ये हम आ गए कहाँ!!! (61)

   विहान छत पर खड़ा अपने ख्यालों में गुम था। शाम होने को थी और धूप धीरे धीरे पश्चिम की तरफ आसमान से ओझल होने को था। अपने दोनों हाथ में कॉफी का मग लिए रूद्र विहान के पास पहुंचा और उसे पीछे से आवाज लगाई। "अब तु इतना बड़ा आदमी हो गया है कि तुझ से मिलने के लिए अब मुझे अपॉइंटमेंट की जरूरत पड़ेगी?" रूद्र की आवाज सुनकर भी विहान पीछे नही पलटा और सामने देखते हुए बोला, "तुझसे नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं थी मुझमें। क्या मुंह लेकर आता तेरे पास। बड़ा तो तू हो गया है, इतना बड़ा हो गया कि मुझसे भी सारी बातें छुपाई, मुझे भी कभी कुछ नहीं बताया तूने। मैंने तुझसे अपने और मानसी को लेकर कभी कुछ नहीं छुपाया, हर एक बात तुझे पता थी और बदले में तूने क्या किया? इतना भी भरोसा नहीं था तुझे मुझ पर कि तू मुझे अपनी दिल की बात कह सकता?"

    रूद्र ने कॉफी के दोनों मग को रेलिंग पर रखते हुए कहा, "आते ही शिकायत शुरू कर दी तूने! इतने सालों के बाद मिला हूं, एक बार गले नहीं लगेगा यार?" रूद्र के बस कहने भर की देर थी और विहान एक झटके से उसके गले लग कर रो पड़ा। "बहुत याद किया मैंने तुझे रुद्र! एक वक़्त था पूरा दिन तेरे साथ गुजरता था। इन आठ सालों में मैंने जितना तुझे याद किया है उतना किसी ने नहीं किया होगा। मुझे लगता था मैं तेरे बारे में सब कुछ जानता हूं लेकिन मैं गलत था। मैंने अनजाने में तुझे पता नहीं क्या क्या कह दिया। इसके बाद भी तूने मेरी बातों का बुरा नहीं माना। जब सब लोग तेरे खिलाफ थे उस वक्त मुझे तेरा साथ देना चाहिए था लेकिन मैंने तेरा साथ देने की बजाए उल्टा तुझ पर इल्जाम लगा दिया। बहुत बुरा दोस्त हु ना मैं! सारी सच्चाई मेरे आंखों के सामने थी उसके बाद भी मैंने ने तुझसे सवाल किए, तुझ पर उंगली उठाई।"

    रूद्र उसे समझाते हुए बोला, "सारी बातें बीत चुकी है विहान! और इतने सालों बाद अगर हम अपने पास्ट को लेकर बैठे रहेंगे तो फिर लाइफ में आगे कैसे बढ़ेंगे! इस बार आया हूं अगली बार पता नहीं आ भी पाऊंगा या नहीं इसलिए सारे शिकवे शिकायतों को दूर कर और अच्छे बच्चे की तरह मुस्कुरा दे।" कहते हुए उसने विहान को खुद से अलग किया और उसके हाथ में कॉफी पकड़ा दी। दोनों दोस्त अपने पिछले आठ साल के बारे में बात करने लगे। बहुत कुछ बदल गया था, उन दोनों की ये ज़िंदगी, उन दोनों के जीने का तरीका सब कुछ। अचानक से विहान ने सवाल किया, "तू अकेला आया है? मतलब सिर्फ तू और तेरी बेटी! उसकी मां कहां है? वो क्यों नहीं आई तेरे साथ?"

