ये हम आ गए कहाँ!!! (42)

     लावण्या को रूद्र से कुछ बात करनी थी लेकिन शरण्या के होते हुए वह उससे कुछ कह नहीं पा रही थी इसलिए वह शरण्या को वहां से भेजने का उपाय ढूंढने लगी लेकिन जब कुछ समझ में नहीं आया तो उसने कहां, "शरण्या! मेरा फोन शायद नीचे स्टोर पर रह गया है तु जाकर ला देगी?" शरण्या ने उसे इस तरह देखा मानो वो कोई एलियन हो और बोली, "दी!!! आपने अभी अभी रेहान से बात की थी ना तो आपका फोन स्टोर पर कैसे हो सकता है?" लावण्या को याद आया कि उसने तो उसके सामने ही रेहान से बात की थी ऐसे में फोन का स्टोर पर छुटना नामुमकिन था। उसने मन ही मन उसने अपना सिर पीट लिया। तभी उस फूड कोर्ट की मैनेजर वहां आई और बोली, 'एक्सक्यूज मी! यह सारे बच्चे किसके हैं? मेरा मतलब यह बच्चे किसके साथ आए हैं?"

     रूद्र ने छूटते ही कहा, "मैडम! ये सारे बच्चे मेरे हैं, मेरा मतलब मेरे साथ है!" मैनेजर ने जब रूद्र को देखा तो थोड़ी झेंप गई और मुस्कुराकर बोली, "अगर यह आपके बच्चे हैं तो इनमे से किसी की भी शक्ल आप जैसी नहीं है!" रूद्र भी कहां पर कहां पीछे हटने वाला था। उसने भी मुस्कुराकर बड़े ही रोमांटिक स्टाइल में कहां, "आप चाहो तो दो चार की शक्ल हम दोनों जैसी मिल सकती हैं।" रूद्र की आंखों में शरारत देख वह मैनेजर शरमाकर वहां से चली गई जिसे देख शरण्या का खून खौल उठा और वो टेबल पर हाथ पटकते हुए उठ खड़ी हुई और जाकर उन बच्चों के साथ बैठ गई। शरण्या के जाते ही रूद्र लावण्या की ओर लपका और बोला, "हां तो तुम्हें क्या बात करनी है?" लावण्या हैरान रह गई। आखिर रूद्र को कैसे पता कि उसे कुछ बात करनी थी? उसने तो ऐसा कोई इशारा भी नहीं किया था! लावण्या को हैरान देखा रूद्र बोला, "अब बता भी दो जल्दी! वरना शरण्या कब यहां आ जाएगी पता भी नहीं चलेगा। तुम ही चाहते थे ना कि शरण्या यहां से जाए तो लो भेज दिया मैंने उसे यहां से। और ये फोन वाला बहाना ना बहुत घिसा पिटा सा है तो प्लीज यूज भी मत किया करना। अगर शरण्या के साथ कुछ करना है तो एटलिस्ट मुझसे एडवाइस ले लिया करो या फिर मुझे बोल दिया करो। अब जल्दी बताओ क्या कहना है!"

     लावण्या ने सुना तो मुस्कुराए बिना ना रह सकी और बोली, "तुम शरण्या को सबसे ज्यादा जानते हो, है ना? कब किस बात पर कैसे रिएक्ट करेगी यह तुम्हें अच्छे से पता होता है इसीलिए तुमने उसने मैंनेजर से फ्लर्ट किया ताकि गुस्से में शरण्या यहां से चली जाए!" रूद्र बोला, "और नहीं तो क्या! वह मैंनेजर खुद दो बच्चों की अम्मा लग रही थी और देखा नहीं कैसे मेरे फ्लर्ट करने पर शरमा गई! एक नंबर की चालू औरत है, शक्ल पर लिखा है उसके।" कहते हुए रूद्र ने शरण्या की प्लेट से फ्रेंच फ्राई उठा लिया। लावण्या बोली, "मुझे बस एक सवाल का जवाब चाहिए। तुम्हारे और शरण्या के बीच क्या चल रहा है? यह तो बिल्कुल भी मत कहना ऐसी कोई बात नहीं है और अगर ऐसी कोई बात नहीं है तो कल रात....... कल पूरी रात तुम शरण्या के कमरे में क्या कर रहे थे? झूठ मत बोलना मुझसे, शरण्या ने मुझे कल रात की सारी डिटेल दे दी है।*

