सुन मेरे हमसफर 281

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   नेत्रा परेशान होकर इधर-उधर टहलने के बाद वापस जाकर इस बॉक्स में बैठ गई जहां निर्वाण ने उसे बंद करके रखा था। उसे इस तरह बैठे देख कुहू को हंसी आ गई और वह ठहाके मार कर हंस पड़ी। नेत्रा ने थोड़ा झेंपते हुए कहा "नीचे फर्श गंदा है मेरे कपड़े खराब हो जाएंगे और यहां बैठने के लिए भी कुछ नहीं है। तुम क्यों इतना हंस रही हो? तुम खुद भी तो डब्बे के अंदर ही हो।"


     कुहू ने हंसते हुए कहा "फर्श गंदा है, सीरियसली? पूरे फर्श पर कारपेट बिछा हुआ है। मैं तो यहां आराम से सो सकती हूं।"


    नेत्रा ने भी चिढ़ कर जवाब दिया "हां तो सो जाओ ना किसने रोका है तुम्हें? मेरी तो किस्मत ही खराब है जो मैं मुझे तुम्हे झेलना पड़ रहा है। अगर मुझे बंद ही करना था तो किसी और कमरे में रखते लेकिन तुमसे अलग। अपने भाई पर मुझे भरोसा ही नहीं करना चाहिए था। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इसका प्लान क्या है? तुम यहां हो मैं यहां हूं नीचे बारात खड़ी है, आखिर उसने ऐसा किया क्यों? तुम्हें एहसास भी है इस वक्त घर वालों की कितनी इंसल्ट हो रही होगी! बारात खाली हाथ वापस चली जाएगी, उसके बाद जो तुम्हारे परिवार की बदनामी होगी तो अलग, तुम्हारी होगी उसके बारे में तो कोई सोच भी नहीं सकता और तुम्हें तो हंसी आ रही है! भगवान तुम्हारे जैसी बेटी किसी को ना दे।"


    कुहू हंसते हुए चुप हो गई। उसने नेत्रा की तरफ घूर कर देखा और बड़ी शांति से जवाब दिया "भगवान तुम्हारे जैसी बेटी भी किसी को ना दे। तुम जो करने जा रही थी क्या वह सही था? दुल्हन को किडनैप करके खुद उसकी जगह मंडप पर बैठना, यह तो बड़े संस्कारवान टाइप काम था ना तुम्हारा? और रही बात मेरे हंसने की तो मैं जानती हूं नीचे क्या हो रहा होगा और यह सब कौन करवा रहा होगा तो तुम मुझे ज्ञान ना दो तो बेहतर है।"


    नेत्रा ने हैरानी से पूछा "तुम्हें पता है नीचे क्या हो रहा है?" 

 

    कुहू मुस्कुरा कर कहा "बिल्कुल मुझे अच्छे से पता है कि नीचे क्या हो रहा है। तुम्हें लगता है मैं झूठ बोल रही हूं?"


    नेत्रा उसका मजाक उड़ाने वाला लुक दिया तो कुहू ने कहा "तुम्हें मुझ भरोसा नहीं है ना तो जाकर अपनी मॉम से ही पूछ लेना। इस सब में चित्रा मॉम भी उतनी ही इंवॉल्व है जितना कि तुम और मैं। हमारे अलावा और कौन है, यह मुझे समझ नहीं आ रहा अगर वह नीरू और अंशु नहीं है तो!"


    अपनी मां का नाम सुनकर नेत्रा चौक गई। उसने पूछा "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है? मॉम को इस सब में शामिल क्यों होना था और करने क्या वाली थी तुम? प्लान क्या था तुम्हारा?"


