सुन मेरे हमसफर 77

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    काया के ड्रेस का फैब्रिक थोड़ा हल्का था इसलिए ऋषभ के हाथ की गर्माहट काया साफ महसूस कर पा रही थी। अब यह ऋषभ के छूने का असर था या वहां के एसी की वजह से, काया के रोंगटे खड़े हो गए। वह घबराई हुई सी ऋषभ को देखने लगी जो उसे बड़े प्यार से देख रहा था।


     काया कसमसाते हुए बोली "प्लीज! मुझे जाने दो। देखो, मेरी बहन सारी बाहर ही है। वो मुझे ढूंढते हुए किसी भी वक्त यहां सकती है। उन लोगों ने तुम्हें यहां मेरे साथ देख लिया तो........."


     ऋषभ ने काया की कमर पर अपनी पकड़ थोड़ी और मजबूत की और बोला "देख लेने दो। आखिर उन्हें भी तो पता चलेगा कि उनकी बहन का एक बॉयफ्रेंड है जो इतना हैंडसम दिखता है।"


     काया घबरा गई। इस वक्त इस बंद केबिन में सिर्फ वह दोनों थे और ऐसे में ऋषभ उसके साथ क्या कर सकता था, वह यह सोच भी नहीं सकती थी। काया गुस्से में बोली "तुम बड़े बेशर्म इंसान हो।"


     ऋषभ के होठों पर एक बड़ी शरारत भरी स्माइल थी। उसने कहा "लेकिन मैं तो इंसान नहीं हूं। अकॉर्डिंग टू यू, मैं लफंगा हूं। तो लफंगे बेशर्म ही होते हैं मिस काया!"


     काया उसे धमकाते हुए बोली "देखो, कार्तिक या ऋषभ, जो भी हो तुम, अगर....... अगर तुमने मेरे साथ बदतमीजी की मैं कुणाल जीजू को फोन करूंगी और तुम्हारी सारी हरकत के बारे में बताऊंगी। कल सबके सामने कितने शरीफ बन रहे थे तुम, और आज.....! मुझे पता था, तुम कभी नहीं सकते। छोड़ो मुझे वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"


     काया ने जबरदस्ती अपनी पूरी शक्ति लगाकर ऋषभ को खुद से दूर किया और एक झटके में दरवाजे की सिटकनी खोल दी। ऋषभ को बाहर से किसी की जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दे रही थी इसलिए उसने भी तुरंत हरकत की और काया को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा।


     बाहर खड़ी लड़की, जो ऋषभ को ही ढूंढ रही थी, उसकी नजर अंदर खड़े दो लोगों पर गई जिसमें से एक ऋषभ था। इससे पहले कि वह ऋषभ के पास जा पाती, ऋषभ ने एकदम से झुक कर काया को किस कर लिया। काया की आंखें हैरानी से और ज्यादा चौड़ी हो गई। पहले तो उसके दिमाग ने काम करना एकदम से बंद कर दिया, लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो रहा है तो उसने ऋषभ को मारना शुरू कर दिया। लेकिन ऋषभ था कि उसे छोड़ नहीं रहा था। ना काया चिल्ला पा रही थी, और ना ही खुद को ऋषभ की पकड़ से छुड़ा पा रही थी।


    उस लड़की ने जब ऋषभ को किसी और लड़की के साथ देखा तो पैर पटकती हुई वहां से निकल गई। उसके जाने के कुछ देर बाद ऋषभ ने एकदम से काया को छोड़ दिया। काया की आंखों में आंसू आ गए। उसने अपना चप्पल उतारा और उसी से ऋषभ की धुनाई शुरू कर दी। ऋषभ, पहले तो बचने की कोशिश करता रहा लेकिन फिर एकदम से काया के दोनों हाथ पकड़ कर उसे शीशे से सटा दिया। काया की चप्पल नीचे गिर गई। वो गुस्से में चिल्लाई "मैं तुम्हारी जान ले लूंगी!!!"


