ये हम आ गए कहाँ!!! (78)

      शादी की विधियां शुरू हो गई थी। साथ ही रूद्र और शरण्या ने पूरा माहौल काफी हल्का फुल्का बना दिया था। सभी मेहमान हंसी-खुशी शादी को इंजॉय कर रहे थे लेकिन शरण्या रेहान के जूतों के लिए परेशान थी। उसे कहीं भी जूते नजर नहीं आ रहे थे तो दादी ने रूद्र के बारे में बताया क्योंकि जूते उसी के पास थे और यह बात सिवाय दादी के और कोई नहीं जानता था। शरण्या ने बहला फुसलाकर रूद्र से जूतों का पता पूछ लिया और रूद्र ने भी उसकी बातों में आकर बता भी दिया इसलिए वो बिजली की रफ्तार में वहां से भागी तब जाकर रूद्र को एहसास हुआ। 

     इससे पहले कि वह उसे पकड़ पहुंचा शरण्या के हाथ में। फूलों की टोकरी थी जिसे लेकर बहुत ज्यादा खुश हो रही थी रूद्र ने उसके हाथ से फूलों की टोकरी छीनने की कोशिश की लेकिन शरण्या उसे लेकर भागी। साइड में जाकर उसने जैसे ही उस टोकरी के अंदर हाथ डाला तो उसमें सिवाय फूलों के और कुछ नहीं था। उसनें हैरानी से पलट कर रूद्र की तरफ देखा जो हाथों में एक जोड़ी जूते लिए खड़ा मुस्कुरा रहा था और उसे ही देख रहा था। शरण्या समझ गयी कि रूद्र ने उसको बेवकूफ बनाया है लेकिन वह कहां हार मानने वालों में से थी। उसने वह फूलों की टोकरी वहीं पटकी और रूद्र की तरफ भागी। 

      रूद्र ने जब शरण्या को अपनी तरफ आते देखा तो जूते हाथ में लिए बाहर की तरफ भागा। विहान ने जब उन दोनों को देखा तो मन ही मन बोला, "आज तो तू गया! अब शाकाल तुझसे क्या क्या करवाएगी और किस तरह जूते तेरे हाथों से लेगी ये तू सोच भी नहीं सकता। क्या जरूरत थी जूते दिखाने की?" फिर अचानक उसे ध्यान आया कि वह तो लड़की वालों की तरफ से है तो उसने अपने ही सर पर हाथ मारा और बोला, "क्या कर रहा है विहान? शरण्या तेरी बहन है और तू लड़की वालों की तरफ से है। तुझे उसका साथ देना चाहिए ना कि रूद्र का! लेकिन क्या मैं जाकर देखु कि उन दोनों के बीच क्या चल रहा है? नहीं! नहीं!! मुझे मार नहीं खानी है! रूद्र को आदत है मार खाने की, मुझे नहीं है। वैसे भी यह रस्म लड़कियों की होती है, इसमें मेरा क्या काम!" कहकर पीछे हट गया। तभी उसकी नजर साइड में खड़ी मानसी पर गई जो अमित के साथ खड़ी थी। अमित उसके चेहरे पर आए बाल को पीछे कर रहा था जिसे देख विहान का दिल दर्द से भर उठा। 

      शादी की सारी विधियां धीरे-धीरे पूरी हो रही थी लेकिन रूद्र और शरण्या कहीं कोई अता पता नहीं था। लावण्या की माँ ने उन दोनों का गठबंधन किया और लावण्या को फेरों के लिए खड़ा किया। शादी पूरी होते ही रेहान ने जब अपने जूते ढूंढे तब शरण्या ने अपने हाथ में पकड़ा एक जूता उसके एक पैर मे पहनाते हुए कहा, "अगर आपको दूसरे जूते चाहिए तो फिर आप जानते आपको क्या करना है।"

