ये हम आ गए कहाँ!!! (74)
रूद्र नें विहान को जो आईडिया दिया था वह काम कर गया। पहले दिन ही उसने उन सारी लड़कियों की लिस्ट निकलवा ली जो अमित के ऑफिस ज्वाइन करने के बाद से ऑफिस छोड़ कर गई थी। उनमें से एक लड़की अमित के खिलाफ गवाही देने को तैयार हो गयी और वही सब कुछ बताया जो मानसी के साथ हुआ था। शरण्या की तबीयत अब पहले से काफी बेहतर थी और उसे हॉस्पिटल से छुट्टी भी मिल गई। रूद्र शरण्या को लेकर अपने घर गया और अगली सुबह उसके साथ जोधपुर जाने के लिए रवाना हो गया।
शरण्या बहुत ज्यादा खुश थी। एक तो उसकी बहन की शादी उस पर से रूद्र का साथ लॉन्ग ड्राइव। यह जैसे किसी सपने से कम नहीं था उसके लिए। जब से वह दोनों साथ आए थे उन दोनों को अकेले एक साथ वक्त बिताने का इतना ज्यादा मौका नहीं मिला था जितना कि पिछले कुछ दिनों में मिला। अगले दिन हल्दी थी जिसके लिए उन दोनों को आज ही पहुंचना था। शरण्या रात को ही निकलना चाहती थी ताकि उसे रूद्र के साथ कुछ वक्त और मिल सके लेकिन रूद्र ने ऐसी हालत में उसके साथ रात को ड्राईव करना सेफ नहीं समझा। शरण्या ने भी उसकी बात मानते हुए ज्यादा जिद नहीं की।
तकरीबन 100 किलोमीटर पहले अचानक से शरण्या ने गाड़ी रुकवाई। रूद्र को समझ नहीं आया आखिर शरण्या करना क्या चाहती है? सारा खाना तो उसने घर से ही पैक करवा लिया था तो फिर यहां इस तरह रुकने का क्या मतलब था और यहां आस पास कहीं कोई ढाबा वगैरह भी नहीं था। शाम होने वाली थी और वह दोनों हाईवे के पास रोड किनारे यूं ही खड़े थे जो रूद्र को समझ नहीं आया। उसने शरण्या से सवाल करना चाहा तो शरण्या बोली, "पिछले कुछ दिन तेरे साथ इतने खूबसूरत थे......... अब वहां जाऊंगी सबके बीच तो फिर तुझसे मिलने के लिए तुझसे बात करने के लिए मुझे बहाने बनाने पड़ेंगे, मौके ढूंढने पड़ेंगे तेरे साथ वक्त बिताने के लिए। क्यों ना हम यहीं पर शादी कर ले?"
रूद्र बुरी तरह से चौक गया। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शरण्या शादी के लिए इतनी जल्दी बेचैन हो जाएगी। जो घबराहट उसके मन में थी वही घबराहट रूद्र के भी मन में थी। वो जानता था कि पिछले दो-तीन दिन जिस तरह बेरोकटोक वो और शरण्या एक साथ रहे थे, अब वह मौका कभी नहीं मिलेगा। लेकिन वह इस तरह से शादी के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं सोच सकता था। उसने समझाते हुए कहा, "शरू....! शादी के लिए मैं भी उतावला हूं लेकिन इस तरह नहीं! तुझे यह क्यों लगता है कि मैं तुझ से शादी नहीं करूंगा? जिस तरह भाई और लावण्या की शादी इतने बड़े पैमाने पर अरेंज किया है मैं चाहता हूं हमारी शादी उससे भी ज्यादा ग्रैंड हो, जिसे पूरी दुनिया याद रखें। सबसे खूबसूरत दुल्हन इस दुनिया की वह मेरी दुल्हन हो। हर एक रस्म हर एक रिवाज मैं पूरे दिल से जीना चाहता हूं तेरे साथ। इसलिए तू इस तरह से शादी के लिए मुझे नहीं कहेगी। मैं खुद चाहता हूं कि जो भी प्रॉब्लम है मैं उन सब को जल्द से जल्द खत्म करूं लेकिन मुझे ऐसा होता नजर नहीं आ रहा।"
