ये हम आ गए कहाँ!!! (71)

    जनवरी के आखिर मे शादी होनी थी और सभी को एक हफ्ते पहले ही जोधपुर रवाना होना था। सबकी अपनी अपनी पैकिंग हो चुकी थी। शरण्या कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड थी अपनी बहन की शादी को लेकर। आखिर इसी बहाने उसे रूद्र के साथ कुछ और वक्त बिताने को मिल जाता। अगले दिन सबको निकलना था। अनन्या ने सबके लिए अपने हाथों से खीर बनाई थी ताकि निकलने से पहले सबका मुंह मीठा किया जा सके। खाना खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए क्योंकि सुबह सबको एक साथ निकलना था। 

     अपने कमरे में आकर शरण्या अपनी जरूरत की कुछ चीजें बैग में डाल रही थी। तभी रुद्र का फोन आ गया। उसका नंबर देखते ही शरण्या खुशी से फोन उठाते हुए बोली, "मैं अभी तुझे ही कॉल करने वाली थी। अच्छा सुन..... कल क्या हम दोनों एक साथ जा सकते हैं? मतलब सभी लोग गाड़ी से जा रहे हैं ना, तो क्या मैं तेरे साथ तेरी गाड़ी में जा सकती हूं?" रूद्र बोला, "चाहता तो मैं भी यहीं हूं लेकिन पता नहीं बहाना क्या बनाऊं समझ नहीं आ रहा!" 

    शरण्या बोली, "कुछ तो कर! कोई जुगाड़ लगा जिससे कि मैं तेरे साथ चल सकू। वैसे तो तेरा दिमाग हर जगह चलता है लेकिन जब बात मेरी हो ना तब तेरा दिमाग नहीं चलेगा।" रूद्र हंसते हुए बोला, "तेरे सामने तो वैसे ही मेरी जुबान बंद हो जाती है तो दिमाग की क्या बात है!"

     "फ्लर्ट कर रहा है मेरे से?" शरण्या इतराते हुए बोली तो रूद्र ने कहा, "अब तुझसे फ्लर्ट नहीं करूंगा तो फिर किससे करूंगा? वैसे मैं फ्लर्ट नहीं कर रहा, सच्चाई है। तेरे सामने मेरा दिल दिमाग कुछ भी काम नहीं करता और जुबान तो वैसे ही बंद हो जाती है। तूने मुझे पागल कर के रखा है। कुछ समझ ही नहीं आता, बस बेवकूफ की तरह मुस्कुराते रहता हूं। अब किस को बताऊं कि मैं अपनी शाकाल को याद कर रहा हूं। उफ्फ्.........! मेरे सपने......! ना जाने कब पूरे होंगे? कब तु मेरे पास आएगी, मेरे कमरे में। मैं तो सबके सामने तुझे गोद में उठा कर ले जाऊंगा अपने कमरे में तू देखती रहना, कुछ नहीं कर पाएगी तू।"

     शरण्या शरमा गई और झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली, "तु कुछ ज्यादा ही ओपन नहीं हो रहा मेरे साथ? ऐसी वैसी कोई हरकत तूने की तो तुझे अच्छे से पता है मैं तेरे साथ क्या करूंगी! चल अभी फोन रख, मुझे अभी सोने भी जाना है। कल सुबह के लिए तुझे कुछ जुगाड़ लगाना है तो रात भर बैठ कर उस जुगाड़ के बारे में सोच मैं चली सोने, बाय गुड नाइट!!" कहकर शरण्या जैसे ही फोन रखने को हुई रूद्र बोला, "ओई सुन सुन......! थोड़ी देर और बात कर ले मेरे से, मेरा दिल नहीं लग रहा तेरे बिना।"

     शरण्या ने ताना मारते हुए कहा, "तेरा दिल नहीं लग रहा। जा.......! अपनी इश्श् के पास जा! वहां तेरा दिल लग जाएगा। कमीने! मुझे परेशान करने के लिए तुझे कोई और नहीं मिली थी जो तू उसका नाम उठा लाया था। इस बात के लिए मैं तुझसे हमेशा गुस्सा रहूंगी।" कहते हुए अचानक से उसके चेहरे के भाव बदलने लगे। वह अचानक से हांफने लगी और बोली, "रूद्र.........! रूद्र........! मुझे कुछ हो रहा है........! पता नहीं क्या लेकिन.......... कुछ हो रहा है मुझे.....!"

