सुन मेरे हमसफर 144

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     कुणाल भी यह सब को लेकर काफी ज्यादा तनाव में था। उसे समझ नहीं रहा था कि इस मुसीबत से बाहर कैसे निकाला जाए। शादी तय होने के बाद से कुहू ने उसे एकदम से अवॉयड कर दिया था। पूरी चाल उल्टी पड़ गई थी। जहां अब तक कुणाल कुहू से भाग रहा था, अब वह कुहू के पीछे भाग रहा है। इस शादी को रोकने के लिए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।


      उसका दोस्त कार्तिक सिंघानिया भी इस सब को लेकर बहुत परेशान था। उसने कुणाल को अच्छी खासी डांट लगाई और बोला, "तू एक नंबर का बेवकूफ इंसान है। सच में, तेरे पास दिमाग नाम की कोई चीज नहीं है। तू ऐसा तो कभी नहीं था! किसकी संगत का असर है?"


    कुणाल अपना सर पकड़ कर बोला "मेरी खुद समझ नहीं आ रहा कि सारी सिचुएशन यहां तक कैसे पहुंची? मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन मॉम डैड मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है। और कुहू! वो मुझे कुछ बोलने का मौका नहीं दे रही। मेरी समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं? जिसे पता है, ना वह मेरे लिए कुछ कर रहा है और जिसको नहीं पता, उससे तो मैं उम्मीद ही क्या कर सकता हूं।"


    कार्तिक सिंघानिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा "जब कोई तेरी बात नहीं सुन रहा तो उसे बोल जिसे तेरी बात समझ में आए।"


    कुणाल ने सवालिया नजरों से कार्तिक सिंघानिया की तरफ देखा और पूछा "अब और ऐसा कौन है जो ज्यादा समझदार है? क्या मैं कुहू के मम्मी पापा से बात करूं?"


     कार्तिक सिंघानिया इनकार करता हुआ बोला "नहीं, ये लास्ट ऑप्शन है। उसके मम्मी पापा से नहीं बल्कि उससे बात कर जिसके लिए तू यह सब कुछ करना चाहता है।"


    कुणाल की आंखें हैरानी से छोटी हो गई। उसने पूछा "कहीं तू शिविका..........!"


      कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल की आंखों में झांक कर कहा "बिल्कुल सही समझा तुने। कुहू तेरी बात सुनने को तैयार नहीं है तो तू उसे समझा, उससे बात कर।"


   कुणाल चिल्लाते हुए बोला "दिमाग खराब हो गया है तेरा? तेरी समझ में आ रहा है, तू क्या बोल रहा है? उसे पता चला कि मैं उसके लिए उसकी बहन का दिल तोड़ रहा हूं तो क्या वह कभी मेरे पास आएगी?"


     कार्तिक भी उसी लहजे में बोला "और तुझे लगता है, अगर तेरी शादी कुहू से हो गई तो वह कभी तेरे पास आएगी? शादी के बाद तुम और कुहू, दोनों अगर अलग हो भी गए तो क्या शिविका तुम्हारी तरफ देखेगी? कभी नहीं। उसकी नजर में तू कुहू का एक्स-हस्बैंड होगा, और कुछ नहीं। अब कोई भी मां-बाप ऐसे इंसान को अपनी बेटी कभी नहीं देंगे जो पहले ही उस परिवार की एक बेटी को छोड़ चुका हो। मैंने तुझे पहले ही समझाया था, इस बात को अपने दिल में मत रख, बता दे सबको, लेकिन नहीं!"


    कुणाल जाकर बालकनी में खड़ा हो गया और रेलिंग पर हाथ मार कर बोला "मेरी ही कोशिश में कमी रह गई। जिस शिद्दत से मैंने उसे ढूंढा, काश उसी शिद्दत से उसे पाने की कोशिश की होती तो यह सब कुछ नहीं होता। मुझे लगा था, कुहू से बात करके सब कुछ सॉल्व हो जाएगा लेकिन नहीं, यहां बात और ज्यादा बिगड़ गई है। मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि यह लोग अचानक से शादी की डेट फिक्स कर देंगे, वह भी 1 हफ्ते के अंदर का! मेरी अभी मैं समझ नहीं आ रहा कि आखिर अचानक से ये शादी की डेट फिक्स कैसे हुई? ऐसे क्या हड़बड़ी आ गई इन लोगों को जो सीधे कुहू घर पहुंच गए? नेत्रा ने मेरी साइड लेने की कोशिश की लेकिन उसे भी यहां से वापस भेज दिया गया। मैं कह रहा हूं, यह सब इन लोगों की साजिश है और कुछ नहीं। मुझे फसाया गया है।"


