ये हम आ गए कहाँ!!! (72)

     शरण्या की तबीयत अचानक से खराब हो गई जिसके वजह से सभी लोग घबराए हुए थे और सबसे ज्यादा रूद्र! शरण्या को लेकर वो इतना ज्यादा बेचैन हो उठा कि लावण्या के गले लग कर रो पड़ा। लावण्या ने भी उसे संभालते हुए उसे दिलासा दिया और दोनों ही वापस हॉस्पिटल के अंदर चले आए। सारे घर वाले वहां मौजूद थे। डॉक्टर ने जब मिस्टर रॉय से उनकी फैमिली हिस्ट्री के बारे में पूछा तो मिस्टर रॉय के मुंह से सिर्फ शरण्या की मां के बारे में ही जानने को मिला। क्योंकि उनकी पूरी फैमिली में किसी को भी किसी भी तरह की एलर्जी नहीं थी, सिवाय शरण्या की मां के। 

     बरसों बाद श्रृजिता का जिक्र सुन अनन्या का मन मलीन हो गया। उसे तकलीफ सिर्फ इस बात की थी कि ललित को शरण्या की मां के बारे में अभी भी सब कुछ याद था। ललित ने घबराते हुए अनन्या की तरफ देखा तो उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। ललित समझ गया एक बार फिर उन्होंने अपनी पत्नी को चोट पहुंचाई है। 

कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आए और उन्होंने कहा, "शरण्या फिलहाल ठीक है। उसकी कंडीशन स्टेबल है। होश आने में सुबह तक का वक्त लग सकता है तब तक कोई घबराने वाली बात नहीं है।" शरण्या के बारे में जानकर सब ने राहत की सांस ली लेकिन असली तूफान आना तो अभी बाकी था। 

    वहां पर घर के सभी लोग मौजूद थे सिवाय दादी के। रेहान और लावण्या के अलावा सभी शरण्या की सच्चाई जानते थे। जब उन दोनों के सामने यह बात आई तो लावण्या हैरानी से अपने पिता की ओर देखने लगी और बोली, "पापा यह कैसी बात कर रहे थे आप? मॉम को ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है। हमारी फैमिली में किसी को भी प्रॉब्लम नहीं है तो आप कैसे कर सकते हैं की मॉम को पिस्ता से एलर्जी है? जबकि ऐसा कुछ नहीं है तो फिर आपने झूठ क्यों बोला? इनफैक्ट् खीर में पिस्ता हम सब ने खाया है लेकिन वह बिल्कुल ठीक है, कुछ नहीं हुआ उन्हें!"

     लावण्या ने अपने पिता से सवाल किया लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बेटी को कुछ जवाब दे पाते, रूद्र उन दोनों को बीच में ही रोकते हुए अनन्या से बोला, "आप अच्छे से जानती थी कि शरण्या को पिस्ता से एलर्जी है!!! जानती थी ना आप? बिलकुल वैसे ही जैसे उसकी मां को एलर्जी थी। अगर मैं गलत नहीं हूं तो इस एलर्जी की वजह से ही शरण्या की मॉम की डेथ हुई है। कहीं इस सब में आपका हाथ तो नहीं?" 

     अनन्या की आंखें हैरानी से फैल गई। वह लगभग चीखते हुए बोली, "तुमने मुझे समझ क्या रखा है रूद्र? माना शरण्या को मैंने जन्म नहीं दिया, इसका मतलब यह नहीं कि मैं उससे प्यार नहीं करती! मैं उसकी जान लेने की कोशिश क्यों करूंगी?"