     ऋषभ धीरे से उसकी तरफ झुका। काया को लगा, ऋषभ एक बार फिर ऐसी वैसी कोई हरकत करेगा इसलिए उसने अपना चेहरा जल्दी से दूसरी तरफ घुमा लिया। ऋषभ मुस्कुरा उठा और उसने धीरे से काया के कान में कहा "ले लो मेरी जान, तुम्हारी ही है। ट्रस्ट मी! मैं कुछ नहीं कहूंगा।"


     ऋषभ की सांसे काया की गर्दन से टकरा रही थी और इससे काया को अपने अंदर कुछ अजीब सा एहसास हो रहा था। ऋषभ धीरे से काया से अलग हुआ और बाहर निकलते हुए बोला "आज के लिए थैंक यू, मुझे बचाने के लिए। और हां! इस ड्रेस में तुम कमाल लग रही हो।" 


     काया ने नजर घुमाकर ऋषभ की तरफ देखा और गुस्से में नीचे पड़ी अपनी सैंडल उठाकर ऋषभ की तरफ फेंका लेकिन उससे बचता हुआ मुस्कुरा कर वहां से बड़े आराम से निकल गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। काया पैर पटकती रह गई।


     सुहानी और निशी दोनों ही जूते खरीदने में बिजी थी। निशी को लेना नहीं था लेकिन सुहानी ने जबरदस्ती उसके लिए 2 जोड़ी जूते खरीद लिए। वहां से होकर वह दोनों कुहू के पास जाने के लिए निकले लेकिन एक स्टोर पर उन्हें काया नजर आ गई जो काफी गुस्से में नजर आ रही थी।


     सुहानी अंदर गई और काया से पूछा "क्या हुआ तुझे? इतने गुस्से में पागल क्यों हो रही है?"


    काया अब क्या ही बताती उसे। सारी बातें तो कह नहीं सकती थी, जो कुछ भी उसके साथ हुआ। उसने बस इतना कहा "कल वह लफंगा कितना शरीफ बन रहा था, देखा था तूने?"


    काया की बातें सुहानी को थोड़ी अजीब लगी। उसने पूछा "लफंगा? तू किसकी बात कर रही है?"


     काया तो खार खाए बैठी थी। उसने कहा "वही लफंगा, जो कुणाल जीजू का दोस्त बन कर आया था। कितना शरीफ बन रहा था! अभी 10 मिनट पहले अगर तू यहां होती तो तुझे पता चलता कि कितना बड़ा............! उसने मुझे पागल कर के रख दिया है। पता नहीं किस मनहूस घड़ी में उस से टकराई थी मैं, जो मेरा पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा। कहीं भी जाऊं, वह टपक पड़ता है। समझ नहीं आता वह सच जानबूझकर करता है या फिर अनजाने में मेरे से टकराता है?" बोलते हुए काया की सांस फूल रही थी।


     काया के हाथ में वही ड्रेस थी जो उसने पहन कर ट्राई किया था। उसने उस ड्रेस को ऐसे ही कपड़ों के रेक में फेंक दिया और वहां से जाने लगी तो सुहानी बोली "इतनी अच्छी ड्रेस थी, तूने छोड़ क्यों दिया? फिट नहीं आ रही थी क्या?"


     काया का मूड पूरी तरह खराब हो चुका था। वह बाहर निकलते हुए बोली "मुझे पसंद नहीं आया।" सुहानी उसके पीछे भागी। पीछे खड़े किसी ने उस ड्रेस को उठा लिया और बिलिंग काउंटर पर भेज दिया।




     कुहू अपने लिए एक चेन देख रही थी जो वाइट गोल्ड की बनी थी जिसमें एक बड़ा ही प्यारा सा लॉकेट था। कुहू की नजरे उस पर से हट ही नहीं रही थी। उसने एक बार अपने गले में ट्राई किया और आईने में देखने लगी। सुहानी पीछे से आई और उसके गले लग कर बोली "बहुत खूबसूरत लग रहा है। जैसे आपके लिए ही बना हो।"


     निशी भी उसकी तारीफ किए बिना रह ना पाई और बोली "वाकई! बहुत खूबसूरत है।"


     कुहू ने उस चैन को अपने गले से उतारा और निशी के गले में पहना दिया। निशी इस बात से हैरान रह गई। उसने कहा "यह क्या है दी?"


