ये हम आ गए कहाँ!!! (41)

     विहान काफी दिनों से कोशिश कर रहा था ताकि उसे मानसी के बारे में कुछ पता चल सके लेकिन इस बारे मे सीधे सीधे मानसी से सवाल करने का कोई मतलब ही नहीं था। इस बारे में अगर कोई कुछ बता सकता था तो वो थी नेहा। पिछले कुछ दिनों की कोशिश के बाद विहान ने ऐसा समय चुना जब नेहा हॉस्पिटल के लिए निकल रही होती थी। उस रात मानसी की जो हालत थी, उसको देखते हुए विहान का दिल कहीं ना कहीं घबरा रहा था। उसे इस बात का पूरा यकीन था कि मानसी के साथ कुछ ठीक नहीं हो रहा। चाहे अमित उसे कितना ही प्यार क्यों ना करता हो, चाहे उसके ससुराल वाले उससे कितना भी मान देते हो, इस सब के बावजूद मानसी का ऐसा बर्ताव विहान की समझ से परे था और उस रात जो उसकी हालत थी उसे देखते हुए वह खामोश नहीं बैठ सकता था। 

     नेहा अपने घर से जैसे ही निकली वैसे ही उसे विहान की गाड़ी आती हुई नजर आई। विहान भी तो यही चाहता था। नेहा ने जैसे ही उसे देखकर हाथ हिलाया विहान ने उसके ठीक सामने गाड़ी रोक दी और उसे अंदर आने का इशारा किया। नेहा भी चहकती हुई उसकी गाड़ी में जा बैठी और बोली, "तुम आज अचानक से इस रास्ते! वह भी इस वक्त!! मुझे तो लगा था इस वक्त तुम सो रहे होगे।" विहान ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ाते हुए बोला, "वैसे अगर सच कहूं तो इस टाइम में सो हीं रहा होता हूं। पिछले कुछ दिनों से बस यूं ही सुबह-सुबह मन बेचैन हो जाता है तो निकल जाता हूं। आज बस यूं ही घूमते फिरते......... तुम हॉस्पिटल जा रही हो! चलो मैं भी वही जाने का सोच रहा था।" 

    नेहा ने एक नजर विहान को देखा और बोली, "विहान!!! वह हॉस्पिटल है कोई टूरिस्ट स्पॉट नहीं कि बस यूं ही घूम आए!" विहान नेहा की बातों का मतलब समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला, "मुझे पता है कि वह हॉस्पिटल है और वहां इलाज के लिए जाया जाता है। वह असल मे क्या है ना! पिछले 2 दिनों पहले मेरी एंकल थोड़ी सी ट्विस्ट हो गई थी तो इसीलिए मैंने सोचा कि हॉस्पिटल जाकर एक बार चेक करवा लू कहीं किसी तरह की कोई दिक्कत तो नहीं? वैसे चलने फिरने में मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हो रही लेकिन फिर भी प्रिकॉशन तो ले हीं सकते हैं।" विहान के बातों से नेहा को किसी तरह का कोई शक नहीं हुआ और उसने बस मुस्कुरा कर चुप रहना बेहतर समझा। विहान नेहा से बात करने का मौका ढूंढ रहा था। अचानक से उसे ख्याल आया कि आज क्रिसमस है और ये अच्छा बहाना हो सकता है। उसने नेहा से पूछा, "नेहा! आज का तुम लोगों का कोई प्लान है क्या? मेरा मतलब अगर कोई प्लान नहीं है तो तुम लोग भी चलो ना मेरे साथ। मैं और रूद्र अक्सर हम एनजीओ के बच्चों के साथ आज का पूरा दिन सेलिब्रेट करते हैं। अगर तुम और तुम्हारी भाभी चाहे तो मुझे और रूद्र को ज्वाइन कर सकते हो। मेरा मतलब अमित तो बिजी होगा ना अपने काम में तो तुम्हारी भाभी तो घर में बैठे बोर हो जाएगी। उन्हें भी लेते आना।" 