     फ्रेंच फ्राई का एक टुकड़ा जो रूद्र के मुंह में था वह मुंह से छूट कर नीचे पेट में जा गिरा। उसके होश उड़ गए यह सोच कर कि शरण्या ने लावण्या को सारी बात बता दी। उसने रोनी सूरत बनाते हुए कहा, "प्लीज यह बात किसी को मत बताना, प्लीज...! मैंने तो वही किया जो शरण्या चाहती थी, उसी ने करवाया मुझसे वह सब कुछ वरना मैं वो सब कुछ कभी नहीं करता। प्लीज तुम किसी को मत बताना!" लावण्या बोली, "तुम बस मुझे सच सच बता दो कि तुम्हारे दिल में शरण्या के लिए क्या फीलिंग है! मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी। और वैसे भी, अगर तुम्हारे दिल में उसके लिए कुछ है तो उसे जल्दी से कह दो वरना ईशान वालिया नाम तुम्हारे प्रेम जीवन में ग्रहण बनने जा रहा है। 

    रूद्र ने उस सवालिया नज़रों से देखा तो वह बोली, "मतलब ये कि वो पागल शादी के लिए हां करने जा रही है बिना उस लड़के को देखे बिना उसका नाम जाने।"

     "यह लड़की पागल है क्या? कल इतना समझाया तो था मैंने उसे फिर भी कुछ समझ नहीं आया उसे? इतना कुछ किया उसके लिए लेकिन तब भी इस लड़की को कुछ समझ नहीं आता है क्या? आखिर ये चाहती क्या है?" कल रात की बात से लावण्या की दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ गई यह जानने के लिए कि कल रात हुआ क्या था? वह बोली, "देखो! जहां तक उसने मुझे बताया है, वो सिर्फ मॉम की वजह से ही शादी कर रही है ताकि एक लिस्ट एक बार ही सही मेरी मॉम को खुश कर सके वरना और कुछ नहीं। तुम्हें तो पता ही है ना, शरण्या को लेकर मॉम का बिहेवियर कैसा है!" 

     "सो तो है लावण्या! ये बात तो मेरी भी समझ नहीं आती लेकिन इससे शादी का क्या लेना देना? ये लड़की पागल है क्या जो यूं ही किसी से भी शादी करने को तैयार है? समझाओ यार उसे!" रूद्र ने आपन सिर पकड़ लिया। 

     "उसे तो मैं समझा लूंगी रूद्र! और समझाया भी है लेकिन उसके दिमाग में कितना घुसा, ये मैं नहीं कह सकती। जब तक मुझे ये बात कंफर्म नहीं हो जाती कि तुम दोनों के बीच बात कहां तक पहुंची, तब तक मैं भी कुछ नहीं कर सकती। और फिर ईशान के बारे में जहाँ तक मुझे पता है, वह काफी सुलझा हुआ और जिम्मेदार इंसान है। उसे ना कहने के लिए कोई वैलिड रीजन होना चाहिए शरण्या के पास, तो तुम ही बताओ वह क्या कह कर पापा को इस रिश्ते के लिए मना करेंगी? कुछ तो कुछ होना चाहिए ना! वैसे कल रात की बात मुझे पता है। शरण्या ने मुझे कल रात की सारी डिटेल दे दी थी।" लावण्या की बात सुन रूद्र के पसीने छूट गए। उसे लगा शरण्या ने सच में लावण्या को सारी बात बता दी। ऐसे में उसका लावण्या से कुछ भी छुपाना बेकार होता। रूद्र को ऐसे खामोश देख लावण्या बोली, "अब तुम कुछ बोलोगे या फिर मैं घर में सबको कल रात की सारी बता दु?" लावण्या की आवाज में थोड़ी सख़्ती थी जिससे रुद्र ने उसके सामने हथियार डाल दिए लेकिन अपनी जुबान से वह कहते नहीं तो बना। सामने रखी शरण्या की झूठी कॉफी पर उसकी नजर गई तो उसे उठाते हुए बोला, "लावण्या! तुम बहुत समझदार हो, काफी इंटेलिजेंट हो और मैंने सुना है कि समझदार को इशारा ही कॉफी होता है!" कहते हुए उसने कॉफी का एक सीप ले लिया। लावण्या बोली, "रूद्र ये शरण्या का झूठा है!"