      रेहान जानता था शरण्या को इस बार वह टरका नहीं सकता और फिलहाल उसकी जेब मे इतने पैसे भी नहीं थे कि वह शरण्या को दे सके। उसकी पूरी जेब शरण्या ने पहले ही ढीली करवा दी थी। उस ने रूद्र को घूर कर देखा क्योंकि जूते संभालने की जिम्मेदारी उसी की थी। रेहान के पास और कोई चारा नहीं था। उसने अपना कार्ड निकाला और चुपचाप शरण्या की तरफ बढ़ा दिया। शरण्या ने कार्ड लिया, कुछ देर उलट पलट कर देखा और फिर रेहान के हाथ में वापस करते हुए बोली, "जीजू...! अब मेरी बहन आपकी हुई तो उसकी सारी जिम्मेदारी भी आपकी हैं। मैं आपसे नेग में सिर्फ इतना चाहती हूं मेरी बहन की चेहरे की जो खुशी है ना वो कभी कम नहीं हो। बस इससे ज्यादा मुझे कुछ चाहिए भी नहीं। वैसे जेब ढीली तो पहले करवा चुकी हूं मैं आपकी।"

   शरण्या ने हाथ आगे किया तो रेहान ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "तुम्हारे दि से मैं बहुत प्यार करता हूं और उसे खुश रखना मेरी जिम्मेदारी है। बस तुम मेरा साथ देते रहना।" शरण्या मुस्कुरा उठी। ललित ने सबको खाना खाने के लिए कहा तो सभी उस ओर चल दिए। पूरा परिवार एक साथ बैठा था और लेकिन रूद्र और शरण्या एक दूसरे के सामने बैठे थे, एक दूसरे को टसन देते हुए। आखिर शरण्या ने एक बार फिर रूद्र को हरा जो दिया था। 

     खाना खाने के बाद रेहान और लावण्या को एक कमरे में भेज दिया गया और बाकी सभी सोने चले गए लेकिन नींद ना रूद्र की आंखो मे थी और ना ही शरण्या की आंखों में। वो दोनों ही अपनी आने वाली जिंदगी के सपने बुन रहे थे लेकिन दोनों अलग अलग। सुबह होते ही सभी वापस जाने की तैयारी में लग गए और अपना अपना सामान समेटने लगे। जिस गाड़ी से वो लोग आए थे सारे लोग वापस चले गए। रेहान और लावण्या के लिए अलग से खास गाड़ी की इंतजाम की गई थी और दोनों को साथ में निकलना था। सबके गाड़ी में बैठ जाने के बाद रूद्र की नजर चारों ओर शरण्या को ढूंढ रही थी लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रही थी। लावण्या को भी शरण्या कहीं दिखाई नहीं दी तो उसने रूद्र से पूछा, "रूद्र....! शरण्या कहां है? मैंने सुबह से उसे नहीं देखा!" 

     रूद्र बोला, "मैं भी उसी को ढूंढ रहा हूं। पता नहीं कहां रह गई ये लड़की। शायद सो रही होगी, मैं जा कर देखता हूं। आप सब लोग चलो, मैं देखता हूं वो कहां है।" कहकर रूद्र ने सभी को वहां से रवाना किया और वापस आकर शरण्या को ढूंढने लगा। शरण्या जो पूरी रात नहीं सोई थी, थकान और नींद की वजह से सोई रह गई। उसे वक्त का जरा सा भी एहसास नहीं हुआ। उसे ढूंढता हुआ रूद्र जब कमरे में आया तो देखा शरण्या घोड़े बेच कर सो रही थी। रूद्र धीरे से उसके बिस्तर पर बैठा और उसके बाल में उंगलियां फिराते हुए आवाज दी, "शरू....! शरू.........! सब चले गए हैं। बस हम दोनों रह गए हैं। उठ जाओ जान.....! बहुत देर हो गई है।"

     लेकिन शरण्या कहां सुनने वाली थी। उसने अलसाई आवाज में अपना कंबल खींचते हुए कहा, "सोने दो ना, थोड़ी देर प्लीज और तुम भी सो जाओ। हम बाद में चलेंगे, जाने दो सबको।" रूद्र मुस्कुरा दिया और उसकी बगल में लेट कर उसे बाहों में भर लिया। वह खुद भी काफी ज्यादा थका हुआ था। शादी की तैयारियों में उसने काफी ज्यादा मेहनत की थी, जितना उसने पूरी जिंदगी नहीं किया था। और उसकी मेहनत रंग भी लाई थी। जितना सोचा था उससे भी काफी अच्छे तरीके से शादी संपन्न हुआ और रूद्र ने राहत की सांस ली। उसका शरीर और दिमाग दोनों ही बुरी तरह से थका हुआ था इसलिए लेटते ही उसे नींद आ गई। 

