सुन मेरे हमसफर 8

 SMH 8





    अवनी तैयार होकर बाहर निकलने को हुई तो देखा सारांश घर के कपड़ों में घूम रहा था। अवनी हैरान होकर बोली "यह सब क्या है सारांश? आप अभी तक तैयार नहीं हुए? हमें निकलना है ना?"


    सारांश बिस्तर पर पसरते हुए बोला "चलेंगे ना यार! अभी बहुत टाइम है।" 


   अवनी को गुस्सा आ गया। उसने सारांश का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती उठाते हुए बोली "बिल्कुल भी नहीं! आपको तैयार होने में भी टाइम लगेगा। और फिर रास्ते में ट्रैफिक मिल गया तो क्या करेंगे? हमारी फ्लाइट मिस हो जाएगी। प्लीज सारांश!"


     सारांश जानबूझकर अवनी को परेशान करने के लिए यह सब कर रहा था और अवनी वाकई अपनी परेशान हो भी रही थी। अवनी ने उसे जबरदस्ती बिस्तर से उठाया और हाथ में टॉवेल देकर बाथरूम की ओर धक्का दिया। लेकिन बाथरूम जाने की बजाए सारांश अवनी के पास आया और कमर में हाथ डाल कर अपने करीब खींचते हुए बोला "मेरे लिए तो इतनी बेचैन नहीं रहती हो। आज अपने बेटे से मिलने जाने के लिए इतनी बेचैनी?"


     अवनी इस बात को एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी कि वो अपने बेटे से मिलने को उतावली थी। इसलिए नजरें चुराते हुए बोली "मैं तो बस शादी में जाने के लिए एक्साइटेड हूं और कुछ नहीं। रही बात आपके लाडली की तो, वो भी वहां है। आप चाहे तो मिलने जा सकते हैं उससे।" 


    सारांश ने कुछ कहने की बजाए झुककर उसकी गर्दन पर हल्का सा काट लिया। अवनी चिल्लाई "आउच! क्या कर रहे हो आप? जल्दी जाओ, देर हो रही है।" सारांश ने घड़ी की तरफ देखा और बाथरूम में चला गया।


     अवनी ने बाहर निकलने से पहले एक बार फिर खुद को आईने में अच्छे से देखा। हल्की गुलाबी साड़ी, जिसमें वह हमेशा ही बहुत खूबसूरत लगती थी। लेकिन फिलहाल तो अपने बेटे से मिलने की खुशी में उसके चेहरे पर कुछ अलग ही चमक थी।


     अवनी ने अपना फोन उठाया और वहां से जाने को हुई तो देखा, सारांश का फोन बज रहा था। अवनी ने आवाज लगाई "सारांश! आपका फोन बज रहा है।"


     सारांश बाथरूम से ही जवाब देते हुए बोला "उठा लो। मुझे थोड़ा टाइम लगेगा।"


      अवनी वापस आई और बेड साइड टेबल पर रखे सारांश के फोन को अपने हाथ में उठा लिया। लेकिन वह कॉल रिसीव करती उससे पहले उसकी नजर स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे नाम पर गई जिसे देख उसके चेहरे के भाव बिगड़ जाए, सारी खुशी हवा हो गई।


    इधर सारांश बाथरूम में अपने फोन की घंटी लगातार सुन रहा था। उसे अजीब लगा कि अवनी ने कॉल रिसीव नहीं किया। सारांश ने टॉवेल लिया और अपना चेहरा पोंछते हुए बाहर निकला। उसकी नजर सामने खड़ी अवनी पर गई जो अपने हाथ में फोन लिए चुपचाप खड़ी थी।


     पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन अवनी के चेहरे के भाव देखकर वो समझ गया कि कॉल जिसका हो सकता है। "अवनी!!" सारांश ने अवनी को पुकारा तब जाकर अवनी होश में आई और उसका फोन बिस्तर पर पटक कर बोली "मैं नीचे जा रही हूं। फुर्सत मिल जाए तो चले आना।"


      अवनी सारांश को कुछ कहने का मौका दिए बिना वहां से निकल गई। इतनी देर में कॉल भी कट चुका था। सारांश ने अपना फोन लिया और कॉल बैक कर दिया।


     पहले रिंग में ही कॉल रिसीव हो गया। सारांश बोला "बोल शुभ! सब ठीक है?"