     रूद्र सामने देखते हुए बोला, "तुझे सच में लगता है कि मुझे कोई इतने समय तक झेल सकती है? कोई लड़की मुझे कुछ घंटे से ज्यादा झेल नही पाती थी, उसने तो फिर भी मेरे साथ एक साल निभाए और चली गई। तब से मैं और मेरी बेटी। मेरी लाइफ में फिलहाल एक ही लड़की है और वह तेरे सामने हैं।" विहान हंसते हुए कहा, "वैसे बात तूने बिल्कुल सही कही। तुझे झेलना किसी के बस की बात नहीं है। इस पूरी दुनिया में सिवाय शाकाल के तुझे झेलना हर किसी के लिए इंपासिबल टास्क है। वैसे देखा मैंने तेरी बेटी को, बिल्कुल जूनियर शाकाल बना रखा है तूने उसे! इस वक्त मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुझे बुरी तरह से मारू लेकिन रेहान की हालत देखकर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी है। अगर उस छोटी तूफान को खबर भी लग गई कि मैंने तुझ पर हाथ उठाया है तो वो मेरी बैंड बजा देगी।"

     रूद्र बोला, "सो तो है! उसकी सारी हरकतें सारी आदतें बिल्कुल शाकाल जैसे ही तो है। थोड़ी मेरी मेहनत थोड़ी उसकी चाहत, बस और कुछ नहीं। उसे अपने बारे में कुछ नहीं पता। वो तो वह बस शरण्या को अपनी मां मानती है क्योंकि मैंने तेरी बहन से वादा किया था, अपने नाम के साथ में किसी और का नाम कभी जुड़ने नहीं दूंगा। बस उसी वादे को निभा रहा हूं और एक जिम्मेदारी को भी। कभी कभी सोचता हूं तो लगता है जैसे सब कुछ एक सपना है। मैं अभी भी उस सपने को जी रहा हूं। जैसे किसी दिन मेरी आंखें खुलेगी और ये सब खत्म हो जाएगा और वापस फिर से मैं उसी दुनिया में लौट जाऊंगा जहाँ मैं आठ साल पहले था, अपनी शरण्या के साथ।"

     विहान बोला, "तेरे और शरण्या के बीच यह लव का एंगल किसी ने यह इमेजिन भी नहीं किया था। मैंने तो बिल्कुल भी नहीं...! जिस तरह तु उसके नाम से भी घबराता था, सोचा नहीं था तुम दोनों का रिश्ता इस कदर आगे बढ़ सकता है। तूने सोचा कभी, अगर सबको सच्चाई पता चल गई तो क्या होगा?" 

    रूद्र बोला, "कुछ नहीं होगा। क्योंकि जिन लोगों को सच पता है उन लोगों को अगर सच सामने लाना होता तो बहुत पहले कर चुके होते।" विहान खामोश हो गया। वो भी जानता था, सच सामने लाने का मतलब किसी और की जिंदगी बर्बाद करना। उसने कहा, "तू सच में बहुत बड़ा कमीना निकला यार! इतना सब कुछ अकेले कैसे झेल गया तू? तेरी बेगुनाही का सबूत मैं था, इसके बावजूद मैंने कुछ देखा ही नहीं। मानसी बार बार मुझे समझाती रही लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी। तेरे जाने के बाद जब ठंडे दिमाग से मैंने सारी बातों को, सारी कड़ियों को जोड़ा तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि मैं कितना गलत था। मैं बस अपनी अपनी बहन की हालत देख रहा था, एक भाई बन कर सोच रहा था लेकिन एक दोस्त बनकर सोचता तो यह सब होता ही नहीं।"

