सुन मेरे हमसफर 138

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    लाइट आते ही श्यामा ने समर्थ से कहा, "समर्थ! जाकर देखो एक बार, क्या हुआ है। वह चीखी क्यों है? शिवि ठीक तो है ना?"


     समर्थ ने अपनी मां के कंधे पर हाथ रखा और बोला "मैं देखता हूं जाकर। आप चिंता मत कीजिए।" और वो घर के अंदर चला गया।


     शिविका कुहू के कमरे से फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आई और उसमें से एक क्रीम निकाला। तब तक काया भी फ्रिज से बर्फ निकालकर ले आई थी। कुहू ने बर्फ से कुणाल के कलाई की सेक करते हुए पूछा "ज्यादा दर्द हो रहा है?"


    कुणाल ने तिरछी नजरों से शिवि को देखा और मुस्कुरा कर बोला "नहीं, बिल्कुल नहीं।"


   कुहू नाराज होकर बोली "ऐसा कैसे हो सकता है? पूरी स्किन लाल पड़ चुकी है और तुम कह रहे हो कि दर्द नहीं हो रहा!"


     कुणाल उसे समझाते हुए बोला "तुम इतना ओवररिएक्ट मत करो। कुछ नहीं हुआ है मुझे, बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा। ट्रस्ट मी!"


    शिविका मन ही मन बोली 'ट्रस्ट! वह भी तुम पर!! तुम पर ट्रस्ट करके ही तो सबसे बड़ी गलती कर रही है मेरी बहन। मेरा बस चले तो भेड़ की खाल में छुपे इस भेड़िए को उसकी खाल समेत जला दूं। यह तो फिर भी थोड़ी सी चोट है।'


     शिविका ने ट्यूब खोलकर उसमें से क्रीम निकालना चाहा लेकिन कुहू ने उसके हाथ से ट्यूब ले लिया और खुद ही कुणाल के हाथ पर दवाई लगाने लगी। उसके इस बिहेवियर से शिविका को लगा शायद कुहू किसी बात से उस पर नाराज है, लेकिन क्यों? यह उसे समझ नहीं आया। कुहू खुद भी अपना गुस्सा कंट्रोल नहीं कर पाई थी। उसका गुस्सा शांत होने में थोड़ा वक्त लगना था। 


     शिवि समझ गई की कुहू और कुणाल को अकेले छोड़ देना चाहिए। उसने काया को इशारे से कुछ कहा और कुहू के हाथ में दूसरे क्यूब को पकड़ा कर बोली "कमर में चोट लगी है, लगा देना।" और वहां से नीचे की तरफ उतर गई। कुणाल की नजरें शिवि का पीछा कर रही थी।


    अंदर आते हुए समर्थ शिवि से जा टकराया और बोला "तू इस तरह क्यों भाग रही है? और अभी चिल्लाई क्यों थी?"


     शिवि ने ऊपर की तरफ देखा और बोली "भैया! मैं चिल्लाई थी क्योंकि मैं गिरने वाली थी। लेकिन फिलहाल तो चोट किसी और को लगी है।"


     समर्थ ने शिवि की नजरों का पीछा किया और ऊपर की तरफ देखा। कुणाल अभी भी वही सीढ़ियों पर बैठा हुआ था। उसने हैरानी से पूछा "चिल्लाई तू और चोट उसे लगी है। उसको कुछ सीरियस तो नहीं है ना? और वह यहां क्या कर रहा था?"