      विहान का ऐसे अप्रोच करना नेहा को काफी अच्छा लग रहा था। उसके लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा ही था कि विहान खुद उसकी तरफ कदम बढ़ा रहा था। "तुम्हारे प्रपोजल के लिए थैंक यू, लेकिन हॉस्पिटल में चिल्ड्रन वार्ड में आज का पूरा प्रोग्राम है इसलिए मैं तो कहीं जाने से रही, और रही बात भाभी की तो मैं कह नहीं सकती। आजकल भैया उन्हें बिजनेस सिखा रहे हैं। वह चाहते हैं कि भाभी ऑफिस ज्वाइन करें इसीलिए जब भी किसी क्लाइंट के साथ मीटिंग होती है तो भैया भाभी को साथ में लेकर जाते हैं, उन्हें अकेला नहीं छोड़ते। अगर आज रात भी कोई मीटिंग ना हुई, तभी भाभी घर पर मिलेंगी वरना तो वह अक्सर भैया के साथ ही होती हैं उनकी बिजनेस मीटिंग में। मुझे तो बहुत बोर फील होता है, पता नहीं भाभी कैसे झेलती है यह बिजनेस मीटिंग!"

        विहान को इस सब में कुछ भी अजीब नहीं लगा। एक पति जो अपने बिजनेस में अपनी पत्नी का साथ चाहता है वह उसे अपने हर बिजनेस मीटिंग में लेकर जाता है, इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ नजर नहीं आती। उसे लगा शायद वह कुछ ज्यादा ही मानसी के बारे में सोच रहा है। उसे अपने दिल से ना निकाल पाने की वजह से ही उसकी छोटी-छोटी बात पर इस तरह सोच रहा है। तभी उसे मानसी की चिंता हो रही है और इतनी बेचैनी सी महसूस हो रही है। उसे इस बारे में इतना नहीं सोचना चाहिए। मानसी भले ही मिडल क्लास फैमिली से थी लेकिन अपना स्टैंड लेना उसे अच्छे से आता था। लेकिन अगर सब कुछ सही था तो फिर उस रात मानसी का बर्ताव इतना अजीब क्यों था? वह इतना ज्यादा क्यों घबराई हुई थी जैसे किसी सदमे में हो? सोचते हुए विहान कब हॉस्पिटल के गेट तक पहुंचा उसे पता ही नहीं चला। नेहा ने उसे आवाज दी तब जाकर उसने ब्रेक लगाई। नेहा को हॉस्पिटल छोड़ वह कुछ देर वही घूमने के बाद वापस घर चला गया लेकिन चाह कर भी मानसी की चिंता से खुद को आजाद ना कर पाया। 


     लावण्या और शरण्या दोनों ही पूरे मॉल में घूम रही थी लेकिन उन दोनों को लेना क्या था यह उन दोनों को ही नहीं पता था। बस यूं ही बेवजह पूरे मॉल में घूमते हुए उन दोनों ने एक एक ड्रेस उठाई और एक सलॉन पर नजर पड़ते ही दोनों अंदर घुस गई। कुछ देर के मेकओवर के बाद दोनों ने वहीं पास के फूड कोर्ट में कुछ आर्डर दिए और आराम से बैठ गई। लावण्या ने एक बार फिर से शरण्या के सामने रूद्र का जिक्र करते हुए पूछा, "सच सच बता! तेरे और रूद्र के बीच क्या चल रहा है? देख शरण्या! अब तक तो मैं कंफर्म नहीं थी इसलिए तुझ से ज्यादा कुछ पूछा नहीं मैंने लेकिन कल रात के बाद अब मुझे पूरा यकीन हो गया है। तू खुद सोच, रूद्र इस ठंड के मौसम में आधी रात के वक़्त जब उसे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ होना चाहिए, वो तेरे कमरे में आता है पूरी रात तेरे साथ रहता है और तु कोई छोटी बच्ची नहीं है जो तुझे सुला कर चला जाए। आखिर करने क्या आया था वह? पहले तो उसने ऐसा कभी नहीं किया! तू खुद सोच ना इस बारे में, तुझे नहीं लगता कि वह भी तुझसे प्यार करने लगा है! एक बात जरूर हो सकती है कि उसे अपने प्यार का एहसास ना हो लेकिन इतना तो तय है।"

