सुन मेरे हमसफर 284

 284





     निशि देवेश शसे मिलने बाहर की तरफ गई। देवेश उसे देखकर खुश हो गया और आगे बढ़ाकर उसे गले लगाने की कोशिश की लेकिन निशि ने एकदम से हाथ बढ़ाकर उसे वहीं रुक जाने का इशारा किया और कहा "मैं बस यहां तुमसे मिलने आई थी, सिर्फ तुम्हारे कहने पर। इससे ज्यादा मुझसे कोई उम्मीद मत रखना। अब मैं वह निशि नहीं हूं देवेश!"


   देवेश ने निराश होने का नाटक किया और कहा "ठीक है। मैं समझ सकता हूं। मैंने काम ही ऐसा किया कि........! तुम यहां तक आई यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है लेकिन ऐसे बाहर सड़क पर खड़े होकर बात करना थोड़ा अनकंफरटेबल नहीं लग रहा!"


     निशि ने बिना किसी एक्सप्रेशन के पूछा "क्या चाहते हो तुम?"


     देवेश ने थोड़ा हकलाते हुए कहा "तुम..... तुम अगर चाहो तो हम...... मेरा मतलब तुम और मैं, मेरी मेरी गाड़ी में चलकर बैठ सकते हैं। हम वहां आराम से बात कर लेंगे। ऐसे सड़क पर अगर किसी ने तुम्हें एक अनजान इंसान के साथ बात करते देख लिया तो लोग मित्तल परिवार की बहू के बारे में कुछ गलत ही सोचेंगे। मेरी गाड़ी यही पास में ही खड़ी है।"


     निशि ने उस तरफ देखा जहां देवेश की गाड़ी पार्क थी। जिस तरफ देवेश ने इशारा किया था वह अंधेरा था और सड़क के उस पार था। निशि को यह सही नहीं लगा। न जाने क्यों लेकिन उसके मन में देवेश को लेकर थोड़ा डाउट हो रहा था। उसने कहा "अगर तुम्हें यहां बात करने में अनकंफरटेबल हो रहा है तो फिर ठीक है, लेकिन मैं तुम्हारी गाड़ी में नहीं जाऊंगी।"


    देवेश ने एक बार अपनी गाड़ी की तरफ देखा और पूछा "क्यों? मेरी गाड़ी में क्या प्रॉब्लम है? माना छोटी है लेकिन यही पास में ही तो है, ज्यादा दूर भी नहीं है। हम चलकर आराम से बात कर सकते हैं।"


     देवेश जिस तरह जिद्द करने की कोशिश कर रहा था, निशि को उसे पर डाउट होना लाजिमी था। उसने कहा "मैंने कहा ना, तुम्हारी गाड़ी में नहीं। छोटी हो या बड़ी मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता। अंदर चलो, हम वही बात करेंगे।"


    अंदर सबके बीच जाने की बात सुन कर देवेश थोड़ा घबरा गया। उसने कहा "मुझे तुमसे अकेले में बात करनी थी। तुम इस तरह सबके सामने शर्मिंदा करोगी मुझे?"


    निशी वहां से जाने के लिए मुड़ी और आगे बढ़ते हुए कहा "तुम्हें अकेले में बात करनी है तो तुम अंदर भी कर सकते हो वरना नही। अब ये तुम्हारी मर्जी है, तुम्हें मुझसे बात करनी है या नहीं। या तो अंदर आ सकते हो या फिर वापस जा सकते हो।"


     देवेश को तो अपना प्लान एग्जीक्यूट करना था चाहे कैसे भी हो इसलिए पूरी हिम्मत बना कर वह निशि के पीछे-पीछे चल पड़ा। गार्ड ने देवेश को निशि के साथ देखा था इसलिए उसने देवेश को रोकने की हिम्मत नहीं की। 


    निशी देवेश को लेकर एक तरफ चली गई जहां थोड़ी रोशनी थी लेकिन वहां पर कोई नहीं था। सारे लोग शादी की रसमें देखने में व्यस्त थे और कुछ सोने चले गए थे। शिवि की विदाई होनी थी ऐसे में जल्द से जल्द बात करके देवेश को वापस भेजना भी जरूरी था। निशी ने अपने दोनों हाथ आपस में बांधे और कहा "तुम मुझसे कुछ बात करना चाह रहे थे, बताओ क्या बात है।"


