सुन मेरे हमसफर 278

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    अव्यांश और प्रेरणा भागते हुए उस और बढ़ने लगे जहां सारे घर वाले इकट्ठा थे। प्रेरणा को एक बात खटकी। उसने अव्यांश की बांह पकड़ कर रोक लिया और पूछा, "अंशु! तुम्हारे इस पूरे प्लान में निर्वाण के अलावा और भी कोई शामिल था क्या?"


     अव्यांश ने अच्छी तरह सोच समझ कर जवाब दिया "नहीं! ये प्लान तो उसे मेरे और नीरू के बीच में था और इस बारे में ना मैंने किसी और से कुछ कहा ना हीं नीरू ने। तुम वह तीसरी हो। यहां तक की नेत्रा को धोखे में रखा गया। लेकिन तुम क्यों पूछ रही हो?"


     प्रेरणा ने अपना शक जाहिर करते हुए कहा "तुम्हें कुछ गड़बड़ नहीं लग रहा? मतलब, कुहू गायब होना समझ में आता है लेकिन सिर्फ हम तीनों को। उसे गायब करने वाले नीरू और नेत्रा थे लेकिन कुहू की चिट्ठी का मिलना और चित्रा आंटी का इसको कंफर्म करना, तुम्हें कुछ अजीब नहीं लग रहा? उस पर से भी शादी के लिए शिवि को चुनना। इतने सबसे अलग हटकर अगर सोचा जाए तो चित्रा आंटी को काव्या आंटी की जैसे कुहू के गायब होने से कोई परेशानी नहीं है। वह कहां है किस हाल में है इस बात से उन्हें कोई टेंशन नहीं है। ऊपर से नेत्रा भी मिसिंग है लेकिन उसे कोई ढूंढ नहीं रहा। चित्रा आंटी को अपनी बेटी के बारे में थोड़ी सी भी चिंता नहीं है। सोच कर देखो, सब कुछ इतना आसान है क्या?"


    अव्यांश ने इस बारे में सोचते हुए कहा "तुम्हारा कहना भी सही है। कुहू दी के नाम से चिट्ठी लिखना हमारे प्लान में नहीं था। चित्रा बुआ का कहना है कि राइटिंग कुहू दी की है और वह पहले से प्लान करके बैठी थी। उससे भी हैरानी की बात ये है कि कुहू दी ने वो चिट्ठी ऐसी कौन सी जगह छोड़ी थी कि हम में से किसी को नहीं मिला? हम सबने हर जगह को अच्छे से देखा था। कोई ना कोई तो है जो इस पूरे प्लान में हमारा साथ दे रहा है लेकिन कौन? आखिर इस बारे में किसको पता हो सकता है? खैर जो भी हो, सब कुछ सही जा रहा है तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।"


     प्रेरणा ने अव्यांश को याद दिलाया "अभी तक सब सही जा रहा था लेकिन अब नहीं। तुमने शायद सुना नहीं, शिवि ने शादी के लिए मना कर दिया है।"


    अव्यांश ने मुस्कुरा कर पूरे कॉन्फिडेंस से कहा "वो मान जाएंगे।"


     अव्यांश और प्रेरणा आगे बढ़े तो उन्हें एक तरफ कुणाल खड़ा दिखाई दिया। सिर झुकाए, एक तरफ न जाने वह क्या सोच रहा था। अव्यांश ने कुणाल के कंधे पर हाथ रख तो कुणाल चौंक गया। उसके मुंह से निकला "अव्यांश तुम? वह मैं.....!"


     अव्यांश ने कुणाल का कंधा धीरे से थपथपाया और कहा "तुम्हे नही लगता कि यह सही मौका है जब तुम अपने दिल की बात कह दो?"


    कुणाल ने हैरानी से अव्यांश की तरफ देखा और पूछा "तुम कहना क्या चाहते हो?"


   अव्यांश मुस्कुराया और बोला "घर वाले शिवि दी को तुम्हारे साथ मंडप में बैठाना चाहते हैं लेकिन........"


   "......... लेकिन शिवि ने इनकार कर दिया है।" कुणाल ने अव्यांश की बात पूरी की।


     अव्यांश ने आगे कहा "मैं जानता हूं, इसलिए कह रहा हूं। एक बार अपने दिल की बात उन्हें कह कर तो देखो, शायद वह मान जाए।"