    शिविका ने अपने सर पर हाथ मारा और बोली "उन लोगों की बातें वही जाने, मेरी समझ में कुछ नहीं आता है। वैसे भी, छोड़ो उनको, वह अपना देख लेंगे। आप चलो मेरे साथ।" शिविका समर्थ को लेकर गार्डन की तरफ चली गई।


     नेत्रा को याद आया कि कुणाल तो कुहू से बात करने गया था। उसकी बात हुई या नहीं, यह जानने के लिए वो घर के अंदर गई तो नीचे फर्श पर उसे कुणाल का फोन टूटी हालत में मिला। उसने फोन के सारे पुर्जे को समेटा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ी।


    कुणाल को उठने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी और कुहू उसे सहारा देने की कोशिश कर रही थी। नेत्रा भागते हुए गई और कुणाल को सहारा देते हुए बोली "एक काम ठीक से नहीं होता है तुमसे। बिल्कुल नहीं बदले तुम।"


     कुणाल को कुहू और नेत्रा ने सहारा देकर ऊपर एक कमरे में पहुंचाया और कुणाल को बिस्तर पर सुलाया। कुणाल के कमर में फिर से दर्द महसूस हुआ। नेत्रा ने कुणाल को पेट के बल किया और कुहू के हाथ से क्रीम लेकर खुद ही उसके कमर पर लगाते हुए बोली "बहुत लापरवाह हो तुम। इस तरह सीढ़ियों पर कर क्या रहे थे तुम? लाइट नहीं थी तो एक जगह रुकना था ना! थोड़ी देर में लाइट आ जाती। किसी की कोई परवाह ही नहीं है तुम्हें। अब रहो यही पर कुछ देर अकेले में। तुम्हें तो अच्छा लगता है ना अकेले में टाइम स्पेंड करना? तो करो अपना फेवरेट टाइम पास। फिलहाल तो तुम्हारा फोन भी नहीं है।"


     कुणाल को अपने फोन का ध्यान आया। उसने पूछा तो नेत्रा उसे उसका फोन दिखाते हुए बोली "ये बेचारा पूरी तरह से मर चुका है। तुम कहो तो मैं तुम्हें एंटरटेन करूं?"


     कुणाल हंसते हुए बोला "प्लीज! जो करना है करो लेकिन डांस मत करना। ऐसा लगता है जैसे मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ले रही हो।" कुणाल और नेत्रा खिलखिला कर हंस पड़े। कुहूको लगा जैसे यहां वही आउटसाइडर हो।




*****




     आलिया अपने डैड से नाराज होकर बोली "डैड देखिए, ये लोग मेरे साथ कितना बदतमीजी कर रहे हैं। मेरे कपड़ों को देखिए, क्या हाल कर दिया है इन्होंने मेरा। मैंने तो कुछ कहा भी नहीं और इन लोगों ने मेरे साथ ऐसा बिहेव किया। मैंने तो इतने प्यार से अपने बर्थडे पर इस निशी को इनवाइट किया था लेकिन यहां आकर इन लोगों ने मेरी पार्टी ही स्पॉइल कर दी। इनको तो मैं छोडूंगी नहीं।"


     आलिया निशी पर अटैक करने के लिए आगे बढ़ी लेकिन वह तो पहले से अव्यांश के प्रोटेक्शन में थी। मिस्टर रंधावा ने अपनी बेटी का यह पागलपन देखा तो उन्होंने आलिया का हाथ पकड़कर रोका और एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया।


     आलिया को दिन में तारे नजर आ गए। उसकी दोनों चमचियो ने आलिया को संभाला। "सुपर शॉट!" निशी खिलखिला कर हंस पड़ी।


     मिस्टर रंधावा अव्यांश के सामने हाथ जोड़कर बोले "मैं अपनी बेटी की तरफ से एक बार फिर माफी मांगता हूं।"


    अव्यांश उनका मजाक उड़ाते हुए बोला "आखिर कितनी बार अपनी बेटी की तरफ से आप माफी मांगेंगे? इससे बेहतर है कि अपनी बेटी को ही थोड़ा सा समझाइए और उसे कुछ सिखाईए। कम से कम थोड़ी तमीज तो होनी चाहिए उसमें। वैसे अभी तक आपकी बेटी ने मेरी पत्नी से माफी नहीं मांगी।"


    आलिया को थोड़ा सा टाइम लगा अपना होश संभालने में। अपने गाल पर हाथ रखे उसने अपने पापा की तरफ देखा। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके डैड ने उस पर हाथ उठाया है, वह भी पहली बार। उसे इतना बिगाड़ने वाले उसके डैड ही थे। मिस्टर रंधावा ने अपनी बेटी की तरफ देखा और बोले "माफी मांगो उनसे।"


    आलिया ने गुस्से में निशी की तरफ देखा और अपने डैड से बोली "कभी नहीं! इससे माफी, कभी नहीं!!"


