सुन मेरे हमसफर 296

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कुहू अपनी मां के गोद में कर रख कर लेटी हुई थी। उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और काव्या भी इमोशनल हुई जा रही थी। "इतना कुछ हो गया लेकिन एक बार भी तूने मुझे इस बारे में बताने की जरूरत नहीं समझी? तुझे अपनी चित्रा मॉम पर भरोसा है लेकिन अपनी मॉम पर नहीं। क्या लगा तुझे, हम सब तेरा साथ नहीं देंगे? तू ऐसा कैसे कर सकती है हमारे साथ? हम तेरे अपने हैं। तुझे हमसे ज्यादा किसी और पर भरोसा है?"


कुहू रोती हुई एकदम से चुप हो गई। उसे एहसास हुआ कि उसकी अपनी मां की मन में उसके चित्रा मॉम को लेकर थोड़ी कड़वाहट आ गई है। उसने अपने आंसू पोंछे और कहा "ऐसी कोई बात नहीं है मां, आप गलत समझ रही है। अगर मैंने चित्रा मॉम को इस बारे में बताया था तो काफी सोच समझ कर बताया था। उनका इस सबमें शामिल होना जरूरी था ताकि मैं वह कर सकूं जो मैंने सोचा था। आप सबको ना बताने के पीछे भी बहुत बड़ा कारण था।"


 कार्तिक ने नाराजगी से पूछा "और क्या मैं जान सकता हूं कि ऐसी कौन सी वजह थी जिसने तुम्हें हमसे बात करने से रोका?"


 काव्या ने कहा "शक तो मुझे पहले से ही हो गया था और मैंने कुहू से इस बारे में पूछा भी था। लेकिन उसने साफ-साफ कहा था कि ऐसा वैसा कुछ नहीं है। झूठ बोला तुमने मुझसे?"


कुहू उठ कर बैठ गई और कहा "नहीं मां! मैं क्या कहती आप सबसे! कुणाल कभी रिश्ते के लिए तैयार नहीं था, कभी नहीं। मैं ही थी जो जबरदस्ती यह रिश्ता उस पर थोपने की कोशिश कर रही थी। इतना तो मुझे पता चल गया था कि कुणाल किसी और से प्यार करता है और वह लड़की उसे नहीं मिली। वो अब भी उसे ढूंढ रहा है। जब से हमारा रिश्ता तय हुआ था उसके बाद से ही उसने मुझे एकदम से अवॉयड कर दिया था। पहले मैं खुद को ही झूठा दिलासा देती रही। धीरे-धीरे सारी बातें परत दर परत खुलती गई और तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि कुणाल जिस लड़की से प्यार करता है वह और कोई नहीं बल्कि हमारी शिवि है। और शिवि भी खुद इस बात से अनजान थी। लेकिन उसके मन की बात मैं धीरे-धीरे समझने लगी थी। शिव का झुकाव भी कुणाल की तरफ था लेकिन वह कभी इस बात को एक्सेप्ट नहीं करती। क्योंकि कुणाल से मेरी सगाई हुई थी, इसलिए अगर यह रिश्ता टूट भी जाता तब भी शिवि कभी कुणाल को एक्सेप्ट नहीं करती, कभी नहीं। इतना जानती हूं मैं मेरी बहन को। रही बात नेत्रा की तो वो ऐसा कुछ करेगी, यह मैंने नहीं सोचा था। जो भी था, सब कुछ वैसा हुआ जैसा मैंने सोचा था। जब वह दोनों ही एक दूसरे को पसंद करते हैं तो फिर मेरा उनके बीच में क्या काम। आप लोगों को मैंने इसलिए कुछ नहीं कहा क्योंकि मेरा एकदम से चले जाने से आप दोनों के नेचुरल रिएक्शन पर सबको भरोसा हुआ। अगर आप लोगों को इसमें शामिल करती तो कभी भी वह सब कुछ नहीं हो पाता और घर वालों को, खासकर कुणाल को आप पर शक हो जाता। अपनी बेटी पर भरोसा रखिए, मैं कभी ऐसा कुछ नहीं करूंगी जिससे आप लोगों को शर्मिंदगी हो। जिंदगी भर तकलीफ सहने से बेहतर है कि मैं आज रो लूं। आप चित्र मॉम को लेकर कोई भी बात अपने मन में मत रखना। उन्होंने मुझे समझाने की हर मुमकिन कोशिश की थी और जब उन्हें सच पता चला था तो वह खुद आप दोनों के पास आना चाहती थी। मैंने उन्हें रोका।"


काव्या ने बात को टालने के लिए पूछा "अब आगे क्या सोचा है तूने?"


