ये हम आ गए कहाँ!!! (75)

   शाम तक शरण्या की मेहंदी का रंग पहले से काफी खूबसूरत हो चुका था लेकिन लावण्या की मेहंदी का रंग अभी भी थोड़ा फीका ही रह गया था। लावण्या को समझ नहीं आया आखिर उसकी हथेली पर शरण्या जितना रंग क्यों नहीं चढ़ा।  शरण्या को भी वही मेहंदी लगी थी जो लावण्या को लगी थी तो फिर दोनों की रंगत में फर्क कैसे! और कहते हैं ना मेहंदी का रंग पति का प्यार दिखाता है तो क्या रेहान मुझसे प्यार नहीं करता? लावण्या सोच में पड़ गई। उसे सोचता देख रेहान बोला, "तुम क्यों इतना परेशान हो रही हो? सिर्फ एक मेहंदी का रंग ही तो है कुछ और तो नहीं है! सिर्फ एक रस्म ही तो है इससे ज्यादा कुछ नहीं। ऐसा थोड़ी है कि अगर मेहंदी का रंग नहीं चढ़ा तो मैं तुमसे प्यार नहीं करता! दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करता हूं मैं तुम्हें। बहुत मुश्किल से पाया है, तुम्हें खोने से डरता हूं। वरना किसी चीज से नहीं डरता। मेहंदी का रंग चाहे आए या ना आए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं तुमसे प्यार करता हूं और बहुत ज्यादा करता हूं। मेरे लिए बस इतना मायने रखता है कि तुम मेरे पास रहो, मेरे साथ जिंदगी भर के लिए। इससे ज्यादा मुझे और कुछ नहीं चाहिए।"

     रेहान की बातों ने लावण्या को थोड़ी तसल्ली तो दी लेकिन अभी भी उसके मन में शरण्या के हाथों की मेहंदी का रंग खटक रही थी। उसके हाथों में भी उतना ही गहरा रचना चाहिए था जितना कि शरण्या की हथेली पर। वह बार-बार अपनी मेहंदी को देखती और जब उससे रहा नहीं गया तो उसने इंटरनेट पर मेहंदी के रंग को गाढ़ा करने का सारे नुस्खे देखता डाले और उन्हें आजमा भी लिए तब जाकर उसे थोड़ी तसल्ली हुई। 

      संगीत में शामिल होने के लिए वहां के लोकल डांसर को बुलाया गया था जिन्होंने रंग बिरंगी पोशाकों में पूरा समा बांध दिया। घर वाले भी इस शाम को पूरी तरह से इंजॉय कर रहे थे। रूद्र को उन डांसर को निहारता देख शरण्या उसके पास आई और धीरे से बोली, "तूने कहा था कि मेरे लिए कोई सरप्राइज है जो अब तक मुझे नहीं मिला! तो यहां बैठकर इन लड़कियों को घूरने से बेहतर है कि तू मेरे लिए मेरा सरप्राइज लेते आए।" शरण्या की बातें सुन रूद्र ने उसे तिरछी नजर से देखा और मुस्कुरा कर बोला, "तू देख रही है कितना अच्छा डांस चल रहा है! ऐसे डांसर आजकल मिलते नहीं है, खासकर शहरों में तो बिल्कुल भी नहीं। बस वही उटपटांग सी हरकतें करते हैं और जिम की बजाय डांस फ्लोर पर ही एक्सरसाइज करते हैं। फिलहाल मेरा पूरा ध्यान इन लोगों पर है तो प्लीज मुझे थोड़ा सा इंजॉय करने दे। अगर तुझे जलन हो रही है तू जा और स्टेज पर जाकर डांस कर ले। हो सके तो सबके सामने अपने प्यार का इजहार भी कर देना। तुझे तेरा सरप्राइस मिल जाएगा। 

      शरण्या ने देखा रूद्र का ध्यान अभी भी उन्हीं लड़कियों पर था। वह कुढते हुए वहां से उठी और पैर पटकते हुए वहां से निकल गइ। रूद्र मुस्कुरा कर रह गया। सभी लोग डांस भी कर रहे थे और इंजॉय भी कर रहे थे, तभी फोक डांसर का एक और ग्रुप घूँघट डाले वहां आया और परफॉर्मेंस देने लगा। गाने के बोल सुनकर रुद्र का ध्यान बरबस ही उस ओर चला गया। 