     शरण्या इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती थी। उसने रूद्र की आंखों में वह एहसास साफ-साफ देखा था। उसे किसी और से प्यार हो गया। इतने दिनों का उसका इंतजार यूं ही बेकार चला गया। अब तो उसे किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं रही तो ऐसे में इस बारे में बात करने का कोई फायदा ही नहीं था। "दी प्लीज! इस बारे में मुझे कोई बात नहीं करनी। हमारे बीच कुछ हो या ना हो लेकिन इतना तो तय है कि रूद्र को किसी और से प्यार है और वह उनमें से नहीं जो प्यार किसी और से और शादी किसी और से करते हैं। और मैं यहां आपके साथ आज के दिन को इंजॉय करने आई हूं ना की किसी और के बारे में बात करने के लिए।"

    लावण्या बोली, "लेकिन शरण्या! तू खुद सोच! वो कल रात को तेरे कमरे में क्या करने आया था, वह भी इस तरह पीछे की तरफ से? वो चाहता तो तुझसे फोन पर बात कर सकता था या कहीं बाहर मिलने बुलाना सकता था लेकिन वह इस तरह बालकनी से चढ़कर तेरे कमरे में आया और तेरे सोने के बाद वह चला भी गया, इस सब का क्या मतलब है? पगली वो भी तुझसे प्यार करता है। तू एक बार इस बारे में सोच कर तो देख।" शरण्या बोली, "मुझे इस बारे में कुछ नहीं सोचना और जो सोचना था वह मैंने सोच लिया है। अगर इस रिश्ते के लिए हां करके मैं मां को थोड़ी सी खुशी दे सकूं तो मुझे मंजूर है। वैसे भी वो कभी मेरे किसी काम से खुश नहीं होती, शायद इससे खुश हो जाए।"

    लावण्या ने अपना हाथ सिर पर दे मारा और बोली, "तू यह सब सिर्फ मां को खुश करने के लिए कर रही है तो तु बहुत बड़ी गलती कर रही है। किसी भी रिश्ते में पड़ने से पहले एक बार उस शख्स को अच्छे से जांच परख लेना चाहिए। माना हमारे मां पापा हमारे लिए कुछ गलत नहीं चुनेंगे लेकिन फिर भी गलत हो जाता है। जिंदगी तुझे उसके साथ बितानी है तो तुझे पहले उसे मिलना होगा, उसे समझना होगा उसके बाद तु उस रिश्ते के लिए हां करेगी। बिना उसे देखे बिना उसे जाने तु कोई फैसला नहीं लेगी फिर चाहे बात जो भी हो। अपनी लाइफ को लेकर इतनी बड़ी बेवकूफी मत कर शरण्या की बाद में तुझे पछताना पड़े। कुछ वक्त रुक जा। वो लोग अगले हफ्ते आ रहे हैं ना, तु लड़के से मिल लेना, उससे बात करना, हो सके तो उसके साथ वक्त गुजारना ताकि तुझे उसके बारे में कुछ पता चल सके। यह भी हो सकता है यह सब देख कर रूद्र तुझे अपने दिल की बात कह दे! अगर ना भी कहता है तो भी किसी अनजान के साथ तुझे ऐसे रिश्ते में बंधते हुए मैं नहीं देख सकती।"


      लावण्या अभी बोल ही रही थी कि तभी उसका फोन बजा, देखा तो कॉल रेहान का था। उसने फोन उठाया और उसके हेलो बोलने से पहले ही रेहान जल्दी है बोला, "लावण्या मैं तुम्हें ठीक 8:00 बजे पिकअप कर लूंगा तुम बस तैयार रहना लेट मत करना। फिलहाल मैं कुछ पेंडिंग काम निपटा रहा हूं इसलिए बीच में मुझे डिस्टर्ब मत करना, ठीक है?" लावण्या ने भी "ठीक है" कहा और फोन रख दिया। उसके चेहरे पर थोड़ी परेशानी के भाव थे जिसे शरण्या ने पढ़ लिया और बोली, "क्या बात है दी? कुछ हुआ है क्या, आप इतनी परेशान क्यों लग रही है? 