     निशी ऊंची आवाज में लड़खड़ाते हुए बोली "आलिया...... यू बिच!!! सुना नहीं तुम्हारे डैड ने तुमसे क्या कहा?"


      मिस्टर रंधावा बोले "आलिया! तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा?"


      निशी ने उन्हें बीच में टोका "मिस्टर रंधावा! आलिया नहीं, आलिया यू बिच बोलिए। क्योंकि यह जो सामने खड़ी है, यह सर से पैर तक इंसान की तरह बिल्कुल नहीं दिखती है। कॉल हर बिच!"


     मिस्टर रंधावा अपनी बेटी को कैसे इस नाम से बुला सकते थे। उनके चेहरे पर आए इस परेशानी के भाव को देखकर अव्यांश की हंसी निकल गई। मिस्टर रंधावा अजीब सी परेशानी में फंसे हुए थे। उन्होंने आलिया को इशारा किया और बोले "माफी मांगो वरना अगले 2 महीने तक तुम्हें घर के अंदर बंद रखा जाएगा। तुम्हारे सारे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड सब फ्रीज कर दिए जाएंगे। तुम्हें पॉकेट मनी भी नहीं मिलेगी। अगर मिले भी तो बहुत लिमिटेड, जिससे तुम बस अपने गाड़ी में पेट्रोल भरवा सको। या फिर यह हो सकता है कि तुम्हें बस का किराया ही देना पड़े।"


     आलिया को अभी भी यकीन नहीं हुआ कि सामने खड़ा इंसान उसके डैड ही है! उसके डैड ऐसा कभी नहीं कर सकते थे। बहुत नाजो से रखा था उन्होंने अपनी बेटी को, और आज उसी को इतनी बुरी तरह से ट्रीट कर रहे थे, वह भी किसी और के लिए। उसने गुस्से में निशी को देखा और बोली "यू बिच!"


    निशी उसे टोकते हुए बोली "नो......! यू अग्ली बिच! चलो जल्दी से माफी मांगो वरना यह जो तुमने मेरे पति पर डोरे डाले हैं ना, उसके लिए मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगी तु सोच भी नहीं सकती।"


    मिस्टर रंधावा ने अपनी बेटी की मां पकड़ ली और उसे इतनी जोर से दबाया की आलिया की आंखों में आंसू आ गए। उसने निशि की तरफ देखा और बोली "सॉरी!" फिर अपने डैड की तरफ देखकर वह पब से बाहर की तरफ भागी। यह सब कुछ अपनी आंखों से देख रहा देवेश कुछ भी समझ पाने की हालत में नहीं था। आलिया के पीछे-पीछे वह भी बाहर की तरफ भागा।


     मिस्टर रंधावा अव्यांश बोले "आप प्लीज उसकी किसी बात का बुरा मत मानिए। वो क्या है ना, हमारी वजह से ही वह इतनी ज्यादा बिगड़ गई है। लेकिन कोई बात नहीं, अपनी गलती मुझे सुधारनी होगी। आप लोगों को जो तकलीफ हुई, उसके लिए मैं कंपनसेट करने को तैयार हूं।"


    अव्यांश अपने चेहरे पर सख्ती के भाव लाकर बोला "किस तरह कंपनसेट करेंगे आप मिस्टर रंधावा? हमारा टाइम बहुत कीमती है। मैं यहां सिर्फ अपनी वाइफ के लिए आया था। हमें चलना चाहिए।" अव्यांश ने निशी की तरफ देखा जो उसके सीने से लगी हुई थी। उसने निशी को गोद में उठाया और बाहर की तरफ चल दिया।



