सुन मेरे हमसफर 289

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 अपने सामने शिवि को खड़ा देख कुणाल की सांसे रुक गई। शिवि जिस तरह उसे देख रही थी, उसकी आंखें कुणाल को डराने के लिए काफी थी। कुणाल तो वैसे ही शिवि के सामने आने से घबराता था, प्यार का इजहार क्या खाक करेगा। सही कहा था कार्तिक ने, जंग तो जीत चुका है। उन दोनों की शादी हो चुकी है और अभी तक प्यार का इजहार नहीं हुआ।


 'लेकिन अगर मैं इसके सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया तो फिर पता नही कैसे रिएक्ट करेगी। वैसे ही मेरे बारे में कुछ अच्छा नहीं सोचती है यह। कहीं सिर फिर गया तो? कहीं अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी ना मार लूं मैं। कहीं गुस्से में मुझे छोड़ कर चली गई तो? इसका दिमाग का कोई भरोसा नहीं है कब खराब हो जाए।' 


शिवि ने जब कुणाल को ऐसे अपनी तरफ देखते पाया तो उसने पूछा "चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग में? कोई खुराफात करने की कोशिश की तो, बहुत अच्छे से जानती हूं मैं तुम्हें।" अचानक शिवि को एहसास हुआ कि उसके सामने खड़ा कुणाल अब वह कुणाल नहीं है जिसे वह आंख दिखा कर डरा दिया करती थी। अब उसकी शादी हो चुकी है कुणाल से। शिवि घबराकर एकदम से दूसरी ओर पलट गई।


 कुणाल हिम्मत करके आगे बढ़ा और कहा "नहीं! मैं क्यों ऐसी वैसी हरकत करूंगा। अच्छे से जानता हूं मैं तुम्हें, इनफैक्ट तुमने बहुत अच्छे से समझा भी दिया था। डॉन'ट वरी, तुम परेशान मत हो। एक काम करो तुम सो जाओ कुछ देर के लिए।"


 सोने की बात सुनकर शिवि ने तिरछी नजरों से पीछे कुणाल की तरफ देखने की कोशिश की जब उसका फोन बजा। शिवि ने अपने फोन का स्क्रीन देखा तो हॉस्पिटल से उसे कॉल आ रहा था। स्क्रीन पर कुणाल की नजर भी पड़ गई। उसने पूछा "ये तुम्हें इस टाइम हॉस्पिटल से फोन क्यों आ रहा है? इनको पता नहीं क्या कि हमारी शादी हो गई है?"


 शिवि ने कुणाल को घूर कर देखा तो कुणाल चुप होकर साइड हो गया। शिवि ने फोन उठाया और कहा "तुम लोगों को शायद में याद दिला दूं कि मेरी शादी हुई है या फिर मैं मम्मी को बोलूं फोन करने के लिए?"


 दूसरी तरफ से कुछ आवाज आई। कुछ कहा गया ऐसा जिसे सुनकर शिवि की भौंहे सिकुड़ गई। उसने जल्दी से अपना मेल बॉक्स ओपन किया और दो दिन पुराने मेल चेक करने लगी। एक मेल को देखकर उसकी आंखें हैरानी से बड़ी, और बड़ी हो गई। उसने फोन वापस कान से लगाया और चिल्लाते हुए कहा "तुम लोगों का दिमाग खराब है क्या? मेल भेज दिया मुझे लेकिन एक बार कॉल करके इन्फॉर्म नहीं कर सकते थे तुम लोग? साफ-साफ पता था कि मेरे घर में शादी है, मैं शादी में बिजी हूं लेकिन नहीं बस मेल कर दिया और हो गया काम! एक बार चेक तो कर लेती कि हां मुझे वह मेल मिला है या नही! मैंने कोई रिप्लाई दिया है या नहीं और जब मैं कोई रिप्लाई नहीं दिया था तो एक बार तुम लोग मुझसे कोई एक मुझे फोन करके बता सकता था इस बारे में। तुम लोगों को समझ में आ भी रहा है कि मेरी क्या सिचुएशन है अभी? मुझे कुछ नहीं सुनना। तुम लोगों की शिकायत मुझे मॉम से करनी होगी तभी सुधरोगे तुम लोग।"


 शिवि को इतना हाईपर होते देख कुणाल ने उसके हाथ से फोन छीना और कॉल कट करके फोन बेड पर फेंक दिया। शिवि कुणाल पर भडकती उससे पहले ही कुणाल ने उसे दोनों कंधे से पकड़ा और शांत करते हुए कहा "इस तरह हाइपर होने से कोई काम नहीं बनता उल्टा सारा काम बिगड़ जाएगा। पहले यह बताओ की बात क्या है और उससे भी पहले तुम दो-तीन बार गहरी गहरी सांस लो तुम्हारा दिमाग शांत होगा।"


 शिवि गुस्से में बोली "इस वक्त तुम्हें योगा क्लास सूझ रहा है? तुम्हें सर के बल खड़ा कर दूंगी मैं।"


