ये हम आ गए कहाँ!!! (77)
रूद्र ने अपने भाई को घोड़ी पर बिठाया और बड़ी ही धूमधाम से बारात निकली। बारात जब द्वार पर पहुंची उस वक्त लावण्या पूरी तरह दुल्हन के रूप में तैयार बैठी थी। शरण्या ने भी वही ड्रेस पहना था जो उसने रुद्र के साथ जाकर डिजाइन करवाया था। वाकई में रुद्र की पसंद काफी अच्छी थी। जैसे ही बारात के आने की खबर सुनी वह दोनों बहने भागते हुए बालकनी में जा पहुंची। लावण्या तो रिहान को देखकर शरमा गई लेकिन शरण्या की भौहें टेढ़ी हो गई। रूद्र इस वक्त किसी लड़की के साथ डांस कर रहा था जिसे वह जानती तक नहीं थी। वह शायद रेहान के किसी दोस्त की बहन थी। शरण्या गुस्से में लाल पीली हो गई। उसने रूद्र को उसी वक्त कॉल लगा दिया लेकिन बारात के शोर में रूद्र को फोन की घंटी कहां सुनाई देने वाली थी।
शरण्या ने धीरे से कहा, "अभी तुझे अपनी फोन की घंटी सुनाई नहीं दे रही ना बच्चु! तू रुक जा, तेरे घंटी तो मैं बजाती हूं।" रेहान की नजर जैसे ही लावण्या पर गई, वह बस उसे देखता रह गया। सिल्वर और पिंक लहंगे में लावण्या बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। द्वार पूजन के वक्त विहान ने रेहान को घोड़ी से उतारा और गोद में ही लेकर दरवाजे तक पहुंचाया। रेहान को यह सब बहुत ज्यादा अजीब लग रहा था और साथ ही थोड़ा डर भी। उसे घबराया हुआ देख अमित ने कहा, "इतना डर क्यों रहा है मेरे दोस्त! शादी से पहले ना, हर दूल्हा डरा हुआ ही रहता है और शादी के बाद हर पति डर में ही जीता है तो आदत डाल ले क्योंकि लावण्या तेरे सर पर सवार होने वाली है और तू कुछ नहीं कर पाएगा।"
रूद्र वहीं खड़ा अमित की बातें सुन रहा था। उसका दिल किया अभी इसी वक्त उसका मुंह तोड़ दे। उसने मन ही मन कहा, "बस कुछ वक्त और अमित! उसके बाद तुम्हारा यह दोहरा चेहरा पूरी दुनिया के सामने होगा। देखना बस यह है कि विहान क्या करता है और कैसे? मानसी के लाइफ से तेरे नाम का कांटा हम निकाल कर रहेंगे।"
लावण्या की मां ने द्वार पूजन की सारी विधियां पूरी की और पूरे रस्मो रिवाज के साथ उसे अंदर ले कर आई। अपने बड़े दामाद की खातिरदारी में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी थी आखिर लावण्या उनकी एकलौती बेटी जो थी। लेकिन क्या शरण्या के लिए भी वह सब होने वाला था? यह तो वक्त ही बताएगा! इससे पहले कि रेहान दरवाजे से अंदर आ पाता शरण्या ने उसका रास्ता रोक लिया और अपना हाथ आगे करते हुए बोली, "पहले जेब ढिली करो उसके बाद अंदर जाने को मिलेगा।"
रूद्र बोला, "अरे ऐसे कैसे? किस बात की उगाही हो रही है? मतलब अंदर जाने के लिए हमें क्या रिश्वत देना होगा? यह कोई सरकारी ऑफिस है क्या?" शरण्या अपना हाथ नचाते हुए बोली, "यह हमारा हक है और अपना हक तो हम लेकर रहेंगे। मैं अपने हक छोड़ने वाले में से नहीं हूं तो तुम बीच में ना ही पड़ो तो बेहतर होगा। हर साली का नेग होता है जिसे देना जरूरी होता है क्योंकि एक साली है जो अपने जीजा के काम आती है। मान लो अगर कभी दीदी नाराज हो गई तो उसे मनाना होगा। उसमे मेरी हेल्प तो चाहिए होगी ना! अभी अगर नेग् नहीं मिला तो सोच लो मैं कुछ नहीं करने वाली।
रेहान मुस्कुराते हुए बोला, "बात तो तुम्हारी सही है! आखिरकार मेरी होने वाली बीवी को उसकी बहन से ज्यादा और कौन समझ सकता है! अगर मेरी साली मेरे साइड नहीं होगी तो मेरी वाइफ मेरे साइड नहीं होगी और अगर मेरी वाइफ मेरे साइड नहीं होगी मेरी लाइफ का क्या होगा! तो बताओ तुम्हें क्या चाहिए?"
