सुन मेरे हमसफर 189

 189





      निशि खुद ही परेशान होती और फिर खुद को ही समझाती। उसे अव्यांश की कही आखिरी बात याद आई "कुहू दी की शादी तक मैं इस घर में कोई तमाशा नहीं चाहता। बस तब तक खुद को एडजस्ट कर लो, उसके बाद तुम्हें जो करना है तुम वह कर सकती हो। और एक और सबसे जरूरी बात! इस बारे में घर वालों को कुछ पता नहीं चलना चाहिए। मैं नहीं चाहता सबकी खुशियों में कोई अड़चन आए।"


     निशि ने कुछ सोच कर एक बार फिर अव्यांश का नंबर डायल किया लेकिन इस बार भी उसका नंबर बंद ही आ रहा था। उसने अपने सर पर हाथ मारा और बोली "जाने दे उसे। अगर वह तेरे सामने रहेगा तो तुझे ही तकलीफ होगी। उसका घर है उसकी फैमिली है, कहां जाएगा! वह वैसे भी, कुहू दी की शादी है, घर छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकता।" इतना सोच कर निशी थोड़ा निश्चित हो गई।


    शगुन के समय कार्तिक सिंघानिया भी अपने दोस्त के साथ मौजूद था। शगुन के बाद जब सब लोग जाने लगे तो सारांश ने कार्तिक सिंघानिया से पूछा "तुम्हारे मॉम डैड कब तक इंडिया वापस आ रहे हैं?"


     कार्तिक सिंघानिया ने बिना सोचे जवाब दिया "अगले कुछ दिनों में। हो सकता है शादी वाले दिन यहां आ जाए या उससे पहले भी। कुछ कह नहीं सकते। आपको कुछ काम था अंकल?"


    सारांश मुस्कुरा कर बोले "तुम्हारे लिए एक लड़की देखी है। तुम्हारी शादी के बाद करवानी थी।"


    शादी का नाम सुनकर कार्तिक सिंघानिया का चेहरा पीला पड़ गया। कुणाल को उसकी इस हरकत पर हंसी आ गई। सुहानी ने सुना तो उसे लगा शायद सारांश उसके और कार्तिक सिंघानिया की शादी के बारे में बात करना चाह रहे हैं। यह समझ कर सुहानी लजा गई और वहां से अलग हट गई।


   कार्तिक को ऐसे हिचकिचाते देख सिद्धार्थ हंसते हुए बोले "अरे यार! इतना क्यों टेंशन ले रहे हो? शादी का माहौल है। रुद्र और शरण्या यहां होंगे तो हमें और अच्छा लगेगा। क्या हो गया अगर तुम्हारी शादी की बात चली तो? रिश्ते ऐसे ही माहौल पर जुड़ते हैं। शायद तुम्हें भी कोई पसंद आ जाए।"


    सिद्धार्थ बस माहौल थोड़ा सा हल्का करना चाह रहे थे। उन्होंने काया की तरफ देखा जो नाराजगी से कार्तिक सिंघानिया को देखे जा रही थी। सारे लोग जब कुणाल के वार्ड से निकल गए तो पीछे खड़े कार्तिक सिंघानिया से कुणाल ने पूछा "तेरी तो लॉटरी लग गई। लगता है तेरे और सुहानी के रिश्ते की बात चलने वाली है।"


    कार्तिक सिंघानिया अपने सर पर हाथ रख कर बोला "यार! हम सिर्फ दोस्त हैं, और शादी, वो भी इतनी जल्दी, वो भी सुहानी के साथ में! मैं इतनी जल्दी नहीं करना चाहता।"


     कुणाल उसे समझाते हुए बोला "सुहानी अच्छी लड़की है यार! और तेरी लाइफ में कौन सी गर्लफ्रेंड है जो तू शादी से भाग रहा है?"


     कार्तिक सिंघानिया उसके सामने बैठकर आराम से बोला "मैंने यह नहीं कहा कि मुझे सुहानी सी कोई प्रॉब्लम है। मैं बस इतना चाहता हूं कि मॉम एक बार ठीक होकर घर आ जाए, उसके बाद यह सब। वरना तुझे पता है, अपनी एक्साइटमेंट में मॉम न जाने क्या करेंगी। उनकी तबियत......"