     वापस लौटते हुए लावण्या ने कई बार रूद्र को फोन किया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। जब उसने शरण्या के फोन पर कॉल किया तब फोन की आवाज सुन रूद्र ने आधी नींद में ही फोन उठाकर कान से लगा लिया। रूद्र की आवाज सुनते ही लावण्या समझ गई कि दोनों ही सोए हुए हैं। उसने भी रूद्र को डिस्टर्ब करना सही नहीं समझा और फोन रख दिया। रेहान ने उसका हाथ कस कर पकड़ रखा था। उसने जब लावण्या को मुस्कुराते हुए देखा तो पूछ बैठा। लावण्या ने ना में सर हिलाया और फोन साइड में रख कर उसके कंधे पर अपना सर टिका दिया। 

      शाम के वक्त जब शरण्या की आंख खुली तब उसने खुद को रूद्र की गिरफ्त में पाया। रूद्र उस वक्त गहरी नींद में सोया था तो शरण्या ने उसे जगाना सही नहीं समझा। पिछले कुछ दिन उसके लिए कितने भागदौड़ भरे रहे, यह वो अच्छे से जानती थी। वह बस उसके चेहरे को प्यार से निहारती रही। रूद्र इस वक्त उसके कमरे में उसके बिस्तर पर मौजूद था इसका मतलब यह कि सारे घर वाले वहां से जा चुके थे और वह सिर्फ उसी के लिए रुका था। शरण्या ने प्यार से उसके चेहरे को चूमा और धीरे से अपने बिस्तर से उठ गई। कमरे की खिड़की परदे अभी भी बंद थे जिस कारण वक्त का पता नहीं चल रहा था। शरण्या ने उन्हें हटाना सही नहीं समझा और बाथरूम में चली गई। 

     जब तक वह फ्रेश होकर बाहर निकली, रूद्र की नींद भी खुल चुकी थी। उसे यू बिस्तर पर बैठा देख शरण्या बोली, "क्या हुआ रूद्र! और सो लेता। तेरी नींद भी पूरी नहीं हुई है। आंखें देख अपनी कितनी थकी हुई लग रही है।" रूद्र आंखें मलते हुए बोला, "सब लोग जा चुके हैं, कुछ देर में घर पहुंचने वाले होंगे। हमें भी निकलना होगा। एक काम करना तू ड्राईव करना मेरा गाड़ी में ही सो लूंगा। फिलहाल बहुत ज्यादा थकान हो रखी है। मैं नहा लेता हूं शायद कुछ आराम मिले" कहकर वो बाथरूम में चला गया। 

 

     शरण्या का बिल्कुल मन नहीं था घर वापस जाने का लेकिन उसके पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था। उसने बुझे मन से अपना सारा सामान समेटना शुरू किया। रुद्र का कुछ सामान उसके पास ही था बाकी सारा उसने घर भिजवा दिया था। रूद्र बाथरूम से बाहर निकला और अपने बाल सुखाते हुए बोला, "इस वक्त अगर निकले तो हम लोग को घर पहुंचने में करीब 3:00 या 4:00 बज जाएंगे। इतनी रात में ड्राईव करना सेफ् होगा क्या? मुझे नहीं लगता! और तुझे लेकर मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। मैं मां को फोन कर दे रहा हूं कि हम लोग कल सुबह निकल चलेंगे।" कहकर रूद्र ने अपना फोन लिया और कमरे से बाहर चला गया। 

     शरण्या ने सुना तो खुश हो गई। उसे रुद्र के साथ एक और दिन मिल रहा था इससे बड़ी बात और क्या हो सकती थी। रूद्र ने अपनी मां को फोन किया और बोल दिया कि उसके कुछ दोस्त यहां मिल गए थे इसलिए वह आज वहीं रुक रहा है। शरण्या भी उसके साथ ही थी ऐसे में उसके बारे में बताना भी जरूरी था ताकि उसके घरवाले परेशान ना हो वैसे तो लावण्या को पता था इसके बावजूद उसका बताना जरूरी था। इस वक्त घर में लावण्या और रेहान का गृह प्रवेश होने के बाद उनकी अंगूठी ढूंढने की रस्म हो रही थी। रुद्र का कॉल आने पर लावण्या ने फोन मांगा और कान से लगाते हुए बोली, "हेलो रूद्र.....! शरण्या ठीक है ना! काफी ज्यादा थकी हुई थी वो, प्लीज उसका ख्याल रखना।"