शरण्या अपने नाखूनों को फूंक मारते हुए बोली, "कुछ भी..... जो आपका दिल करे आप दे दो लेकिन अपनी जेब ढीली कर लो।"
रूद्र ने रेहान को पीछे किया और आगे आकर बोला, "अरे आपके लिए तो हमारा दिल हाजिर है कहो तो निकाल कर दे दे!" उसकी बात सुन शरण्या शरमा की बजाय मुस्कुरा दी और साइड में पड़ा थाल लिया, रेहान की कमर से तलवार निकाली और रूद्र की तरफ बढ़ाते हुए बोली, "यह लो और निकाल कर दो अभी, मुझे चाहिए!"
बेचारा रूद्र बहुत बुरी तरीके से फंसा कि वहां मौजूद हर कोई ठहाके मारकर हंस पड़ा। रूद्र अपना सा मुंह लेकर रह गया और बोला, "तू शाकाल है और शाकाल ही रहेगी। मुझे लगा था आज के दिन से हमारा रिश्ता बदल जाएगा यार लेकिन तू तो चांडाल निकली। मां......... बचाओ मुझे!" कहते हुए रूद्र अपनी मां के पीछे जाकर छुप गया।
सब के अंदर आते ही शरण्या ने रूद्र का हाथ पकड़ा और सबसे नजरे बचाते हुए खींच कर दूसरी तरफ ले गई। रुद्र बड़े ही रोमांटिक स्टाइल में बोला, "तुझे मुझसे इतनी दूर ही बर्दाश्त नहीं होती ना! तुझसे इतना भी कंट्रोल नहीं होता है ना! अभी सबके बीच में था मैं, इस तरह से कोई देखेगा तो क्या कहेगा? वैसे भी तू दुल्हन की बहन है मैं दूल्हे का भाई हूं और यह अभी-अभी क्या था? तुझे सच में मेरा दिल चाहिए?"
शरण्या आपने दोनों बाजुओं कोअआपस मे बांधते हुए बोली, "हां मुझे तेरा दिल चाहिए। बारात में जो तू उस आइटम के साथ डांस कर रहा था, मेरी फोन करने पर भी तुझे फोन की घंटी सुनाई नहीं थी। इतना खो गया था तु उसमें तो यह तेरी सजा है। चल अपना दिल निकाल कर दे, आज मैं तेरी जान ले लूंगी।"
रूद्र घबराने के बजाय मुस्कुरा कर बोला, "तेरा दिल है तू चाहे जो कर। उसे मेरे पास रहने दे या निकाल कर ले जा, तेरी मर्जी! अगर तुझे इतना गुस्सा आ रहा ना तेरे सामने खड़ा हूं और चाकू भी तुझ से कुछ ज्यादा दूर नहीं होगा। ले आ कहीं से और निकाल ले यह दिल।" शरण्या उसे मारते हुए बोली, "तू उसके साथ डांस क्यों कर रहा था? रूद्र ने उसका दोनों हाथ पकड़ा और बोला, "बारात में नाच रहा था यार! किसी लड़की के साथ नहीं और बात डांस करने की है तो मैंने हर किसी के साथ डांस किया है। यह बात और है कि तूने मुझे सिर्फ एक के साथ देखा है। कम ऑन यार....... तुझे अभी भी भरोसा नहीं है मेरे प्यार पर?"
