सुन मेरे हमसफर 190
190
हालात बहुत अजीब हो गए थे। कौन खुश था कौन दुखी, ये समझना मुश्किल हो रहा था। कुहू खुश थी, ये जानते हुए भी कि आगे उसे सिर्फ तकलीफ होगी फिर भी एक उम्मीद से उसने कुणाल से अपनी जिद मनवा ही ली। लेकिन इस सब में कुणाल का क्या? क्या वह कभी शिवि से अपने प्यार का इजहार कर पाएगा? शायद नहीं। क्योंकि इसके बाद उसका और शिवि का रिश्ता कुछ और होगा। और कुहू से जुड़ने के बाद शिवि की तरफ देखना क्या, उसके बारे में सोचना भी गलत होगा। कुणाल ये बात बहुत अच्छे से जानता था लेकिन कुहू को कौन समझाएं!
घर में सभी खाना खाकर सोने की तैयारी में थे। उससे पहले हॉल में बैठकर कल हल्दी के रस्म के बारे में बात कर रहे थे। यूं तो सारी तैयारियां हो चुकी थी लेकिन कुणाल के एक्सीडेंट के कारण थोड़े बहुत बदलाव करने रह गए थे। सिया ने से पूछा "शिवि से बात हुई तुम्हारी, हॉस्पिटल वाले कुणाल को कब डिस्चार्ज कर रहे हैं?"
सारांश बोले "इस बारे में तो अभी कुछ कह नहीं सकते। कुणाल की कंडीशन देखकर ही वह लोग कुणाल को डिस्चार्ज करेंगे। अगर जल्दी रिकवर कर जाता है तो फिर शादी तक वह हमारे बीच ही होगा। वरना शादी का मंडप हॉस्पिटल में लगवाना पड़ेगा।"
सभी हंसने लगे। सुहानी अपना फोन कान से लगाए चली आई "हां सब ठीक है तू चिंता मत कर और आराम से आ। कुणाल जीजू बिल्कुल ठीक है, और अगले कुछ दिनों में उन्हें डिस्चार्ज मिल जाएगा। शादी की तैयारी सब कुछ बहुत अच्छे से चल रही है। सब कुछ हो चुका है बस तू आराम से आना।" इतना कहकर सुहानी ने फोन रख दिया।
सिद्धार्थ ने पूछा "किसका फोन था? किसको इनविटेशन दिया है?"
सुहानी जाकर उनके बगल में बैठ गई और बोली "कुछ नहीं बड़े पापा। नेत्रा का फोन था। कल जीजू का एक्सीडेंट हुआ और उसे इस बारे में कोई खबर ही नहीं थी। दिनभर हमारा इसी सब में निकल गया। अभी उससे बात की तो जाकर उसे पता चला। वह जल्दबाजी में यहां आने के लिए तैयार हो रही थी तो मैंने उसे मना किया। जब सब लोग कल आ ही रहे हैं तो साथ में आ जाना। और वैसे भी कुणाल जीजू ठीक है तो फिर अभी आकर क्या करेगी वह?"
श्यामा को नेत्रा का यह बिहेवियर अच्छा नहीं लगा। यह जानते हुए भी कुणाल की शादी कुहू से हो रही है इसके बावजूद नेत्रा कुणाल पर पूरा हक जाता रही है और ऐसे परेशान हो रही है जैसे कुणाल उसका अपना हो। घर में सबको इस बात से बुरा तो लगा लेकिन कोई कहता भी क्या, जब कुणाल और कुहू की शादी हो ही रही थी!
अवनी ने बात बदलते हुए कहा "अंशु कहां है? दी के घर से निकल गया था, उसके बाद से वह दिखाई नहीं दिया।"
सिया को अब जाकर ध्यान आया तो चारों तरफ देखते हुए बोली "ये अंशु ऑफिस में है क्या? मैंने मना किया था उसे ऑफिस जाने से फिर भी चला गया?"
सारांश खुद नहीं जानते थे कि अव्यांश कहां है। सिया ने उन्हें फोन लगाने को कहा तो सारांश ने ऑफिस में कॉल लगाया। सुहानी बोली "दोपहर के बाद से तो मैंने भी उसे नहीं देखा। लेकिन उसने कहा था कि आज उसका ऑफिस जाने का प्लान नहीं है फिर भी ऑफिस निकल गया?"