     रूद्र तंज भरी मुस्कान के साथ बोला, "प्यार....! और आप..........! वो भी शरण्या से...!!! इससे बड़ा मजाक और कोई हो ही नहीं सकता, और ना ही इससे बड़ा झूठ आप बोल सकती हैं। आपने कभी शरण्या से प्यार नहीं किया क्योंकि वो आपके पति का दिया एक बहुत बड़ा धोखा है। आप सब कुछ माफ करके शरण्या को अपनी बेटी की तरह अपना भी लेती लेकिन नहीं कर पाई जानती है क्यों? क्योंकि अगर मैं गलत नही हु तो शरण्या की शक्ल बिल्कुल अपनी मॉम जैसी है। जब भी आप शरण्या को देखती है आपको उसकी मॉम यानी कि सृजिता आंटी नजर आती हैं और इस बात को आप झुठला नहीं सकती।"


     रूद्र की बातें सुन लावण्या और रेहान बुरी तरह से चौक गए। उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शरण्या लावण्या की सगी बहन नहीं है। रूद्र ने आगे बोलना जारी रखा। "अगर मैं गलत नहीं हूं तो आपने यह सब जानबूझकर किया ताकि शरण्या की तबीयत बिगड़े और वह इस शादी में शामिल ना हो पाए। अपनी बहन की शादी को लेकर वो बहुत ज्यादा खुश थी और आपसे यह देखा नहीं जा रहा था। लेकिन आपके पास कोई बहाना नहीं था शरण्या को इस शादी से दूर रखने का तो आपने यह तरीका अपनाया?? आपको एहसास भी है क्या हो सकता था? उसकी जान जा सकती थी!!!"


    रूद्र इस वक्त अपने आपे से बाहर था। उसका गुस्सा देख अनन्या तिलमिला गई और बोली, "शिखा अपने बेटे को समझाओ! वह अपनी हद भूल रहा है! तुम्हारा बेटा मुझसे बदतमीजी कर रहा है!!!" रूद्र उनको जवाब देते हुए बोला, "अभी मैंने बदतमीजी की कहां है मिसेज अनन्या ललित रॉय!!!" 

    अनन्या अच्छे से जानती थी कि रूद्र की कहीं कोई भी बात गलत नहीं है। इसके बावजूद उसे खुद को सही साबित करना था इसके लिए उसने शिखा का सहारा लिया। शिखा अच्छे से जानती थी कि रूद्र सही है इसके बावजूद उसने रूद्र का हाथ पकड़ा और बोली, "रूद्र चल यहां से...! शरण्या फिलहाल ठीक है और खतरे से बाहर है। मुझे लगता है हमें चलना चाहिए।"

     शिखा अपने बेटे को वहां से लेकर जाना चाहती थी ताकि वहां का माहौल और ज्यादा गर्म ना हो। रूद्र शरण्या को लेकर वैसे ही गुस्से में था। अपनी मां के साथ छुड़ाते हुए बोला, "आप सब लोग घर जाइए, मैं हूँ यहां पर! किसी को भी यहां रुकने की जरूरत नहीं है और ना ही इजाजत है। यहां मरीज के साथ सिर्फ एक ही कोई रुक सकता है इसलिए बेहतर होगा आप सब लोग यहां से चले जाओ। उसका ख्याल रखने के लिए मैं अकेला काफी हूं।"

    रूद्र की नजर अभी भी अनन्या पर ही थी। अनन्या तिलमिलाकर रह गई और एक नजर ललित को देख पैर पटकते हुए वहां से निकल गई। लावण्या हैरान परेशान थी वहां किसी पत्थर की मूर्ति की वह खड़ी रही। आज अपनी बहन का इतना बड़ा सच उसके सामने आया था। वह हमेशा सोचती थी कि आखिर उसकी मां क्यों शरण्या से प्यार नहीं करती? क्यों हर बात पर उसे डांट पड़ती है और क्यों उसके मम्मी पापा के बीच कभी वह प्यार नजर नहीं आता था जो एक नॉर्मल पति पत्नी के बीच होना चाहिए। उन दोनों के बीच की तल्ख़ी किसी से छुपी नहीं थी। सगाई से पहले जो दादी ने उसके पिता से कहा था उस बात का मतलब अब जाकर उसे समझ में आया। लेकिन यह बात रूद्र पहले से जानता था इस बात को लेकर वह और भी ज्यादा हैरान थी। 

    रूद्र बिना रेहान की तरफ देखें बोला, "रेहान तु लावण्या को लेकर घर जा और मां पापा को भी अपने साथ लेते जाना। कल सुबह तुम सबको जोधपुर के लिए निकलना है।" रेहान उसकी बातों पर ध्यान देते हुए बोला, "हम सब....! मतलब तू नहीं आ रहा हमारे साथ? तुझे छोड़कर हम लोग कैसे जा सकते हैं?" 