कुहू वापस अपनी मां के गोद में सिर रख कर लेट गई और कहा "आज पूरा दिन जी भर के रोने वाली हूं और कल से अपने सपने की तरफ चल पड़ूंगी। डैड के बिजनेस में मेरा भी तो हक है। जब समर्थ भाई अंशु बिजनेस संभाल सकते हैं तो फिर मैं क्यों नहीं?"


 कार्तिक ने कहा "ठीक है। अपना पासपोर्ट दे देना मुझे, कल के तेरे टिकट्स अरेंज करवा दे रहा हूं। बिजनेस संभालना है तुझे और जाकर हमारा नया ब्रांच संभाल।" कार्तिक ने जानबूझकर कुहू को देश से बाहर भेजने की तैयारी की तो कुहू ने भी इसका कोई विरोध नहीं किया। वह भी यहां से दूर जाना चाहती थी, अनजान लोगों के बीच।





 सुहानी निर्वाण को लेकर बाहर निकली तो निर्वाण ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा "बताएगी भी क्या काम था! भाभी जा रही है, उनको ठीक से सीऑफ तक नहीं करने दिया तूने।"


 सुहानी ने उसके बाजू पर जोर से मारा और कहा "दिमाग खराब है तेरा? सीरियसली! तु बड़ा हुआ भी है या अभी भी 20 साल पुराना वाला आइटम है? कुछ समझ में नहीं आता है तुझे? निशि को सी ऑफ करना था, सीरियसली?"


 निर्वाण ने भी मासूम बनकर कहा "हां तो इसमें क्या गलत बात है? भाभी है मेरी, हमारी अच्छी बनती है, मैं उनको सी ऑफ नहीं करूंगा तो फिर किसको करूंगा? समर्थ भाई जब शादी करेंगे तब, फिलहाल तो मेरी इकलौती है।"


 सुहानी ने अपना सर पीट लिया और कहा "टी बेवकूफ ही रहेगा। इसलिए तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। जो भी बनती है तुझे 2 दिन में छोड़कर भाग जाती है।"


निर्वाण ने नाराज होकर कहा "ये तुम इतना पर्सनल क्यों ले लेती हो? मेरी गर्लफ्रेंड को लेकर मुझ पर अटैक करना जरूरी है क्या?"


सुहानी ने उसे समझाते हुए कहा "पागल इंसान! शादी के भागदौड़ में अंशु इतना बिजी था कि निशी को टाइम नहीं दे पाया और अब जब वह रिलैक्स हुआ है तो निशी जा रही है। उन दोनों को थोड़ा तो साथ में टाइम स्पेंड करने दे।"


 प्रेरणा ने सुहानी के कंधे पर हाथ रखा और कहा "सुहानी बिल्कुल ठीक कह रही है। अंशु खुद भी थोड़ा रेस्टलेस हो रहा था। निशी के जाने का टाइम जैसे-जैसे करीब आ रहा है, अंशु बहुत बेचैन हो रहा था। मैने उसे समझाया भी कि घर चला जाए जज वहां उसे निशी से बात करने का मौका मिलेगा लेकिन उसने मेरी सुनी ही नहीं। आई होप अंकल आंटी भी इस बात को समझेंगे और उन दोनों को कुछ देर अकेले कुछ बात करने का मौका मिलेगा।"


 सुहानी ने निर्वाण से कहा "अब बात तेरे भेजे में घुसी? अगर घुस गई हो तो चल, हमें शॉपिंग करनी है।"


 शॉपिंग का नाम सुनकर निर्वाण बिदक गया और कहा "क्या? अभी तो शादी में तुम लोगों ने इतनी सारी शॉपिंग की थी, अभी फिर से कौन सी शॉपिंग?"


 प्रेरणा ने भी बड़े स्टाइल से कहा "हमारी शॉपिंग कभी खत्म नहीं होती और लड़कियों के पास पहनने के लिए कुछ खास कपड़े नहीं होते। तो चल हमें शॉपिंग करवा। वैसे यह काया कहां है, दिख नहीं रही? और नेत्रा! वह कहां है।?"


नेत्रा का नाम सुनकर निर्वाण थोड़ा मायूस हो गया और कहा, "नेत्रा वापस चली गई। यहां जो कुछ भी हुआ उसके बाद यहां रहना उसे सही नहीं लगा, इसलिए।"


 सुहानी ने निर्वाण के कंधे पर हाथ रखा और कहा "उसे थोड़ा सा टाइम दो, संभल जाएगी। रही बात काया की तो इस टाइम वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ है जज आई मीन अपने होने वाले हस्बैंड के साथ। काफी अजीब इंसान है वो। पता नहीं काया ने उसे कैसे पसंद कर लिया! अब चल, ज्यादा टाइम बर्बाद मत कर। हमे देर हो रही है।"




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