    मोरा पिया के लंबे लंबे केश, जिया को पिया तोरा देश


   रूद्र के चेहरे पर मुस्कुराहट और चौड़ी हो गई। उसे अजीब तरीके से मुस्कुराते देख लावण्या को थोड़ा अजीब लगा। उसकी नजर कभी रुद्र पर जाती तो कभी स्टेज पर डांस कर रही उन लड़कियों पर। खासकर उस एक घूँघट वाली लड़की पर जिस पर रूद्र की नजर थी। लावण्या यह बात शरण्या को बताना चाहती थी लेकिन शरण्या वहां कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। वही वह लड़की भी डांस करते करते रूद्र के करीब से होकर गुजरी तो एक पल को रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। डांस प्रोग्राम खत्म होने के बाद वह डांसर का ग्रुप वहां से जैसे ही निकला रूद्र भी उसके पीछे पीछे निकल गया। 

      लावण्या को अब बर्दाश्त नहीं हुआ। उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था कि शरण्या से प्यार करने वाला रूद्र ऐसे किसी से भी पीछे जाए। अब तक उसकी जो हरकत रही उसको लेकर उसने कभी कुछ नहीं कहा लेकिन जब वह शरण्या से प्यार करता है तो फिर किसी और पर नजर भी डालें यह उसे अच्छा नहीं लगा। 

   जाते हुए उन लड़कियों में से उस एक लड़की का हाथ पकड़ रूद्र एक तरफ ले गया और उसके चेहरे से घुंघट उठा दिया। शरण्या का खूबसूरत चेहरा उसके सामने था। रूद्र तो जैसे उस चेहरे में कहीं खो सा गया। शरण्या शरमा कर रह गई। उसने रूद्र से दूर जाने की कोशिश की तो रूद्र ने खींचकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसकी होंठों को चूम लिया। 

      लावण्या रूद्र के पीछे पीछे निकली और जब उसने रूद्र को उस लड़की के साथ देखा तो उसका मुंह खुला का खुला रह गया। वो बहुत जोर से चिल्लाई, "रूद्र.........!!! क्या है  यह सब? तुम तो शरण्या से प्यार करते हो ना, फिर ऐसे ही तुम किसी और लड़की के साथ ऐसे कैसे कर सकते हो? मुझे लगा था तुम मेरी बहन को लेकर सीरियस हो, जिस तरह हॉस्पिटल में तुमने रिएक्ट किया था, तुम रो रहे थे उससे तो मुझे यही लगा कि तुम मेरी बहन को लेकर सीरियस हो। लेकिन नहीं...... तुम कभी नहीं सुधर सकते। 

   लावण्या की चीख सुनकर शरण्या ने रूद्र के सीने में अपना मुंह छुपा लिया। रूद्र को खामोश देख लावण्या को समझ नहीं आया कि वह करे तो क्या करें! शरण्या भी कहीं नजर नहीं आ रही थी ना ही उसका फोन लग रहा था। रूद्र ने देखा तो धीरे से शरण्या को बोला, "अपना चेहरा दिखा दो जान वरना मेरी होने वाली भाभी शादी से पहले हमारा तलाक करवा देंगी।" लावण्या को थोड़ा अजीब लगा। शरण्या ने अपना चेहरा उठाया और लावण्या की तरफ धीरे से पलट गई। उसे इन कपड़ों में और इस हुलिए में बहुत शर्म आ रही थी। उसने जो भी किया था रूद्र के लिए किया था। वह इस तरह से किसी और के सामने नहीं जाना चाहती थी लेकिन फिर भी इस वक्त वो अपनी बहन के सामने खड़ी थी। शरण्या को इस अवतार में देख लावण्या ने अपना सिर पीट लिया और बोली, "तुम दोनों मिलकर एक दिन पूरी दुनिया को पागल कर दोगे!" लावण्या की बात सुन रूद्र खिलखिला कर हंस पड़ा तो लावण्या अपना सर पकड़े वहां से चली गई।  रूद्र और शरण्या फिर से अकेले हो गए। 

   

