ये हम आ गए कहाँ!!! (69)

     "यह तेरे बाल इतने बड़े क्यों हो रखे हैं? कब से तुने अपने बाल नहीं कटवाया। वैसे तुझपर अच्छे तो लगते हैं लेकिन आदत नहीं है मुझे तुझे ऐसे देखने की।" रूद्र के गोद में बैठी शरण्या उसके बालों में हाथ फिराते हुए बोली। रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "तू मुझे पहचान जाती है लेकिन तेरी बहन कंफ्यूज हो जाती है। अब जब वह इस घर में आ रही है तो कुछ तो डिफरेंस होना चाहिए ना हम दोनों भाई में। वरना कहीं ऐसा ना हो कि तेरे सामने तेरी बहन मुझसे फ्लर्ट करके चली जाए।" कहते हुए रूद्र मुस्कुरा दिया। 

     शरण्या एक मुक्का उसके पेट में जमाते हुए बोली, "और तू ऐसा करने देगा? मेरे रहते अगर तूने किसी और के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की या अगर किसी ने भी तेरे साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की तो मैं तुझे जान से मार दूंगी, जान लेन तू।" शरण्या ने रूद्र के कंधे पर सिर टिका दिया और बोली, "वैसे तुझे यह डेस्टिनेशन वेडिंग का आईडिया आया कहां से? कहीं कुछ और चक्कर तो नहीं है जो तू मुझे नहीं बता रहा?"

     "ऐसा कुछ नहीं है। मैं और विहान बस उन दोनों के लिए कुछ खास करना चाहते थे और वैसे भी दोनों परिवारों में पहली शादी है थोड़ा तो तामझाम होना चाहिए ना जिससे लोग उन दोनों की शादी को याद रखें।" रूद्र ने कहा तो शरण्या को जैसे कुछ याद आया। उसने जल्दी से अपनी पैंट की पॉकेट से एक लॉकेट निकालते हुए कहा, "यह मैंने तेरे लिए लिया था लेकिन तुझे दे नहीं पाई। सब लोग जब सगाई के लिए शॉपिंग कर रहे थे, किसी को भी तेरी याद नहीं आई। मैंने जब यह देखा तो मैंने तेरे लिए खरीद लिया।" कहते हुए शरण्या ने वह ओम का पेंडेंट अपने हाथों से रूद्र के गले में पहना दिया। रूद्र भी प्यार से उसका माथा चूमते हुए बोला, "चाहे पूरी दुनिया मुझे भूल जाए पर तु मुझे कभी नहीं भूलेगी इतना मुझे यकीन है।"

      रूद्र और शरण्या अपनी दुनिया में खोए हुए थे, उसी वक्त उन्हें रेहान की चीखने की आवाज आई। आउच्..........! मां.......! मर गया!!! कमर तोड़ दि........!" रेहान की चीख सुनकर रूद्र एकदम से हड़बड़ा गया और उठते हुए बोला, "सब लोग वापस आ गए हैं, चल मैं तुझे छोड़ दु।" कहकर जैसे वो जाने को हुआ शरण्या ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया। रूद्र ने जब उसकी ओर देखा तो उन आंखों को देखकर वह समझ गया कि शरण्या आज घर नहीं जाना चाहती। उसने शरण्या को गोद में उठाया और बिस्तर पर डालकर कंबल से ढकते हुए बोला, "तू सो जा, मैं यहीं हूं तेरे पास। कल सुबह मै तुझे खुद घर ले चलूंगा।" शरण्या मुस्कुरा दी और रूद्र कमरे से बाहर निकल गया। 

     नीचे आकर जो नजारा उसके आंखों के सामने था उसे देख रूद्र की हंसी निकल गई। बेचारा रेहान जमीन पर गिरा हुआ था और उठने की कोशिश कर रहा था। रूद्र ने शरण्या के लिए जमीन पर जो पाउडर डाली थी उस पर फिसल कर रेहान गिरा था और उससे अच्छी खासी चोट लग गई थी। बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी को दबाकर रूद्र ने रेहान को खड़े होने में मदद की और उसे सोफे पर बिठाते हुए बोला, "इतना बड़ा हो गया है तु, फिर भी तुझे चलना नहीं आता? कैसे गिर गया?"

