सुन मेरे हमसफर 290

 290





     श्यामा को मिस्टर रायचंद की तरफ से एक फोन आया। उस कॉल को अटेंड करने के बाद वह घबराते हुए कमरे से बाहर निकली और समर्थ को आवाज लगाने लगी। समर्थ अभी-अभी शादी की वेन्यू से सारे काम निपटाकर घर वापस आया था। अपनी मां को ऐसे घबराए देख उसने पूछा "क्या हुआ मॉम, सब ठीक तो है?"


श्यामा ने समर्थ के दोनों बांह पकड़ी और कहा "कुणाल शिवि को लेकर कही गया है, पता नहीं कहां। दोनों जिस तेजी में घर से निकले हैं..... पता नहीं क्या हो रहा है मेरी बच्ची के साथ। तुम जाकर देखो उसे ढूंढो! न जाने वह कहां गई है।"


 पहले तो समर्थ को भी थोड़ी हैरानी हुई लेकिन फिर उसने अपनी मां को समझाते हुए कहा "मॉम आप चिंता मत करिए, हमारी शिवि बहुत समझदार है और वह अकेले सारे सिचुएशन को हैंडल कर सकती है। फिर भी मैं जाकर देखता हूं वह दोनों कहां है।सी समर्थ ने अपना फोन निकाला और अव्यांश को कॉल किया। शायद इस बारे में अव्यांश को कुछ पता हो। बात उनकी बहन की थी।


 अव्यांश ने फोन नहीं उठाया तो समर्थ ने अपने फोन से सर पर दो-तीन बार मारा और कुछ याद आने पर उसने सीधे अस्पताल में फोन लगाया।



 कुणाल शिवि को लेकर सीधे अस्पताल पहुंचा। शिवि ने रिसेप्शन पर जाकर पूछा और अंदर चली गई। पार्थ वहीं खड़ा था। डॉक्टर जोसेफ की एक टीम वहां पहले ही आ चुकी थी और पार्थ उन लोगों से ही बात करने में लगा हुआ था। शिवि को देखते ही उसने शिवि को अपनी तरफ आने का इशारा किया और कहा "यह लोग डॉक्टर जोसेफ की टीम से है। तुम्हें जो भी बात करनी है उनके साथ कर लो।"


 शिवि अभी भी थोड़ी नर्वस थी। इसके लिए उसका उस पूरी टीम के साथ अच्छे से घुल मिल जाना सर्जरी के लिए बहुत जरूरी था। शिवि ने अपनी जरूरत के हिसाब से एक दो सवाल करने शुरू किया तो पार्थ ने शिवि की तरफ देखा। ये वह लड़की नहीं थी जिसे उसने प्यार किया था। आज वह किसी और की पत्नी थी और सर से पैर तक सुहागन के रूप में खड़ी थी। पार्थ धीरे से मुस्कुराया और अपनी नजर झुका ली।


 शिवि के गेट-अप को देखकर डॉक्टर जोसेफ की टीम हैरान थी। यह बात पार्थ ने भी नोटिस की। उसने पूछा "तुम इन कपड़ो में सर्जरी परफॉर्म करोगी? आर यू सीरियस!"


 कुणाल पीछे से अपने हाथ में पेपर बैग लेकर आया और कहा, "किसने कहा तुमसे?" कुणाल ने पेपर बैग शिवि की तरफ बढ़ाया और कहा "इन कपड़ो में चलना भी अनकंफरटेबल होता है। इसीलिए सर्जरी परफॉर्म करने के लिए कपड़े कंफर्टेबल होने चाहिए। इसमें तुम्हारे लिए कपड़े हैं जो तुम नॉर्मली पहनती हो। जाकर चेंज कर लो।"


 पार्थ ने अपनी घड़ी की तरफ देखा और कहा "हां तुम जल्दी से चेंज कर लो, अभी तुम्हारे पास डेढ़ घंटे हैं। डॉक्टर जोसेफ की आने से पहले हो सके तो थोड़ा आराम भी कर लेना।"


