सुन मेरे हमसफर 117

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     कुहू कुणाल का हाथ पकड़े खड़ी थी, जिसे देख नेत्रा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह कुहू को उसकी जगह दिखाना चाहती थी लेकिन उससे पहले ही सिया ने उसे आवाज लगाई "नेत्रा.........!"


     सिया की आवाज सुनकर नेत्रा भागते हुए आई और सब कुछ भूल कर उनके गले लग गई। सिया ने अपनी नातिन को बाहों में भर लिया और बोली "कितने दिनों के बाद तू मेरे गले से लगी है। तुझे पता है, कितना मिस किया मैंने तुझे!"


     नेत्रा उनसे अलग हुई और थोड़ा सा गुलाल हाथों में लेकर उनके चेहरे पर लगाती हुई बोली "मैंने भी आप सबको बहुत मिस किया, खासकर आपको।"


     सिया ने भी अपने हाथ में गुलाल लिया और नेत्रा के गाल पर लगाकर बोली "बहुत अच्छे से पता है, तुम मुझे कितना मिस कर रही थी। यह तो कहना ही मत कि मैं स्पेशल हूं। अगर स्पेशल होती तो यहां आकर सबसे पहले तुम मुझसे मिलती, लेकिन नहीं! तुम गई कहां, सीधे अपनी बहन के पास। बहनों के अलावा तुम लोगों को कोई दिखता है क्या? अब तो मुझे जलन होती है तुम सबसे।"


     नेत्रा कुछ और कह पाती उससे पहले ही सारांश की नजर नेत्रा पर पड़ी और वो नेत्रा को ताना देते हुए बोले "अपनी मां से कम नहीं है तू। उसी की कार्बन कॉपी है। काश थोड़े गुण अपने बाप से लिए होते।"


     सारांश ने नेत्र को गुलाल लगाकर आगे कहा "इस घर का रास्ता ही तू भूल चुकी थी। अचानक से कैसे याद आ गई हमारी?"


    नेत्रा सारांश के गले लग गई और बोली "आप सब को कैसे भूल सकती हूं मैं? ऐसा तो सपने में भी मत सोचना। इस बार सारा काम छोड़कर आप लोगों के पास आई हूं, घर भी नही गई।"


     सिद्धार्थ भी श्यामा के साथ वहां आ पहुंचे और नेत्रा से पूछा "तू तो यहां आ गई, निर्वाण भी यही है लेकिन तेरे मां-बाप कहां है?"


    नेत्रा हंसते हुए बोली "वह दोनों? उन दोनों के बारे में तो आप पूछो ही मत। इस उम्र में भी पता नहीं कहां से फितूर सवार हो गया जो दोनों हनीमून पर गए हैं।"


    अवनी ने सुना तो उसकी हंसी छूट गई। उसने कहा "यह सिर्फ चित्रा का ही काम है। हमारी चित्रा सबसे हटके है। उसने तो कहा था और सब हमारे सामने ही प्लान बना था।"


     कार्तिक और काव्या भी वहां पहुंचे और बोले "ऐसा होना भी चाहिए। इंसान दिल से जवान हो तो पूरी लाइफ काफी एनर्जेटिक रहती है। इंसान को खुश रहने के लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं पड़ती।"


     काव्या कहां पीछे रहने वाली थी। उसने भी कार्तिक को ताना मार कर कहा "हमारी चित्रा ऐसी है तो हमारे निक्षय बाबू भी कुछ कम नहीं है। अब देखो ना, दोनों की जोड़ी क्या खूब है। एक में आज भी बचपना भरा पड़ा है और दूसरा उस बचपने को आज भी बनाए हुए हैं। हमारी चित्रा जैसे पहले थी आज भी वैसे ही है।"


      नेत्रा ने कुहू की तरफ देखा जो उन्हीं सब लोगों की तरफ देख रही थी। नेत्रा को मौका मिल गया। वो जाकर काव्या के गले लग गई और उसे गुलाल लगाकर कहा "हैप्पी होली आंटी!"


     काव्या ने भी बड़े प्यार से नेत्रा को हैप्पी होली कहा तो नेत्रा बोली "आपके हाथ की गुझिया मिलेगी ना? पता है, बाहर रहकर ना मैंने सबसे ज्यादा इसी को मिस किया है। आपके हाथ में जो स्वाद है ना, मतलब मजा आ जाता है। और वह बेसन के लड्डू! आप कमाल का बनाते हो।"


     काव्या खुश होकर बोली "तुम्हारे लिए कुछ भी। गुझिया भी है और बेसन के लड्डू भी बन जाएंगे। और कोई फरमाइश हो तो वह भी कह देना, सारे पूरी हो जाएगी।"


     नेत्रा खुश होकर बोली "सच में आंटी? मतलब कि मुझे जो भी खाने का मन होगा तो सब मिलेगा? आप बनाओगे मेरे लिए?"


     काव्या ने उसके सर पर हाथ रखा और बोली "बिल्कुल! तुम जो कहोगी वह सब बन जाएगा। सब कुछ तुम्हारे पसंद का।"


   नेत्रा ने कुहू की तरफ देख कर कहा "तो फिर ठीक है। मेरी पसंद तो आपको पता ही है। तो कल सुबह का नाश्ता आप सबके साथ करूंगी और आप के हाथ से खाऊंगी। आप बनाओगे ना मेरे लिए?"