     रात के खाने के बाद रूद्र ने शरण्या के लिए एक थाली उसके कमरे में रखवा दें ताकि जब भी शरण्या को भूख लगे उसे कहीं और ना जाना पड़े। शरण्या जब अपने कमरे में आइ तो उसने रूद्र को एक थैंक्यू मैसेज भेजा और साथ में अपनी कलाई पर लिखे रूद्र के नाम को भी। फिर कुछ देर बाद उसने लिखा "मेरा सरप्राइज अभी तक मुझे नहीं मिला।पता नहीं कोई सरप्राइज है भी या नहीं।" मैसेज भेजने के बाद शरण्या बेसब्री से रूद्र के रिप्लाई का इंतजार करने लगी।

      रूद्र बाथरूम में था इसलिए उसे पता नहीं चला तकरीबन आधे घंटे के बाद शरण्या को रूद्र का रिप्लाई आया। उसे जल्दी से खोल कर देखा तो एक तस्वीर थी। जब क्लिक करके जूम किया तो पता चला कि वह एक टैटू था शरण्या के नाम का। इस टैटू को देखकर शरण्या के होश उड़ गए क्योंकि यह कोई नॉर्मल टैटू नहीं था बल्कि एक गोदना था जो शरीर पर हमेशा के लिए रह जाता है। लेकिन रूद्र ने यह करवाया कब और कहां? शरण्या को सिर्फ टैटू नजर आ रहा था। उसके शरीर के किस हिस्से में यह टैटू करवाया है किए उसे समझ नहीं आ रहा था। 

    शरण्या ने अपने कमरे की लाइट ऑफ की और दरवाजा बंद कर चुपके से बाहर निकली। घर के सभी लोग सो चुके थे और वह भूत की तरह वहां कॉरिडोर में घूम रही थी। उसे चारों ओर नजर दौड़ाई और खुद को अकेला पाकर उसने रूद्र के कमरे की दरवाजे पर नॉक किया तो पाया रूद्र के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। वह चुपके से दाखिल हुई तो देखा रूद्र लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। शरण्या ने धीरे से दरवाजा लॉक कर दिया और उसके सामने दोनों हाथ को बांध से हुए बोली, "यह तूने टैटू कब करवाया और कहां? मुझे इस बारे में कुछ बताया क्यो नहीं?" 

     रूद्र वैसे ही अपना काम करता रहा। उसने शरण्या की किसी बात का जवाब नहीं दिया। शरण्या को अचानक से याद आया और वह बोल पड़ी, "कल रात तू कहीं बाहर था! कहीं उस वक्त तो नहीं ये सब नहीं करवाया?" रूद्र उसकी बात सुन मुस्कुरा दिया। शरण्या समझ गई उसका अंदाजा बिल्कुल सही था। शरण्या उसका लैपटॉप बंद कर साइड में रखते हुए बोली, "दिखा मुझे कहां करवाया तूने?" 

     रूद्र चुपचाप खड़ा हो गया और बोला, "खुद ढूंढ ले!!! जहाँ तु रहती है वही तेरा नाम लिखा है।" शरण्या ने कुछ सोचा नहीं बस उसकी शर्ट की बटन खोल दिए और शर्ट को एक तरफ करते हुए उसने देखा, रूद्र के सीने पर उसके नाम का टैटू था और वाकई में यह एक गोदना ही था इसे बनवाने में लोगों की आह निकल जाती है और आंखों से आंसू भी। उसमें भी शरण्या का पूरा नाम,  जिसे बनवाने में रूद्र को ना जाने कितना दर्द हुआ होगा। 

     शरण्या उसके सीने से लग गई और अपने ही नाम को होठों से चूम लिया। रूद्र खुश था यह सोच कर कि अब शायद शरण्या को उस पर भरोसा करने में जरा सी भी दिक्कत नहीं होगी। यूं तो शरण्या उस पर आंखें मूंदकर भरोसा करती थी लेकिन फिर भी रूद्र की अब तक जो इमेज रहीं उसे देख कर तो कोई भी लड़की उस पर भरोसा नहीं कर सकती। शरण्या कुछ देर यूं ही उसके सीने से लगी रही फिर रूद्र ने कहा, "शरू....! तुझे अपने कमरे में जाना चाहिए। रात बहुत हो चुकी है।"

     शरण्या का बिल्कुल भी मन नहीं था वहां से जाने का। उसने सीधे ना में सिर हिलाते हुए कहा, "मुझे नहीं जाना कहीं! यही रहना है तेरे पास। रात बहुत हो गई है ना, तो चलो सो जाते हैं। कोई पहली बार तो नहीं है जो मैं तेरे साथ रहूंगी। पिछले कई रातें तेरे साथ गुजारी है, आज की रात भी हम दोनों........." 