    "वह सब छोड़.........! मुबारक हो तु फिर से बाप बनने वाला है! तू और मानसी खुश तो है ना? मतलब घर में सब ने उसे अपना तो लिया ना? किसी तरह की कोई प्रॉब्लम तो नहीं? विहान रूद्र की बात बीच में ही काटते हुए बोला, "सब कुछ ठीक है। मानसी ने पूरे घर वालों का दिल जीत लिया, मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। धीरे धीरे सब ठीक हो गया। अब तो बस हम हैं और हमारा परिवार। पापा ने थोड़े नखरे दिखाए थे लेकिन फिर सब कुछ ठीक हो गया। अब तो हालत ये हैं कि दोनों ससुर बहु मिलकर हमें परेशान करते है। पापा तो मानसी के खिलाफ कुछ सुन ही नहीं सकते। यकीन नहीं होता यार, लाइफ कितनी बदल गई हमारी। मैंने सोचा नहीं था कि मानसी मेरी लाइफ में वापस आएगी। मैं और वह, दोनों हम हो पाएंगे। कभी मैं मानसी के इतने करीब जा पाऊंगा! हाँ...! उसे थोड़ा लगा। जब उसने दिल से मुझे अपना लिया तो हम दोनों ने मंदिर में ही शादी कर ली। उस वक्त मैंने तुझे बहुत ज्यादा याद किया, आखिर बिना तेरी हेल्प के मैं यह सब कुछ कर भी नहीं सकता था। जब सभी मेरे खिलाफ थे तब तूने मेरा साथ दिया था और मैंने क्या किया! जब तुझे जरूरत थी तब मैं भी तेरे खिलाफ खड़ा था, बाकियों की तरह। शरण्या की तरह मुझे भी तुझसे भरोसा करना चाहिए था लेकिन नहीं किया। मानसी ने कई बार मुझे समझाना चाहा लेकिन मैंने उसकी बात नहीं सुनी और जब सुनी, जब तक एहसास हुआ तू जा चुका था। खैर......! अब इस बारे में बात करने का कोई फायदा भी तो नहीं है। जो होना था वह हो चुका।"

    रूद्र बोला, "मैं भी यही मानता हूं, जो हो चुका है उसे लेकर अपने आज को खराब करना सही नहीं। जो बीत चुका वह बीत चुका, वो कभी लौटकर नहीं आएगा। तो आपने आने वाले कल को सवारने से ज्यादा जरूरी और कुछ नहीं है। वैसे एक बार बात पूछनी थी, यह नेहा की शादी हो चुकी है ना? तो इसके हस्बैंड कहां है? मेरा मतलब किससे हुई है उसकी शादी?" 

     विहान रूद्र से कुछ छुपाना नहीं चाहता था। उसने पूरी कोशिश की इमानदारी से सारे जवाब देने की। उसने कहा, "मेरे और मानसी के शादी के बाद नेहा काफी ज्यादा टूट चुकी थी। शरण्या और मानसी ने लाख कोशिश की उससे बात करने की लेकिन उसने तो जैसे खुद को कैद कर रखा था। मैं उसे समझाना चाहता था कि जब मैं मानसी से प्यार करता हूं तो ऐसे में मैं किसी और को कैसे अपना सकता था। तेरे जाने के बाद क्या क्या हुआ कैसे बताऊं तुझे! तु यकीन नहीं करेगा, नेहा की शादी इशान से हुई। इशान वालिया! तुझे याद है जो मिस्टर एंड मिसेज वालिया जो शरण्या को देखने आए थे। उसी ईशान से नेहा की शादी हुई। दोनों ने अचानक ही शादी कर ली। वह दोनों कब मिले कहां मिले किस तरह शादी की ये किसी को नहीं पता, यहां तक कि उसके घर वालों को भी नहीं। नेहा बस हमें अपना मान कर यहाँ चली आई। इंफ़ैक्ट ईशान ने ही उसे यहां भेजा है।"

    ईशान का नाम सुनते ही रुद्र चौक गया। इस नाम को वह कैसे भूल सकता था। यह नाम उसने कई बार सुना था और इसी एक नाम की वजह से उसे शरण्या से मंदिर में शादी करनी पड़ी थी। उससे रहा नहीं गया और बोल पड़ा, "लेकिन ईशान की शादी तो शरण्या से तय हुई थी ना? रेहान ने खुद मुझे ईमेल किया था और आखरी बार जब मेरी मां से बात हुई थी तब उन्होंने भी यही कहा था कि शरण्या की शादी ईशान से तय हुई है। और जब उन दोनों की शादी तय हो चुकी थी तो फिर नेहा बीच में कहां से आई? विहान क्या छुपा रहा है मुझसे? कुछ बता मुझे अगर बात शरण्या से जुड़ी है तो मुझे जानने का पूरा हक है।" रूद्र बेचैन हो उठा। 