     देवेश ने अपने चारों तरफ देखा, उसे कोई नजर नहीं आया। उसे वहां कोई तो दिखना चाहिए था, कोई ऐसा जो उन दोनों के इस गुपचुप मुलाकात के बारे में अव्यांश तक खबर पहुंचा सके लेकिन निशी उसे जहां लेकर आई थी वहां तो कोई था ही नहीं। ऐसे में वह कोई गड़बड़ ना कर दे, यह सोचकर उसने अपनी आंखें बंद की और अंश की पूरी प्लानिंग अपने दिमाग में एक बार दोहराने के बाद उसने कहा "तुमने जो मेरे लिए किया, उसके लिए मैं दिल से तुम्हें थैंक यू कहता हूं। तुम अपने पति के साथ रहना चाहती हो तो इसके लिए भी मैं तुम्हें ऑल द बेस्ट कहना चाहता हूं। तुम खुश रहो बाद यही मेरी चाहत है।"


    निशि ने शक भरी नजरों से देवेश की तरफ देखा और पूछा "तुम वाकई मेरे इस फैसले से खुश हो?"


    देवेश ने जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की और कहा "मैंने कहा था ना कि हम पहले दोस्त थे उसके बाद कुछ और। माना तुम्हें मेरी बातों पर भरोसा नहीं हो रहा होगा लेकिन क्या करूं, जब तुमने मेरी लाइफ को एक मौका दिया है तो फिर मैं खुद को भी एक मौका देना चाहता हूं। यहां से जाने के बाद फिर कभी मैं तुमसे मिल नहीं पाऊंगा ना कभी तुम्हें देख पाऊंगा। तुम तो मुझे मिस नहीं करोगी लेकिन मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगा। तुम्हारे पास तुम्हारा अव्याँश होगा लेकिन मेरे पास तो कोई नहीं।"


     निशि थोड़ा सा नरम पड़ी। उसने कहा "जिंदगी किसी के लिए रुकती नहीं है देवेश। यह जिंदगी बहुत लंबी है, अकेले नहीं गुजारी जा सकती। हमें किसी न किसी की जरूरत जरूर पड़ती है। तुम भी कोशिश करना किसी का हाथ थामने की। देखना, तुम सब भूल जाओगे।"


     देवेश ने अपनी आंखों में घड़ियाली आंसू लाते हुए कहा "कोशिश करूंगा आगे बढ़ने की, किसी को अपनी लाइफ में शामिल करने की। तुमने कह दिया है तो फिर मैं इनकार नहीं करूंगा। तुम्हें भूलना मुश्किल होगा लेकिन शायद मैं यह कर सकता हूं। बस इतनी सी बात थी। मुझे अब निकलना होगा। तुम्हें देख लिया, नजर भर के देख लिया, अब और कुछ नहीं चाहिए। तुम्हारी यादें काफी है मेरे लिए। मैं चलता हूं, मेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है।" 


    देवेश वहां से जाने के लिए मुड़ा और मन ही मन कहा 'मुझे रोको निशी! मुझे रोको प्लीज!!' लेकिन निशि ने एक बार भी देवेश को रोकने की कोशिश नहीं की। वह तो इस बार पूरा मन बना चुकी थी कि अब वो अपना पिछला सब कुछ भूल कर अव्यांश के साथ रहेगी। उसके मां पापा भी खुश है तो फिर वह क्यों इस रिश्ते को खराब करके अपने मां पापा को तकलीफ पहुंचाना चाहती है? काफी सोच समझकर उसने अपना मन बनाया और देवेश की तरफ से उसने खुद को पूरी तरह विमुख कर लिया।


     वही देवेश जो चाह रहा था कि निशि उसे रोके, उसकी तरफ से कोई रिएक्शन ना मिलने पर वह खुद ही रुक गया और पलट कर निशी की तरफ देखने लगा। निशी ने देवेश को जब ऐसे देखा तो उसने पूछा "कुछ और भी कहना था तुम्हें?"


      देवेश ने अपनी पूरी एक्टिंग इकट्ठा की और पूरे इमोशन के साथ बोला "मैं कुछ मांगू तुमसे तो तुम दोगी मुझे?"