सारांश अपना फोन कान से हटाकर बोले "ऑफिस में नहीं है वह। आज गया ही नहीं। इन फैक्ट! हम में से कोई भी ऑफिस नहीं गया। सारे मीटिंग कुहू की शादी तक पोस्टपोन कर दिया गया है।"
अवनी ने चिंता जताते हुए कहा "ऑफिस नहीं गया तो फिर कहां जा सकता है? उसके नंबर पर कॉल कीजिए।"
सुहानी अपना फोन अनलॉक करते हुए बोली "मैं कॉल करती हूं उसे।"
सुहानी ने अव्यांश का नंबर डायल किया लेकिन अव्यांश का नंबर बंद था तो लगता कैसे! दो-तीन बार ट्राई करने के बाद सुहानी बोली "उसका फोन बंद है। लेकिन फोन बंद क्यों कर रखा है? वो तो अपना फोन कभी बंद नहीं करता!"
सिद्धार्थ उसके सर पर हाथ फेर कर बोले "बैटरी लो हो गया होगा, इसलिए फोन ऑफ हो गया होगा। इसमें इतना टेंशन क्यों ले रही है?"
सुहानी बोली "नहीं बड़े पापा! शाम को भी मैंने उसे फोन किया था तो ऑफ था। इतनी देर तक तो वह अपना फोन कभी बंद नहीं रखता। घर पर भी नहीं है ऑफिस में भी नहीं है तो फिर कहां जा सकता है? अस्पताल में भी नहीं था वह। आई होप कोई खुराफात में ना लगा हो।"
सारांश झूठा नाराज होकर बोले "तुझे लगता है मेरा बच्चा हमेशा खुराफात ही करता है!"
सुहानी सच में नाराज होकर बोली "आपको तो अपने बच्चे पर कुछ ज्यादा ही भरोसा है। मैं तो हूं ही नहीं कुछ।"
सारांश मुस्कुरा कर बोले "हां! मेरा खुराफाती बच्चा तो मेरे सामने है बैठा है।"
सुहानी नाराज होकर उठी और बोली "मैं निशी से पूछ कर आती हूं। उसे पता होगा अंशु कहां गया है।"
सारांश को पता था कि अंशु और निशि के बीच कुछ बात हुई है तो फिर निशि को कैसे पता होगा कि वो कहां है! वह सुहानी को रोकते हुए बोले, "अरे रुक जा तूफान! अंशु अपने दोस्तों के साथ गया है। उसने बताया था मुझे, मैं ही भूल गया था।"
आधी रात का वक्त हो चला था लेकिन अव्यांश का कहीं कुछ पता नहीं था। अब तो निशि भी परेशान हो गई थी। सारांश ने सबको समझा कर सोने के लिए भेज तो दिया था लेकिन उनकी अपनी आंखों में नींद नहीं थी। इतनी रात तक उनका बेटा घर से बाहर था, उसकी कोई खबर नहीं थी तो एक बाप को कैसे नींद आ जाती!
उन्होंने अव्यांश के कमरे के दरवाजे पर दसतक दी। दरवाजा निशि ने खोला तो सारांश ने पूछा "अंशु से बात हुई तुम्हारी?"
निशी ने इनकार में सर हिला दिया। सारांश ने फिर पूछा "तुम्हारी और अंशु की लड़ाई हुई है, है ना?" निशी कुछ बोल नहीं पाई तो सारांश ने एक बार फिर पूछा "किस वक्त गया था जब गया था? फोन लेकर गया है छोड़कर?"
निशी ने अपना हाथ आगे कर दिया। सारांश को इससे आगे जाने की जरूरत नहीं थी। अव्यांश का फोन निशी के हाथ में था बस इतना काफी था उनके लिए। वो अंशु का फोन लेकर फ़ौरन घर से निकल गए।
निशी चुपचाप जाकर बिस्तर पर बैठ गई। उसे सब कुछ बहुत अजीब लग रहा था और खाली-खाली भी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें