सुन मेरे हमसफर 194

 


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    कुहू अपने कमरे में तैयार हो रही थी। नीचे से आई आवाजे उसके कान में भी पड़ रही थी और वह जल्दी-जल्दी अपने कपड़े को ठीक करने में लगी हुई थी। उसकी चित्रा मॉम नीचे आई थी और उसे जल्दी से जल्दी उनके पास जाना था, और इसी हड़बड़ी में वह बार-बार साड़ी पहनने में गलती कर रही थी। उसकी प्लेट ठीक से बैठी नहीं रही थी।


     इतने में नेत्रा बिना नॉक किए उसके कमरे में घुसी और बोली "मैं हेल्प कर दू?"


    उसकी आवाज सुनकर ही कुहू का मूड खराब हो गया, लेकिन इस वक्त वो उससे कोई बहस नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने नेत्रा को देखकर भी अनदेखा कर दिया। नेत्रा उसके पास आई और साड़ी के प्लेट को ठीक करते हुए बोली "हर काम हम अकेले नहीं कर सकते और हर काम वैसे ही हो जैसे हम चाहते हैं, यह जरूरी तो नहीं। कभी-कभी हमें लगता है हम जीत जायेंगे लेकिन फेल हो जाते हैं।"


    कुहू ने नेत्रा को घूर कर देखा। नेत्रा बिना देखे ही ये महसूस कर सकती थी। वह मुस्कुरा कर बोली "ऐसे मत देखो वरना तुम्हें मुझसे प्यार हो जाएगा। तो फिर बेचारे कुणाल का क्या होगा?" फिर अपने ही दांतों तले जीभ दबा कर बोली "मैं तो भूल ही गई थी, कुणाल तो तुमसे प्यार ही नहीं करता। वह तो खुश ही हो जाएगा अगर यह रिश्ता टूट गया तो।"


    कुहू कुछ भी रिएक्ट कर पाती लेकिन उसी वक्त चित्रा कमरे में आई और कूहू और नेत्रा को एक साथ देकर वही दरवाजे पर खड़ी हो गई। अब कुहू चित्रा के सामने नेत्रा के साथ बहस नहीं कर सकती थी इसलिए उसने नेत्रा का हाथ झटका और जाकर चित्रा से लिपट गई।


  "मॉम! पता है कब से इंतजार कर रही थी मैं आपका! लेकिन आपको आप फुर्सत मिल रही है आने की। पता है कल मेरे और कुणाल की शगुन की रस्म हुई। आपको होना चाहिए था वहां। लेकिन नहीं! आप तो अपना हनीमून एंजॉय करो।"


     चित्रा हंसते हुए बोली "वो तो है। हनीमून तो मैंने इंजॉय किया और सच में काफी अच्छा वेकेशन रहा। मैं तो कहती हूं शादी के बाद तुम और कुणाल भी ऐसे ही वेकेशन पर जाकर आया करो।"


   कुहू भी नेत्रा को सुना कर बोली "बिल्कुल मॉम! बस अब हमारी शादी हो जाए, उसके बाद तो वैकेशन ही वेकेशन मनाऊंगी और आपके जैसे ही हैप्पी लाइफ जिऊंगी अपने कुणाल के साथ। वैसे आपने देखा, कुणाल के लिए जो मॉम ने सूट डिजाइन करवाया है?"


     नेत्रा वहां रुकी नहीं और कमरे से बाहर निकल गई। चित्रा ने उसे आवाज लगाई "अरे रुक तो, कहां जा रही है?" लेकिन नेत्रा ने उसकी आवाज नहीं सुनी। कुहू उसका हाथ पकड़ कर बोली "जाने दो ना मॉम! होगा कुछ काम इसलिए गई है। आप तो मेरे साथ रहो। मैं दिखाती हूं आपको अपना मेकअप बॉक्स।"


   कुहू अंदर की तरफ आई तो चित्रा ने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। कुहू ने चौक कर पीछे पलट कर देखा तो चित्रा गंभीर आवाज में बोली "क्यों कर रही है यह सब? जहां रिश्ते में प्यार नहीं होता वहां कभी खुशियां नहीं मिलती।"