पार्थ का ये कंसर्न देख कुणाल के तेवर बदल गया। कुणाल ने भी अकड़ कर कहा "डॉन'ट वरी डॉक्टर पार्थ! अब यह मेरी ड्यूटी है इसलिए तुम निश्चिंत रहो। चलो शिवि, पहले कपड़े चेंज कर लो फिर मैं तुम्हारे लिए कैंटीन से कुछ खाने को मंगवा देता हूं। एक्चुअली डॉक्टर पार्थ तुम्हारे लिए कुछ भिजवा देंगे, हो सके तो लेते आएंगे। दोस्त है तो इतना कर ही सकते हैं।" कुणाल ने पूरे हक़ से शिवि के कंधे पर हाथ रखा और उसे वहां से ले गया। जाते हुए कुणाल की आंखों में जीत की चमक थी और पार्थ बस मुस्कुरा कर रह गया।




 सुहानी उछलते कूदते घर आई तो उसने पूरे घर को शांत पाया लेकिन उसे थोड़ी खुजली मची थी और घर वालों को तो वह परेशान नहीं कर सकती थी, लेकिन अव्यांश को तो कर ही सकती थी इसलिए वह सीधे अव्यांश के कमरे में गई यह सोचकर कि दोनों हसबेंड वाइफ रोमांस करने में लगे होंगे और जाकर उन दोनों को परेशान करेगी। अपने मन में ख्यालों के लड्डू फोड़ते हुए सुहानी बिना दरवाजे पर दस्तक दिए ऐसे ही अव्यांश के कमरे में पहुंची तो उसने निशि को अपने बिस्तर पर बैठा पाया और अव्यांश कमरे में कहीं नहीं था।


 सुहानी ने पूछा "क्या हुआ तुम अकेले बैठी हो?"


 निशि की तंद्रा टूटी और उसने अपने हाथ में रखे कपड़े बिस्तर पर रखते हुए कहा "कुछ नहीं, वह मैं बस घर जा रही हूं ना तो वही सोच रही थी वहां जाकर क्या-क्या करूंगी।"


 सुहानी ने कुछ और ही समझा। उसने शरारती लहजे में कहा "ओ तो अब उल्लू को तुम्हारे साथ हनीमून पर जाना है! सीधे-सीधे नहीं बोल सकता था वह? सही है अभी-अभी शिवि की शादी हुई है, तुम लोगों को अब जाना चाहिए। वैसे वो कुछ करने देगा तब तो तुम कुछ कर पाओगी।"


हनीमून का नाम सुनकर निशि का चेहरा उतर गया। उसने अपनी उदासी छुपाते हुए कहा "नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं मम्मी पापा के साथ जा रही हूं, अव्यांश नहीं।" निशी की आंखों के सामने वह नजारा घूम गया जब अव्यांश प्रेरणा के साथ निकाला था। निशी ने आलमारी खोली और उसमें से अपने कुछ कपड़े निकालते हुए बैग में डालने लगी।


 सुहानी को हैरानी हुई। उसने कमरे में चारों तरफ देखते हुए कहा "तुम अकेले जा रही हो, अंशु को छोड़कर? आई मीन वह तुम्हें जाने दे रहा है, कैसे? सीरियसली! उसका बस चले तो वह तुम्हें अपनी आंखों से 1 मिनट को ओझल ना होने दे।"


 निशि का दिल धक से रह गया। ये क्या बोल रही है सुहानी! क्या ऐसा कुछ है? नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। बस उसकी गलतफहमी है। निशी ने अपने मन में उठ रहे ख्यालों को झटका और वापस अपनी पैकिंग में लग गई। सुहानी ने भी उसे और परेशान नहीं किया और निशि को गले लगा कर कहा, "जा रही हो तो जाओ तुम्हें कोई नहीं रोकेगा लेकिन काया के सगाई से पहले तुम्हें वापस आना होगा, आखिर इस घर की बहू हो तुम, तुम्हारे बिना काम कैसे चलेगा!"


 निशी मुस्कुराई और पूछा "काया की शादी किसके साथ तय हुई है? आई मीन घरवाले तो उसकी शादी....!"