    कुहू उठकर बैठ गई और बहुत ही शांति से जवाब दिया "प्लान अकेले मेरे का नहीं था, प्लान था मेरा और चित्रा मॉम का। तुमने तो बस मेरा काम आसान कर दिया। मुझे शादी करनी ही नहीं थी।"


    नेत्रा को कुहू की बात पर यकीन नहीं आया। उसने पूछा "सच में? तुम्हें शादी नहीं करनी थी तो तुम दुल्हन के जोड़े में यह क्या कर रही थी? अगर तुम्हें भागना था या इनकार करना था तो तुम्हारे पास और भी कई मौके थे, तुम तब कर सकती थी तो फिर अब क्यों? मुझे बेवकूफ समझ रही हो तुम?"


     कुहू ने मुस्कुरा कर कहा "अभी-अभी शायद तुमने ही रिलाइज किया कि तुम कितनी बड़ी बेवकूफ हो। नीरू तुम्हें उल्लू बनाकर चला गया और तुम बन भी गई कितनी आसानी से, सच में! और तुम मुझ पर डाउट कर रही हो?"


     नेत्रा ने पूछा "अगर ऐसा है तो बताओ तुमने आज ही का दिन क्यों चुना था भगाने के लिए? मुझे अच्छे से पता है यह सब सिर्फ तुम्हारे बहाने हैं और कुछ नहीं।".

 

    कुहू अपने बॉक्स से बाहर निकली और इधर-उधर टहलते हुए कहा "मैं कुणाल से शादी करना चाहती थी क्योंकि मैं कुणाल से प्यार करती हूं। तुम भी कुणाल से शादी करना चाहती थी क्योंकि तुम भी कुणाल से प्यार करती हो लेकिन कुणाल किसे प्यार करता है क्या तुम जानती हो?"


    नेत्रा ने सवालिया नजरों से कुहू की तरफ देखा कुहू ने मुस्कुरा कर कहा "जिससे वह प्यार करता है उसे मैं भी बहुत पसंद करती हूं। तुम सोच भी नहीं सकती उस वक्त जब मुझे पता चला था मुझे कैसा लगा होगा। तकलीफ भी हुई तो खुशी भी हुई।" कुहू के होठों पर भले मुस्कान थी लेकिन आंखों में नमी उतर आई।




      दूसरी तरफ शिवि और कुणाल की शादी की एक-एक रस्म होती जा रही थी। अव्यांश खुश था लेकिन उसकी नज़रें बार-बार इधर से उधर जा रही थी। उसने देखा खतरे वाली कोई बात नहीं है। निर्वाण कई नजर नहीं आ रहा था। अव्यांश ने पहले ही निर्वाण को किसी काम से बाहर भेजा था और सख्त हिदायत दी थी कि सुबह से पहले वह वापस ना आए क्योंकि इस सारे कांड में सबको उस पर शक है तो बचने के लिए उसका छुपना जरूरी था। बात दरअसल यह थी कि अगर निर्वाण कुनाल की शादी शिवि से होते देखा तो जरूर हंगामा करता इसलिए उसका दूर जाना जरूरी था।


     सारांश ने अव्यांश के कंधे पर हाथ रख तो अव्यांश थोड़ा घबरा गया। उसने पलट कर अपने डैड को देखा और राहत की सांस लेकर बोला था "आप? अपने तो मुझे डरा ही दिया था।"


     सारांश ने बिना अव्यांश की तरफ देखें कहा "क्यों? तुम डर क्यों गए थे? डरते तो वह है जिसके मन में चोर होता है। तुम्हारे मन में भी कोई चोर है क्या?"


    अव्यांश ने तिरछी नजरों से अपने डैड की तरफ देखा। उनसे झूठ बोलने या कोई बात छुपाना अव्यांश के लिए मुश्किल काम था और सारांश के होठों पर जो मुस्कान थी उसे देखकर अव्यांश समझ गया कि उसकी चोरी पकड़ी गई है फिर भी उसने अपने आप को सही साबित करने की कोशिश की और कहा "नहीं डैड, आप भी ना! अब ऐसे कोई अचानक से कंधे पर हाथ रखेगा तो कोई भी डर जाएगा। आप भी पता नहीं क्या-क्या कहते रहते हैं और पता नहीं क्या सोच लेते हैं।"