     कार्तिक सिंघानिया ने उसे ताना मारा "हां मेरे नन्हे राजकुमार। तुझे किसी ने फसाया नहीं है, तू खुद फंसा है। तेरा अपना दिमाग नहीं है। छोटा बच्चा है तू कोई जो तुझे अपने इशारे पर नचा देगा और तू नाच लेगा? मेरी बात मान, तो अब जाकर सीधे-सीधे शिविका को बोल दे कि तू उससे प्यार करता है, इसलिए तू कुहू से शादी नहीं कर सकता। हो सकता है, शिविका अपने घर वालों से बात करें और उन्हें इस शादी को रोकने के लिए मनाए। तेरे और शिविका के बीच हालात चाहे जो बने, लेकिन हमेशा तू उसे चाहेगा। कुहू से शादी करके तुझे वो हक कभी नही मिलेगा। डूबते को तिनके का सहारा होता है ना, तो शिविका ही वह सहारा है। अब या तो उसे थाम ले या फिर डूब जा, तेरी जिंदगी तेरा फैसला, मुझे कुछ उम्मीद मत करना।" कार्तिक सिंघानिया वहां और नहीं रुका और अपने ही फ्लैट में कुणाल को अकेला छोड़कर बाहर निकल गया।


     कुणाल भी काफी सोचने के बाद वहां से बाहर निकाल और गाड़ी लेकर चला गया। कहां जाना था, उसे खुद नहीं पता था।



*****




     कुहू काया निशी और सुहानी, सभी शॉपिंग के लिए निकले थे। सबको अपनी पसंद का ड्रेस और कुछ जरूरी सामान लेना था। कुछ अपने लिए और कुछ घर वालों के लिए भी। सुबह से निकले हुए अब लगभग शाम को होने को आई थी लेकिन कुहू की शॉपिंग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी।


     सुहानी बहाना बनाकर बोली "मैं अपने लिए जूते देखकर आती हूं।"


    काया हैरान हो गई और बोली "अभी कुछ टाइम पहले ही तूने जूते लिए थे, वो वह खत्म हो गए क्या? इतनी जल्दी खा गई उसे?"


    सुहानी ने काया के पैर पर मारा और बड़े आराम से बोली "हां थोड़ा टेस्ट खराब लग रहा था, और कलर भी थोड़ा सा फेड हो गया है। तुझे पता है ना, मुझे प्योर व्हाइट कितना पसंद है! तो बस सोच रही हूं इस बार दो जोड़ी ले लूं।"


    कुहू ने सुना तो अपना सर पीट कर बोली "पागल लड़की! शादी की शॉपिंग करने आई है, जूते लेगी? जाकर सैंडल ले! लहंगे पर क्या तू जूते पहनने वाली है?"


    निशी भी मौके का फायदा उठाकर बोली, "हां, सुहानी! तुम्हे अपने लिए कुछ अच्छा सा देखना चाहिए। एक काम करते है, हम लोग चलते है और अलग अलग रस्मों में पहनने के लिए सैंडल्स ले लेते है।"


     काया ने भी उसकी बातों पर हामी भरी और कहा "भाभी ठीक कह रही है। एक काम करते है, मैं भी चलकर अपने लिए सैंडल देख लेती हूं।"


     कुहू, निशी का हाथ पकड़कर बोली "ठीक है तो, हमारे लिए भी कुछ देख लेना या फिर कुछ सेलेक्ट करके रख लेना, मैं और निशी आकर देख लेंगे।"


     सुहानी ने काया का हाथ पकड़ा और बाहर निकलते हुए बोली "हां! आप और भाभी अपना काम करो, हम चलते है। तब तक भाभी के लिए कुछ और ड्रेसेज भी देख लेना। बाय!" कुहू की कोई बात सुने बिना ही सुहानी काया को लेकर बाहर निकल गई। निशी बस मन मसोस कर रह गई। वो खुद भी कुहू की इस शॉपिंग से परेशान हो चुकी थी और बहाने से ही सही लेकिन बाहर भागना चाहती थी। कुछ देर में ही उसके फोन पर मैसेज आया। निशी ने देखा सुहानी ने उसे मैसेज भेजा था कि वो उसके रेस्क्यू के लिए अंशु को भेज रही है। निशी के होंठो पर मुस्कान आ गई 





*****




    बाहर निकलते ही काया ने कहा "अच्छा हुआ जो तू बाहर ले आई। चल कहीं पर बैठकर कुछ खाते हैं।"


   सुहानी बोली "मेरा तो पेट भरा है, लेकिन दिमाग गरम है। इस मौसम में भी मेरा कुछ ठंडा पीने का मन कर रहा है।"


    काया हंसते हुए बोली "ठीक है। एक काम कर, तू जाकर जूस कॉर्नर देख, मैं अपने लिए और तेरे लिए बर्गर उठाती हूं, ठीक है?"