     दूसरी तरफ से शुभ की आवाज आई "सब ठीक है भाई। लेकिन आप में से कोई मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा?"


     सारांश क्या बताता कि उसका फोन अवनी के पास था! उसने कहा "वो मैं बाथरूम में था, इसलिए तेरा कॉल रिसीव नहीं कर पाया। तू बता, कैसे फोन किया?"


     शुभ बोला "दोनों बच्चों का बर्थडे है आज। अंशु को तो मैंने विश कर दिया है लेकिन सोनू! उसका फोन काफी टाइम से बिजी आ रहा है। इतनी देर से किससे बात कर रही है? कहीं कोई बॉयफ्रेंड तो नहीं?"


    सारांश बेड पर बैठ गया और हंसते हुए बोला "फिलहाल तो ऐसा कुछ नहीं है। बस वो और काया मिलकर कुहू को परेशान करने में लगी है। नेत्रा भी बीच में कभी कभी शामिल हो जाती है। वही चारों लगी होंगी। तुझे सोनू से बात करनी है ना? तू रुक, मैं सोनू को कह दे रहा हूं। वो तुझसे बात कर लेगी।"


     शुभ उसे रोकते हुए बोला "नहीं भाई! अगर वह बिजी है तो कोई बात नहीं। बच्चे खुश हो, यह सबसे ज्यादा मैटर करता है। इस वक्त वह अपनी मंडली के साथ है तो मेरा डिस्टर्ब करना सही नहीं होगा। आप एक काम करना, उसे मेरी तरफ से विश कर देना। वह खुद फ्री होकर मुझे कॉल कर लेगी।" सारांश को भी जल्दी से निकलना था, सो उसने शुभ को बाय बोला और फोन रख कर तैयार होने लगा।


     अवनी पहले ही उसके लिए कपड़े निकाल कर जा चुकी थी। फ्लाइट में 1 घंटे का टाइम था। सारांश जल्दी से तैयार हुआ और नीचे की तरफ भागा। अवनी हॉल में बैठी मैगजीन के पन्ने पलट रही थी। सारांश को आते देख अवनी बोली "मिल गई फुर्सत तो चले?"


     सारांश अवनी से कुछ कहकर उसका मूड खराब नहीं करना चाहता था। अपने बेटे से मिलने की खुशी जो कुछ वक्त पहले उसके चेहरे पर थी, वह शुभ का नाम देख कर गायब हो चुकी थी। अब इसके लिए उसे अपनी बीवी को खुश करना जरूरी था ताकि वही रौनक उसके चेहरे पर लौट आए। लेकिन कुछ सोच कर वो वापस पलटा और सोनू के रूम के बाहर खड़ा हुआ। उसने दरवाजा नॉक करना चाहा लेकिन दरवाजा खुला हुआ था और अंदर से सोनू के खीलखिलाने की आवाज आ रही थी।


    अंदर जाने से पहले सारांश ने दरवाजे पर नॉक किया तो सुहानी की नजर सारांश कर गई। वह उठकर बिस्तर के नीचे उतरी और सारांश के पास आकर बोली "आपकी बेटी कोई सीक्रेट गेम नहीं खेलती जिसके लिए आपको दरवाजा नॉक करने की जरूरत पड़े।"


    सारांश उसके सर पर हाथ रख उसके बाल बिगाड़ते हुए बोला "जानता हूं, मेरी बेटी कभी कम से कम मुझसे तो कुछ नहीं छुपाएगी। फिर भी, हर इंसान की अपनी एक प्राइवेट लाइफ होती है, जिसमें हम किसी की दखलअंदाजी पसंद नहीं करते, इसीलिए। और वैसे भी, अब तुम बड़ी हो गई हो। वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रह जाता। और यह सब मैं इसलिए भी करता हूं ताकि तुम ऐसे ही तूफान की तरह मेरे कमरे में ना घुस जाओ। तुम भी नॉक करके आ सकती हो।"


     सुहानी ने भी उसी अंदाज में कहा "हा हा हा! वेरी फनी। आपको जो करना है आप करो। आपको मेरे रूम में नॉक करके आना है, नहीं आना है ये आपकी मर्जी। लेकिन मैं आपके रूम में नॉक करके नहीं आऊंगी। अच्छा बताइए, आप यहां आए, कुछ काम था?"