शरण्या ने सवालिया नजरों से रूद्र को देखा तो रूद्र बोला, "तेरी तबीयत ठीक नहीं थी तो मैंने गुस्से में तेरी मॉम को पता नहीं क्या कुछ कह दिया। अभी जब मैं उनके सामने जाऊंगा तो वो ना जाने किस तरह रिएक्ट करेंगे। तुम्हारे मॉम डैड तो मेरी शक्ल भी देखना पसंद नहीं करेंगे।"
शरण्या ने अपना सिर पीट लिया और बोली, "तुझे प्रॉब्लम सॉल्व करने की बजाए और बढ़ाने को किसने कहा था? वैसे ही तुझे डैड की नजरों में खुद को साबित करना था और अब तुझे मॉम की भी नाराजगी सहनी है फिर तो हो गई हमारी शादी! मैं अभी भी कहती हूं, चल यही शादी कर लेते हैं। देख ना, पास में एक मंदिर भी है!" शरण्या ने रूद्र का हाथ पकड़ा और मंदिर की तरफ ले जाते हुए बोली तो रूद्र ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा, "तुझे मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं है? इस तरह से अगर शादी करनी होती ना तो बहुत पहले कर चुका होता। वैसे भी आज का मुहूर्त भी नहीं है। कल उन दोनों की हल्दी है और हमें आज पहुंचना है। चल चुप चुप गाड़ी में बैठ हमें यहां से निकलना होगा। 2 से 3 घंटे का रास्ता और बचा है। बस हम लोग पहुंच जाएंगे।"
रूद्र ने शरण्या का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर गाड़ी के अंदर बिठाया। रूद्र जानता था शरण्या के साथ यह सारे पल आगे बहुत मुश्किल से मिलेंगे तो उसने जानबूझकर हाईवे से निकलने के बाद गाड़ी की रफ्तार को धीमी कर दि। शरण्या ने में जब गाड़ी की रफ्तार देखी तब उसे एहसास हुआ उसने बेवजह रुद्र के सामने जिद की और उस पर गुस्सा किया। उसने मासूमियत से रुद्र के कंधे पर अपना सिर टिका दिया और उसकी बांह पकड़ ली। दोनों इस वक्त बहुत कुछ कहना चाहते थे लेकिन दोनों ही खामोश थे। वह दोनों ही नहीं चाहते थे कि यह सफर कभी खत्म हो लेकिन उन्हें मंजिल पर पहुंचना ही था, जहां पहुंचते पहुंचते उन दोनों को ही लगभग आधी रात हो गई। शरण्या ने रास्ते में ही बहुत कुछ खाया था इसलिए उसे कुछ खाने का मन नहीं था। रूद्र का भी मन कुछ उखड़ा हुआ सा था तो उसने भी कुछ नहीं खाया और ऐसे ही सो गया।
उन दोनों के वहां पहुंचने से पहले ही मानसी ने शादी की काफी सारी खरीदारी करवा दी थी जिसमें किसी को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। आज हल्दी थी तो सब ने सफेद और पीले रंग का ड्रेस पहना था। लड़कियों के लिए साड़ी और लड़कों के लिए कुर्ता और धोती। धोती रेडीमेड थी इसीलिए किसी को भी दिक्कत नहीं हुई बांधने में। सभी तैयार होकर रश्म के लिए जमा हुए और दूल्हा दुल्हन को हल्दी लगाने के बाद सभी ने हल्दी की होली खेल ली। रूद्र ने देखा शरण्या के चेहरे पर अभी भी हल्की उदासी थी। वह अपने बहन के शादी की रस्मों में खुश तो थी लेकिन उतनी नहीं जितना उसे होना चाहिए था। उसे चेहरे की उदासी रूद्र नहीं देख सकता था। रूद्र ने भी शरण्या का मूड ठीक करने के लिए हथेली में हल्दी का कटोरा लिया और उसे खींच कर अपने साथ ले गया। बड़े से पैलेस में उन दोनों को ही ढूंढ पाना इतना आसान नहीं था और उन दोनों को ही बस एक कोना चाहिए था जहाँ वह दोनों एक दूसरे को जी सकें।