     रूद्र बोला, "शरण्या की तबीयत ठीक नहीं है। उसे रिकवर होने में थोड़ा टाइम लगेगा इसलिए मैं उसके पास हूं। तुम लोग आराम से जाओ और शादी की जो भी काम निपटाने हैं उसे निपटा लो। जैसे ही उसकी तबीयत ठीक होगी मैं उसे लेकर चला आउँगा। और वैसे भी शादी में अगर देरी हुई तो यह बात शरण्या को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगेगी। अपनी बहन की शादी को लेकर उसके भी कुछ सपने हैं, कुछ अरमान है। इसलिए शादी की डेट आगे नहीं बढ़ेगी और तुम सब लोग कल ही निकल जाओ। जो कह रहा हूं वह करो ज्यादा सवाल जवाब नहीं।"

     शिखा ने जब अपने बेटे की बात सुनी तो उसे रोकते हुए बोली, "लेकिन बेटा ऐसा कैसे हो सकता है? तुम दूल्हे के भाई हो तुम्हारी भी कुछ रस्में होगी! वहां तुम्हारी जरूरत होगी ऐसे में तुम्हें छोड़कर हम नहीं जा सकते बेटा! और अगर तुम नहीं जा रहे हैं तो यह शादी हमें आगे बढ़ानी पड़ेगी।"

    रूद्र बोला, "मां मैंने कहा ना! शादी की डेट आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। शरण्या बिल्कुल ठीक हो जाएगी और वह दुल्हन की बहन है। अगर मेरे कुछ रसमें होंगे वहां पर तो दुल्हन की बहन होने के नाते शरण्या की भी वहां पर कुछ जरूरत होगी। कुछ रस्में उसे भी निभानी होगी तो अगर दुल्हन की बहन नहीं होगी वहां पर तो दूल्हे का भाई भी नहीं होगा। आखिर अनन्या आंटी को कुछ तो एहसास हो कि आखिर उन्होंने किया क्या है! मैंने पहले भी कहा अभी भी कह रहा हूं, शरण्या जैसे ही ठीक होगी मैं उसे लेकर चला आउँगा। शादी की रस्में शादी से 2 दिन पहले ही शुरू होगी ना, तब तक वह बिल्कुल ठीक हो जाएगी। आप लोग चिंता मत कीजिए और आराम से घर जाइए। कुछ देर बाद ही निकलना होगा आप लोगों को इसलिए आराम से सो लीजिए। हो सकता है रास्ते में सोने में कोई दिक्कत हो।"

    रूद्र ने सबको समझा कर रेहान के साथ घर भेज तो दिया लेकिन किसी का भी मन नहीं लग रहा था। रेहान ने सबसे पहले अपने मम्मी पापा को घर छोड़ा उसके बाद लावण्या को लेकर उसके घर ड्रॉप करने चला गया। वहां से लौटते हुए रेहान के दिमाग में रुद्र की कही बातें घूम रही थी। "शरण्या ललित अंकल की बेटी है लेकिन अनन्या आंटी की बेटी नहीं है! यानी शरण्या और लावण्या दोनों सौतेली बहने हैं! ललित अंकल का शादी के बाहर किसी और के साथ अफेयर था और शरण्या उसकी निशानी है, इसीलिए अनन्या आंटी कभी उसे मां का प्यार नहीं दे पाई! और आज बात यहां तक पहुंच गई की शरण्या इस वक्त हॉस्पिटल में है! अगर रूद्र की बात सच है तो शरण्या की इस हालत के जिम्मेदार अनन्या आँटि है? लेकिन कोई मां ऐसा कैसे कर सकती है........? कर भी सकती है यार...! आखिर कोई औरत यह कैसे बर्दाश्त कर सकती है कि उसके अलावा कोई और उसके पति के बच्चे को जन्म दे!!! आखिर वह कैसे अपने सौतेले बच्चे को प्यार दे पाए जब उसे खुद इतना बड़ा धोखा मिला हो! हर किसी के सीने में इतना बड़ा दिल नहीं होता। शायद ही कोई ऐसा होता है जो अपने पति के धोखे को अपना सकें। अनन्या आंटी नहीं कर पाई। वह चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाई लेकिन क्या सच में वह शरण्या की जान लेने की कोशिश कर सकती है? नहीं....... मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूं ऐसा नहीं हो सकता!"