 सुहानी आराम से आकर बिस्तर पर बैठ गई और कहा "काया की शादी वही हो रही है जहां घर वाले चाहते थे लेकिन उस लड़के से नहीं उसके भाई से। उसको तो मैं पसंद करती हूं।"


 निशि को हैरानी हुई। उसने भौंहे सिकोड़ कर कहा "अच्छा ! कब से चल रहा है यह सब? तुमने अपने लिए किसी को पसंद कर लिया और हमें खबर भी नहीं है!"


 सुहानी ने शर्माते हुए कहा "ऐसा कुछ नहीं है। पसंद तो मैं उसे हमेशा से करती थी लेकिन क्या है ना, बीच में मुझे थोड़ी गलतफहमी हो गई थी। एक्चुअली कार्तिक और ऋषभ दोनों ट्विंस है और दोनों दिखने में एक जैसे लगते हैं। काया को भी तो मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई थी। ऋषभ उसे छोड़ता था और वह कार्तिक को थप्पड़ मार देती थी। दोनों बहुत ही अजीब सी सिचुएशन में फंसे थे। जब कुहू दी ने कहा कि काया कार्तिक को पसंद करती है, उस टाइम मुझे बहुत बुरा लगा था। लेकिन जब सारी बातें क्लियर हुई तो मुझे लगा जैसे मैं कितनी बड़ी बेवकूफ थी। इस बारे में मुझे पहले ही काया से बात करनी चाहिए थी। अगर की होती तो फिर इतनी परेशानी होती ही नहीं। खैर चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ। एटलीस्ट सारी मिसअंडरस्टैंडिंग दूर हो गई। काया ऋषभ को प्यार करती है और मुझे कार्तिक पसंद है। बस अब कार्तिक को मनाना है। थोड़ा परेशान कर रही हूं उसे। देखना मान जाएगा।"



 समर्थ सीधे अस्पताल पहुंचा और रिसेप्शन पर आकर नाराज होते हुए कहा "किसने आज के दिन शिवि को यहां सर्जरी के लिए सजेस्ट किया था?"


 पार्थ वहीं से गुजर रहा था। उसके एक हाथ में शिवि के लिए सैंडविच थे और दूसरे हाथ में कॉफी। जब उसने समर्थ को ऐसे गुस्सा होते हुए देखा तो आकर कहा "भाई! इन पर क्यों नाराज हो रहे हो आप?"


 समर्थ ने पार्थ को भी फटकार लगाते हुए कहा "क्यों न नाराज हूं मैं? इन लोगों को समझ में नहीं आता है तो एट लिस्ट तुम्हें तो समझ में आना चाहिए। कल शादी हुई उसकी आज सुबह विदाई हुई है और इस टाइम यह यहां अस्पताल में है। क्या तरीका है यह?"


 पार्थ ने समर्थ को पूरी बात बताई और कहा "शिवि की शादी हो जाएगी यह बात तो खुद उसे भी नहीं पता थी। अगर पता होती तो कोई ऐसा कुछ नहीं करता। और सर्जरी के लिए उसे जिस डॉक्टर को असिस्ट करना है, शिवि का सपना था यह। अगर ऐसा नहीं होता तो यकीन मानिए कोई भी अगले एक महीने तक शिवि को कॉल करने वाला नहीं था। हमने बस इसलिए उसे इन्फॉर्म किया कि अगर वह ये करना चाहती है तो कर सकती है। और देखिए, कुणाल इतना समझदार है कि वह शिवि को लेकर फौरन चला आया। इस वक्त हो दोनों शिवि के केबिन में है और आराम कर रहे हैं। आप चाहो तो अपनी बहन से मिल सकते हो।"


समर्थ ने इनकार करते हुए कहा "नहीं रहने दो, थोड़ा सा आराम करेगी तो रिलैक्स फील करेगी। कुणाल से कह देना कि उसका ख्याल रखें।"


समर्थ का गुस्सा छूमंतर हो चुका था और वहां रहकर वह किसी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था। पार्थ के हाथ में जो नाश्ता रखा हुआ था उसे लेकर शिवि के केबिन में गया और अपने आदत के हिसाब से सीधे अंदर घुस गया। वहां जाकर उसका दिल टूटना लाजमी था। कुणाल बड़े प्यार से एक-एक करके शिवि के गहने उतारने में उसकी हेल्प कर रहा था और इस वक्त दोनों काफी रोमांटिक पोज में थे।



टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274