सुन मेरे हमसफर 116

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   अव्यांश सुहानी का दिया हुआ छोटा सा बैग लेकर कमरे में आया और बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक दी। निशी को लगा, अव्यांश उसके लिए हेल्प लेकर आया है सो उसने जल्दी से दरवाजा खोल दिया और अपना सर बाहर निकाल कर बोली "कौन आया है? किसे लाए हो तुम अपने साथ?"


   निशी ने अव्यांश के पीछे झांक कर देखा लेकिन वहां कोई नहीं था। अव्यांश ने अपने हाथ में पकड़ा बैग निशी की तरफ बढ़ाते हुए वह बोला "यह मैं सुहानी के पास से लेकर आया हूं। देख लो अगर तुम यह ब्रांड यूज करती हो तो! वरना, फिलहाल के लिए इसे यूज कर लो, हम चल कर मार्केट से तुम्हारे लिए कुछ खरीदारी कर लेते हैं।"


     निशी को समझ नहीं आया कि वह क्या ही बोले। ब्रांड? अब वह कैसे बताएं कि वह कौन सा ब्रांड यूज करती है? लेकिन सबसे ज्यादा उससे अजीब इस बात से लगा कि अव्यांश यह सैनिटरी पैड्स अपनी बहन के पास से लेकर आया है। मतलब थोड़ी तो प्राइवेसी रखो! निशी ने उस बात को तो पकड़ लिया लेकिन अव्यांश से बोली "अपनी बहन की अलमारी में ताक झांक करते हुए तुम्हें अच्छा लगता है? मैंने कहा था किसी को बुला दो।"


     अव्यांश उसकी बातों से इरिटेट होकर बोला "सारे लोग बाहर हैं और सभी अपनी मस्ती में है। कोई नहीं आने वाला। अगर मैं यहां से आवाज भी दूं तब भी कोई नहीं सुनेगा। और यह बैग में सोनू की अलमारी से चुरा कर नहीं लाया हूं, सोनू अपने कमरे में थी, मैंने उससे मांगा, उसने मुझे दिया। मुझे किसी का सामान चेक करना अच्छा नहीं लगता, फिर चाहे वह मेरी बहन ही क्यों ना हो।"


      निशा उसे हैरानी से देखने लगी तो अव्यांश ने उसे पीछे की तरफ इशारा किया और कहा "अब जाकर जल्दी से चेंज कर लो। या यही दरवाजे पर खड़े होकर इंटेरोगेशन करना है?"


     निशी को याद आया और उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया। अव्यांश वहीं खड़ा था, दरवाजे पर। उसे कुछ याद आया और वह अपने कमरे से निकलकर किचन में चला आया। कोई रेसिपी थी उसके पापा की। अदरक वाली चाय जिसमें कुछ हर्ब्स मिलाने थे। अव्यांश ने फटाफट चाय तैयार करी और उसे लेकर अपने कमरे में चला आया।


   निशी अब तक कपड़े बदल चुकी थी। वह जैसे ही बाथरूम से बाहर निकली, अव्यांश ने बिना कुछ कहे एकदम से उसे अपनी गोद में उठा लिया। निशी चिल्लाई "क्या कर रहे हो तुम? मुझे नीचे उतारो, मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूं।"


    अव्यांश ने उसकी एक भी बात का जवाब नहीं दिया और चुपचाप उसे ले जाकर बिस्तर पर बैठा दिया। निशी नाराज होकर बोली "तुम्हें मुझे टच करने में मजा आता है क्या?"


    इस बार अव्यांश थोड़ा सा झुका और उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला "ये बात तो तुम बताओगी। तुम से बेहतर कौन जान सकता है!" अव्यांश की आंखों में शरारत थी और उसके होठों पर शैतानी मुस्कान। निशी ने अपनी नजर दूसरी तरफ कर ली।


    अव्यांश ने चाय का कप उठाया और निशी की तरफ बढ़ाते हुए बोला "जल्दी से उसको पी जाओ। ठंडी हो जाएगी तो फिर किसी काम की नहीं रहेगी।"


    निशा ने उस कप की तरफ सवालिया नजरों से देखा और बोली "इसमें क्या है? और मुझे इसकी जरूरत नहीं है। मैंने नहीं मंगाया इसे।"


      अव्यांश ने चाय का कप जबरदस्ती निशी के हाथ में पकड़ाया और बोला "तुमने मंगाया नहीं था लेकिन मैं लेकर आया हूं क्योंकि तुम्हें इसकी जरूरत है। चुपचाप से इसको पियो और आराम करो, ज्यादा इधर-उधर करने की जरूरत नहीं है।"


     अव्यांश की बातों में कुछ ऐसा था कि निशी चुपचाप उसकी बात मानने को मजबूर हो गई। उसने चाय के कप को होठों से लगाया और एक चुसकी लेकर बोली "ये तो बहुत अच्छा है। मुझे नहीं पता था तुम इतना अच्छा चाय भी बना लेते हो। लेकिन यह कौन सी चाय है? पहले कभी टेस्ट नहीं की ऐसी चाय! किचन में थी और मुझे पता भी नही।"


     अव्यांश उसके सामने टेबल पर ही जाकर बैठ गया और बोला "यह डैड की रेसिपी है। उन्होंने ही कुछ हर्ब्स मिक्स करके चाय तैयार की थी। ये पीरियड्स में काफी हेल्पफुल होता है। यू नो, ऐसी सिचुएशन में किसी भी लड़की की बॉडी, और दिनों के मुकाबले ज्यादा कमजोर होती है। इन कुछ दिनों में उन्हें एक्स्ट्रा केयर की जरूरत पड़ती है। इसलिए यह कोई चाय नहीं है, बल्कि एक मेडिसिन है।"


     निशी ने चाय की एक और चुस्की ली और पूछा "तुम सुहानी के कमरे में गए थे और लिटरली उससे यह मांग कर लाए! आई मीन, तुम दोनों भाई बहन इतना ओपन हो क्या? मतलब इस मामले में तुम इतने कैजुअल कैसे हो सकते हो?"


