सारांश ने जो कुछ भी कहा था उसमें यकीन न करने वाली कोई बात ही नहीं थी। उसे भी लगता था कि बनाने वाले ने यहां पर थोड़ी गड़बड़ी की है। लेकिन यह काम अंशु का था, यह सोचकर ही उसे हंसी आ गई।


सारांश ने निशि के सर पर हाथ फेर कर कहा "तुम दोनों का भाग्य तो बचपन में ही जुड़ गया था, भले ही हमें इस बारे में कुछ पता ना हो। लेकिन मुझे नहीं लगा था कि किस्मत तुम दोनों को वापस से एक साथ लेकर आएगी। अब जब किस्मत ने खुद तुम दोनों को मिलाया है तो उसे खुद से दूर मत जाने दो।" 


सारांश की आवाज में रिक्वेस्ट थी जिसे निशि ने महसूस किया और कहा "डैड! मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी। लेकिन मुझे यह तो पता चले कि वह कहां है।"


 सारांश ने कहा "खुद से नाराज है। क्या क्या हुआ है इस बारे में मैं तुम्हें कुछ नहीं बता सकता लेकिन इतना जान लो कि इस सब के कारण तुम दोनों का रिश्ता दांव पर लगा है। देखो निशी! तुम दोनों के बीच क्या प्रॉब्लम है ये मैं जानता हूं लेकिन मैं सबके बीच नहीं पड़ सकता। ये तुम दोनों पति-पत्नी के बीच का मामला है। हम बस तुम दोनों को सलाह दे सकते हैं, समझा सकते हैं। आखिरी फैसला तो तुम लोगों को ही लेना है। जब से तुम आई हो, मुझे एक उम्मीद सी बंधी है कि शायद सब कुछ ठीक हो जाए। मेरे कुछ सवाल का जवाब दोगी? तुम यहां से गई क्यों?"


निशी ने सर झुका कर कहा "मैं नहीं जाना चाहती थी। मुझे भेजा गया बिना मेरी मर्जी के। मुझे तो याद भी नही था कि मेरी किसी कजिन की शादी भी है।"


 सारांश को हैरानी हुई। उन्होंने पूछा "तुम्हारे और देवेश के बीच क्या चल रहा है?"


निशि ने हैरानी से सारांश की तरफ देखा फिर मुस्कुरा कर कहा "यह बात आपके दिमाग में आपके बेटे ने डाली है ना? मैं समझ सकती हूं। लड़की हूं ना मैं, तो किसी से मिल नहीं सकती किसी से बात नहीं कर सकती।"


 सारांश ने उसे रोका "यहां लड़का लड़की वाली बात नहीं है बेटा। कुछ तो ऐसा हुआ होगा जो अंशु तुम्हारे और देवेश के रिश्ते को लेकर इस तरह उखड़ा हुआ है।"


 निशि ने उस ब्रेसलेट को बड़े प्यार से छुआ और कहा "मैं शादी के बाद देवेश से सिर्फ एक या दो बार मिली, एक से दो बार बात किया। उतने में ही आपके बेटे को लगता है कि मैं फिर से अपने एक्स बॉयफ्रेंड के साथ हूं, तो फिर उसका क्या? मैं पिछले कुछ दिनों से उसे और प्रेरणा को जितना फ्रेंडली और जितना क्लोज देख रही हूं, मेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी! मैंने तो उन दोनों के रिश्ते पर कोई सवाल नहीं उठाया। मैं तो कभी नहीं कहा कि वह प्रेरणा के साथ मिलकर मुझे चीट कर रहा है।"


सारांश को निशि की बात सही लगी। उन्हें भी यह लग रहा था कि वह और प्रेरणा को ज्यादा ही क्लोज है लेकिन यह तो हमेशा से था। फिर भी अब अंशु की शादी हो चुकी थी और उसे यह बात समझनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने बिल्कुल नहीं सोचा था कि उनका बेटा इतना इमैच्योर बिहेव करेगा।


 सारांश ने पूछा "मतलब वाकई ऐसा कुछ नहीं है?"