   दोनों बहने अलग-अलग रास्ते पर चली गई। सुहानी ने अपना फोन निकाला और अव्यांश को कॉल कर बोली, "तेरे लिए हीरो बनने का सुनहरा मौका। तेरी बीवी को तेरी जरूरत है। बचा ले उसे, मैं लोकेशन भेज रही हूं।" और बिना अंशु की कुछ सुने उसने फोन रख दिया।




   काया बर्गर शॉप की तरफ जाने को हुई लेकिन इस टाइम उसकी नजर ऋषभ पर गई जो जूते की दुकान में था। काया को उसके यहां मिलने की उम्मीद तो नहीं थी लेकिन यह पब्लिक प्लेस था तो उसके होने से कुछ अजीब भी नहीं था। लेकिन इस बार वह काया को परेशान करने भी नहीं आया था, ना ही पिछले दो दिनों से उसके पीछे आया था। 


    यह बात काया को थोड़ी सी खटकी। लेकिन उससे ज्यादा हैरानी उसे तब हुई जब उसने ऋषभ के हाथ में लेडिज स्लीपर देखी। वह हंसते हुए मन में बोली 'यह यहां क्या फूड कॉर्नर समझ कर आया है? लगता है लड़कियों की चप्पल खाते-खाते इसे वही खाने की आदत पड़ गई है। अभी इसकी टांग खींचती हूं।'


    काया शॉप के अंदर गई और पीछे से ऋषभ से बोली "अच्छा है, और सॉफ्ट भी। पचाने में आसानी होगी।"


   ऋषभ ने चौक कर पीछे पलट कर देखा तो काया खड़ी थी। उसने अपने हाथ में पड़े स्लीपर को देखा फिर हंसते हुए कहा "आइडिया बुरा नहीं है। तुम कहो तो यह भी चलेगा।"


     ऋषभ ने पूरा फोकस उसे स्लीपर पर रखा और थोड़ा सा इधर-उधर मोड कर अटेंडेंट से बोला "इससे भी सॉफ्ट चाहिए। प्लीज आप देखिए अगर है तो, या फिर अरेंज करवाइए, या फिर मैं किसी और दुकान में देखता हूं।"


    मैनेजर भागता हुआ आया और बोला "डॉन'ट वरी सर! हम मैम की पसंद जानते हैं। आप 2 मिनट रुकिए, मैं अभी लेकर आता हूं।"


    काया को लगा, ऋषभ किसी गर्लफ्रेंड के लिए आया है। काया को बहुत बुरा लगा। दिमाग ने कहा 'अगर गर्लफ्रेंड के लिए आया है तो फिर अच्छा है। अब से यह तेरा पीछा नहीं करेगा।' लेकिन दिल ने कहा 'मतलब अब तक वह सिर्फ तेरे साथ फ्लर्ट कर रहा था? मैंने कहा था ना, मत जा उसके पीछे, मत यकीन कर उसकी बातों पर। वो बस सिर्फ एक फ्रॉड है, लफंगा है, आवारा है।' 


    अपने दिल और दिमाग के बीच लटकी काया ने पूछ लिया "तुम यहां किसके लिए आए हो? आई मीन किसी गर्लफ्रेंड के लिए?"


     ऋषभ ने शरारत से कहा "अगर मैं कहूं कि मैं वाकई अपनी गर्लफ्रेंड के लिए शॉपिंग करने आया हूं तो क्या तुम्हें बुरा लगेगा? जलन होगी?"


     काया थोड़ा सकपका गई। उसने गड़बड़ा कर कहा "मैं....! मैं क्यों? मुझे क्यों बुरा लगेगा? मुझे तो अच्छा लगेगा कि तुम मेरा पीछा छोड़ोगे।"


      ऋषभ हंसते हुए बोला "यह दोनों अलग-अलग बातें हैं। अगर मेरी गर्लफ्रेंड हुई तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं तुम्हारा पीछा छोड़ दूंगा। और हां! वाकई में अपनी गर्लफ्रेंड के लिए यहां आया हूं और वो मेरी गर्लफ्रेंड तब से है, जब से पैदा हुआ।"


     मैनेजर अपने साथ तीन चार तरह के स्लीपर लेकर आया और ऋषभ से बोला "सर! यह मैम के लिए हमने स्पेशली मंगवाए थे। रूद्र सर ने आर्डर दिया था लेकिन वह भूल गए थे।"


     ऋषभ ने उन स्लीपर्स को अपने हाथ से छू कर देखा, फिर अपने गाल से लगाकर। जबसे तसल्ली हो गई तब उसने कहा "मॉम के लिए सही है। हो सके तो आप इस टाइप की और मंगवा दीजिए।" 


    'मतलब, यह चप्पल अपनी मम्मी के लिए ले रहा है?' काया हैरान रह गई। उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि ऋषभ इतना केयरिंग भी हो सकता है।

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