शिखा जी ने जब रूद्र को वहां नहीं पाया तो उसे ढूंढने के लिए जाने लगी। दादी ने जब देखा तो उन्हें रोकते हुए कहा, "मैंने ही भेजा है उसे किसी काम से। तुम परेशान मत हो वह कुछ देर में आ जाएगा।" दादी की बात सुन शिखा को थोड़ी तसल्ली हुई। उन्हें लगा था शायद अनन्या की वजह से रूद्र वहां नहीं है क्योंकि इस सब में शरण्या भी वहां नहीं थी। आधा घंटा गुजर चुका था फिर भी रूद्र और शरण्या की कोई खबर नहीं थी किसी का ध्यान नहीं गया लेकिन इससे पहले कि कोई और उनके बारे में पूछा दादी ने मौका पाकर रूद्र को फोन लगाया। रूद्र व शरण्या अभी भी एक दूजे की हल्दी में डूबे हुए थे और वह दोनों ही इस रंग से छूटता नहीं चाहते थे। लेकिन तभी रूद्र का फोन बजा जिसे वह चाहकर भी इग्नोर नहीं कर पाया। दादी ने उन दोनों को ही वापस आने को कहा अब दादी के बाद रूद्र कैसे टाल सकता था! ना चाहते हुए भी उन दोनों को वापस आना पड़ा लेकिन पीछे के रास्ते से क्योंकि सबसे ज्यादा हल्दी उन दोनों ने ही खेली थी वह भी एक दूसरे के साथ।
हंसते खेलते पूरा दिन निकल गया और किसी को पता भी नहीं चला। रात में शरण्या रूद्र को ढूंढते हुए उसके कमरे में गई लेकिन वह वहां नहीं था। उसका फोन लगाया लेकिन फोन भी बंद था और उसी कमरे में पड़ा हुआ था। शरण्या परेशान हो उठी कि आखिर इतनी रात को रूद्र कहां जा सकता है! वह वहीं से कमरे में इंतजार करने लगी। ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब रूद्र अपने कमरे में वापस लौटा। उसे देखते ही शरण्या ने सवालों की बौछार कर दी तो रूद्र उसे चुप कराते हुए बोला, "तेरे लिए एक सरप्राइज है! कल मेहंदी है ना तो कल तुझे तेरा सरप्राइज मिल जाएगा। तब तक के लिए इंतजार कर!" कहते हुए उसने शरण्या को उसके कमरे तक छोड़ा और अपने कमरे में आकर दरवाजा बंद कर लिया। साथ में खिड़कियां वगैरह भी बंद कर दिए ताकि शरण्या किसी भी तरीके से उसे कमरे में ना आने पाए।
अगले दिन मेहंदी की तैयारियां जोरों शोरों से शुरु हो गई। सुबह से ही घर की औरतें और बाहर से आई सारे मेहमान लाइन लगा कर बैठे थे। सबको अपनी अपनी बारी का इंतजार था। मेहंदी वाली भी सुबह से लगी हुई थी और दो लड़कियों का काम था खास तौर पर लावण्या को मेहंदी लगाना। शरण्या को भी मेहंदी लगानी थी लेकिन उसे से मौका ही नहीं मिला। लावण्या के कांधे बाजू से लेकर पूरी हथेली मेहंदी से भरी हुई थी और दोनों पैर में भी घुटनो तक मेहंदी लगी थी जिसके साथ वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। वही रेहान की हथेली पर सिर्फ लावण्या का नाम लिखा था और एक छोटा सा फूल। रेहान तो इसी में खुश था।
शरण्या को जब मौका नहीं मिला तो उसने चुपके से मेहंदी का एक फोन उठा लिया और भागते हुए रूद्र के पास आई। उसने रूद्र को वह मेहंदी का कोन पकड़ते हुए कहा, "तू पेंटर है ना.....! तुझे तो पेंटिंग अच्छी लगती है। तो फिर मेरे हाथ में भी कुछ बना दे!" बेचारा रूद्र...!!! कैनवास पर कई बार उसने पेंटब्रश चलाई लेकिन कभी किसी लड़की के हथेली पर मेहंदी नहीं लगाई। कभी जिंदगी में जिसने मेहंदी का कोन नहीं पकड़ा आज उसकी गर्लफ्रेंड उसे मेहंदी लगाने को बोल रही थी। उसने कुछ देर सोचा और फिर अपने फोन से मेहंदी का एक छोटा सा सिंपल लेकिन खूबसूरत सा डिजाइन निकाला और उसे देखते हुए शरण्या की हथेली पर उस डिजाइन को उतारने लगा।