     इस बार कुणाल मुस्कुरा दिया और बोला "तुम चाहते हो कि इस सिचुएशन में, जहां सब कुछ इतना बिखरा हुआ है, कुहू मिसिंग है नेत्रा मिसिंग है ऐसे में मैं शिवि को यह बताऊ कि मैं उससे प्यार करता हूं? नहीं अव्यांश! इतना भी सेल्फिश नहीं हूं मैं। जस्ट बिकॉज कि घरवाले यह चाहते हैं तो घर वालों के साथ-साथ मैं भी शिवि पर यह प्रेशर डालूं कि वह मुझसे शादी कर ले, क्या यह सही होगा? क्या शिवि के मन में यह बात गांठ बनकर नहीं रह जाएगी कि मैंने उसकी बहन के गायब होने का फायदा उठाया? जो बात मैंने कभी नहीं की, वह मैंने बात कहने के लिए मैंने ऐसे मौका का फायदा उठाया जब उसके पास कोई ऑप्शन नहीं था? नहीं अव्यांश! अगर शिवि भी मुझसे शादी करना चाहती है तो यह उसकी अपनी मर्जी से होगा, किसी के दबाव में आकर बिल्कुल नहीं। वह अपनी खुशी से मेरा हाथ थामें, ना कि किसी मजबूरी से। और अगर वह मेरा हाथ थामें तो उसके मन में भले ही हजारों सवाल हो लेकिन कोई गांठ न रहे। प्यार तो धीरे-धीरे हो ही जाएगा उसे मुझसे, इतना तो मैं गारंटी से कहता हूं। लेकिन उसे पर कोई दबाव नहीं डालेगा। मैं घर वालों को रोक नहीं सकता लेकिन तुम्हें तो समझा सकता हूं! अपनी फैमिली को समझो कि यह फैसला शिवि के पूरी लाइफ का है और यह फैसला बिना किसी दबाव के उसे लेना चाहिए।"


     कुणाल के इतनी समझदारी भरी बातों को सुनकर प्रेरणा इंप्रेस हुए बिना ना रह पाई। उसने अव्यांश की तरफ ऐसे देखा कि अव्यांश भी उसके मन की बात समझ गया। अव्यांश ने कुणाल के कंधे पर धीरे से थपकी दी और वहां से चला गया। पीछे खड़ी प्रेरणा कुणाल के साथ ही रही। उसने कहा "डॉन'ट वरी सब ठीक हो जाएगा। अपना अंशु है ना, वह सब ठीक कर देता है.एल।"


   " काश ऐसा ही हो।" कहते हुए कुणाल मुस्कुरा दिया।





     सारे घर वाले परेशान से इधर से उधर टहल रहे थे। श्यामा अपनी बेटी के लिए बहुत ज्यादा परेशान थी। उन्होंने सिद्धार्थ से कहा "आपको नहीं लगता हमारी बेटी के साथ कुछ गलत हो रहा है?"


    सिद्धार्थ ने श्यामा को कंधे से थामा और अपने सीने से लगाकर कहा "आप क्यों परेशान हो रहे हो! हमारी शिवि के साथ कभी कुछ गलत नहीं होगा। भगवान ने कभी उसके साथ कुछ गलत नहीं होने दिया तो अब कैसे होने देंगे? और हम सब है ना उसे संभालने वाले! मुझे पता है, इनफैक्ट हम सब जानते हैं कि इस वक्त कंडीशन कैसी है। ऐसी हालत में हम क्या ही कर सकते हैं! सोनू छोटी है पर वह किसी को पसंद करती है। काया की तो अभी कल ही शादी तय हुई है। नेत्रा ना जाने कहां है। अगर वह होती तो हम कभी शिवी को इस सब के बारे में पूछते ही नहीं। नेत्रा कुणाल को पसंद करती है ये बात हम सब जानते हैं। भले ही उसने खुलकर कुछ ना कहा हो लेकिन कुणाल को लेकर उसके और कुहू के बीच तनातनी हम सब ने महसूस की है।"


      श्यामा बहुत ज्यादा परेशान थी। क्योंकि उन्हें अच्छे से पता था कि कुणाल किसी और से प्यार करता है। कोई है उसकी लाइफ में। कोई ऐसा जिससे वह बहुत शिद्दत से ढूंढ रहा है लेकिन कुहू से सगाई होने के बाद उसने अपनी हर उम्मीद छोड़ दी थी ताकि वह अपनी मंगेतर के साथ पूरा न्याय कर सके। यही वजह थी कि श्यामा कुणाल को पसंद करने लगी थी लेकिन शिवि के साथ कुणाल का रिश्ता उनके मन को बेचैन कर रहा था। उन्होंने कहा "सिद्धार्थ जी! अगर हम कहीं से भी नेत्रा को ढूंढ लाए तो? अगर नेत्रा आ गई तब तो कोई शिवि को शादी के लिए नहीं कहेगा?"


    सिद्धार्थ सोच में पड़ गए। सारांश वहीं खड़े सब सुन रहे थे और अवनी परेशान सी काव्या को संभालने में लगी हुई थी। सारांश ने आगे आकर श्यामा से कहा "आप बिल्कुल ठीक कह रही है भाभी! नेत्रा को हम ढूंढ ले तो शिवि को इस बारे में कोई कुछ नहीं कहेगा। ये उसकी अपनी जिंदगी है, उसका अपना फैसला है। अब तक वह अपने सारे फैसले खुद लेती आई है इतना बड़ा फैसला हम कैसे उसके ऊपर जबरदस्ती थोप दें! आप परेशान मत होइए और जाकर शिवि को संभालिए, उसे आपकी जरूरत है। चित्रा अभी उसी के पास है उसके कमरे में।"


     श्यामा तेज कदमों से शिवि के कमरे की तरफ दौड़ पड़ी।


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