    सारांश को याद आया कि वह सुहानी से कुछ कहने आया था। उसने कहा "तेरे चाचू कब से तुझे फोन कर रहे थे। उसने तुम्हें हैप्पी बर्थ कहा है।"


     सुहानी ने अपने सर पर हाथ मारा और बोली "मुझे तो ध्यान ही नहीं रहा। ठीक है, मैं फ्री होकर चाचू और जानकी दादी से बात कर लूंगी।"


    इतना कहकर सुहानी जल्दी से अपने बेड की तरफ भागी जहां उसका फोन स्पीकर मोड पर अभी भी चालू था। सारांश भी बाहर निकला और जाते हुए दरवाजा बंद कर गया।



*****




    शाम हो चुकी थी और ऑफिस लगभग खाली हो चुका था। सारे एंप्लॉई अपने घर जा चुके थे लेकिन अव्यांश अभी भी अपने घर पर बैठा हुआ था। अव्यांश की टीम लीडर शिल्पी जब ऑफिस से निकलने को हुई तो उसकी नजर अव्यांश पर पड़ी जो अभी भी पूरे लगन से अपना काम करने में लगा हुआ था।


     शिल्पी ने अपना बैग अव्यांश के टेबल पर रखा और बोली "अभी तक यहां हो? लगता है आज ओवरटाइम करने का इरादा है!"


     अव्यांश बिना उसकी तरफ देखे बोला "नो शिल्पी! बस कुछ जरूरी काम था, उसे ही निपटाने में लगा हुआ था। उसके बाद घर चला जाऊंगा।"


    शिल्पी उसके काम से, और उसके काम करने की लगन से काफी प्रभावित थी। इस वक्त भी जिस तरह वो अपने काम पर फोकस था, उसे डिस्टर्ब करना शिल्पी को सही नहीं लगा। लेकिन एक टीम लीडर होने के नाते अपने टीम मेंबर को मोटिवेट करना भी उसका काम था। वो गई और कॉफी मशीन से एक कप कॉफी लेकर उसके टेबल पर रख दिया। अव्यांश ने देखा तो मुस्कुरा कर उसे थैंक्यू बोला।


      शिल्पी अपना बैग उठाकर वहां से जाने को हुई लेकिन उसे कुछ याद आया और वह पलट कर बोली "आज मिश्रा जी की बेटी की शादी है। तुम्हें वहां नहीं जाना क्या? इतने प्यार से बुलाया उन्होंने तुम्हें!"


     अव्यांश के हाथ कीबोर्ड पर बिना रुके चल रहे थे। वह अपनी धुन में बोला "जाना है शिल्पी! इसलिए तो जल्दी से अपना काम खत्म कर रहा हूं। अगर वह मुझे नहीं भी बुलाते तब भी मैं जरूर जाता। यहां एक वही तो है जिनकी वजह से मुझे घर का खाना कभी-कभी नसीब हो जाता है। वरना तुम तो कभी अपना लंच शेयर ही नहीं करती।" अव्यांश की आवाज में छुपे शरारत, शिल्पी के होठों पर बड़ी सी मुस्कुराहट ले आई। उसने अव्यांश को बाय कहा और वहां से चली गई।


      करीब आधे पौने घंटे में अपना काम निपटा कर अव्यांश अपने फ्लैट पर पहुंचा और तैयार होने लगा। उसका फोन बजा तो उसने ब्लूटूथ पर अपना फोन कनेक्ट किया और शर्ट का बटन लगाते हुए बोला "बोलिए मैडम जी! कुछ खास काम था आपको, जो इस वक्त याद किया मुझे?"


     दूसरी तरफ सुहानी थी। उसने कुछ कहने के लिए अपना मुंह तो खोला लेकिन सोच में पड़ गई। 'मॉम डैड बेंगलुरु गए हैं। इसे बताऊं या नहीं बताऊं? इस बारे में तो उन्होंने मुझे भी नहीं बताया, वरना मैं भी चली आती।'


   अव्यांश ने अपना फोन उठाकर देखा, कॉल अभी चल रही थी लेकिन सुहानी चुपचाप थी। यह बात थोड़ी अजीब सी लगी। उसने कहा "हेलो सुहानी! क्या हुआ, सब ठीक है? कोई प्रॉब्लम है तो बताओ।"


      सुहानी को कुछ समझ नहीं आया और उसने "कुछ नहीं!" बोल कर फोन रख दिया।





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