सुन मेरे हमसफर 300

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निशि मीनू को इग्नोर करके वहां से आगे बढ़ गई लेकिन मीनू कहां इतनी आसानी से उसका पीछा छोड़ने वाली थी। उसने निशी के पीछे भागते हुए कहा "सीरियसली कह रही हूं यार! तेरा हस्बैंड ऐसा है कि कोई भी उस पर लाइन मारेगा। तुझे पता है, जिस दिन तू यहां आई थी ना, मेरे कजिन की फ्रेंड वहां दिल्ली में थी। उसने तेरे हस्बैंड को वहां क्लब में देखा था। पूरे गैंग के साथ था वह। उसने मुझे भी फोटोज भेजी थी। आई मीन, मैं तो उनमें से किसी को नहीं पहचाना क्योंकि मैंने देखा नहीं है उन्हें। लेकिन बहुत सारे लोग थे। अब इतने डैशिंग और स्मार्ट लोगों का झुंड क्लब में आए तो हर किसी की नजर उन पर ही जाकर ठहर जाती है।"


निशी एकदम से रुक गई। 'क्लब में बहुत से लोग, मतलब प्रेरणा के साथ होगा वह। ये दोनो कभी एक दूसरे का पीछा क्यों नहीं छोड़ते हैं?' निशि को ऐसे चुपचाप खड़े देख मीनू ने पूछा "क्या हुआ, तू ऐसे क्यों खड़ी है? तुझे यकीन नहीं हो रहा? रुक मैं तुझे तस्वीर भेजती हूं।" मीनू ने अपना फोन लेकर निशी के नंबर पर कुछ फोटोज भेज दी और खुद भी उन तस्वीरों को निहारने लगी।


 "अरे यार! तेरा हस्बैंड, काश मुझे भी ऐसा कोई मिल जाए। वैसे यह लड़की कौन है जो तेरे हस्बैंड से इस तरह चिपक के खड़ी है? तूने अपने हस्बैंड को कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है।" निशी बिना कुछ कहे आगे बढ़ गई और मीनू उसके पीछे दौड़ी।


निशी के कदम एक बार फिर रुक गए। मीनू ने उसे ऐसे खड़े देखा तो पूछा "क्या हो गया, कुछ याद आ गया क्या?" लेकिन निशी ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी नजर एक तरफ को टिकी हुई थी। मीनू ने भी उसकी नजरों का पीछा किया।


 सामने एक शॉप पर देवेश के मम्मी पापा थे, जो वही माल से कुछ ग्रॉसरी खरीदने आए थे। उन लोगों को सामने देख निशि ने मीनू ने निशि का हाथ पकड़ा और कहा "चल यहां से।"


निशी ने मीनू को रोकते हुए कहा "मीनू! वो लोग सामने ही है तो फिर आई थिंक मुझे उनसे बात करनी चाहिए। मेरी वजह से उन लोगों को काफी परेशानी हुई है। इसके लिए मैं उनसे माफ़ी तो मांगी सकती हूं।"


 मीनू ने हैरानी से कहा "माफी? किस बात की माफी? तू किस बात की माफी मांगना चाहती है? और ऐसे लोग.... उनकी परछाई से भी दूर रहना चाहिए, और तू इनसे माफी मांगना चाहती है? अरे इन लोगों को चाहिए कि तेरे पैरों में गिरकर नाक रगड़कर माफी मांगे।"


 निशी ने उसे डांटते हुए कहा "चुप कर, कैसी बात कर रही है तू! शादी में जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं उन्हें बहुत पहले माफ कर चुकी हूं। उसके बाद जो देवेश के साथ हुआ उसके लिए मैं उनके लिए सॉरी फील करती हूं।"


 इस बार मीनू ने पूछा "तेरे हस्बैंड ने तुझे कुछ बताया नहीं है क्या?"


निशी ने हैरानी से मीनू तरफ देखा और पूछा "कौन सी बात? क्या ऐसा कुछ है जो मैं नहीं जानती?"


