सुन मेरे हमसफर 192

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     कुहू अपने कमरे में चुपचाप बैठी हुई थी। कुछ वक्त पहले तक जिस चेहरे पर रौनक थी इस वक्त सिर्फ और सिर्फ उदासी नजर आ रही थी। काव्या ने दरवाजे पर दस्तक दी तो कुहू ने उठकर दरवाजा खोला।


    काव्या अंदर आते हुए बोली "यह कल हल्दी में पहनने के लिए तेरे कपड़े हैं इनको संभाल के रख और सुबह-सुबह उठकर तैयार हो जाना। देर तक सोने की आदत अब छोड़ दे। ससुराल जा रही है, वहां तो सुबह उठना पड़ेगा।" काव्या ने कुहू के चेहरे को छूकर चूम लिया और उसकी नजर उतार कर बोली "कितनी जल्दी बड़ी हो गई है तू! यकीन ही नहीं होता कि अब तू चली जायेगी।"


   कुहू जाकर अपनी मां के गले लग गई और बोली "दिन बदलते वक्त नहीं लगता मम्मी! इंसान की जिंदगी पल में कब करवट ले ले कुछ पता नहीं चलता।"


     काव्या को उसकी बातें थोड़ी अजीब सी लगी। उन्होंने कुहू के सर पर हाथ फेरा और बोली "वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता और परिवर्तन तो संसार का नियम है। कभी मैं मां पापा के घर से विदा होकर आई थी और अब तेरी बारी है। मां पापा को हमारी शादी में कैसा लगा होगा ये अब हम महसूस कर रहे हैं।"


   कुहू उनसे अलग हुई तो उसकी आंखें नम थी। उसकी आंखों को देखकर काव्या ने पूछा "क्या हुआ? तू रो क्यों रही है?"


   कुहू उनके हाथ को थाम कर बोली "अभी-अभी तो आपने कहा कि नानू नानी की तरह अब आप लोग भी वही फीलिंग एंजॉय कर रहे हो तो क्या बरसों पहले आप मेरे सिचुएशन में नहीं थी?"


   काव्या के चेहरे की सारी रौनक पल में हवा हो गई। शादी से पहले उसके साथ क्या हुआ था यह सोचकर ही अभी भी अंदर तक कांप जाती थी। 'मेरी बच्ची को ऐसे हालात से नहीं गुजरना पड़ेगा और ना ही उसकी हालात ऐसे हैं। वह जिससे प्यार करती है उसी से उसकी शादी हो रही है।' काव्या ने अपने आप को समझाया।


    कुहू काव्या के लाए अपने कपड़ों को देखकर बोली, "कल हल्दी है मेरी और कुणाल अभी भी अस्पताल में है। पता नहीं कब तक उसे छुट्टी मिलेगी। शिवि से बात की मैंने लेकिन इस बारे में उसे कुछ पता ही नहीं है।"


     काव्या अपनी बेटी को समझाते हुए बोली "शिवि उसकी डॉक्टर नहीं है। जो डॉक्टर उसे अटेंड कर रहे हैं उसे इस बारे में पता होगा। हां शिवि को अगर फुर्सत हो तो वह जाकर उस डॉक्टर से बात कर सकती हैं। फिलहाल तो हम बस यही उम्मीद कर सकते हैं कि कल परसों तक उसे डिस्चार्ज मिल जाए। अब चल कर सो जाओ, ज्यादा देर तक जागना तुम्हारे लिए सही नहीं होगा वरना कल काले-काले गड्ढे मिलेंगे आंखों के नीचे।" कुहू मुस्कुरा दी और काव्या उसे गुड नाइट बोलकर कमरे से बाहर चली गई।


    अपनी मां को बाहर जाते देख काया जल्दी से कुहू के कमरे में आई और बोली "क्या बात है! इतनी रात को मम्मी आपके कमरे से निकाल कर गई है, कहीं कुछ सीक्रेट वगैरा तो नहीं समझा रही थी आपको?"