     रूद्र शरण्या की आवाज सुनकर ही बुरी तरह से घबरा गया और बोला, "शरू...! शरू.....!! शरू बात कर मुझसे! क्या हो रहा तुझे, शरू बता मुझे!!! शरू मुझसे बात कर....!" लेकिन शरण्या तब तक बेहोश हो चुकी थी। रूद्र को कुछ नहीं सूझा और वह भागते हुए घर से निकल गया। शिखा जी की नजर जब रूद्र पर गई तो उन्हें भी कुछ समझ नहीं आया आखिर हुआ क्या! रूद्र भागते हुए रॉय हाउस पहुंचा और दरवाजा खटखटाने लगा। वो इतना ज्यादा बेचैन था कि उसे एक एक सेकंड की देरी बेचैन कर रही थी। उसे शरण्या को लेकर बहुत ज्यादा डर लग रहा था।

    दरवाजे की घंटी सुनकर लावण्या ललित और अनन्या तीनों ही अपने कमरे से बाहर निकले। "कौन है जो इतनी रात को इस तरह घंटी बजा रहा है? कहीं आग लग गई है क्या? इस तरह बेचैन होकर कौन आया है इतनी रात को?" घर के एक नौकर ने आकर दरवाज़ा खोला तो सामने रुद्र को खड़ा देख किसी को कुछ समझ नहीं आया। इससे पहले कि कोई उससे कुछ पूछता रूद्र भागता हुआ सीधे ऊपर शरण्या के कमरे में गया। शरण्या का कमरा अंदर से बंद था। उसने दरवाजा तोड़ने की कोशिश की, शरण्या को कई बार आवाज भी लगाई लेकिन कुछ जवाब नहीं मिला। लावण्या रूद्र को इस तरह देखकर घबरा गई। उसे समझ नहीं आया कि आखिर शरण्या को हुआ क्या है जो वह दरवाजा नहीं खोल रही और रूद्र इस तरह बेचैन है! 

     रूद्र बाहर की तरफ भागा और दूसरी तरफ से बालकनी के रास्ते से शरण्या के कमरे में दाखिल हुआ तो देखा शरण्या वही जमीन पर बेहोश पड़ी थी और उसके पूरे शरीर पर लाल निशान थे। रूद्र ने उसे पानी का छीटा देकर उसे जगाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका कुछ असर नही हुआ। उसने शरण्या को गोद में उठाया और दरवाजा खोलकर बिना किसी को कुछ भी बताएं उसे लेकर अपनी गाड़ी में डाला और हॉस्पिटल के लिए निकल गया। घर में मौजूद सभी लोग बस देखते ही रह गए। रूद्र बदहवास स था और शरण्या बेहोशी की हालत में। किसी को कुछ समझ नहीं आया तो लावण्या बोली, "मॉम डैड!!! हमें उसके पीछे जाना चाहिए। पता नहीं शरण्या को क्या हुआ है।" लावण्या की बातें सुनकर सभी जैसे नींद से जागे हो। जो जिन कपड़ों में थे उन्ही कपड़ों में घर से बाहर निकल गए। 

    रूद्र शरण्या को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा और उसे गोद में उठाकर इमरजेंसी में लेकर गया। उस हॉस्पिटल मे उसके जानने वाले थे इसीलिए शरण्या को लेकर ज्यादा कुछ दिक्कत नही हुई और ना ही किसी ने कोई सवाल किया। रूद्र ने शरण्या को एडमिट करवाया और कुछ ही देर के बाद लावण्या अनन्या और ललित तीनों रूद्र की गाड़ी का पीछा करते हुए वहां आ पहुंचे। तब तक रूद्र शरण्या का ट्रीटमेंट शुरू करवा चुका था और खुद केबिन के बाहर घबराया हुआ तेज़ी से इधर उधर टहल रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करना है, क्या नहीं! डॉक्टर ने उसे कुछ पेपर वर्क करने को कहा और हॉस्पिटल की फॉर्मेलिटी पूरी करने को कहा था ताकि शरण्या को प्रॉपर्ली एडमिट किया जा सके। 

    घबराया हुआ सा रूद्र ने पूछा, "डॉक्टर...! क्या हुआ हैं शरण्या को? वो ठीक तो है? वो अचानक से बेहोश हो गई लेकिन कैसे ये समझ नहीं आया। हम दोनों ही बात कर रहे थे और वो ऐसे.....!"