 निशि ने परेशान होकर कहा "डैड! ऐसा कुछ नहीं है। अगर ऐसा कुछ होता तो मैं कभी वापस यहां नहीं आती। मैं आज सिर्फ उसके लिए आई हूं। उसे चोट लगी है और मुझे उसकी कोई खबर नहीं मिल रही। ऐसा नहीं है कि मैंने कभी उससे नफरत किया, और ऐसा नहीं है कि मैं हमारी शादी के बाद कभी किसी और के बारे में सोचा है। मैंने पूरे दिल से इस रिश्ते को निभाने की कोशिश की। झगड़ा किस पति-पत्नी में नहीं होते। हां थोड़ी सी गलतफहमियां थी मुझे लेकिन कम से कम उसे क्लियर करना चाहिए था। हक जताता मुझ पर। और रही बात डिवोर्स की तो मैंने कभी उसे इस बारे में कुछ कहा ही नहीं। मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे उससे अलग होना है। देवेश ने यह बात उठाई थी। अपनी तरफ से सब कुछ भूल कर मैंने उसे माफ कर दिया था। उसे बस हाथ दिया था और उसने मेरी पूरी कलाई पकड़ने की कोशिश की थी तो मैंने उसी टाइम उसे फटकार लगाई थी। मेरी लाइफ का डिसीजन कोई और कैसे ले सकता है। मैंने उसे साफ साफ कह दिया था कि मैं अव्यांश को तलाक नहीं देने वाली। और अगर मैंने उसे छोड़ भी दिया तब भी मैं लौटकर देवेश के पास नहीं जाऊंगी। क्योंकि जो इंसान भरे मंडप में मेरा साथ छोड़ सकता है वह मुझे कभी भी छोड़ सकता है। और जिस इंसान में उस हालत में मेरा हाथ थामा, मेरे परिवार की इज्जत बचाई मैं उसका साथ कभी नहीं छोड़ सकती क्योंकि वह मुझे गिरने नहीं देखा। मैंने कभी भी अव्यांश को तलाक के लिए नहीं कहा। आपका बेटा खुद ही सब कुछ assume कर लेता है खुद ही सब कुछ सोच लेता है और फैसला कर लेता है। एक बार उसने मुझसे बात की होती। ना उसने मुझसे बात की और ना ही उसने मेरी कोई बात सुनी। बहुत कोशिश की मैंने उसे समझाने की लेकिन वह तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है, क्या करूं मैं? बुला कर लाइए उसे, मुझे उससे लड़ाई करनी है, बहुत बुरी तरह से झगड़ा करना है। प्लीज पापा! फोन कीजिए उसे, बुलाइए उसे यहां पर।"


निशि फफक कर रो पड़ी। सारांश ने उसे दिलासा देते हुए कहा "जब तुम उससे अलग नहीं होना चाहती तो वो भी कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहता। तुम्हारे जाने के बाद वह बुरी तरह से टूटा था। निशि! बेटा तुम दोनों का रिश्ता अब तुम्हारे हाथ में है। वो नाराज है तुमसे, बहुत ज्यादा नाराज और उससे भी कहीं ज्यादा खुद से नाराज है। वह यहां नहीं आएगा। तुम्हें ही उसके पास जाना पड़ेगा। मैं तुम्हें कल ही बता देना चाहता था लेकिन तुम और ज्यादा परेशान हो जाती।"


निशी ने सवालिया नजरों से सारांश की तरफ देखा तो सारांश ने कहा "इस वक्त वह बेंगलुरु में ही है। कल सुबह ही निकला था वह, कुछ जरूरी काम से। टुमकुर रोड वाला जो हमारा फार्म हाउस है, वह तुम्हें वही मिलेगा। लेकिन वहां जाने से पहले इतना जान लो कि इस बार अंशु को मनाने में तुम्हें बहुत मेहनत लगेगी। बस एक बात याद रखना, हिम्मत मत हारना, तब तक नहीं जब तक कि तुम जीत नहीं जाती। अंशु तुमसे बहुत प्यार करता हैं। तुम्हारे जाने के बाद वो कभी किसी का नहीं हो पाएगा। वो जो चाहे कुछ भी कर ले, तुम्हें उसे हराना है, चाहे कैसे भी हो। तुम तैयार होकर निकलो, तुम्हारा टिकट तुम्हें एयरपोर्ट पर ही मिल जाएगा।"





सूची ने काउंटर पर जाकर अपना आर्डर दिया "दो पनीर डोसा, एक प्लेट इडली, और दो वड़ा। साथ में बीसी बेले भात मिलेगा क्या? हो सके तो वह भी एक प्लेट कर देना।"

काउंटर के दूसरी तरफ खड़े उस लड़के ने सूची का आर्डर नोट किया और पूछा "मैम कितने लोगों के लिए?"

सूची ने कहा "मैं अकेले हूं, सिर्फ मेरे लिए।"


कहते हैं प्यार किसे? Ch 77


टिप्पणियाँ

  1. ससुर जी हो तो ऐसे ।सारांश शुरू से ही समझदार है उसने जितने जतन से अवनी और अपना रिश्ता मजबूत किया उतनी ही सलाह अपनी बहु को दी । वेरी नाइस पार्ट

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