     कुणाल शरारत से बोला "मतलब तुझे सुहानी से रिश्ते में कोई प्रॉब्लम नहीं है?"


    कार्तिक सिंघानिया ने नाराजगी से कुणाल की तरफ देखा और उसी के पीछे से तकिया निकाल कर उसके सर पर मारा। अचानक उसे है कुछ याद आया "काया!!!"


    'काया को अभी तक मेरे ओर से बीच का फर्क पता नहीं चला है। यह बात उसे समझानी जरूरी है।' कार्तिक सिंघानिया बोला "तू रुक, मुझे कुछ काम है मैं एक बार वह देख कर आता हूं।"


     कुणाल हैरानी से बोला "यहां अस्पताल में तुझे कौन सा काम है?" लेकिन कार्तिक सिंघानिया ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और वहां से निकल गया।


     कार्तिक के जाने के ठीक बाद शिवि कुणाल के वार्ड में आई और बोली "कब तक डिस्चार्ज होने का मन है तुम्हारा?"


     कुणाल जानता था शिवि नाराज है। दोपहर को जो बवाल करके गई थी उसके बाद तो वाकई कुणाल को उसे डर लगने लगा था कि कहीं ऐसी हालत में उसकी एक और कोई हड्डी ना तोड़ दे। कुणाल धीरे से बोल "मुझे कैसे पता होगा? यह तो तुम मेरी डॉक्टर से ही पूछो। इस बारे में मैं क्या कह सकता हूं।"


    शिवि उसकी हालत पर हंसते हुए बोली "वैसे तुम्हें नहीं लगता तुम्हें अपना यह एक्सीडेंट कुछ दिन पहले करना चाहिए था ताकि एटलीस्ट शादी में तुम अपने पैरों पर चल कर जा सकते थे। यह व्हीलचेयर पर फेरे लेने का इरादा कुछ अजीब नहीं रहा? मतलब! ऐसे प्लानिंग कौन करता है?"


     कुणाल बोला "नाराज हो तुम मुझसे इसलिए ये सब बोल रही हो।"


     शिवि गुस्से में बोली "नाराज! मैं क्यों तुमसे नाराज होने लगी? होते कौन हो तुम मेरे जो मैं तुमसे नाराज रहूं? तुम जैसा नौटंकी बाज इंसान मेरी नाराजगी के लायक भी नहीं है, और ना कभी हो सकता है। मैं तो अभी भी समझ नहीं पा रही कि तुम ने ये हरकत की तो की क्यों?"


   कुणाल ने कुछ कहने के लिए हिम्मत जुटाया लेकिन शिवि बोली "चलो कोई नही! तुम्हारी लाइफ तुम्हारा डिसीजन। जब मेरी बहन खुद कुएं में कूदने को तैयार है तो फिर मैं क्या ही कर सकती हूं। एनीवेज! शादी की बहुत बहुत शुभकामनाएं। बस इतना याद रखना, मैं दिल की डॉक्टर हूं और जिंदा दिल से खेलना मेरा शौक है।"


    एक नर्स शिवि को ढूंढते हुए वहां आई और बोली "डॉक्टर मित्तल! पेशेंट नंबर 11 के केस में थोड़ा सा कॉम्प्लिकेशन नजर आ रहा है। आई थिंक हमें उसकी सर्जरी टाइम से पहले करनी होगी। डॉक्टर सक्सेना आपको इसीलिए ढूंढ रहे थे।"


    शिवि ने बिना सोचे कहा "ठीक है। एक काम करो, तीन दिन बाद का शेड्यूल कर दो। मैं डॉक्टर सक्सेना से बात कर लूंगी।"


    कुणाल चौक कर बोला "लेकिन उस दिन तो हमारी शादी है ना?"


     शिवि ने पलट कर उसे घूरते हुए देखा तो कुणाल जल्दी से बोला "आई मीन, उस दिन मेरी और कुहू की शादी है। तुम अपनी बहन की शादी में घर पर रहोगी ना?"


     शिवि उसके पास आई और धीरे से झुक कर बोली "तमाशा देखने का शौक मुझे नहीं है।" और कुणाल को घूरते हुए वहां से निकल गई।


     कुणाल बस अपनी हालत पर मुस्कुराने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता था। वहां खड़ी नर्स भी मुस्कुराते हुए उसे बाय बोलकर चली गई।




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274