सुन मेरे हमसफर 143

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शादी तय होते ही कुहू अपनी शॉपिंग में लग गई। निशी, काया और सुहानी पूरी दुनिया से बेखबर होकर उसके साथ पूरी शिद्दत से अपनी शॉपिंग करने में जुट गई। घर वाले सारे शादी की तैयारी में व्यस्त हो गए। निर्वाण ने भी चित्रा के सामने आधी अधूरी बात बता कर कुछ और कुछ झूठ की नमक में लगाकर नेत्रा को वहां से वापस भेज दिया। अब चित्रा को भी शॉपिंग करनी थी। कुहू की शादी में वक्त ही कितना बचा था। इस शॉपिंग में उसे नेत्रा का साथ मिल जाता शॉपिंग थोड़ी और अच्छी हो जाती 


   नेत्रा बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसके लिए। वो जानती थी कि कुणाल कुहू से प्यार नहीं करता है और यह सब कुछ सिर्फ और सिर्फ उसकी फैमिली की वजह से हो रहा है। नेत्रा के पास कोई रास्ता नहीं था। उसे भी अपना सामान कमेंट कर वहां से जाना पड़ा लेकिन कितने दिनों के लिए! इसी हफ्ते उसे वापस भी तो आना था। तब वह कुणाल से बात करती लेकिन इस सब में एक बात तो उसे अच्छे से पता थी कि कुणाल इस शादी को रोकने के लिए कुछ ना कुछ तरकीब जरुर लगाएगा। उसे अब कुणाल पर ही भरोसा था।



     दूसरी तरफ, शिवि परेशान थी। उसे कुणाल से कोई लेना देना नहीं था लेकिन कुहू से तो था! और कुहू से वह इस वक्त बहुत ज्यादा नाराज थी। इतनी बड़ी सच्चाई जानते हुए वह उस कुएं में कूदने को तैयार थी जिससे निकलना शायद नामुमकिन था। कितना समझाया उसने कुहू को लेकिन कुहू तो कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थी।


    श्यामा ने शिविका को इस तरह कमरे में बैठा देखा तो उन्हें थोड़ा अजीब लगा। उन्होंने शिविका के सर पर हाथ फेरा और बोली "सारे शॉपिंग में लगे है और राज नंदिनी इस तरह अपने कमरे में बैठी है! क्या हुआ है, किस बारे में सोच रही है मेरी लाडली? सॉरी! पापा की लाडली।"


     शिवि अपनी मां का ताना सुनकर मुस्कुरा उठी। उसने अपनी मम्मी का हाथ पकड़ा और बोली "आपकी भी तो लाडली हूं। सॉरी! भैया और दादी की लाडली तो बोलना भूल गई आप।"


    श्यामा ने शिविका के सर पर हल्के से चपत लगाई और दोनों मां बेटी हंस पड़ी। शिविका की हंसी बस कुछ पल की थी। वापस से उसका चेहरा गंभीर हो गया। श्यामा ने शिविका के चेहरे को एक हाथ से पकड़ा और बोली "इस मुखड़े पर इतनी परेशानी क्यों है? क्या बात है, कुछ हुआ है क्या?"


     शिविका ने श्यामा की तरफ देखा और सोचने लगी कि अपनी मां को इस बारे में बताएं या ना बताएं। अगले कुछ दिनों में शादी थी और इतना बड़ा सच सबसे छुपा था। और जिसे पता था वह इस सच को अवॉइड करके बैठी थी। कुछ देर सोचने के बाद शिविका बोली "मॉम! क्या हम इस शादी को टाल नहीं सकते? मतलब, इतनी जल्दी शादी हो रही है, यह थोड़ा अजीब नहीं है?"


   श्यामा ने उसे तिरछी नजरों से देखा और पूछा "इसमें अजीब क्या लग रहा है तुम्हें?"