    रूद्र बोला, "मैं क्या उसका ख्याल रखूंगा वो ही मेरा ख्याल रख रही है। वैसे भी एक दिन का ब्रेक मिला है हमें, अभी कुछ देर पहले ही नींद खुली है। तुम लोग एंजॉय करो और बाकी के रस्में निभाओ। आज से तुम दोनों की एक नई लाइफ शुरु हुई है। काश मैं वहां होता तो रेहान को परेशान करता। वैसे परेशान तो मैं यहां से भी कर सकता हूं लेकिन नहीं करूंगा। तुम लोग अपनी लाइफ इंजॉय करो और शरण्या की टेंशन बिल्कुल मत लेना। मुसीबत भी उसे दूर भागती है।"

   लावण्या हंसते हुए बोली, "लगता है शरण्या तुम्हारे आसपास नहीं है वरना तुम इस तरह की बातें कभी नहीं करते। चलो कोई बात नहीं, तुम दोनों इंजॉय करो। यहां हम सब तुम्हें बहुत मिस कर रहे हैं। अंगूठी ढूंढने की रश्म हो रही है.......... चलो अभी मैं रखती हूं, बाय!" कहकर लावण्या ने फोन रख दिया। रूद्र मुस्कुराते हुए कमरे में दाखिल हुआ तो देखा शरण्या तैयार खड़ी थी। रेड कलर के गाउन में खुले बाल कान में छोटे-छोटे बूंदे आंखों में काजल और रेड लिपस्टिक। शरण्या इस वक्त बहुत खूबसूरत लग रही थी। रूद्र को अचानक से ध्यान आया, यह ड्रेस उसी ने खरीदी थी नए साल की पार्टी के लिए। उसी ने शरण्या के लिए यह ड्रेस ली थी लेकिन उसे दे नहीं पाया था। यह ड्रेस कब शरण्या के पास पहुंची उसे यह ख्याल नहीं था।

    रूद्र को इस तरह खोया देख शरण्या उसकी आंखों के सामने हाथ हिलाते हुए बोली, "क्या हुआ, कहां खो गए? मैं अच्छी नहीं लग रही क्या? तुम कहो तो मैं चेंज कर लूं!" रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत खूबसूरत लग रही हो। लेकिन यह ड्रेस तेरे पास कहां से आई? यह तो मैंने तेरे लिए लिया था लेकिन तुझे दे नहीं पाया था!" 

     शरण्या मुस्कुराते हुए बोली, "जानती हूं! तुने मेरे लिए न्यू ईयर पर लिया था ना, किसी और के नाम से! न्यू ईयर पर ही तूने यह ड्रेस मुझे गलती से दे दी थी पैकेट के साथ। इसका मतलब यह कि जो चीज जहां पहुंचने होती है किसी न किसी तरह पहुंच ही जाती है फिर चाहे ये ड्रेस हो या चाहे तू! दोनों ही मेरे हैं। अब मार्केट चले, मुझे शॉपिंग नहीं करनी लेकिन तेरे साथ घूमना है। इस बार हम दोनों अकेले हैं, ना घर वाले हैं और ना ही मानसी भाभी।"

     रूद्र ने भी शरण्या को निराश नहीं किया और तैयार होने चला गया। 






क्रमश: 

      

    

     

टिप्पणियाँ

  1. Amazing nd Wonderful Fabulous Part 💗💗💗💗💗💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 लावण्या और रेहान की शादी तो अच्छे से निपट चुकी है पर अब डर बढ़ता जा रहा है.... क्योंकि शरण्या और रुद्र अलग होने वाले है! 😔 पर फिलहाल तो दोनों को एक और दिन साथ मे रहने का मौका मिल चुका है..!! 😃🤗 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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