   निशि ने दिवेश को शक भरी नजरों से देखा और पूछा "क्या चाहिए तुम्हें? मैं तुम्हें कोई वादा नहीं कर सकती।"


     देवेश ने मुस्कुरा कर कहा "घबराओ मत, ऐसा वैसा कुछ नहीं मांग रहा। जो मांग रहा हूं वह शायद तुम दे पाओ।"


     निशी ने अपने आसपास देखा, वहां कोई नहीं था। अभी तक तो उन दोनों को किसने देखा नहीं था लेकिन कोई देख ना ले इस बात का थोड़ा डर उसके खुद के मन में भी था। इसलिए वह देवेश को जल्द से जल्द यहां से बाहर भेजना चाह रही थी। निशी ने पूछा "तुम सीधा-सीधे बताओगे तुम्हें क्या चाहिए? या तो साफ-साफ बताओ या फिर यहां से चले जाओ।"


     देवेश ने कहा "मैं क्या तुम्हें एक बार, सिर्फ एक बार गले लगा सकता हूं?"


      यह सुनकर निशि की आंखें हारने से फैल गई। इससे पहले कि वह कुछ कहती, देवेश ने कहा "देखो मैं तो बस तुम्हारी यादें अपने साथ ले जा रहा हूं। इसके बाद फिर कभी तुम्हें अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा। बस एक आखरी बार। क्या अपने दोस्त को तुम ऐसे ही विदा कर दोगी? सिर्फ एक बार! हमारे बीच जो कई सारी अच्छी यादें है, उनमें मैं इस एक पल को भी शामिल करना चाहता हूं।"


    निशी ने अब तक अपना मन कर करके रखा था लेकिन देवेश के इमोशनल चेहरे ने उसको भी नरम पड़ने पर मजबूर कर दिया। अब तक जो निशि के चेहरे पर एक्सप्रेशन थे, उनमें अचानक होते बदलाव को देखकर देवेश समझ गया कि वह अपने प्लान में कामयाब हुआ है। फिर भी थोड़ा घबराते हुए वह आगे बढ़ा और जाकर निशि को गले से लगा लिया।


     देवेश की करीबी निशि को बहुत अनकंफरटेबल कर रही थी, लेकिन देवेश! उसके दिमाग में जो चल रहा था निशि उस बारे में सोच भी नहीं सकती थी। जो देवेश अब तक इमोशनल हुआ आंखों में आंसू लिए खड़ा था, उसके होठों पर एकदम से शैतानी मुस्कुराहट आ गई। यही तो चाहता था वह। यही तो वह दिखाना चाहता था अव्यांश को। भले ही अंश और लावण्या चुपके से उन दोनों की तस्वीर लेने में लगे हुए थे लेकिन यह सब कुछ अव्यांश ने अपनी आंखों से देखा।


     अव्यांश तो वहां प्रेरणा और पार्थ को ढूंढने आया था लेकिन यह सब कुछ उसे देखने को मिलेगा, ये उसने सपने में भी सोचा नहीं था। बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आंखों में आई नमी को छुपाया और वहां से चला गया।


     अब कैसे निशि अव्यांश के इस गलतफहमी को दूर करेगी? क्या निशी को कभी पता चल भी पाएगा कि उसके साथ क्या धोखा हुआ है? और आखिर कब तक दोनों के बीच यह दूरियां बनी रहेगी?



कहानी तीन किरदारों की जिसकी अपनी ही एक अलग दुनिया है। रक्षित, रौनक और सूची। रक्षित और रौनक बिजनेस राईवल है जो कभी स्कूल में दोस्त हुआ करते थे लेकिन आज उन दोनों को देखकर कोई यह नहीं कह सकता। बिजनेस वर्ल्ड में दोनों के झगड़े आम थे। दोनों की राहें जुदा थी लेकिन मंजिल एक। लेकिन इस सब के बीच सूची कहां से आई? भोली भाली मासूम अल्हड़ सी सूची क्या इन दोनों के नफरत की बलि चढ़ जाएगी? या दोनों के बीच का दोस्ती का वह पुराना रिश्ता लौट आएगा? क्या सूची, रक्षित और रौनक को साथ लाने में कामयाब हो पाएगी या उसकी खुद की जिंदगी दांव पर लग जाएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Kehte Hai Pyaar Kise?" सिर्फ "Pocket Novel" पर।

Click now👉 कहते हैं प्यार किसे?

टिप्पणियाँ

  1. मेम निशी और अव्यांश के बीच की चूहे बिल्ली की दौड़ खत्म होगी या स्टोरी के एंड तक चलेगी या दोनों को अलग ही करके रहेंगी आप

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274