    अपने बेटे की आवाज में सभी हल्की सी घबराहट को सारांश ने कभी न पकड़ा हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। उन्होंने मुस्कुरा कर कहा "बेटा, बाप है हम तुम्हारे। हमसे छुपाओगे? नेत्रा को कमरे में बंद करके रखा है तुम लोगों ने और कुहू भी उसके साथ है।" अव्यांश अपनी नज़रे चुराने लगा। सारांश ने अव्यांश की बांह पकड़ी और खींचकर उसे अपने साथ ले गए।



    एक साइड जाकर अव्यांश ने पूरी बात सारांश को बता दी तो सारांश ने पूछा "वैसे तो मुझे उसी वक्त समझ में आ गया था जब तुमने अपने दोस्त का नाम लेकर मुझसे सवाल किया था। फिर भी मैं चाहता था कि तुम साफ-साफ आकर मुझसे बात करो। इतना बड़ा फैसला लेने से पहले तुम लोगों ने एक बार भी हम में से किसी बड़े से बात करने की कोशिश नहीं की, क्यों? और शिवि की लाइफ का इतना बड़ा डिसीजन लेने से पहले क्या तुम लोगों ने एक बार भी उससे पूछा?"


     अव्यांश ने पूरे कॉन्फिडेंस से जवाब दिया "डैड! मैंने जो भी किया वह सब ऐसे ही नहीं था। मैं भी कुणाल को पसंद नहीं करता लेकिन कुछ बातें ऐसी हुई कि मैं उसके बारे में सोचने पर मजबूर हो गया। रही बात शिवि दी की तो मैं जानता हूं वह भी कुणाल को पसंद करती है। इस बारे में मैं क्लीयरली आपको कैसे समझाऊं? उन्होंने कभी एडमिट नहीं किया लेकिन अब मैं आपको कैसे समझाऊं, आप लोग जानते हो ना किसी के कुछ भी कहने से शिवि दी कभी तैयार नहीं होती। इस रिश्ते के लिए भी मैंने उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की, बस कुछ सच्चाई से उन्हें अवगत कराया इससे ज्यादा और कुछ नहीं। आखिरकार उन्होंने बिना कहे यह एक्सेप्ट कर लिया कि वह भी कुणाल को पसंद करती है।"


  सारांश ने पूछा "और कुहू का क्या? उसे कैसा लगेगा?"


    अंशु ने कहा "अगर शादी के बाद कुहू दी को इस बारे में सच्चाई पता चलती तब उन्हे कितना बुरा लगता! कुणाल हमारी कुहू दी से प्यार नहीं करता, ये बात मुझे अच्छे से पाया था। मैंने जो कुछ भी किया बहुत सोच समझ कर किया। अपने बेटे पर इतना तो भरोसा रखिए कि वह अपनी बहनो के साथ कुछ गलत नही होने देगा। और कुणाल को लेकर लड़ाई तो कुहू दी और नेत्रा के बीच में थी। जब कुणाल उन दोनों में से किसी का नहीं होगा तो शायद उन दोनों के बीच की जो दीवार है, वो थोड़ी छोटी हो जाए।



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मुझे लगा था कि तुम सूची के सबसे अच्छे दोस्त हो, एट लिस्ट तुम तो उसका साथ दोगे और उसे प्रोटेक्ट करोगे। लेकिन जब मैंने मेरी पत्नी की आंखों में आंसू देखा तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ। अब मैं भी देखता हूं कि मेरे रहते मेरी पत्नी पर कौन उंगली उठाता है।" Click below 

कहते है प्यार किसे? Ch 23

टिप्पणियाँ

  1. Hmm 🤔 akhir ab sab clear hua ।kisne kya Kiya ।vaise aapki sabhi kahaniya mazedaar hoti hai।eska pahla part bhi bahut pyara tha aur ye bhi badhiya chal rahi hai।

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