    शिविका को समझ नहीं आया कि वह इस बात को कैसे एक्सप्लेन करें। बहुत सोच समझ कर उसने कहा "मेरे कहने का मतलब, इतनी जल्दी बात शुरू हुई, अचानक इतनी जल्दी सगाई भी हो गई और अब शादी........! आपको नहीं लगता, यह सब कुछ एक डेढ़ महीने के अंदर हो गया? आई मीन, थोड़ा तो टाइम लगना चाहिए ना! ऐसा लग रहा है जैसे किसी चीज की जल्दी है।"


    श्यामा अपनी बेटी की आवाज में आए उतार-चढ़ाव को कैसे न पहचानती। उन्होंने शिवि की आंखों में झांक कर पूछा "क्या सिर्फ इतनी सी बात है या फिर कोई और बात है?"


    शिविका समझ गई कि उसकी मां ने उसका झूठ पकड़ लिया है। उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली और हिचकते हुए बोली "मॉम! कुणाल, कुहू दी से प्यार नहीं करता। और यह जानते हुए भी कुहू आंखें बंद किए बैठी है। उन्हें लगता है कि शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा। लेकिन वह यह नहीं समझ रही कि अगर कुणाल उससे प्यार नहीं करता तो शादी के बाद प्यार हो सकता है, लेकिन अगर वह किसी और से प्यार करता है तो कैसे वह कुहू को प्यार कर सकता है? क्या इतना आसान होगा? और क्या कुणाल यह एक्सेप्ट कर पाएगा की सारी सच्चाई जानते हुए भी कुहू दी ने उसे अपनी लाइफ से जाने नहीं दिया?"


   श्यामा गंभीर हो गई। उन्होंने अपने चेहरे पर हैरानी के कोई भाव नहीं लाए। शिविका बोली "आप जानते हैं इस बारे में?"


    शिविका के लिए यह बड़ी हैरानी की बात थी। श्यामा ने गहरी सांस ली और कहा "मैं जानती हूं इस बारे में। लेकिन मैं यह नहीं जानती कि वह लड़की कौन है।"


    शिवि कुणाल पर नाराज होते हुए बोली "कोई नहीं है मॉम! सिर्फ और सिर्फ नौटंकी है उसकी। कभी नेत्रा के साथ तो कभी कुहू दी के साथ, वह सब की फिलिंग्स के साथ खेल रहा है और कुछ नहीं। अगर ऐसा ही था तो उसने इस रिश्ते के लिए हां क्यों किया? मुझे तो वह हमेशा से ही थोड़ा अजीब लगा है। ऐसा लगता है जैसे उसकी जुबान कुछ और कह रही है और उसकी आंखें कुछ और। वो कह कुछ और रहा है और उसके दिल में कुछ और है। एक नंबर का फ्रॉड है वह इंसान।"


     श्यामा ने उसके कंधे पर हाथ रख उसे शांत किया और बोली "देख शिवि! मैं नहीं जानती तू उसके बारे में क्या सोचती है और कितना जानती है। सगाई वाले दिन वो देखा मैंने जो किसी ने नहीं देखा। मुझे भी इस बात से बहुत हैरानी हुई थी क्योंकि रिश्ता तय करने में वह लोग काफी जल्दबाजी कर रहे थे। तू खुद सोच, जिस दिन इस रिश्ते के बारे में बात चली, उसके अगले रोज ही उन दोनों की सगाई हो चुकी थी। उस दिन अंशु और निशि का गृह प्रवेश था। हमने उनसे कहा भी था कि सगाई हम एक-दो दिन के बाद रख लेते हैं लेकिन उन्होंने सगाई की सारी रिस्पांसिबिलिटी अपने ऊपर ले ली लेकिन डेट आगे नहीं बढ़ाई। उस वक्त मेरे दिमाग में ये बात खटकी थी। यह बात मैंने तेरे पापा से भी कही थी लेकिन उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पता नहीं क्यों लेकिन मुझे बहुत अजीब लग रहा था। और सगाई वाली रात सगाई वाली रात तो मुझे पूरा यकीन हो गया।"


     शिविका ने अपनी मां का हाथ पकड़ा और पूछा "ऐसा क्या हुआ था मां?"