 कुणाल ने मुस्कुरा कर कहा "तुम जैसे खड़ा करना चाहो कर लेना लेकिन फिलहाल तुम खुद को शांत करो।" कुणाल के इन शब्दों में न जाने क्या था, शिवि एकदम से शांत पड़ गई। उसने आंखे बंद करके दो-तीन बार गहरी सांस चली और कहा "आगे बोलो।"


 अपनी बातों का असर होते देख कुणाल ने पूछा "मैं नहीं तुम बोलोगी, प्रॉब्लम क्या है।"


 शिवि अपने लहंगे को संभालती हुई जाकर सोफे पर बैठ गई और दोनों हाथों से सर पकड़ के कहा "मेरी सर्जरी है अगले दो घंटे में और उन लोगों ने एक बार भी मुझे इन्फॉर्म करना जरूरी नहीं समझा।"


 कुणाल शिवि के सामने आकर घुटने के बल बैठ गया और पूछा "तो इसमें प्रॉब्लम क्या है? कोई पहली सर्जरी तो है नहीं तुम्हारी जो तुम इस तरह रिएक्ट कर रही हो! हम चल सकते हैं। किसी की जान बचाना सबसे ज्यादा जरूरी है।"


शिवि ने अपना सर उठाकर कुणाल की तरफ देखा और कहा "मैं जानती हूं किसी की जान बचाना पहली प्रायोरिटी होनी चाहिए और है भी। लेकिन बात यहां मेरे पहले परफॉर्मेंस की ही है। इस सर्जरी को परफॉर्म करने के लिए डॉक्टर जोसेफ आ रहे हैं और मैं उन्हें एसिस्ट करने वाली हूं। तुम्हें पता है मैं उनको कितना ज्यादा एडमायर करती हूं!"


 कुणाल की भौंहे तन गई। उसने कहा "तुम मेरे सामने ये बात कर रही हो? आई मीन, मेरे सामने? लिटरली?"


 शिवि ने हैरान होकर पूछा "इसमें इस तरह शक्ल बिगड़ने वाली क्या बात है? मैं उनको एडमायर करती हूं तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम हो रही है?"


 कुणाल मासूम सी शक्ल बनाकर बोला "मैं तुम्हारा पति तुम्हारे सामने बैठा हूं और तुम मेरे सामने कह रही कि तुम किसी और को एडमायर करती हो? मतलब, मैं कहां जाऊं?"


 शिवि ने कुणाल को अजीब नजरों से देखा और कहा "उसी के पास जो जिसे तुम पसंद करते हो।" शिवि ने सोफे पर से कुशन उठाकर कुणाल के सर पर दे मारा। कुणाल पीछे की तरफ पलट गया। शिवि वहां से उठकर बेड के पास गई और अपना फोन उठा लिया।


 "नहीं हो पाएगा मुझसे, नहीं हो पाएगा। इस एक दिन का मैंने कितना इंतजार किया था।" अपने में बड़बड़ाती हुई शिवि वापस से हॉस्पिटल का नंबर डायल करने जा रही थी लेकिन कुणाल ने शिवि के हाथ से फोन छीना और दूसरे हाथ से उसकी कलाई पकड़ कर कमरे से बाहर ले गया।


 "क्या कर रहे हो तुम, छोड़ो मुझे! इस तरह कहां लेकर जा रहे हो?" शिवि चिल्लाई। 


सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए कुणाल ने बीच में ही रुक कर कहा "वहीं ले जा रहा हूं जहां तुम्हें होना चाहिए।"


 शिवि ने एक नजर अपनी तरफ देखा और कहा "इन कपड़ो में जाऊंगी मैं हॉस्पिटल?"


 कुणाल के होठों पर बड़ी प्यारी सी मुस्कुराहट आ गई। उसने कहा "क्या खराबी है इनमें? तुम बहुत, बहुत, बहुत खूबसूरत लग रही हो।" कुणाल की आंखें देखकर शिवि कुछ ना बोल पाई और चुपचाप उसके पीछे चल पड़ी।


 मिस्टर रायचंद ने जब कुणाल को ऐसे शिवि के साथ निकलते देखा तो उन्हें लगा कि दोनों के बीच कोई लड़ाई हुई है और कुणाल शिवि को वापस उसके घर छोड़ने जा रहा है। उन्होंने पीछे से आवाज लगाई "कुणाल..! कुणाल क्या कर रहा है रुक जाओ। अभी-अभी आई है वह ऐसे कैसे कर सकते हो तुम!"


 लेकिन कुणाल रुका नहीं। उसने पहले शिवि को गाड़ी में बैठाया और खुद ड्राइव करके तेजी से वहां से हॉस्पिटल के लिए निकल गया। वह तो बस यह चाहता था कि अस्पताल में डॉक्टर पार्थ शिवि को इस रूप में देखें क्योंकि शादी में वह कहीं नजर नहीं आया था। आज वह पूरे हक़ से शिवि को अपने साथ लेकर जा रहा था। 

टिप्पणियाँ

  1. अभी भी इस कुणाल को पार्थ याद आ रहा है की उसको निशि को दुलहन के रूप मै दिखाना चाह रहा है। नाइस पार्ट

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