     कुहू समझ गई कि नेत्रा ने चित्रा को उसके बारे में सब बता दिया है। चित्रा बोली "मैं आना चाहती थी। मैं बहुत पहले आना चाहती थी लेकिन कुछ जरूरी काम था इसलिए मुझे थोड़ा वक्त लग गया। लेकिन तू क्यों जिद कर रही है? अभी भी देर नहीं हुई।"


    कुहू मुस्कुरा कर बोली "मॉम! प्यार तो शादी के बाद भी हो सकता है ना! और मैं कोई पहली लड़की तो हूं नहीं जिसकी शादी बिना प्यार के हो रही है। हम दोस्त हैं और ओवियस्ली वह मुझे प्यार करता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि शादी के बाद वह मुझे टॉर्चर करेगा या जरा सभी खुश होने का मौका नहीं देगा। फिर धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।"


     चित्रा गहरी सांस लेकर बोली "शिवि बिल्कुल ठीक बोल रही थी तुझे समझाना इतना आसान नहीं है।"


     कुहू पहले तो चौंक गई। उसे लगा था ये सब नेत्रा ने बताया होगा लेकिन..........। वो अपने अलमारी की तरफ बढ़ी और उसके अंदर कुछ ढूंढते हुए बोली "जब समझाना मुश्किल हो तो फिर कोशिश नहीं करना चाहिए। आपको क्या लगता है, अगर मुझे यहां से पीछे हटना होता तो क्या बात यहां तक आने देती? मैं जानती थी, सब कुछ जानती थी। लेकिन मैं भी तो कुणाल की दोस्त हूं। उसके लिए कुछ अच्छा ही सोचूंगी।"


     चित्रा कुछ बोल नहीं पाई। कुहू की आंखों में उसे कुछ अलग ही नजर आ रहा था। वह खुश भी थी और नहीं भी।





*****




     अव्यांश की नजरे बार-बार दरवाजे पर जा रही थी। सारांश ने इस बात को नोटिस किया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोले "सोनू के साथ आती ही होगी। उससे बात कर लेना, सब कुछ शार्ट आउट हो जाएगा। झगड़े को ज्यादा देर तक नहीं खींचा जाता। जितनी जल्दी हो सके उन्हें निपटा दिया जाता है।"


     अव्यांश समझ रहा था उसके डैड क्या कह रहे हैं लेकिन वह कैसे बताता कि निशी की आंखों में उसने क्या देखा था। उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी निशी का सामना करने की। इसलिए अपने डैड से नजर चुराते हुए वह सबसे बोला "मैं जाकर एक बार शादी का वेन्यू देख लेता हूं। वहां से फोन आया था। डेकोरेशन को लेकर कुछ चेंजेज करने हैं।"


   निक्षय उसे रोकते हुए बोले, "कुछ ही देर में हल्दी की रस्म होनी है, उसके बाद चले जाना। अभी रुक जा।" लेकिन अव्यांश रुक नहीं और चला गया। कुछ देर बाद उसे भी तो तैयार होकर आना था।


    अव्यांश बहाने से तो निकला था लेकिन एक बार शादी की वेन्यू से घूम कर आकर उसने घर के बाहर गाड़ी रोक दी। घर के अंदर जाने से पहले वह कंफर्म होना चाहता था कि निशि वहां है या नहीं।सुहानी को फोन करता लेकिन वो ढोल थी। सबके सामने चिल्लाकर बात करती। तो उसने सिक्योरिटी को कॉल किया और पूछा तो सिक्योरिटी ने बताया कि निशि और सुहानी एक साथ कुछ देर पहले ही निकली है। फाइनली अव्यांश करके अंदर चला गया।



     वही निशी भी तैयार होकर कुहू के घर पहुंची, इस उम्मीद में कि अव्यांश उसे मिलेगा और उससे बात कर पाएगी। अभी भी काफी सारे सवाल थे जिसका जवाब उसे नहीं मिला था और जिसका जवाब सिर्फ अव्यांश के पास था। और कल थोड़ी ज्यादा बदतमीजी कर दी थी उसने तो उसके लिए माफी भी मांगनी थी लेकिन बाकी बातो का क्या?


    क्या हो रहा है और क्या होने वाला है यह कोई नहीं जानता। क्या आपको पता है?

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