     रेहान का सिर मानो अब फट जाएगा। आज् जो कुछ भी हुआ वह सब किसी हथौड़े की तरह उसके दिमाग में चल रहा था। उसने अपना सर पकड़ लिया और गाड़ी साइड में लगा दी। कुछ देर वह यूं ही बैठा रहा और खुद को शांत करने की कोशिश करता रहा। तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आया जिसे देखकर रेहान होश में आया और कॉल उठा कर बिना कुछ बोले वापस से फोन बंद कर उसे डैशबोर्ड पर फेंक दिया। रात बहुत हो चुकी थी और शिखा जी परेशान हो रही थी। यह सोचकर रेहान ने वापस गाड़ी स्टार्ट की और वहां से निकल गया। 

     वही लावण्या के मन में भी इस वक्त तूफान मचा था। आखिर इस सब में शरण्या की क्या गलती जो उसे इतना कुछ सहना पड़ा और अभी भी वह यह सब कुछ बर्दाश्त कर रही है। और वक्त रहते अगर रूद्र ना आया होता तो इसी घर में शरण्या का क्या हाल होता यह उनमें से कोई जान नहीं पाता। पूरी रात वह अपने कमरे में बेहोश पड़ी रहती और सब लोग चैन से सो रहे होते।

     शरण्या को इस तरह देख रूद्र की आंखें नम हो गई। वह धीरे से उसके बिस्तर के पास स्टूल पर बैठ गया और उसके चेहरे को निहारने लगा। हमेशा मुस्कुराते रहने वाली और उस पर हमेशा गुस्सा करते रहने वाली शरण्या इस वक़्त खामोश थी। रूद्र ने धीरे से कहा, "माना तेरी बंद पलके मुझे बहुत खूबसूरत लगती है इसका मतलब यह नहीं कि तू इस तरह हॉस्पिटल के बिस्तर पर आंखें मूंदे लेटी रहे। एक बार अपनी आंखें खोल और मेरी तरफ देख। तुझे मुझ से जितनी नाराजगी हो, मुझे जितना भी डांटना हो जितना भी प्यार करना हो तु कर , लेकिन ऐसे खामोश मत रह। तेरी यह खामोशी चुभती है मुझे।" 

     उसने एक हाथ से शरण्या का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके बाल सहलाने लगा। रूद्र आज कुछ ज्यादा ही थका हुआ सा था। ऊपर से शरण्या की ऐसी हालत, वह अंदर तक टूट गया था। उसने शरण्या के हाथ पर अपना सर टिका दिया और कुछ देर के लिए आंखें मूंद ली। रात का जाने वह कौन सा पहर था जब रूद्र की आंख लग गई

टिप्पणियाँ

  1. Wonderful Mind Blowing nd Fabulous Part 💗💗💗💗💗💖💖💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 और ये रेहान.... ये वही गलती दोहराने वाला है जोकि ललित जी ने कभी की!! पर उसकी सजा रुद्र भुगतने वाला है! 😥 और लावण्या बेचारी... अपनी बहन के बारे में जानकर दुखी हो गई पर रुद्र की हालत तो देखी ही नही जा रही!...

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