     रेहान ने दर्द भरी आवाज में कहा, "सबसे पहले तु मुझे यह बता, यहां पर इतना चिकना क्यों है? कुछ तो है यहां पर ऐसा जिसकी वजह से मैं गिरा हूं। यहां का फर्श इतना भी चीकना नहीं है। कुछ किया है क्या तूने? या फिर मेरे नए साल को और भी बेहतर बनाने के लिए तूने मेरे लिए भी यह प्लान करके रखा था?" रूद्र जिसने बड़ी मुश्किल से खुद की हँसी कंट्रोल कर के रखा था अपनी पोल ना खुल जाए यह सोचकर वह थोड़ा सा घबरा गया और बोला, "अबे मैं क्यों कुछ करुंगा? उसी रास्ते से मैं शरण्या को लेकर आया हूं। मैं तो नहीं गिरा, ना ही वह गिरी, तो फिर तू कैसे गिर गया? वो सब छोड़ और जा जाकर अपने कमरे में आराम कर। ज्यादा शोर मत करना वरना वह शाकाल अभी अभी सोई है, उसकी नींद में खलल पड़े तो मुझे कच्चा चबा जाएगी।"

     रेहान हैरान रह गया और बोला, "शरण्या यहां है? तू उसे हमारे घर लेकर आया? मुझे लगा था तु उसे उसके घर ले गया होगा!" शिखा का भी सवाल यही था। सबको अपनी तरफ देखता पाकर रूद्र ने दादी की ओर देखा तो दादी बोली, "तुम लोग भी ना, क्या बेवकूफों की तरह सवाल करते हो! देखा नहीं शरण्या का अपनी मां के साथ कैसे कहासुनी हो गई! इसके बाद वह घर बिल्कुल भी नहीं जाती। अच्छा हुआ जो रूद्र उसे यहां ले आया। कुछ देर शांति से रहेगी, मन हल्का होगा उसके बाद चली जाएगी घर। वैसे भी ये घर उसका भी तो है। अब तुम लोग जाओ और सो जाओ। तू रूद्र....! निकल यहाँ से और जाकर सो जा। कल सुबह तुम लोगों को जोधपुर के लिए रवाना होना है।"

     दादी की बात सुनकर रूद्र वहां से निकल गया। उसके हर काम में दादी उसका पूरा साथ देती थी। वो भागते हुए अपने कमरे मे गया और अंदर से दरवाजा बंद कर शरण्या के पास आ गया। उसे लगा शरण्या सो चुकी है तो उसका कंबल ठीक कर वहां से जाने को हुआ तो शरण्या ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, "कहां जा रहा है? यहीं रुक जा ना, मेरे पास!" कहते हुए उसने रूद्र को अपने पास बिस्तर पर खींच लिया। आज की रात तो रूद्र भी अपनी शरण्या से अलग नहीं होना चाहता था। उसने शरण्या को अपनी बाहों में समेट लिया और उसके बाल सहलाते हुए बोला, "मैंने बोल दिया है सबको कि तू सो गई है। वह तो अच्छा हुआ कि दादी हमारे साथ है वरना पता नहीं मैं क्या जवाब देता! उनके सामने किसी की एक नहीं चलती!"

     आज तो मैं दादी से ठीक से बात भी नहीं कर पाई। सच में अगर वह नहीं होती तो हमारी कहानी यहाँ तक नहीं पहुंचती। दादी सच में बहुत प्यारी है। पता नहीं सब को इतनी डरावनी क्यों लगती है?" फिर कुछ सोचते हुए बोली, "रूद्र मुझे नींद नहीं आ रही!"