 मीनू ने निशि का हाथ पकड़ कर खींचा और अपने साथ मॉल के बाहर ले गई। निशी ने उसे रोका और पूछा "मीनू बता मुझे, ऐसा क्या हुआ है जिसके बारे में मैं नहीं जानती?"


 मीनू ने कहा "क्या तू नहीं जानती कि देवेश ने तुझे जान से मारने की कोशिश की थी?"


 निशी की आंखें हैरानी से खुली की खुली रह गई। "देवेश ने मुझे करने की कोशिश की थी? नहीं, तुझे कोई गलतफहमी हुई है। वह कभी मुझे चोट नहीं पहुंचा सकता। अभी कुछ दिन पहले जब वह मुझे मिला था तो उसने साफ-साफ कहा था कि वह हमारी दोस्ती वापस चाहता है।"


 मीनू ने गहरी सांस ली और अपनी दोस्त की बेवकूफी पर सर पीट कर रह गई। निशी ने पूछा "बात क्या है मीनू?"


मीनू ने एक बार फिर पूछा "क्या वाकई तेरे हस्बैंड ने तुझे देवेश से रिलेटेड कुछ नहीं बताया?" निशी कुछ बोल नहीं पाई, बस ना में अपना सर हिला दिया तो मीनू ने कहा "सुन मेरी बात! मुझे नहीं पता कि तेरे हस्बैंड ने तुझे यह बात क्यों नहीं बताई और ना बताने के पीछे ऐसा क्या कारण था लेकिन यहां हम सबको पता है। देवेश के पेरेंट्स तो उसकी हरकतों के लिए तेरे घर जाकर तेरे पेरेंट्स से माफी मांग चुके हैं।"


 निशी से अब और इंतजार नहीं हो रहा था। उसने कहा "तू साफ-साफ मुद्दे पर की बात पर आ। अगर मुझ पर अटैक हुआ था तो मुझे कुछ तो पता होना चाहिए लेकिन मुझे कुछ भी याद नहीं।"


 मीनू ने उसे याद दिलाते हुए कहा "देवेश ने तुझे और तेरे हस्बैंड दोनों को ही एक साथ खत्म करने की कोशिश की थी। इसलिए तेरे हस्बैंड ने उसके खिलाफ एफआईआर की थी और खुद अपने हाथों से उसे लॉकअप में डाला था।"


 निशि को अभी भी कुछ याद नहीं आ रहा था। देवेश जब लॉकअप में था उससे पहले क्या हुआ था, निशी याद करने की कोशिश कर रही थी। मीनू ने कहा "उसने एक बार नहीं बल्कि दो बार तुझ पर अटैक किया था। एक बार ट्रक से कुचलने की लेकिन ये तेरे हस्बैंड की सूझबूझ थी जो तुम दोनों बच गए और एक्सीडेंट किसी और का हो गया।"


 निशि को वह एक्सीडेंट याद आया जब वह दोनों ही हाईवे के ढाबे से खाना खाकर वापस आ रहे थे। अव्यांश ने एक झटके से गाड़ी सड़क किनारे जाकर रोकी थी और पीछे से आता ट्रक सामने की गाड़ी से जा टकराया था। निशी को अभी भी यकीन नहीं हुआ। उसने कहा "वह एक्सीडेंट, देवेश........!"


मीनू ने आगे कहा "हां और दूसरा अटैक, उसने खुद अपने हाथों से तुम दोनों को शूट किया था। उसके बाद ही देवेश को अरेस्ट किया गया था।" निशी को अब जाकर याद आया था कि मॉल की पार्किंग में जब अव्यांश उसे घर लेकर जा रहा था, अचानक से उसका मूड कैसे बदल गया। उसने निशी को ड्राइविंग सीट संभालने के लिए कहा था लेकिन उसके लिए उसने निशी को गाड़ी से उतरने नहीं दिया था और कुछ तो आवाज आई थी।


 निशी ने अपना सर पकड़ लिया। मतलब उस टाइम.....! मुझे कुछ बताया ही नहीं। मैं कभी एक्सपेक्ट नहीं कर सकती थी कि देवेश ऐसा कुछ......! तुझे पूरा यकीन है कि ऐसा कुछ हुआ है?"