*****



    रेनू जी अभी भी उस फाइल के बारे में सोचे जा रही थी जिसमें रस्तोगी जी ने अपनी प्रॉपर्टी के पेपर निशी के नाम किए थे। उन्हें अजीब सा महसूस हो रहा था। किचन से जब कुछ जलने की महक आई तब जाकर मिश्रा जी का ध्यान इस तरफ गया। अपनी पत्नी को किसी सोच में गुम देखकर उन्होंने जल्दी से गैस ऑफ की और रेनू जी को लेकर किचन से बाहर आए।


     रेनू जी की तंद्रा भंग हुई और उन्होंने मिश्रा जी से कहा "मुझे हमारी बच्ची को लेकर बहुत घबराहट हो रही है।"


     मिश्रा जी ने प्यार से उनके दोनों कंधे पर हाथ रखा और बोले "आपको समझाया ना मैंने! अब अपनी बच्ची की चिंता करना छोड़ दीजिए। आपने शायद देखा नहीं, उस प्रॉपर्टी के पेपर के साथ कुछ और भी था।"


     रेनू जी ने इस बारे में ध्यान ही नहीं दिया था। उन्होंने सवालिया नजरों से मिश्रा जी की तरफ देखा तो मिश्रा जी जाकर वह फाइल ले आए और उसके अंदर रखे पेपर दिखाते हुए बोले "यह देखिए। इसके अंदर हमारे इस घर के पेपर भी है।"


     रेनू जी हैरानी से उन पेपर्स को देखने लगी और कुछ याद करके बोली "यह नहीं हो सकता। रस्तोगी जी जब पेपर देने आए थे तब बस यही एक पेपर था। हमारे घर का पेपर इसमें नहीं था। ये कहां से आया?" मिश्रा जी कुछ नहीं बोले बस मुस्कुरा दिए।


   "ये आप मुस्कुराना बंद कीजिए और जवाब दीजिए, ये पेपर्स कहां से आए?" रेनू जी हैरानी से मिश्रा जी की तरफ देखते हुए पूछा तो मिश्रा जी बोले "कभी-कभी हमारे बच्चे हैं यह सोचते हैं कि वह हमसे ज्यादा चालाक हैं। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि हम भी उनके बड़े हैं।"


      रेनू जी ने पूछा "आप कहना क्या चाह रहे हैं? यह काम निशि ने किया है? अरे उसे तो पता भी नहीं था इस बारे में, वह कैसे यह सब कर सकती है?"


     मिश्रा जी ने उन्हें कंधे से पकड़ा और ले जाकर बाहर कुर्सी पर बैठाते हुए बोले "आपको क्या लगता है, आपकी बेटी दामाद का अचानक से यहां आना और उनके यहां आते ही सब कुछ ठीक हो जाना और जरूरत से ज्यादा ठीक होना क्या यह बस संयोग भर है?"


    रेनू जी कुछ सोचते हुए बोली "आपके कहने का मतलब.........."


      रेनू जी अपनी बात पूरी नहीं कर पी मिश्रा जी बोले "रस्तोगी जी और बबली इस वक्त पुलिस कस्टडी में है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उनकी बेल नहीं हो सकती। यहां से निकलते ही पुलिस उन्हें और बबली को अपने साथ ले गई। वह दोनों अपने घर भी नहीं जा पाए। वह घर जो उन्होंने निशि के नाम किया था।"


    रेनू जी ने हैरानी से अपने मुंह पर हाथ रख लिए और बोली "इसका मतलब यह सब अव्यांश ने.........."


   कुछ कहने की बजाय मिश्रा जी ने बस अपनी पलके झपका दी। रेनू जी ने हैरानी से पूछा "लेकिन उन्हें सब के बारे में कैसे पता? और क्या निशि इस बार में जानती है?"


     मिश्रा जी इनकार करते हुए बोले "इस बारे में मुझे नहीं पता। लेकिन मैं इतना जानता हूं, इस सब के पीछे सिर्फ और सिर्फ अव्यांश का हाथ है।"

    

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