     रूद्र उसे थपकी देते हुए बोला, "सोने की कोशिश कर, नींद आ जाएगी। वैसे भी कल सुबह हमें निकलना है जोधपुर के लिए। तुझे इस बारे में बताना ही भूल गया। वह तो अच्छा हुआ दादी ने हीं याद दिला दिया।" लाख कोशिश के बाद भी शरण्या को नींद नहीं आ रही थी। उसने रूद्र से सीने पर सर रखा और आंखें मूंद ली। कुछ देर के बाद ही उसे नींद आ गई लेकिन रूद्र रात भर जागता रहा और उसके चेहरे को निहारता रहा। 

     सुबह सुबह रूद्र ने शरण्या को जगाया और उसे तैयार होने का बोल कर खुद अपने कपड़े पैक करने लगा। शरण्या नहा कर तो निकल गई लेकिन उसके पास पहनने को कपड़े नहीं थे। इस वक्त वो सिर्फ बाथरॉब खड़ी थी और अपना सर खुजा रही थी कि आखिर वह पहनेगी क्या? तभी उसकी नजर से रूद्र पर गई जो कि बड़े प्यार से उसे ही देखे जा रहा था। शरण्या ने भी शरमाने की बजाए उसके करीब आकर गले में बाहें डालते हुए कहा, "अब बोलो क्या करना है?"

     रूद्र उसका हाथ छुड़ाते हुए बोला, "करना क्या है? तुम्हारे कपड़े वहां बेड पर रखे हुए हैं, पहन लो और तैयार होकर नीचे आ जाओ!" कहकर रूद्र ने बेड की तरफ इशारा किया तो शरण्या बोली, "कैसे इंसान हो तुम? तुम्हारी गर्लफ्रेंड इस तरह तुम्हारे कमरे में खड़ी है, तुम्हारे इतने करीब और तुम इतने अनरोमांटिक कैसे हो सकते हो?" रूद्र ने उसे घूर कर देखा और कहां, "तुम चाहती हो इस वक्त मैं तुम्हारे साथ रोमांटिक होऊ? हम इस वक्त घर पर हैं और सभी घरवाले इस वक्त बाहर! किसी को खबर नहीं कि तुम मेरे कमरे में हो वो भी पूरी रात मेरे साथ। ऐसे रोमांटिक ख्याल अपने दिमाग से निकालो और तैयार होकर नीचे आ जाओ। तुम्हारा बैग मैंने लावण्या से कहकर मंगवा लिया था। जाओ और जाकर तैयार हो जाओ मैं नीचे तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।"

     रूद्र नीचे चला आया और शरण्या कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गई। कुछ देर बाद ही वह तैयार होकर नीचे उतरी और सबके साथ चाय पी कर वहां से दोनों निकल गए। रूद्र को नेहा के घर से मानसी को भी पिकअप करना था जो कि अमित के साथ दरवाजे पर ही खड़ी थी। अमित को देखते ही रूद्र की मुठ्ठिया कस गई। उसके चेहरे पर गुस्सा था जिसे शरण्या ने देखा नहीं। उसका पूरा ध्यान मानसी पर था। अमित ने मानसी का सामान गाड़ी की डिक्की में डाला और उसे गाड़ी में बिठा कर एक अच्छे पति की तरह उसे बाय बोला। अमित की इस हरकत पर रूद्र गुस्से में उबल पड़ा लेकिन इस वक्त वह ऐसा वैसा कुछ कर भी नहीं सकता था। ना ही अमित को यह भनक लगने देना था और ना ही शरण्या के सामने कुछ भी जाहिर होने देना था। 

      मानसी समझ गई कि वह इस वक्त गुस्से में है। इसलिए उसने मुस्कुराकर रूद्र की तरफ देखा ताकि वह थोड़ा शांत हो सके रूद्र ने भी खुद को शांत किया और गाड़ी आगे बढ़ा दी पूरे रास्ते शरण्या का ध्यान आसपास के खूबसूरत नजारों पर था मानसी इस रास्ते को अच्छे से पहचानती थी और कई बार उसका आना-जाना हुआ था इसीलिए वह शरण्या को वहां के बारे में बताते जा रही थी साथ ही रूद्र को भी जोधपुर के बारे में कुछ जरूरी बातें समझाती रही। 