    "लावण्या! मैंने कहा ना, समझदार को इशारा ही कॉफी होता है।" कहते हुए उसने एक और सीप ले लिया जिससे लावण्या का मुंह खुला का खुला रह गया। वो खुशी से चीखना चाहती थी लेकिन रूद्र ने जल्दी से अपनी हथेली से उसका मुंह बंद कर दिया। "अभी गांव बसा नहीं लुटेरे पहले आ गए, अभी तालाब खुदा नहीं की मगर तैरने लगे! कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। ना मैंने कुछ कहा, ना तुमने कुछ सुना, ना ही कुछ समझा और ना ही तुम्हें इस बारे में कुछ पता है! अरे यार पहले मैं उसे तो बता दु जिससे यह बात कहनी है। उससे पहले किसी को कुछ खबर नहीं लगना चाहिए। जो भी कहना होगा वह या तो मैं या फिर शरण्या बोलेंगी, कोई और नहीं! यह हक हमारा है, सिर्फ हमारा। इसे हमारे पास ही रहने दो, इस बारे में तुम रेहान को भी नहीं बताओगी, तुम समझ रही हो ना! और कल रात की बात को लेकर किसी के सामने मुंह खोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। तुम्हारी बहन को तो मैं बाद में देख लूंगा।" लावण्या ने हां में सिर हिलाया तब जाकर जो रूद्र ने अपना हाथ हटाया और बाकी की कॉफी पीने लगा। 

    

     शाम हो चुकी थी और अंधेरा भी काफी हो चुका था। लावण्या अभी भी सबके साथ मॉल में ही थी। सारे बच्चे इस वक्त गेम जोन में मस्ती करने में लगे थे और साथ ही शरण्या भी उन्हीं सब लोग शामिल थी। उसे ऐसे खुश देख रूद्र ने उस वक्त पूरा फ्लोर की बुक करा लिया ताकि बच्चे और शरण्या जितना मर्जी उतना इंजॉय कर सके और कोई भी उन्हें डिस्टर्ब ना करें। लावण्या को रिहान का कॉल आया तो वो वही से तैयार होकर उसके साथ पार्टी के लिए निकल गई। रूद्र और शरण्या बच्चों के साथ जी भर कर लगे थे। उसके बाद वह सब डिनर के लिए निकले। रूद्र ने गाड़ी ब्लू आर्किड होटल के सामने रोका जो कि शरण्या का सबसे पसंदीदा था, जहां पहले से ही उन सब के नाम की बुकिंग हो रखी थी। जैसे ही रूद्र को मॉल में शरण्या नजर आई थी उसी वक्त उसने सोच लिया था कि आज वह उसे यहां लेकर आएगा। एक तरीके से देखा जाए तो वह शरण्या के साथ डेट पर भी आया था, बस बच्चे उन दोनों के साथ थे। 

     सब ने अपनी अपनी सीट पकड़ ली और अपने पसंद का खाना भी आर्डर कर दिया। रूद्र के चेहरे की खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी। शरण्या को भी थोड़ा अजीब लगा तो वह पूछ बैठी, "तू इतना ज्यादा स्माइल क्यों कर रहा है? मतलब तेरे चेहरे पर इतनी रौनक की वजह जान सकता हूं मैं?" रूद्र ने उसके सवाल का जवाब देने की बजाय उल्टा उससे ही सवाल किया,"मेरी छोड़! तू पहले यह बता, कल रात तूने कहा था कि ये तेरा पर्सनल मोमेंट है तु किसी से शेयर नहीं करेगी। लेकिन फिर भी तूने कल रात की सारी बात लावण्या को बता दी, यह कहां का इंसाफ है? तुझ पर भरोसा करके मैंने वह सब कुछ किया जो तू चाहती थी लेकिन लगता है तुझ पर भरोसा करना ही नही चाहिए था। शरण्या! हमारे बीच के सारे पल सिर्फ हमारे हैं, तु उन्हें किसी और के साथ शेयर नहीं कर सकती। तु पहले मुझसे वादा कर कि तू किसी से भी हमारी बातें कभी बताएगी, कभी किसी के साथ शेयर नहीं करेगी!"