     "कुछ नहीं हुआ है छोटी! परेशान मैं नहीं हूं परेशान तो रेहान है। तुझे पता भी है, हमारी सगाई वाली रात जो रेहान का दोस्त आया था विक्रम! उस रात हमारी पार्टी से जाने के बाद किसी ने उसे बहुत बुरी तरह से मारा है। उस दिन से अभी तक वह बेचारा हॉस्पिटल में है और अगले कई हफ्तों तक डिस्चार्ज नहीं होने वाला। पता नहीं किसने किया यह सब, उसका हाथ तो पूरी तरह से फैक्चर है। रेहान ने काफी मेहनत की थी अपने उस प्रोजेक्ट पर ताकि वो विक्रम के साथ काम कर सके लेकिन डील से ठीक एक रात पहले विक्रम के साथ यह हादसा होना...... बेचारा रेहान! उसकी सारी मेहनत धरी की धरी रह गई। वैसे तो कई इन्वेस्टर मिल जाएंगे, उसमें कोई टेंशन वाली बात नहीं है लेकिन फिर भी परेशानी तो होती है।"

     विक्रम का नाम सुनते ही शरण्या को सगाई वाली रात उसकी हरकत याद आ गई। विक्रम का इतनी बुरी तरह से जख्मी होना यह साफ इशारा कर रहा था कि हो ना हो इस सबके पीछे रूद्र का ही हाथ है। उस रात को वो गुस्से में घर से निकला था। किसी और का तो पता नहीं लेकिन रूद्र जिस तरह गुस्से में था सिर्फ वही हो सकता है जिसने विक्रम को इतनी बुरी तरह से मारा हो। लेकिन अभी वह इस बारे में लावण्या को कुछ बता नहीं सकती थी। वो नहीं चाहती थी कि इस बारे में जरा सी भी भनक रेहान को लगे। इससे दोनों भाइयों के बीच दरार आ सकती थी, फिर चाहे बात कोई भी हो और वजह कुछ भी रही हो। तभी उसकी नजर सामने से चले आ रहे हैं रूद्र पर गई। उसके साथ कुछ बच्चे भी थे जिन्होंने फूड कोर्ट में आते ही शोर करना शुरू कर दिया तो वो उन्हें शांत करने में लग गया। शरण्या अच्छे से जानती थी कि आज का दिन रुद्र एनजीओ के बच्चों के साथ गुजारता है। 

     रूद्र की नजर जैसे ही उन दोनों बहनों पर पड़ी, उसने बच्चों को एक तरफ बिठाया और उनके लिए खाने को कुछ आर्डर करने के बाद उन दोनों की तरफ चला आया। रूद्र को देख लावण्या खुश हो गई। उसे रूद्र से बात तो करनी थी लेकिन कैसे? इसके लिए शरण्या को यहां से दूर भेजना था। लावण्या कुछ जुगाड़ सोचने लगी। 

     

     

      

क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. Awesome lovely super beautiful jabardast behtareen lajabab part

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 विहान मानसी के लिए काफी फिक्रमंद हो चुका है, नजाने ये राह कहा ले जाएगी और मानसी को हुआ क्या था उस रात?! 🤔 और लावण्या ने काफी अच्छे से समझाया है शरण्या को, सही कहा न उसने के चाहे जो भी हो वो ऐसे ही किसी अजनबी के लिए हां कैसे कर सकती है?! 🙄😶 और अब रुद्र आ गया है उधर..!! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  3. उत्तर
    1. जी जरूर ! आगे उसकी भी कहानी है जो आप सभी को अच्छी लगेगी।

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  4. Yeh maansi ke pati ka behave mujhe kuch thik nai lga raat ke time business meeting mein wife ke sath jana

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