     डॉक्टर उसके काँधे पर हाथ रखते हूए बोला,"घबराइये मत..! हम उसे बेस्ट ट्रिटमेंट दे रहे है।,बेहोश वो इसलिए हो गई क्योंकि उसे एलर्जीक् रिएक्शन हुआ है।" एलर्जीक् रिएक्शन की बात सुनते ही रूद्र घबरा गया और बोला, "डॉक्टर कोई सीरियस बात तो नहीं है? वह ठीक तो जाएगी ना?" 

     डॉक्टर उसे समझाते हुए बोला, "देखो रूद्र...! शरण्या को एलर्जी हुई है और एलर्जी ऐसे ही नहीं होती है। जब हमें पता है कि हमें किसी चीज से प्रॉब्लम होती है तो हमें उस चीज से दूर रहना चाहिए। शरण्या को भी ऐसे ही किसी चीज से प्रॉब्लम है जिस कारण उसकी ये हालत हुई है। वैसे तो बहुत ज्यादा सीरियस मैटर नहीं है क्योंकि तुम उसे टाइम पर ले आए वरना बात बढ़ सकती थी। हम बस उसका ट्रीटमेंट शुरू कर चुके हैं देखते हैं वह कब तक रिकवर करती है। बस एक बार वो होश में आ जाए।"

     रूद्र घबराया हुआ था हॉस्पिटल के बाहर निकल गया तभी उसे उसकी मां का फोन आया। फोन उठाते ही रूद्र बोला, "माँ.....! माँ.......शरण्या..... मां शरण्या हॉस्पिटल में है। उसे एलर्जी हुई है! पता नहीं क्या खा लिया उसने जो उसे इस तरह.......... जब तक मैं पहुंचा वो तब तक बेहोश हो चुकी थी। डॉक्टर ने उसका इलाज तो शुरू कर दिया है लेकिन वह बोल रहे है पता नहीं कब तक रिकवर होगी। मां मुझे बहुत डर लग रहा है। उसे कुछ होगा तो नहीं?" 

    शिखा अपने बेटे को समझाते हुए बोली, "रूद्र सब ठीक हो जाएगा। डॉक्टर ने कहा है कि वह ठीक हो जाएगी तो वह ठीक हो जाएगी। कुछ नहीं होगा उसे तू देख लेना बहुत जल्द वो पहले की तरह हो जाएगी और अपनी बहन की शादी में भी शामिल होगी। हम लोग आ रहे हैं, ठीक है! तू अपनी लोकेशन भेज।" कहकर शिखा ने फोन रख दिया। रूद्र ने अपना लोकेशन भेजा और फोन जेब में रख लिया। ऐसा लगा मानो वो अब रो पड़ेगा। 

     लावण्या पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा। रूद्र एकदम से पलटा और बिना यह देखें कि उसके पीछे कौन है, वो लावण्या के गले लग कर रो पड़ा। उसने सिसकते हुए कहा, "मैंने कभी शरण्या को ईस हालत में नहीं देखा। मुझसे उसकी यह हालत नहीं देखी जा रही। वो ठीक तो हो जाएगी ना? उसे कुछ हो गया ना तो मैं जी नहीं पाऊंगा!" लावण्या उसका पीठ सहलाते हुए बोली "परेशान मत हो रूद्र! शरण्या बिलकुल ठीक हो जाएगी। डॉक्टर ने कहा ना बात ज्यादा सीरियस नहीं है। तुम वक्त रहते उसे ले आए और वक्त रहते उसे इलाज मिल सका। देखना वह कल तक ठीक हो जाएगी। लेकिन मेरी यह समझ नहीं आ रहा आखिर शरण्या को एलर्जी हुई कैसे? इतने सालों में तो उसे किसी तरह का कोई सिम्टम्स नहीं दिखा तो फिर अचानक से उसे इस तरह कैसे हो सकता है?"

