सुन मेरे हमसफर 122

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      "अव्यांश.......!" निशी की आवाज सुनकर अव्यांश ने उसकी तरफ देखा। लेकिन उसकी नाराजगी कम नहीं हुई थी। भले ही निशी ने उसे कितने भी प्यार से पुकारा हो।


     अव्यांश उसे इग्नोर कर बाथरूम में जाने लगा तो निशी ने उसकी कलाई पकड़ ली और बोली "क्या कर रहे हो? किस बात की नाराजगी है तुम्हें? क्या कर दिया मैंने?"


      अव्यांश ने उसे घूर कर देखा और अपना हाथ छुड़ाकर बाथरूम की ओर बढ़ चला। निशी एक बार फिर भागती हुई आई और इस बार बाथरूम के गेट पर खड़े होकर अव्यांश का रास्ता रोक लिया। अपने दोनों बांह फैलाकर बाथरूम का दरवाजा घेर कर बोली "सुबह बिल्कुल ठीक से तुम, फिर एकदम से क्या हो गया? किस बात की नाराजगी है तुम्हें?"


     अव्यांश ने एक गहरी सांस ली और बोला "तुम्हें क्या करना है मेरी नाराजगी से? तुम वह करो जो तुम्हें करना है। फिर भले ही चाहे उसके लिए तुम्हारी अपनी लाइफ खतरे में क्यों ना पद जाए। आज तुम्हें एहसास नहीं हो रहा है, बाद में इसके रिजल्ट आएंगे तब तुम खुद अपना सर पकड़ कर कहोगी कि तुमने गलती ऐसी गलती क्यों की।"


    निशी अपनी गलती एक्सेप्ट करते हुए बोली "मैं जानती हूं मैंने गलती की है, लेकिन मुझे नहीं पता था।"


     लेकिन अव्यांश इस सबसे कन्वेंस नहीं होने वाला था। "रियली! तुम्हे सच में नहीं पता था? ऐसा हो ही नहीं सकता कि तुम्हारी मम्मी तुम्हें इसके लिए मना ना करती हो। लेकिन दोस्तों के कहने पर और खुद को मॉर्डन दिखाने के लिए तुम करती थी और आज भी तुम ने वही किया। तो तुम करो जो तुम कर रही हो। मुझे इन सब से क्या लेना देना!" अव्यांश ने एक झटके से निशि का एक हाथ दरवाजे से नीचे किया और बाथरूम के अंदर घुस गया। इससे पहले कि निशी उसे फिर से मनाने की कोशिश करती, अव्यांश ने बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया।


     निशी को बहुत गुस्सा आया। वो चिल्लाई, "समझते क्या हो तुम अपने आपको? इस तरह तुम मुझे कुछ भी सुना दोगे? ठीक है यार, मुझे नहीं पता था। नहीं जानती थी मैं यह सब। शिवि ने समझा दिया मुझे। आइंदा ऐसा नहीं करूंगी।" लेकिन अव्यांश ने उसकी कोई भी बात सुनने की बजाय अंदर पानी का नल चालू कर दिया जिससे निशी की आवाज उस तक ना पहुंचे।


     उसे इस तरह इग्नोर करते देख निशी पैर पटकते हुए अपने कमरे से निकल गई। लेकिन वह जाए कहां? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। "दादी तो अभी आराम कर रही होंगी। मां और बड़ी मां तैयार हो रही होंगी। उन्हें भी तो ऑफिस निकलना है। तब घर में बचा कौन? सुहानी और शिवि दी। लेकिन शिवि भी तो हॉस्पिटल के लिए निकलने वाली होंगी। इससे पहले कि वो हॉस्पिटल के लिए निकल जाए, मुझे उनसे मिलना होगा। इस खडूस इंसान की शिकायत उन्हीं से कर सकती हूं मैं।"


     लेकिन तभी निशी को शिवि अपने एक हाथ में अप्रॉन और दूसरे हाथ में बैग लिए बाहर निकलती हुई नजर आई। निशी मन मसोसकर रह गई। लेकिन चलो, कोई बात नहीं। शिवि दी हॉस्पिटल के लिए निकल गई तो क्या हुआ, सुहानी हो घर पर ही होगी ना! उसी से बात कर लेती हूं। यह एंग्री बर्ड बाथरूम में जाकर अपना दिमाग तब तक ठंडा कर ले, उसके बाद उससे कोई बात करती हूं। सोचती हुई निशी सुहानी के कमरे की तरफ बढ़ चली।




दूसरी तरफ नेत्रा काव्या, कार्तिक, धानी कुहू और काया के साथ बैठी नाश्ता करने में मशगूल थी। नेत्रा ने आज ना सिर्फ खाना लगाने में काव्या की हेल्प की थी, बल्कि खुद उसके साथ किचन में लगकर किचन का काम भी किया था। कुछ चीजें उसने सीखने का नाटक किया था लेकिन सिखा भी था। और उसे ट्राई करने का सोच भी रही थी।


   काव्या खुश होकर बोली, "काश कि तुम हमेशा यहां रह जाती मेरे पास। कम से कम किचन में मेरा हाथ बटाने वाला और मेरे साथ टाइम पास करने वाला कोई तो होता।"


     काव्या ने तिरछी नजरों से अपनी दोनों बेटियों की तरफ देखा। नेत्रा के होठों पर भी एक प्यारी सी मुस्कान आ गई। लेकिन सिर्फ कुहू समझ रही थी कि इस मुस्कान में जरा सी भी मासूमियत नहीं है। नेत्रा यही तो चाहती थी। कैसे भी करके काव्या की नजरों में कुहू को नीचे गिरा कर खुद ऊपर उठना।