     काया की आंखों में शरारत देख कुहू भी शरारत से बोली "हां समझा रही थी ना! गलती हो गई, तुझे भी बुला लेना चाहिए था। तेरी भी तो शादी की बात चलने वाली है, तेरे और उस लफंगे की शादी की बात। हे भगवान! सोचा नहीं था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। वह सिंघानिया मेरे घर का दामाद बनेगा! तुझे और कोई नहीं मिला?"


     काया मुंह बना कर बोली "कहने को तो मैं भी कह सकती हूं, आपको और कोई नहीं मिला? आई मीन ठीक है, कुणाल जीजू हैंडसम है लेकिन पता नहीं क्यों मुझे थोड़े अजीब लगते हैं। आप दोनों एक दूसरे के साथ कंपैटिबल है ना?"


     कुहू के चेहरे की सारी मुस्कान गायब हो गई। लेकिन फिर वह जल्दी से मुस्कुरा कर बोली "तुझे ऐसा क्यों लगता है?"


    काया ने कुहू की बांह पकड़ी और बड़े प्यार से बोली "इंसान कितना खुश किस्मत होता है ना जब उसका प्यार उससे मिल जाए! हमें लगता जैसे सब कुछ मिल गया।"


   कुहू के दिल में टीस उठी। उसने काया के चेहरे को छूकर पूछा "तू खुश है ना?"


     किया लजा कर बोली "आगे क्या होगा, मुझे नहीं पता लेकिन घर वालों को वह पसंद है तो फिर मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।"


   "मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है" कुहू ने भी उसकी नकल करते हुए उसका मजाक उड़ाया। काया झेंप गई और उसने तकिया उठाकर अपनी बहन से लड़ाई शुरू कर दी। कुहू भी कहां कम थी! दोनों की पिलो फाइट शुरू हो गई।


     कुछ देर लड़ते हुए दोनों बहने बिस्तर पर जा गिरी। काया छत की तरफ निहारत हुए बोली "काश! सोनू यहां होती तो और ज्यादा मजा आता। और शिवि दी! उनका तो पता नहीं। अपनी पढ़ाई और अस्पताल के चक्कर में उन्होंने ठीक से अपनी लाइफ इंजॉय ही नहीं की। आई मीन, जब हम तीनों होते हैं तो कितनी मस्ती करते हैं! आई होप कि हमारी शिवि दी को भी बिल्कुल कुणाल जीजू जैसा हस्बैंड मिले।"


     कुहू ने काया की तरफ एक नजर देखा और वापस छत को निहारत हुए बोली "तुझे शिवि के लिए कुणाल जैसा चाहिए क्यों?"


     काया अपनी धुन में बोली "कुणाल जीजू बहुत अच्छे हैं। ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ दिखाने में अच्छे हैं, उनकी पर्सनैलिटी अच्छी है। क्योंकि वह दिल से भी बड़े अच्छे हैं। पता है, जब आप नहीं मिल रही थी तब जीजू ने इतने प्यार से मुझे समझाया ना, तो मुझे लगा जैसे पापा समझा रहे हैं मुझे। मैं भी उनके गले लगा कर रोए जा रही थी। उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा कि मेरे आंसू से उनका सूट खराब हो सकता है।"


    कुहू को अचानक से कुछ ख्याल आया और उसने पूछा "उस वक्त शिवि भी तुम्हारे साथ थी ना?"


    काया उस वक्त को याद करके बोली "हां शिवि दी भी कुणाल जीजू के साथ ही थी। इनफैक्ट दोनों एक साथ आए थे। जब मैं उन्हें आपके बारे में बताया तो दोनों ही परेशान हो गए थे। शिवि दी और कुणाल जीजू जब भी साथ में होते हैं ना, हमेशा लड़ते हैं। कुणाल जीजू नहीं लेकिन शिवि दी बहुत लड़ती है उनसे। मॉल में भी जब कुणाल जीजू शिवि दी का हाथ पकड़ कर वहां से ले गए थे, तब भी शिवि दी उन्हें पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थी। अजीब सा गुस्सा है शायद उनके मन में। पता नहीं क्यों! क्या शिवि दी कुणाल कुणाल को पसंद नहीं करती?"


     काया ने सिर घूमाकर कुहू की तरफ देखा जो अब तक सो चुकी थी।

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