सुन मेरे हमसफर 193

 193





      सुबह-सुबह सुहानी ने निशी को जगाया। वह अव्यांश को इंतजार करते हुए वही बिस्तर के सिरहाने टेक लगाकर सो गई थी। उसे ऐसे सोते देख सुहानी को बहुत हैरानी हुई। उसने पूछा "क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों सो रही हो?"


     निशि कुछ कह नहीं पाई। उसने कमरे में चारों तरफ देखा लेकिन अव्यांश के वहां होने का कोई कोई निशान नहीं था। 'मतलब वह कल रात घर नहीं आया? या फिर आया लेकिन किसी और कमरे में है?' वह कुछ पूछ पाती उससे पहले ही सुहानी अपने सर पर हाथ मार कर बोली "हे भगवान! लगता है किसी ने तुम्हें बताया नहीं। डैड भी ना! उम्र हो गई है उनकी, भुलक्कड़ हो गए हैं।"


   निशी ने सवालिया नजरों से सुहानी को देखा तो सुहानी बोली "वह क्या है ना, डैड ने बताया आज सुबह ही कि अंशु कल रात को कुहू दी के घर पर रुक गया था। अर्ली मॉर्निंग से ही सारे अरेंजमेंट देखने थे। वेडिंग प्लानर वाले ने जो भी किया है, जब तक खुद से ना देखे तो अजीब लगता है। कब कहां यह लोग गड़बड़ कर दे कह नहीं सकते। इसलिए अंशु वहीं रुक गया ताकि सुबह-सुबह उसे यहां से उठकर जाना ना पड़े। तुम उठो और जल्दी से तैयार हो जाओ। हमें भी वहां के लिए निकलना है।"


     निशि को थोड़ी मायूसी हुई। कल से उसने अव्यांश को नहीं देखा था, ना ही उससे बात हुई थी। लेकिन एकदम से अपने दिमाग से झटक कर बोली 'मुझे क्या! मुझे तो खुश होना चाहिए।' 


    निशी उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी। इतने में अवनी भी कमरे में चली आई और निशी को उसके कपड़े देकर बोली "आज हल्दी के रस्म है, इसलिए यह पहन लेना। तुमने कोई कपड़े डिसाइड करके तो नहीं रखे थे ना?"


    निशी ने इनकार में सर हिला दिया तो अवनी खुश होकर बोली "ठीक है, बहुत अच्छा। वो क्या है ना दिदू ने सबके लिए कपड़े पहले ही तैयार करवा दिए थे। मैं कल रात देने वाली थी लेकिन दिमाग से उतर गया।"


     सुहानी अपनी ही मां का मजाक उड़ाते हुए बोली "उमर हो गई है, आपकी भी और आपके उनके भी। दोनों भुलक्कड़ है, परफेक्ट जोड़ी है दोनों की।"


     अवनी ने नाराजगी से सुहानी की तरफ देखा तो सुहानी बोली "ऐसे मत देखो। कल आपने कपड़े देना था लेकिन भूल गई और डैड! उन्हें निशि को बताना था कि अंशु घर नहीं आएगा लेकिन वह भूल गए। यह बेचारी, अंशु का इंतजार करते-करते ऐसे ही यहां बैठे-बैठे सो गई। अभी जाकर उनकी खबर लो आप।"


     अवनी बोली "तेरे पापा की खबर तो बाद में लूंगी, पहले तो निशि! तुम जाकर अंशु की खबर लेना। यह बात वह खुद भी तुमसे कह सकता था। किसी और से खबर भिजवाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। छोड़ना मत उसे।"


     अवनी हंसते हुए वहां से चली गई। सुहानी ने निशी के कपड़े निकाल कर बेड पर रखे और अपने आप में ही बड़बड़ाने लगी "अंशु मासी के घर चला गया लेकिन इतनी कल ही जाने की क्या जरूरत थी? वह सुबह यहां से उठकर भी तो जा सकता था! पता नहीं, बहुत अजीब हो गया है वह। कभी तो कहता है कि अपने बेड के अलावा उसे कहीं नींद ही नहीं आती और कभी........! उसके मूड का कुछ पता नहीं चलता। मॉम ने बिल्कुल ठीक कहा है, जाकर अच्छे से क्लास लेना उसकी। अटलीस्ट तुम्हें बता सकता था।"