    काव्या और नेत्रा को एक दूसरे से इतना लाड जताते देख कुहू को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो अच्छे से जानती थी कि नेत्रा जानबूझकर उसे चिढ़ाने के लिए सब कर रही है। नेत्रा काव्य के गले लग कर मन ही मन बोली 'तुम्हें तुम्हारी ही दवाई का स्वाद चखाऊंगी मैं। जिस तरह तुम्हारे रहते मुझे मेरी मां का प्यार नहीं मिल पाता है, वैसे ही मैं तुम्हारी मां को भी तुमसे दूर कर दूंगी। आई हेट यू कुहू! आई हेट यू!! पूरी दुनिया में इतनी नफरत मैंने किसी से नहीं की जितनी में तुमसे करती हूं।'


   नेत्रा काव्य से अलग हुई और बोली "नीरू कहां है?"


     इतने में अव्यांश घर से बाहर निकला और सब को एक जगह इकट्ठा ठीक बोला "क्या हो गया? सब ठीक तो है?" जब उसकी नजर नेत्रा पर गई तो उसने भागकर जाकर नेत्रा को गोद में उठा लिया और हवा में दो-तीन बार गोल गोल घुमा दिया।


     नेत्रा अपना सर पकड़ कर बोली "पूरी दुनिया घुमा दी तूने यही खड़े खड़े।"


     अव्यांश हंसते हुए बोला "देखा! अब यह मत कहना कि मैं तुझे टाइम नहीं देता।"


      नेत्रा ने अव्यांश का नाक पकड़कर खींचा और बोली "वह सब छोड़ो, और हमारी भाभी कहां है यह तो बताओ। तुम दोनों की शादी की तस्वीर देखी, तुम दोनों एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे।"


    अव्यांश अपनी कॉलर ऊंची कर बोला "मैं तो हमेशा ही अच्छा लगता हूं। वैसे निशी अभी अपने कमरे में है, आराम कर रही है। तू अपनी बता। इंडिया वापस कब आई?"


      नेत्रा ने कहा "बस आज सुबह ही दिल्ली उत्तरी हूं। मुझे तो लगा था आज की होली मिस कर दूंगी लेकिन बच गई।" नेत्रा ने चारों तरफ नजर दौड़ा कर एक बार फिर पूछा "नीरू कहां है? सब लोग यहां है बस वही नजर नहीं आ रहा।"


     अव्यांश ने अपने कंधे उचका कर कहा "एक जगह टिकता, तब तो किसी को उसकी खबर रहती। अपनी बाइक लेकर..... सॉरी, अपनी गर्लफ्रेंड लेकर निकला है बाहर। वैसे, आने दो उसे, अच्छे से क्लास लगाएंगे उसकी। तेरे आने की खबर उसने दी ही नहीं हमें।"


     नेत्रा हंसते हुए बोली "वह कैसे बताता! उसे खुद कुछ नहीं पता था। अच्छा, सब लोग यहां है तो सोनू और समर्थ भाई कहां है?"


    सुहानी ने आकर पीछे से उसे पकड़ लिया और बोली "मैं तो यहां हूं और समर्थ भाई, वो रहे।"


     नेत्रा ने देखा, समर्थ किसी लड़की के साथ चला रहा था। नेत्रा को बहुत ज्यादा हैरानी हुई। उसने इशारे से सुहानी से पूछा तो सुहानी बोली "मेरी दोस्त और हमारी होने वाली भाभी है, तन्वी!"


    नेत्रा की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने खुशी से चिल्लाते 

 हुए कहा "सच में? मतलब समर्थ भाई और शिविका दी की एक ही साथ में शादी होने वाली है? एक साथ दो दो शादियां अटेंड करने को मिलेगी??"


     शिवि की शादी की बात सुनकर सबको आश्चर्य हुआ। सुहानी भी हैरान होकर बोली "शिवि की शादी? आपसे किसने कहा?"


     अब नेत्रा कंफ्यूज हो गई। उसने कहा "क्यों? शिवि की शादी तय हुई है ना?"


     कुहू कुणाल की बांह पकड़कर इतराते हुए आई और बोली "पुअर नेत्रा! तुम हमारे ग्रुप में शामिल होगी, तब तो तुम्हें कुछ पता होगा ना! इसमें भी तुम्हारी क्या गलती, तुम्हारे पास तो टाइम ही नहीं है किसी की खबर रखने के लिए। तुम तो अपने काम में इतनी उलझी रहती हो तो किसी और के लिए क्या वक्त निकालोगी? समर्थ भाई की शादी तय हुई है लेकिन शिवि की नहीं। उसके लिए तो अभी भी बड़ी मां रिश्ता देख रही है। वैसे एक बात बिल्कुल सही कहा तुमने, एक साथ दो शादियां अटेंड करने को मिलेगा तुम्हें। एक समर्थ भाई और तन्वी भाभी की शादी और दूसरी, मेरे और कुणाल की शादी।"


    कुहू और कुणाल की शादी की बात सुनकर नेत्रा को झटका लगा। ' नही! ऐसा नहीं हो सकता। मैं कुणाल को शिवि दी के लिए छोड़ सकती हूं लेकिन कुहू...... उसके लिए तो बिल्कुल भी नही, कभी नहीं।' नेत्रा मन ही मन चिल्ला पड़ी। लेकिन वह कुछ कहती उससे पहले कुहू को नेत्रा को कुणाल से मिलाते हुए बोली "मेरे मंगेतर से नहीं मिलोगी? यह कुणाल है, कुणाल रायचंद, मेरे होने वाले हस्बैंड।"


     नेत्रा ने हैरानी से कुणाल की तरफ देखा। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कुणाल कुहू से शादी करने के लिए तैयार होगा। कुणाल को भी समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे रिएक्ट करें। घर वाले भी समझ रहे थे औरों के बीच टेंशन बढ़ने वाली है

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