     अव्यांश धीरे से मुस्कुरा दिया और बोला "तुम शायद भूल रही हो, इस घर में 2 डॉक्टर रहते हैं। ऐसे में हमें जितना स्कूल में पढ़ाया जाता है, उससे कहीं ज्यादा सिखाया गया है। भले ही हम ने इस सब्जेक्ट को चूज नहीं किए थे, लेकिन पापा ने स्ट्रिक्टली हमें इस सब के लिए तैयार किया था ताकि हम दोनो भाई अपनी बीवी का ख्याल रख सके, जैसे वह अपनी बीवी का रखते हैं। आई मीन, जैसे वो मां का ख्याल रखते है। तुम आराम से चाय पियो, मैं बाहर सबको तुम्हारे बारे में बता कर आता हूं।"


    निशी की आंखें हैरानी से फैल गई। अव्यांश उठा और वहां से जाने को हुआ लेकिन निशी ने एक झटके में चाय का कप साइड टेबल पर रखा और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया, जिससे अव्यांश का बैलेंस बिगड़ा और वह निशि को अपनी बाहों में लिए सीधे बिस्तर पर जा गिरा।



*****





    कुणाल बेचारा सा नेत्रा और शिविका को देख रहा था। वह दो बहने एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे के साथ, तो कभी एक दूसरे से ताल से ताल मिला कर नाच रही थी और दोनों का डांस काफी फनी था। लेकिन कुणाल के चेहरे की सारी रौनक हवा हो चुकी थी। कुछ वक्त के लिए वह भूल गया था कि उसके और नेत्रा को लेकर शिवि को गलतफहमी थी, जो पूरी तरह से गलत भी नहीं थी। लेकिन सवाल कुहू का भी था। 


    कुणाल को अपनी आंखों के सामने अंधेरा छाता हुआ महसूस हुआ। इतने में कुहू ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और बोली "तुम यहां क्या कर रहे हो?"


     लेकिन कुणाल तो अपने ही ख्यालों में था। उसने कुछ सुना ही नहीं। कुहू ने कुणाल की नजरों का पीछा किया। स्टेज पर शिविका किसी के साथ नाच रही थी। कुहू को थोड़ा वक्त लगा उस लड़की को पहचानने में लेकिन उसकी आंखें हैरानी से फैल गई "नेत्रा.....! यह यहां क्या कर रही है?"


    इतने में काया और सुहानी भी भागते हुए स्टेज पर जा पहुंची और नेत्रा के गले से लग गई। सभी उन चारों बहनो की बॉन्डिंग देखा रहे थे। लेकिन कुहू वही चुपचाप कुणाल के साथ खड़ी थी। कुणाल को अब जाकर आया कि कुहू उसके पास उसका हाथ पकड़े खड़ी थी। इस ओकवर्ड सिचुएशन से बचने के लिए उसने कुहू से पूछा "तुम यहां क्या कर रही हो?"


     कुहू ने भी नाराजगी से जवाब दिया "क्यों? क्या मुझे यहां तुम्हारे साथ नहीं होना चाहिए?"


     कुणाल को समझ नहीं आया कि आखिर कुहू को नाराजगी किस बात से है? उसने कहा "नहीं, मेरे कहने का वह मतलब नहीं था। मैं बस यह कह रहा था कि देखो तुम्हारी सारी बहने वहां मजे से एंजॉय कर रही है और तुम यहां खड़ी हो। मैं बस इसलिए पूछ रहा था। अगर तुम्हें मेरी बात का बुरा लगा तो सॉरी!"


    कुहू जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "सॉरी तो मुझे कहना चाहिए। मुझे तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं लगा। बुरा तो मुझे किसी बात का लगा है।" कुहू की नजर नेत्रा पर थी।


    नेत्रा और कुणाल के रिश्ते से अनजान कुहू, नेत्रा के सामने कुणाल को लेकर शो ऑफ करना चाहती थी, जैसा कि हर लड़की करती है। लेकिन अभी उसे यह सही समय नहीं लगा। उसने कहा "कुणाल! तुम चलो मैं तुम्हें अपने कुछ दोस्तों से मिलवाती हूं। वह लोग अभी अभी आए हैं।"


     डांस करती हुई नेत्रा की नजर कुणाल के बगल में खड़ी कुहू पर गई, जो कुणाल के कुछ ज्यादा ही करीब खड़ी थी और उसने पूरे हक़ से, या जबरदस्ती कुणाल का हाथ पकड़ रखा था। कुणाल उससे अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रहा था लेकिन कुहू उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी।


    नेत्रा ने अजीब तरह से कुहू को देखा और मन ही मन बोली 'कुणाल से इतना चिपकने की जरूरत नहीं है। मैं अच्छे से जानती हूं तुम्हें दूसरों की खुशियां, दूसरों के रिश्ते छीनने की आदत है। कुणाल और शिविका दी के बीच मैं तुम्हें नहीं आने दूंगी।'

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