    निशि को भी इस बात का बुरा लगा। उसने टॉवल लिया और बाथरूम में घुस गई। अपना गुस्सा शायद भूल गई थी। निशि की कुछ जरूरी सामानों को एक तरफ रखकर सुहानी भी तैयार होने चली गई।


   उधर अव्यांश चित्रा निक्षय नेत्रा और निर्वाण चारों को लेने एयरपोर्ट गया था। सुबह उठकर उसने तैयार होना भी जरूरी नहीं समझा था। निक्षय ने अव्यांश को देखते ही ताना मारा "अब लग रहे हो दुल्हन के भाई। हालत देखो अपनी।"


 चित्रा थी ही अलबेली। उससे तो अपनी हंसी कंट्रोलिंग नहीं होती थी, सो इस बार भी नहीं हुई और वह जोर से हंस पड़ी। अव्यांश ने नाराज होकर चित्रा की तरफ देखा और निक्षय से बोला "अब दुल्हन का भाई हूं तो भाई ही लगूंगा ना! अब अपनी देख लो!"


    निक्षय सीना फुला कर बोले "ओए! मैं आज भी जवान हूं। कौन रहेगा मेरे दो बच्चे हैं। दोनों भाई-बहन लगते हैं मेरे।"


     निर्वाण एकदम से साइड होकर चित्रा के पास खड़ा हो गया और बोला "प्लीज डैड! आप ना, अपनी यह बॉडी शॉडी थोड़ा काम किया करो।"


    निक्षय ने मजाक में पूछा "क्यों? तेरी गर्लफ्रेंड तुझे छोड़कर मुझ पर लाइन मारती है क्या?"


    अव्यांश को मौका मिल गया। उसने चित्रा के कान भरते हुए कहा "बुआ! देख लो और संभालो अपने पति को। लड़कियां लाइन मार रही है और यह है कि अपनी और बॉडी बनाने में लगे हैं।"


     चित्रा को तो इस सबसे फर्क ही नहीं पड़ने वाला था। उसने बड़ी लापरवाही से कहा "करने दो यार! लाइन मार के करेगी क्या! बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम और यह जो दूसरों को इंप्रेस करने के लिए जो बॉडी बन रही है ना! इस बॉडी की हड्डी निकलना मुझे अच्छे से आता है, इसलिए मुझे कभी कोई टेंशन नहीं होती।"


    निक्षय की खड़े-खड़े वाट लग गई थी। अव्यांश यही तो चाहता था। वह बोला "अब चलो जल्दी से, सब इंतजार कर रहे होंगे।" सारे जाकर गाड़ी में बैठकर और काव्या के घर की तरफ निकल पड़े। वहां पहुंचकर देखा तो सारे मित्तल परिवार के लोग वहां इकट्ठा हो चुके थे, बस अभी तक सुहानी और निशि नहीं आई थी।


     अव्यांश की आंखे निशी को ढूंढ रही थी लेकिन वह उसके सामने नहीं जाना चाहता था। चित्रा तो अपने उसी अंदाज में सबसे मिली। सिया से तो उसको कुछ ज्यादा ही प्यार था। लेकिन अभी प्यार दुलार करने का टाइम नहीं था।


    काव्या ने जब चित्रा को आया देखा तो उसे ताना देते हुए बोली "मिल गई फुर्सत? आज आना हो गया? मुझे तो लगा था सीधे शादी के दिन पहुंचोगी।"


     निक्षय ने चित्रा के कंधे पर अपना कंधा मारा और बोले "वह तो बिना मेकअप के चली आई है। मैंने कहा, वहां चलकर मेकअप कर लेना। वरना सोचो, तुम जो कह रही हो बात बिल्कुल सच हो जाती। वैसे हमारी चित्रा के लिए अलग से पार्लर का इंतजाम हुआ है ना?" सभी हंस पड़े और चित्रा ने पास में पड़ा कुशन निक्षय के सर पर मारा 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274