शरण्या ने कुछ कहा नहीं बस उसके सीने से लग गई। रूद्र प्यार से उसके बाल सहलाते हुए बोला, "हमारी शादी इससे भी ज्यादा ग्रांड होगी तु देखना। हमारी शादी को लेकर मेरे बहुत सारे सपने है। मैं जानता हूं तेरे भी कई सारे सपने होंगे, मैं वह सब को पूरा करना चाहता हूं। तेरे बाप को तो पटा लिया है मैंने लेकिन तेरी मां नाराज हो गई मुझसे।"
शरण्या हंसते हुए बोली, "हमारी किस्मत ही खराब है। अब मां को मनाते मनाते कहीं पापा फिर से नाराज ना हो जाए तुझसे। अगर ऐसा हुआ तो हम सीधा शादी कर लेंगे।" रूद्र ने कोई जवाब नहीं दिया और उसके चेहरे को छूकर बोला, "आज तु बहुत खूबसूरत लग रही है। ध्यान से कहीं किसी की नजर ना लग जाए! कहीं तुझे मेरी है नजर न लग जाए।" कहकर उसने शरण्या के माथे को चूम लिया।
वरमाला की रस्म के समय रेहान तन कर खड़ा हो गया। लावण्या की हाइट रेहान के लगभग बराबर ही थी लेकिन उसकी पगड़ी की वजह से लावण्या वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी। कुछ देर कोशिश की लेकिन जैसे ही लावण्या अपना हाथ उपर करती, रेहान उचक कर खड़ा हो जाता यह सारा तमाशा देखते देखते रूद्र जब उब गया तो वो सीधे स्टेज पर जा पहुंचा और अपने पीठ का इशारा कर लावण्या के पैरों के पास झुक कर बैठ गया। लावण्या ने अपनी सैंडल उतारी और वरमाला हाथ में लिए रूद्र के पीठ पर चढ़ गई। यह सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि वहां मौजूद कोई भी ठीक से समझ नहीं पाया और ना ही रेहान को कुछ समझ आया। मौका पाते ही लावण्या ने वरमाला रेहान के गले में डाल दी और रुद्र के ऊपर से उतर गई। शरण्या बस अपने रूद्र को देखती रह गई। उसे समझ पाना सच में बहुत मुश्किल था। जितना आवारा था उतना ही शरीफ भी। जितना खुद को लेकर लापरवाह था उतना ही अपनों के लिए जिम्मेदार भी। लावण्या ने पलकें झपका कर उसे थैंक्यू किया तो उसने भी लावण्या को साइड से हग किया और रेहान की तरफ चला गया। रेहान गुस्से में रूद्र को घूरता रह गया।
रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "ऐसे क्या देख रहा है तू? जीजा साली मिलकर एक हो सकते हैं तो क्या हम देवर और भाभी मिलकर एक नहीं हो सकते? यह भेदभाव क्यों? है ना लावण्या!" रुद्र ने कहा तो रेहान खिसिया गया और मुंह बना लिया। अब बारी रेहान की थी। रेहान ने जैसे ही लावण्या के गले में माला डालना चाहां, रूद्र ने उसे पीछे से पकड़ लिया ताकि वह हिल ना पाए। रेहान बोला, "अबे छोड़ मुझे! तु करना क्या चाहता है?"