 मीनू ने उसे समझाते हुए कहा "तू खुद समझदार है। जब मेरा इतना बताने के बाद तुझे सारी बात याद आ रही है तो तु खुद सोच तू कहां गलत है। मुझे तो हैरानी तब हुई जब तेरे हस्बैंड ने कंप्लेंट वापस ले ली और देवेश को छोड़ दिया गया। यह तो हमारे लिए बहुत ज्यादा शॉकिंग था। मुझे तो आंटी से पता चला। तू तो यहां है नहीं, लेकिन मैं अक्सर तेरे यहां आती जाती रहती हूं तो मुझे आंटी से इस बारे में पता चला। मैंने जब पूछा तो उन्होंने कहा कि तेरे हस्बैंड ने जो भी किया वह बहुत समझ कर किया होगा। उन्हें पूरा भरोसा है। देखा जाए तो तेरा हस्बैंड जो भी करता है वह बहुत सोच समझ कर करता है और वह जो भी करता है वह किसी को पता नहीं चलता, बस हमें रिजल्ट नजर आता है। अब तेरे फूफा जी को ही देख ले। तेरे फूफा जी किस कदर तेरे घर के पीछे पड़े हुए थे। बदले में क्या हुआ, तेरे हस्बैंड ने ऐसा जाल बिछाया कि तेरे फूफा जेल के अंदर और उन्होंने खुद अपनी प्रॉपर्टी तेरे नाम कर दी। मुझे याद है, होली के दिन जिस तरह वह लोग तेरा घर खाली करवाने आए थे, अंकल आंटी उनके हाथ सामने हाथ जोड़कर खड़े थे उनके सामने मिन्नत कर रहे थे। मानना पड़ेगा तेरे हस्बैंड को, यहां की हर खबर रखता है वो। इसलिए तो जैसे ही उसे पता चला, होली के अगले ही मिलने के बहाने तुझे लेकर आया और सब कुछ ठीक करके चला गया। बहुत किस्मत वाली है तू।"


 निशी को लगा जैसे उसके पैरों में जान नहीं है। वह लड़खड़ा कर पीछे गिरने को हुई तो मीनू ने उसे संभाला और पूछा "क्या हुआ तुझे, तू ठीक है?"


 निशि ने बड़ी हिम्मत करके पूछा "तेरे कहने का मतलब हमारे घर के पेपर फूफा जी के पास थे?"


 मीनू ने उसे सारी बातें बताई और यह भी कहा "अंकल आंटी नहीं चाहते थे कि यह बात तुझे पता चलेगा। वरना तू इतनी ज्यादा हाइपर है कि अगर तुझे शादी से पहले इस बारे में पता चल जाता तो न जाने क्या ही करती। देखा जाए तो तेरे हस्बैंड ने इस तरह संभाला कि किसी को कानो कान खबर तक नहीं हुई। लेकिन डैड! वो भी अपने दामाद की तरह बहुत स्मार्ट है। उन्हें सब समझते देर नहीं लगी। इसलिए उन्होंने वह घर तेरे नाम कर दिया, तेरे और तेरे हस्बैंड के नाम। वह दोनों बहुत खुश थे। जब तू होली के बाद चली गई थी, तब मिली थी उनसे। अब जितना खुश मैं उन्हें देखती हूं, उतना ख़ुश मैंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था। और इस सब की वजह एक इंसान है, अव्यांश मित्तल।" 


निशि को लगा जैसे उसकी पूरी दुनिया बिखर गई हो।

टिप्पणियाँ

  1. ओह तो आज आखिर निशि की अव्यांश के लिए जो गलतफहमी थी वो खत्म हो गई।अब देखे निशि अव्यान्श से कैसे अपने रिश्ते ठीक करती है।

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