चाहे जैसे भी बनी हो, शरण्या के लिए वह मेहंदी बहुत खूबसूरत थी जो खुद रूद्र ने उसकी हथेली पर लगाई थी। इससे बढ़कर कुछ और हो ही नहीं सकता था। मेहंदी पूरी होने के बाद शरण्या बस उसे देखती ही रह गई। उसने खुशी खुशी रूद्र के गालों को चूमा और वहां से चली गई। जाते जाते अचानक से उसे कुछ ध्यान आया और उसने उसी मेहंदी का कोन लेकर अपनी कलाई के ठीक नीचे रूद्र नाम लिख दिया, कुछ इस तरह के सामने से किसी को भी पता ना चले। अब तो बस उसे अपनी मेहंदी के सूखने का इंतजार था।
शरण्या की एक हथेली अभी भी खाली थी। लावण्या ने जब देखा तो अपने सामने बैठे एक लड़की से कह कर शरण्या के दूसरे हाथ में भी मेहंदी लगवा दिया। शरण्या जिसने कभी दोनों हाथों में मेहंदी नहीं लगवाई थी, इस वक्त अपने दोनों हथेलियों को खड़ा किए बैठी थी और उसे जोरों की भूख लगी थी लेकिन कहे किससे? उसने कोशिश तो की लेकिन खाना तो अपने हाथों से ही था और वहां कोई ऐसा था भी नहीं जिसे वह हेल्प मांग सके। अपने दोनों कलाइयों को मोड़ते हुए उसने चम्मच पकड़ा लेकिन खाना उसे नसीब नहीं हुआ। उससे ही यू लड़ते देख रुद्र की हंसी निकल गई और उसने उसके पास बैठते हुए चम्मच को पकड़ लिया। "इस काम के लिए भी तू मुझे कह सकती है, मैं मना नहीं करूंगा।"
शरण्या बोली, "पिछले कुछ दिनों से तेरे हाथों से ही खाना खा रही हूं। इसीलिए अपने हाथ से खाने की आदत छूट गई है। अब मुझे अपने हाथों से खाना पड़ेगा वरना तु जिंदगी भर थोड़े ना अपने हाथों से खिलाएगा!" रूद्र उसके सामने कौर रखते हुए बोला, "तुझे अगर जिंदगी भर मुझे अपने हाथों से खिलाना पड़ेगा ना तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं। मैं कभी मना नहीं करूंगा। इनफैक्ट् मुझे तो अच्छा लगेगा।" रूद्र की बात सुन शरण्या की आंखें नम हो गई और होठों पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आ गई। रूद्र उसे अच्छे से खाना खिलाया। तबतक उसकी मेहंदी भी सूख चुकी थी। कल सुबह तक उस मेहंदी का रंग भी पूरी तरह से चढ़ जाना था जिसका इंतजार उससे नहीं हो रहा था।
Wonderful Mind Blowing nd Amazing Mast Part 💗💗💗💗💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
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जवाब देंहटाएंBeautiful mind blowing awesome 💞💞💞💞💞🥰💞💞🥰🥰
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जवाब देंहटाएंKhubsurat
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र कितना केयरिंग है!! और उन दोनों की बेचैनी तो हमे भी महसूस होती है, बेचारी शरण्या... वो तो रुद्र से दूर ना जाना पड़े इसलिए मंदिर में ही शादी के लिए तैयार हो गई!! 🙂🙂 और रुद्र भी कित्ता अंडरस्टैंडिंग है...!! उसे अच्छे से समझाया और दोनों की हल्दी और मेहंदी साथ मे बड़ी प्यारी गुजरी!! 💙💙 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊
जवाब देंहटाएंSuperbbb awesome beautiful part
जवाब देंहटाएंMind blowing beautiful interesting part waiting for next part
जवाब देंहटाएंSuper duper
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