रूद्र ने बड़े प्यार से कहा, "वही जो तु अभी कर रहा था। तूने लावण्या को इतना परेशान किया अब थोड़ा तू भी परेशान हो ले।" लावण्या खिलखिला कर हंस पड़ी। रेहान ने काफी कोशिश की लेकिन वह रूद्र की पकड़ से छूट नहीं पाया तो उसका मुंह बन गया। लावण्या ने जब देखा तो इशारों में उसने रूद्र से रेहान को छोड़ने को कहा तो रूद्र ने एकदम से रेहान को छोड़ दिया जिसकी वजह से रेहान माला समेत लावण्या के ऊपर आ गिरा। लावण्या लड़खड़ा गयी लेकिन इससे पहले कि वह गिरती, शरण्या ने उसे पीछे से थाम लिया और दोनों बच गए।
रेहान ने गुस्से में रुद्र की ओर देखा तो रुद्र ने अपने दोनों कान पकड़ लिए लेकिन शरण्या कहां उसे छोड़ने वाली थी। उसने अपनी दोनों सैंडल निकाली और एक-एक कर वहीं पर रूद्र को दे मारा। रूद्र उसके दोनों सैंडल हाथ में लेकर स्टेज से नीचे की तरफ भागा तो शरण्या भी उसके पीछे पीछे भागी। पूरा माहौल ठहाकों से गूंज उठा। दादी ने अपना सर पकड़ लिया और बोली,"ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले। चाहे कुछ भी हो जाए यह दोनों जैसे थे वैसे ही रहेंगे।"
शादी की रस्में शुरू हुई जिसके लिए रेहान को अपने जूते उतारने थे। जूते संभालने की जिम्मेदारी रूद्र के ऊपर थी और वह यह काम बखूबी कर रहा था। किसी को जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि दूल्हे का जूता है किसके पास। शरण्या को रेहान का जूता चाहिए था लेकिन वो ढूंढे कहां? उसने हर कोना ढूंढ लिया लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा। दादी ने इशारे से शरण्या को बुलाया और बोली, "तुझे रेहान का जूता चाहिए ना!" शरण्या ने मासूमियत से हां में गर्दन हिला दी तो दादी बोली, "तुझे जूता चाहिए तो प्यार से किसी को मक्खन लगा, थोड़ा रोमांटिक हो जा फिर देख कैसे वह खुद जूता तेरे हाथ में लाकर देगा।"
शरण्या समझ गई कि जूते रूद्र के पास हैं। उसने दादी को थैंक्यू कहा और रूद्र को ढूंढने चली गई। रुद्र उस वक्त कैटरिंग वालों से कुछ बातें कर रहा था और मैंनेसर को ढूंढने जा रहा था तभी शरण्या ने उसके कंधे पर पीछे से हाथ रखा। रूद्र ने जब पलट कर देखा तो शरण्या प्यार से मुस्कुरा रही थी। उसकी मुस्कुराहट देख रूद्र अपना सर खूजाने लगा। आखिर उसे चाहिए क्या? क्योंकि इस वक्त शरण्या की मुस्कुराहट में उसे प्यार कम साजिश की गंद ज्यादा आ रही थी। शरण्या उसके करीब आई और गले में बाहें डालते हुए बोली, "क्यों ना हम आज शादी कर ले? दिन भी हैं मुहूर्त भी है और सामने मंडप भी है।"
शरण्या की बात सुन रूद्र का दिल धड़कना भूल गया। इतने प्यार से शरण्या बात कर रही थी कि रूद्र को पूरा शक हो चुका था कि जरूर उसके दिमाग में कुछ खुराफात चल रही है लेकिन अब कोई लड़की कितने प्यार से कुछ कहें और लड़का उसके बातों के जाल में न फंसे ऐसा तो हो नहीं सकता। अपनी बातों का असर रूद्र पर होता देख शरण्या ने अपना अगला दांव खेला और बोली, "रूद्र क्या तुझे पता है रेहान के जूते कहां है? देखो ना, मेरी सेंडल तो तुमने रख ली अब कम से कम रेहान के जूते ही दे दो ताकि मैं पहन के चल सकूं।"
रूद्र ने भी बिना सोचे समझे हाँ में गर्दन हिलाया और उंगली से इशारा करते हुए उसने बोला, "जूते उस फूल की टोकरी में है। जाकर पहन ले।" रूद्र बेचारा इतना भी समझ नहीं पाया कि रेहान के जूते शरण्या को कभी फिट नहीं आ सकते। शरण्या ने मुस्कुराकर अपने बाल झटके और वहां से निकल गई। रूद्र सोचता ही रह गया।
Wonderful Mind Blowing nd Mast Part 💗💗💗💗💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
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जवाब देंहटाएंAwesome lovely super beautiful jabardast behtareen lajabab part
जवाब देंहटाएंMazedaar interesting
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 आप इतना प्यारा लिखते हो के समझ ही नही आता के क्या लिखूं?? पढ़ते वक्त चेहरे से मुस्कान जाती ही नही है...!! रुद्र और शरण्या,, दोनो ही अपने से लगने लगे है! 😊💙
जवाब देंहटाएं😀😀😀so cute
जवाब देंहटाएंSuperb fantastic
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