      विहान बोला, "यह बात सच है कि उन दोनों की शादी तय हुई थी और एक बात यह भी सच है शरण्या तेरे अलावा किसी और को अपना पति नहीं मानती थी। तेरे जाने के बाद भी उसने सिंदूर लगाना नहीं छोड़ा। तेरे लाख कहने के बावजूद उसने खुद को तेरी पत्नी माना, ऐसे में वह कैसे किसी और से शादी कर सकती थी। जब किसी ने उसकी एक न सुनी तो शादी वाले दिन वह घर से भाग गई थी। करीब एक हफ्ते तक ढूंढने के बाद उसकी खबर मिली। सच में तुझसे बहुत प्यार करती थी।"

     रुद्र ने जब सुना तो उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। अब तक वह यही समझता आ रहा था कि शरण्या ने शादी कर ली और अपनी लाइफ में खुश है। लेकिन अब जब उसे पता है कि शरण्या ने उसके अलावा कभी किसी और से शादी नहीं की, वह आज भी उसकी पत्नी है तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। एक अर्से बाद हल्की सी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर आई जिसे कोई भी देख सकता था। साथ ही आंखों में नमी भी। उसके गले से आवाज नहीं निकल पा रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला और पूछा, "मतलब शरण्या की शादी नहीं हुई? मतलब उसकी शादी कभी हुई ही नहीं? मतलब वह आज भी मुझसे प्यार करती है? कहां है वह विहान! मुझे उससे मिलना है, उसे मेरा इंतजार है। वह आज भी मेरा इंतजार कर रही है। मुझे पता है, हर पल मुझे एहसास होता है जैसे वो मुझे आवाज दे रही हो। मुझे उससे मिलना है विहान! क्या तु उसे यहाँ बुला सकता है? प्लीज विहान, बस एक बार!!!"

    विहान रूद्र की बेचैनी उसकी आवाज़ मे साफ सुन सकता था लेकिन इस बार उसे कोई जवाब नहीं देना चाहता था। फिर भी रूद्र को इतना ज्यादा खुश और बेचैन देख उसने कहा, "शरण्या यहां नहीं आ सकती रूद्र! तुझे ही उसके पास जाना होगा, लेकिन जब सही वक्त आएगा तब। पहले अपनी सारी जिम्मेदारी निभा ले। उससे पहले तु उससे नहीं मिल सकता तो जाकर थोड़ा आराम कर ले। मैं तब तक मानव को देखता हूं, मानसी सुबह से लगी हुई है सब का ख्याल रखने में। ऐसी हालत में ज्यादा स्ट्रेस और थकान उसके लिए सही नहीं है" , कहकर विहान ने रुद्र का कंधा थपथपाया और वहां से निकल गया।

       रूद्र को अभी भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था और ना ही अपनी किस्मत पर। उसका दिल कर रहा था इस वक्त जोर से शरण्या का नाम पुकारे ताकि वह जहां कहीं भी हो उसकी आवाज सुनकर भागी चली आई। लेकिन यह मुमकिन नहीं था। अचानक से उसे मानसी की कही बातें याद आई, "शरण्या का ख्याल छोड़ दो रूद्र! आपको कभी वापस नहीं आएगी, इस जन्म में तो नहीं!" लेकिन उसके कहने का मतलब क्या था" रूद्र सोच में पड़ गया। 

     

    

   

टिप्पणियाँ

  1. Haye rabba itne suspense mauli rehan ki bati to nahi hai kyonki uska character start mein ekdum se alag tha aur uss se koi galti hui ho new year pe he bhagwan kya hai ye

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  2. Shranya ke sath juch hua hai par kya suspence wait nhi ho rha hai ab to

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  3. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 विहान और मानसी तो एक हो गए है!! पर नेहा की शादी.... और वो भी ईशान के साथ!! 😲😲 और शरण्या सच मे बहुत प्यार करती है रुद्र से...!! पर मैम, ये ऐसे दिल घबराने वाले संकेत मत दीजिए, उसे कुछ नही हुआ रहना चाहिए!!! 🤞🙂 और सस्पेंस काफी है, जरूर बड़ा वाला झोल हो रखा है आठ साल पहले..!!खैर, अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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