     रुद्र उससे दूर हुआ और बोला, "यह बात तो मेरी भी समझ नहीं आ रही। मैं उससे बात कर रहा था और कल के लिए वह मुझसे लड़ रही थी कि उसे मेरे साथ जाना है घरवालों के साथ नहीं। और मैं कुछ ऐसा करू कि हम दोनों को ही साथ में अकेले टाइम मिले। मैं और वह दोनों मिलकर अभी कुछ प्लान बना ही रहे थे कि अचानक शरण्या की तबीयत बिगड़ने लगी और तुरंत ही वह बेहोश हो गई। मेरी कुछ समझ नहीं आया, मैं उसे आवाज देता रह गया। जब उसने कोई रिस्पांस नहीं दिया तब मैं भागता चला आया बिना ये सोचें कि कौन क्या सोचेगा! बात अगर शरण्या की है तो मुझे किसी से कोई मतलब नहीं है।"

   लावण्या बोली, "मैं समझ सकती हूं रूद्र! जितना परेशान तुम हो उतना ही परेशान हम लोग भी हैं। मानती हु तुम्हारे शरण्या के बीच रिश्ता कुछ और है लेकिन दिल का रिश्ता तो हमारा भी है ना! आखिर बहन है वह मेरी खून का रिश्ता है हमारा।" लावण्या की बात सुन रूद्र को अचानक जैसे कुछ याद आया हो। उसने एकदम से पूछा, "उसने बाहर का कुछ खाया तो नहीं था?" लावण्या ने इंकार कर दिया तो उसने फिर पूछा, "तो फिर घर का खाना किसने बनाया था? और क्या-क्या बना था?"

    लावन्या बोली, "घर का खाना तो मैं और माँ ही बनाते हैं, उसमें कुछ खास नहीं था। कल हमें निकलना था और उसके बाद सीधे शादी के बाद ही मैं लौटती, वह भी उस घर में नहीं। वह मेरा मायका हो जाता इसलिए मां ने अपने हाथों से खीर बनाया था। लेकिन वह तो हम सब ने खाया था फिर अचानक से उसे क्या हो गया?"

     रूद्र को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने कहा, "मैं अंदर जा रहा हूं। तुम आओगी? शायद डॉक्टर से कुछ बात हो सके, वह कुछ बता सकें!" कहकर रूद्र लावण्या के साथ अंदर चला आया। तब तक रेहान के साथ उसके मां पापा भी हॉस्पिटल पहुंच गए। शरण्या के बारे में जानकार कर वोवा लोग भी काफी परेशान हो गए। सबसे ज्यादा परेशान रेहान हो गया क्योंकि अगले हफ्ते उसकी शादी थी और ऐसे में जब शरण्या की तबीयत इस तरह से खराब हो गई है तो उसे यह डर लगने लगा कि कहीं उसकी शादी की डेट आगे ना बढ़ जाए। ऐसी हालत में वह कुछ बोल भी नहीं सकता था वरना सभी उसे सेल्फिश समझते। 

     डॉक्टर को देखते ही रूद्र तेजी से उनके पास गया और शरण्या के बारे में पूछने लगा। डॉक्टर ने मिस्टर रॉय से पूछा, "शरण्या को एलर्जी है और यह शायद जेनेटिक है। क्या उसके फैमिली में किसी को ऐसी प्रॉब्लम है? मेरा मतलब, जरूरी नहीं है कि जेनेटिक ही हो लेकिन अगर ऐसी कोई हिस्ट्री रही है तो हमारे लिए वह भी जानना जरुरी होता है ताकि इलाज में कोई दिक्कत ना आए।" डॉक्टर की बात सुन मिस्टर रॉय सोच में पड़ गए। उन्होंने कहा, "हमारी फैमिली में तो किसी को भी एलर्जी की प्रॉब्लम नहीं है लेकिन.......!" कहते कहते वह थोड़ा सा हिचकीचाए और धीरे से बोले, "शरण्या की मां को पिस्ता से एलर्जी थी और पिस्ता उसके लिए जहर के बराबर था।" अपने पति के मुंह से एक बार फिर श्रृजिता का जिक्र सुनकर अनन्या की मुट्ठियां कस् गई। यह सोच कर कि ललित को आज भी शरण्या की मां की हर बात याद है, उनकी आंखें भर आई।

      

     

    

टिप्पणियाँ

  1. Wonderful Mind Blowing nd Fabulous Part 💗💗💗💗💗💖💖💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  2. Mam story past me yeh to samj me a gaya par abhi tak present me thi suddenly aapne decribe nhi kiya to thoda confusion ha rha tha bt part ache chal rhe hai

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  3. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 आज रुद्र को शरण्या के लिए इत्ता बेचैन देख एक मुस्कुराहट भी आ गई चेहरे पर... कितना प्यार करता है वो अपनी शरू से!! 💙💙 पर आज वापिस शरण्या की माँ का जिक्र हुआ.... अनन्या को बुरा जरूर लगा होगा और ये जेनेटिकल ही होगा! 🤔

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