    उसने अपनी सीट छोड़ी और जाकर काव्या के बगल में बैठ गई। काव्या के थाली में नाश्ता परोसते हुए नेत्रा बोली "आंटी! मेरा बस चले तो मैं भी यहां आपके साथ ही रह जाऊं। वो क्या है ना, मॉम तो हमेशा अपने में ही बिजी रहती हैं और निर्वाण! उसका तो अलग ही सीन है। कब क्या करता है कहां होता है किसी को कुछ पता नहीं चलता। मॉम से भी मैं कितनी बातें करूंगी! यहां पर इतने सारे लोग हैं। कभी इस घर पर कभी उस घर पर। इधर-उधर उछलते कूदते मुझे बड़ा मजा आता है। और वैसे भी, जब तक हूं मैं पूरी कोशिश करूंगी कि किचन में आपका हाथ बटा सकू। वह क्या है ना, मॉम का तो आपको पता ही है, किचन में उनका कितना मन लगता है!"


     कार्तिक ने हंसते हुए कहा "यह बात तो किसी से छुपी नहीं है। किचन में जाने को बोलो तो उसे बेहोशी आती है। भला हो निक्षय का जो उसे संभाल लेता है।"


    नेत्रा भी हंसते हुए बोली "यह बात बिल्कुल सही कहा आपने अंकल। किचन तो डैड ही संभालते हैं। वरना मॉम का बस चले तो पूरे किचन को आग लगा दे। जिस दिन वह घुस जाती है, पूरे किचन को किसी युद्ध के मैदान की तरह बना देती हैं। ऐसा लगता है जैसे कोई बड़ा सा तूफान आ कर गुजरा हो।" डाइनिंग टेबल पर मौजूद सभी ठहाके मारकर हंस पड़े शिवाय कुहू के।


     नेत्रा ने तिरछी नजरों से कुहू की तरफ देखा जो नजरें नीची किए खाने में बिजी थी। नेत्रा का तीर बिल्कुल सही निशाने पर लगा था। सभी आपस में बातें करने में लगे हुए थे कि कुहू ने एकदम से पूछा "नेत्रा.....! तुम कुणाल को कैसे जानती हो?"


      खाते हुए नेत्रा अपना निवाला चबाना भूल गई। उसे उम्मीद नहीं थी कि कुहू कुणाल को लेकर उसे सीधे से सवाल करेगी, वह भी सबके सामने। फिर भी उसने कुहू के सवाल का जवाब देने की बजाय उल्टा उसी से सवाल किया "इससे पहले आप बताओ, आप कुनाल को कैसे जानते हो?"


    कुहू मुस्कुरा उठी और बोली "सवाल के बदले सवाल? यह तो कोई जवाब नहीं हुआ। पहले मैंने पूछा है तो जवाब भी मुझे ही मिलना चाहिए।"


    नेत्रा ने भी उसी तरह जवाब दिया "हां जानती हूं और समझती भी हूं। लेकिन मेरा जानना भी तो जरूरी है कि आप कुनाल को कैसे जानती हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि आपको डर लग रहा है? या फिर कुणाल पर आपको भरोसा नहीं है?"


      कुहू का मन किया कि वह अभी अपने हाथ में पकड़ा कांटा नेत्रा के गले में मार दे। लेकिन नेत्रा का सवाल भी कुछ गलत नहीं था। कुहू वैसे ही कुणाल को लेकर डरी हुई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस पर भरोसा करें और किस पर नहीं। कुणाल की आदते और उसकी हरकतें जो इस दौरान पूरी तरह बदल गई थी, उससे तो ऐसा लगने लगा था जैसे वह उस कुणाल को जानती ही नहीं। लेकिन एक ओर शिविका थी तो दूसरी ओर नेत्रा। आखिर कुणाल की नजरों में इन दोनों में से कौन थी, कुहू बस यह समझ नहीं पा रही थी। सीधे सीधे सवाल करने पर क्या कुणाल उसे सच बताएगा?


    सोचते हुए कुहू ने कहा "हम दोनों कॉलेज फ्रेंड है। काफी टाइम से एक दूसरे को जानते हैं। और यह बात घर में सबको पता है। तुम अपनी बात बताओ।"


      नेत्रा मुस्कुरा कर बोली "एक दूसरे को जानते हैं या सिर्फ पहचानते हैं?"


    कुहू ने इस बार वाकई कांटा नेत्रा की तरफ घुमा ही दिया था। लेकिन बगल में बैठी काया ने एकदम से कुहू का हाथ पकड़ लिया और बोली "हां नेत्रा! मुझे भी जानना है आखिर तुम कुणाल जीजू को कैसे जानती हो? जिस तरह से तुम कुणाल जीजू के साथ कंफर्टेबल थी, मुझे तो लगा तुम दोनों एक दूसरे को काफी अच्छे से जानते हो।"


     नेत्रा थोड़ा चेहरा बनाकर बोली "हां जानते हैं हम एक दूसरे को। ज्यादा पुरानी बात नहीं है। यही कोई लगभग 1 साल पुरानी बात है। आई मीन 1 साल पहले तो हम अलग हुए थे। ऊप्स! मेरा मतलब 1 साल पहले हम एक दूसरे के टच में नहीं रहे। उससे पहले हम साउथ अफ्रीका में मिले थे। वहां हमने काफी एंजॉय किया था।" नेत्रा ने खासतौर पर इंजॉय शब्द थोड़ा जोर देकर का जिससे कुहू चिढ़ गई।

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