     इससे पहले कि वो आगे कुछ बोलती रूद्र उसे खुद से अलग करते हुए बोला, "पिछले कुछ रात से हम दोनों साथ हैं क्योंकि हमें वहां देखने वाला कोई नहीं था। मैं नहीं चाहता शरण्या कि हमारे रिश्ते पर कोई उंगली उठाए। या तुझसे कोई भी सवाल करें। इस वक्त तेरा मेरे पास रुकना सही नहीं होगा तो चल मैं तुझे तेरे कमरे में छोड़ देता हूं।"

    रूद्र ने शरण्या को उसके कमरे तक पहुंचाया और दरवाजा बंद कर जैसे ही लौटने को हुआ,  शरण्या ने दरवाजा और रूद्र के पीछे एक कीक जमा दि। बेचारा रूद्र सीधे जमीन पर जा गिरा। उसने इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं की थी। वो अपनी कमर सहलाते हुए जैसे ही उठा अपने सामने ललित को खड़ा पाया। ललित को देखते ही रूद्र थोड़ा सा घबरा गया कि कहीं उन्होंने शरण्या के साथ ना देख लिया हो या फिर कुछ सुन ना लिया हो। 

    रूद्र ने कहां, "सॉरी अंकल.....! मैं सोच ही रहा था आप सब से माफी मांगने के लिए लेकिन समझ नहीं आ रहा था मैं कैसे आप सबके सामने......... मैंने गुस्से में आकर अनन्या आंटी के साथ कुछ ज्यादा ही बदतमीजी कर दी। हो सके तो मुझे माफ कर दीजिएगा। वो क्या है ना, शरण्या को कभी इस तरह देखा नहीं तो बहुत अजीब सा लग रहा था, बहुत घबराया हुआ था। मैं जानता हु आप उसके पिता है और आप से ज्यादा उसकी देखभाल और कोई नहीं कर सकता। लेकिन फिर भी मुझे इस तरह से रिएक्ट नहीं करना चाहिए था। उस दिन के लिए सॉरी!"

     ललित उसके करीब आए और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोले, "मुझे खुशी है बेटा कि कोई है जो मेरी बेटी का इतना ख्याल रखता है। तुमने जो कुछ भी कहा वह भले ही बदतमीजी थी लेकिन शायद वह सारी बातें सच थी। मैं नहीं जानता शरण्या की तबीयत बिगड़ने के पीछे अनन्या का हाथ है या नहीं लेकिन इतना मैं जरूर जानता हूं कि किसी ने जानबूझकर शरण्या के साथ ऐसी हरकत की है। जो तुमने किया वह मुझे करना चाहिए था। लेकिन मैं कभी भी ना एक अच्छा पति बन पाया ना ही एक अच्छा पिता। ना अनन्या को पूरा प्यार दे पाया और ना ही शरण्या को बेटी होने का हक। मैं हर मामले में नाकाम रहा हूं। हर रिश्ते में मैंने सिर्फ और सिर्फ धोखा ही दिया है। किसी भी रिश्ते को मैं पूरे दिल से नहीं निभा पाया। थैंक यू...... थैंक यू सो मच! शरण्या की साइड लेने के लिए उसका इतना ख्याल रखने के लिए और साथ ही लावण्या के लिए इतनी अच्छी तैयारी करने के लिए।" कहते हुए उन्होंने रूद्र का कंधा थपथपाया और अपने कमरे में जाने को हुए तो रूद्र ने उन्हें रोकते हुए कहा। 