     श्यामा उस रात को याद करते हुए बोली "सगाई के वक्त तो कुणाल काफी खुश लग रहा था। उसके चेहरे पर कहीं कोई शिकन नहीं थी। लेकिन जब वह अकेले में अपनी मां से बात कर रहा था, मिस्टर रायचंद जिस तरह कुणाल पर भड़के हुए थे, उससे मुझे इतना तो शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। मैने छुपकर उनकी बात सुनी तो पता चला, कुणाल उस दिन दिल्ली में था ही नहीं। वो खुद बिना बताए कहीं चला गया था। कहां, ये कोई नहीं जानता था। सारी बातों का मतलब मैंने बस इतना जाना की कुणाल कुहू से प्यार नहीं करता, वह किसी और से प्यार करता है और उसे ढूंढने के लिए पागलों की तरह भटक रहा है। सगाई से पहले भी वह एक आखिरी कोशिश करना चाहता था। मुझे उसकी बातों पर भरोसा है। भले तू माने या ना माने, उसकी आंखों में मैने अपने प्यार के लिए जुनून और उसे खोने का दर्द देखा है। मुझे नहीं पता वह लड़की कौन है, लेकिन जो भी है बहुत किस्मत वाली है जो कोई उसे इस दुनिया में इतना ज्यादा प्यार करता है।"


    शिवि से कुणाल की तारीफ बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसने अपनी मां से ही नाराज होकर कहा, आप चाहे कुछ भी कहो, मेरी नजर में वह फ्रॉड है और कुछ नहीं। अब तक न जाने कितनी लड़कियों के साथ रिलेशन में रह चुका है। मेरी बहन को भी उसने उसी तरह यूज करके फेंकने की कोशिश की है। मैं बिल्कुल नहीं चाहती कि वह इंसान मेरी बहन का लाइफ पार्टनर बने। लेकिन मेरी बहन पागल है उसके पीछे और मैं कुछ नहीं कर पा रही हूं।"


     शिविका का घर में मन नहीं लग रहा था। इसलिए उसने अपने बैग उठाया और हॉस्पिटल निकालने को हुई तो श्यामा उसे रोकते हुए बोली "सगाई वाले दिन कुणाल ने खुद से वादा किया था कि वह कभी उसे लड़की के पीछे नहीं जाएगा। जिसे वह ढूंढ रहा है वह अब तक उसे नहीं मिली तो वह भुला देगा। मुझे नहीं लगता कुणाल कुहू को धोखा देगा।"


    शिविका पीछे पलट कर बोली "अगर ऐसा है तो फिर क्यों वह कुहू दी को सारी सच्चाई बताना चाहता है? क्यों उनका दिल तोड़ना चाहता है? सब कुछ भूल कर आगे क्यों नहीं बढ़ जाता?"


    श्यामा ने उसे इस बात पर टोका और कहा "किसी भी रिश्ते में ट्रांसपेरेंसी बहुत जरूरी होती है। कुणाल के दिल में किसी के लिए प्यार है, या था, जिस बारे में कुहू नहीं जानती तो यह उसका कर्तव्य है कि अपनी होने वाली पत्नी को इस बारे में बताएं।"


     लेकिन शिविका के पास इसका भी जवाब था। उसने कहा "मॉम! अपनी होने वाली बीवी को अपनी सच्चाई बताना अलग बात है लेकिन अपनी सच्चाई बता कर रिश्ता का तोड़ना दूसरी बात और कुणाल यही करने की कोशिश कर रहा है।"


    "तुझे इस बारे में कैसे पता?


    "कुहू दी ने खुद सुनी है उसके मुंह से यह बात। कुणाल ये शादी नहीं करना चाहता। सगाई करने के बाद और शादी से ऐन पहले वो ये रिश्ता तोड़ देना चाहता है। अगर उसके मन में खोट नहीं था तो फिर यही रिश्ता तोड़ने में उसने इतना वक्त क्यों लगाया? आपके पास अगर इस बात का जवाब हो तो जरूर देना, मैं इंतजार करूंगी।"


    श्यामा के पास वाकई इसका कोई जवाब नहीं था। वह खुद भी सोच में पड़ गई कि आखिर कुणाल के दिमाग में चल क्या रहा है और वह क्या करने वाला है। अपनी मां से कोई जवाब ना पाकर शिविका भी हॉस्पिटल के लिए निकल गई।




 

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