    शरण्या की एक सबसे बड़ी कमजोरी थी कि उसे सफर करते हुए बहुत ज्यादा भूख लगती थी। उसे हर थोड़ी थोड़ी देर में कुछ ना कुछ खाना चाहिए होता था। 2 से 3 घंटे के अंदर ही रुद्र और मानसी दोनों ही परेशान हो गए। जब रूद्र से रहा नहीं गया तो एक ढाबे के पास रुक कर उसने शरण्या के लिए ढेर सारा खाना और चिप्स के कई सारे पैकेट रखवा दिया। इसके बावजूद रूद्र गुस्सा नहीं हुआ उल्टा शरण्या कि इस बात पर मुस्कुरा दिया। शरण्या ने चुपचाप वह सारे पैकेट रख तो लिए लेकिन उसके चेहरे पर एक हल्की सी उदासी नजर आई। रूद्र ने दोनों हाथों से उसके चेहरे को थाम कर पूछा, "क्या हुआ? तेरे चेहरे पर उदासी क्यों?"

   शरण्या हल्की सी मुस्कुराहट के साथ बोली, "अभी अगर मॉम डैड के साथ होती तो ना जाने कितनी ही बार डांट खा चुकी होती लेकिन तु तो गुस्सा भी नहीं कर रहा।" रूद्र हंसते हुए बोला, "तू पागल है क्या? मैं क्यों गुस्सा करूंगा तुझ पर? मुझे मार खानी है? तुझे जो कुछ चाहिए तु मांग सकती है। तुझे मुझे जितना परेशान करना है तु कर सकती है। मैं तुझ पर गुस्सा होकर हलाल नहीं होना चाहता।" शरण्या की हंसी छूट गई। वही मानसी उन दोनों को देखकर उन दोनों के रिश्ते को समझने की कोशिश कर रही थी। क्योंकि अब तक तो उन दोनों के जो किससे उसने सुने थे उस हिसाब से जो उसकी आंखों के सामने था वह बिल्कुल ही उलट था। जिन दो लोगों के बीच लड़ाई झगड़े के किस्से आम थे उन दोनों के बीच इस वक्त इतना रोमांटिक और इतना अंडरस्टैंडिंग मोमेंट देखकर मानसी कंफ्यूज हो गई। 

     शरण्या ने प्यार से उसके कंधे पर मारा और बोली, "अब चले देर हो जाएगी! हमे शाम से पहले वहां पहुंचना भी है।" रूद्र गाड़ी में बैठ कर अपना सीट बेल्ट लगाते हुए बोला, "तुझे लगता है तेरी हरकतों की वजह से हम शाम से पहले पहुंच पाएंगे? वैसे ही काफी देर हो चुकी है। अब अगर कुछ खाना हो तो प्लीज बता देना!" शरण्या ने उसे घूर कर देखा और बोली, "तुझे मैं इतनी भुक्कड़ लगती हूं? भाभी क्या मैं इतना खाती हूं जो यह इस तरह बोल रहा है?" रूद्र और मानसी ने एक दूसरे को देखा और दोनों ही बोल पड़े, "बिल्कुल नहीं शरण्या! तुम बिल्कुल नहीं खाती हो!" और वह तीनों ही खिलखिला कर हंस पड़े। 

       खाते खाते शरण्या इतनी थक गई कि वह कुछ देर बाद ही सो गई। देर रात सोने की वजह से उसकी नींद पूरी नहीं हुई थी लेकिन रूद्र! वह तो पूरी रात सोया भी नहीं था लेकिन ऐसे में उसे ड्राईव करना था और वो शरण्या को कह भी नहीं सकता था। जोधपुर पहुंचते पहुंचते उन तीनों को ही शाम हो गई। 



टिप्पणियाँ

  1. Amazing nd Wonderful Fabulous Part 💗💗💗💗💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 मतलब शरण्या को फिर से पढ़ा तो सही, पास्ट में ही भले....!! और रुद्र सच मे कित्ता प्यारा है, सबका ख्याल रखता है और खासकर शरण्या का!! दोनो बहुत ज्यादा प्यार करते ह एक दूसरे से! 💙✨ अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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