   कुहू बड़े प्यार से बोली, "अभी तुमने कहा ना कि बहुत खूबसूरत है! तो मुझे यह तुम पर ज्यादा अच्छा लगा।"


      सुहानी नाराज होकर बोली "तारीफ तो मैंने भी की थी!"


    कुहू ने मुस्कुराकर सुहानी के गाल को छुआ और बोली "तुम्हारे लिए दूसरी लेते है। यह वाली तो सिर्फ मेरी भाभी के लिए।"


    काया ने शिकायत किया "यह गलत बात है दी।" सुहानी ने भी वही शिकायत दोहराई तो सभी हंस पड़े।



     इधर परेशान शिवि अपने कमरे में टहल रही थी। श्यामा उसे देखने जैसे ही उसके कमरे में आई तो देखा शिवि अपने बेड पर आराम से कंबल ओढ़े सो रही थी। उन्होंने प्यार से शिवि के बालों को सहलाया और वहां से चली गई। शिवि उनके जाते ही उठ कर बैठ गई और अपना फोन उठा कर बोली "तू कब फ्री होगी? मुझे तुमसे बात करनी है, तुझे समझ नहीं आ रहा?"


    शिवि बुरी तरह परेशान थी लेकिन फिर भी थकान की वजह से कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नही चला। लेकिन जैसे ही आंख लगी, उसका फोन बज उठा। शिवि ने अलसाई नजरों से अपने फोन के स्क्रीन की तरफ देखा तो नेत्रा का नंबर देखकर उसकी सारी नींद उड़ गई। उसने जल्दी से कॉल रिसीव किया और बोली "कब से तेरे फोन का इंतजार कर रही हूं! इतनी देर तक कौन सोता है?"


    दूसरी तरफ से नेत्रा बोली "मैं इंडिया में नहीं हूं, इसीलिए अगर आपको लग रहा है कि बहुत लेट है तो आप गलत हो। अब बताओ, फोन क्यों किया था?"


      शिवि ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला लेकिन उसकी बात गले में ही अटक कर रह गई। उसे सवाल क्या पूछना था वही समझ नहीं आया। नेत्रा ने एक बार फिर सवाल किया "क्या हुआ? अब फोन किया था तो जाहिर सी बात है, कुछ पूछना ही था। अब पूछ भी लो, जो पूछना है।"


     शिवि ने गहरी सांस ली और कहां "तेरे और कुणाल के रिलेशनशिप के बारे में पूछना था मुझे। तू मुझे सच-सच बताएगी?"


    नेत्रा कुछ काम कर रही थी। कुणाल का नाम सुनकर उसके हाथ जहां थे वहीं रुक गए। कुणाल का नाम पिछले 1 साल में किसी ने नहीं लिया था उसके सामने। ना ही उसने कांटेक्ट करने की कोशिश की थी। इस तरह अचानक शिवि के पूछने से नेत्रा चौक गई "क्या हुआ? अचानक से यह सवाल क्यों?"


     शिवि ने सीधे से कहा "जितना मैंने पूछा है बस इतना ही जवाब दें। मैं तेरे और कुणाल की रिलेशनशिप को लेकर पूछ रही हूं। क्या तुम दोनों सीरियस थे? क्या तू सीरियस थी उसके लिए? जिस तरह कुणाल के एक्सीडेंट के बाद तूने मुझे कॉल किया था, उससे तो मुझे यही लगा कि वह तेरे लिए कितना मायने रखता है। लेकिन इतने टाइम बाद भी मुझे तुम दोनों की कोई खबर नहीं है। मुझे बस तेरे मन की बात जाननी है। किसी और से मेरा कोई लेना देना नहीं।"


     शिवि ने अपना सवाल रख तो दिया था लेकिन नेत्रा का जवाब क्या होगा यह सोच कर ही वह घबरा रही थी। उसके लिए जितनी जरूरी नेत्रा थी उतनी ही कुहू भी थी। वह दोनों के साथ ही कुछ गलत होते नहीं देख सकती थी।


     तो क्या होगा नेत्रा का जवाब? आइए जानते हैं अगले एपिसोड में।



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