      "अंकल.....! यह आपका बड़प्पन है जो आपने मुझे ऐसे ही माफ कर दिया। लेकिन फिर भी....... आई एम सॉरी और सबसे बड़ा सॉरी तो मुझे आंटी को कहना है क्योंकि बदतमीजी तो मैंने उन्हीं से की थी। शरण्या की तकलीफ देखकर मैं यह भूल गया उनकी तकलीफ किसी को नहीं नजर आती। इतने सालों में हम में से कोई नहीं जान पाया कि वह किस दर्द में जी रही है। उनके घाव को कुरेदना का काम किया है मैंने। उनसे वह सब कह दिया जो नहीं कहना चाहिए था। एक औरत के लिए सबसे बड़ा दर्द यह होता है कि उसका पति उसके अलावा किसी और की तरफ देखें भी। एक दिन अचानक से कोई आकर उसे यह बताएं कि अब तक जिस घर को वह सवारती आई वो घर एक धोखे के नींव् पर है तो वह औरत टूट जाती है। अनन्या आंटी ने इतने सालों से शरण्या की देखभाल की उसकी मां बन कर उसे पाला इसके बावजूद जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो सबकी ऊँगली उन्हीं पर उठ गई। लेकिन सच कहूं अंकल तो मुझे नहीं लगता कि अनन्या आंटी ने ऐसा कुछ भी किया होगा। अगर उन्हें कुछ करना ही होता तो इतने सालों में उनके पास ना जाने कितने ही मौके थे। तब उन्होंने कभी शरण्या को चोट पहुंचने नहीं दी तो अब कैसे? सच कहूं तो मुझे उनके लिए बहुत बुरा लग रहा है। सिर्फ एक मेरी वजह से सब उन्हें शक भरी निगाहों से देख रहे होंगे। मैं पूरी कोशिश करूंगा उनसे माफी मांगने की वरना खुद से नजर नहीं मिला पाऊंगा। 

    ललित को रूद्र की बातें समझ आ रही और रूद्र भी। उन्होंने कहां,"मैंने तुम्हें समझने में बहुत बड़ी गलती कर दी बेटा। सच कहूं तुम्हें समझना बहुत मुश्किल है। तुम सच में एक बहुत अच्छे इंसान हो। जो अगर गलती करता भी है तो अपनी गलती को एक्सेप्ट भी करना जानता है और उसकी माफी मांगने से वह हिचकीचाता नहीं। तुमसे बात करके अच्छा लगा। मैं जानता हूं मैं बहुत बुरा इंसान हूं लेकिन फिर भी मैं कभी नहीं चाहूंगा कि मेरे बच्चों पर ऐसी कोई भी मुसीबत आए। कितने साल हो गए, इसके बावजूद मैं कभी अनन्या से नजर नहीं मिला पाया। एक जरा सी गलती और उसकी सजा मैं और अनन्या अभी भी भुगत रहे हैं।  शरण्या की तो बात ही छोड़ो। जब गुनहगार ही मैं हूं तो फिर दोष किसको देना। मेरा पूरा परिवार इतने सालों से बिखरा हुआ पड़ा है। अगर लावण्या नहीं होती तो अनन्या कबका मुझे छोड़ कर जा चुकी होती। यह सब छोड़ो रात बहुत हो गई है सोने जाओ। वैसे तुम्हारे इतना ख्याल रखने के बावजूद शरण्या का तुम्हारे प्रति व्यवहार कभी नहीं बदलेगा।"

    ललित जी की बातें सुनकर रूद्र को हंसी आ गई और वह बोला, "कुछ चीजें लाइफ में कभी नहीं बदलती अंकल और ना ही हमें कभी उन्हें बदलने की कोशिश करनी चाहिए। आज बड़े दिनों के बाद उसने मेरे ऊपर धौंस जमाया है। थोड़ी तकलीफ तो हुई लेकिन अब सब कुछ नॉर्मल लग रहा है। अच्छा हुआ,  इससे एक बात साफ हो गई कि उसके दिमाग पर असर नहीं हुआ है।" ललित जी मुस्कुराए और वहां से चले गए। रूद्र भी अपने कमरे में आया और सो गया अगले दिन शादी थी। 

    

    

    

 

टिप्पणियाँ

  1. Wonderful Mind Blowing nd Fabulous Part 💗💗💗💗💗💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र सच मे बहुत समझदारी भरी बातें करता है...!! आज की उसकी और ललित जी के बीच की बातें कमाल थी!! 😇😇 और वही उसने अपने सीने पर शरण्या का नाम गुदवा दिया...!! और बेचारी लावण्या!! वो लड़की शरण्या ही निकली..!! 😂😂 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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