     शरण्या के चेहरे पर एक हल्की मुस्कुराहट फैल गई। "मैंने किसी से कुछ नहीं कहा। मेरे कमरे में घुसते ही उन्हें महसूस हो गया था कि वहाँ कोई और भी था। यह प्रॉमिस तो तू भी कर! हमारे बीच में जो भी मोमेंट्स होंगे वो सिर्फ हमारे होंगे, हममें से कोई भी उनको किसी के साथ शेयर नहीं करेगा।" कहकर शरण्या ने अपनी हथेली आगे कर दी तो रूद्र ने भी उसका हाथ पकड़ लिया और दो पल को उसकी आंखों में को गया। बच्चों ने जब डेजर्ट की फरमाइश की तब जाकर रूद्र का ध्यान शरण्या से हटा। रूद्र ने वेटर को आवाज लगाई और उसे सबके पसंद आइसक्रीम के आर्डर दे दिए। वेटर जैसे ही वहां से आर्डर लेकर गया तभी रूद्र की नजर दूर एक कोने में बैठे हुए अमित और मानसी पर गयी। मानसी को देख रूद्र को विहान की बातें याद आ गई। इस वक्त दोनों अपने किसी क्लाइंट के साथ मीटिंग के लिए आए हुए थे। लेकिन यह किसी भी हिसाब से एक मीटिंग नजर नहीं आ रही थी। ना कोई फाइल ना कोई पेपर ना ही कोई लैपटॉप तो फिर यह किस तरह की मीटिंग थी जहां अमित मानसी को लेकर जहां आया था? और यह देख कर तो और भी ज्यादा हैरानी हुई कि जिस क्लाइंट के साथ वह दोनों बैठे थे वह एक चालीस साल का कोई अधेड़ इंसान था जो बार-बार मानसी को जगह-जगह छुए जा रहा था और अमित उसकी तरफ ध्यान देने की बजाए वही खामोश बैठा ड्रिंक कर रहा था। 

     अमित और मानसी जिस क्लाइंट के साथ बैठे थे वह रूद्र को काफी जाना पहचाना लग रहा था। वह बस उस इंसान को याद करने की कोशिश कर रहा था तभी शरण्या ने आवाज दी। वेटर आइसक्रीम रखकर जा चुका था और रूद्र को अहसास ही नहीं हुआ। उसे खोया हुआ शरण्या ने पूछा भी लेकिन जवाब देने की बजाएं रूद्र ने जल्दी से आइसक्रीम खत्म कर बच्चों को एनजीओ छोड़ने के लिए बोल दिया और अपनी गाड़ी की चाबी थमा दी। शरण्या को यह बात थोड़ी अजीब लगी लेकिन शायद कुछ अर्जेंट हो यह सोचकर उसने गाड़ी की चाबी ली और बच्चों को लेकर बाहर निकल गई। रूद्र की आइसक्रीम अभी बाकी थी और उन लोगों का खाना अभी खत्म नहीं हुआ था। रूद्र ने एक आइसक्रीम और मंगवाई और जब तक वेटर उसका आर्डर लेकर आता, अचानक से उसे कुछ याद आया। उसने जल्दी से रेहान के असिस्टेंट को फोन लगाया और किसी के बारे में इंफॉर्मेशन मांगी। रेहान के असिस्टेंट में उस इंसान की जो इंफॉर्मेशन रूद्र को भेजा, उसे देख रूद्र के माथे पर बल पड़ गए। 

    

    

    

    




क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 लावण्या ने तो क्या मस्त अपना दिमाग इस्तेमाल करके रुद्र की दिल की बात जान ली..!! 😂😁 पर चलो, अब रुद्र जानता है के शरण्या शादी के लिए हां कहने वाली है!! वैसे ये अमित पर डाउट हो रहा है अब...!! देखते है क्या होगा?! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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