ये हम आ गए कहाँ!!! (37)

      लावण्या भागती हुई अपने कमरे में आई और अपना फोन लेकर सबसे पहले रेहान का नंबर डायल किया ताकि रूद्र के बारे में पूछ सके। रेहान उस वक्त अपने कमरे में बैठा हूआ किसी प्रोजेक्ट की फाइल पर कुछ काम कर रहा था। लावण्या का कॉल देखते ही उसने जल्दी से फोन उठाया और बोला, "आखिर तुम्हें मेरी याद आ ही गई! वरना जिस तरह से तुम मुझसे दूर भाग रही हो ऐसा लग रहा है काश हमारी सगाई ही ना हुई होती! कम से कम बहाने से ही सही, तुम मुझसे मिलने आ जाती थी, या फिर मुझे देखने ही चली आती थी, कभी-कभी कॉल भी कर लेती थी लेकिन जब से हमारा रिश्ता तय हुआ है और खास तौर पर जब से हमारी सगाई हुई है सबसे तो तुम्हें मै याद ही नहीं रहा।"

     "कम ऑन रेहान!!! ऐसा कुछ नहीं है। पहले हम छुप छुप कर एक दूसरे को देखा करते थे। अब तो सबको पता चल गया है और सबके सामने हमारा रिश्ता भी तय हो चुका है। पहले जब मैं तुमसे बात करने के लिए तुम्हें कॉल करती थी तो किसी को फर्क नही पड़ता था लेकिन अब जब सब को पता है हमारे रिश्ते के बारे मे तो मै किसी को भी कॉल करू, सब को लगता है कि मै तुम्हें ही कॉल कर रही हूं और वैसे भी, आजकल तुम खुद ही इतना बिजी हो तुम्हारे पास वक्त कहाँ है मुझे फोन करने का! जो शिकायत तुम मुझसे कर रहे हो, वही शिकायत मैं तुमसे करना चाहती हूं। लेकिन मैं जानती हूं तुम आजकल बहुत बिजी हो और परेशान भी। वैसे कुछ पता चला विक्रम के बारे में, किसने किया यह सब?"

     रेहान ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "अभी तक तो कुछ पता नहीं चला। जिसने भी किया है वह बहुत ही बड़ा शातिर है। एक सुराग नहीं छोड़ा है उसने। ना हीं वहां आसपास किसी का फोन लोकेशन ट्रेक हुआ है। पता नहीं कब तक चलेगा यह सब, पुलिस अभी भी एक सुराग के इंतजार में है। खैर छोड़ो यह सब! कल के लिए तुम तैयार तो हो ना? आई मीन तुम और मैं!" लावण्या अच्छे से जानती थी कि रेहान किस बारे में बात कर रहा है। उसकी बात सुनते ही लावण्या की पकड़ फोन पर कस गई। रेहान की यह बातें अभी भी उसकी समझ में नहीं आ रही थी। जिसे हमेशा से ही सीधा साधा सिंपल सा इंसान समझा अचानक से जाने उसे क्या हो गया था। इसके बावजूद लावण्या मुस्कुराते हुए बोली, "कल......! कल रात तो ऑफिस की पार्टी है ना! कोई बात नहीं, मैं भी तो उसी ऑफिस में काम करती हूं, तुम्हें मुझे इनवाइट करने की जरूरत नहीं है, मैं आ जाऊंगी। नहीं........! तुम आना मुझे लेने मुझे, मुझे अच्छा लगेगा। बाय द वे! मुझे तुमसे कुछ और बात करनी थी इसलिए कॉल किया था। वह एक्चुअली, मुझे रूद्र से बात करनी थी। आजकल कहां है वो किसी को नहीं पता, यहां तक कि विहान को भी नहीं। तुम्हें अगर पता हो, अगर वह घर में हो तो क्या तुम उससे मेरी बात करवा सकते हो? कुछ जरूरी है!"

     "तो तुमने मुझसे इस बारे में बात करने के लिए कॉल किया था? यानी तुम्हें रूद्र से बात करनी थी इसलिए मुझे कॉल किया! अगर उससे बात करनी थी तो उसके फोन पर कॉल करो, मुझे क्यों कॉल किया और यह समझ नहीं आता हर कोई रूद्र का नाम ही क्यों जपते रहता है? मां को देखो वह भी सिर्फ उनके बारे में सोचती है, दादी को देख कर लगता ही नहीं कि मैं भी उनका पोता हूं और अब तुम भी शुरू हो गई? माना वह मेरा भाई है लावण्या लेकिन मैं भी हूं इस दुनिया में! लेकिन शायद किसी को दिखता ही नहीं है।" कहकर गुस्से में रेहान ने फोन काट दिया। लावण्या खामोश हो गई, रेहान आजकल कुछ ज्यादा ही बात-बात पर चिड़चिड़ा होने लगा था। 

     

    रुद्र काफी देर से शरण्या की खिड़की के नीचे खड़ा था। कमरे की लाइट ऑफ थी और रुद्र की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह उसके कमरे में जाए। डर और बेचैनी उसके दिल में घर कर बैठी थी। शरण्या को चोट पहुंचाने का ख्याल ने रुद्र की हिम्मत को पूरी तरह से तोड़ दिया था। और यही वजह थी कि वह अब तक उसके सामने नहीं जा पाया था। उसमें इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि वह शरण्या का सामना कर सके लेकिन दादी की बात भी तो सही थी! और यही बात विहान ने भी कही थी। "कहीं विहान की तरह ही उसकी भी हालत ना हो जाए यही सोचकर रुद्र का दिल बैठा जा रहा था। 

    लावण्या के कमरे से जाने के बाद शरण्या ने अपना बिस्तर ठीक किया और कमरे की लाइट ऑफ कर दी। लेकिन सोने की बजाय उसने अपना स्टडी लैंप ऑन किया और कुछ देर तक पेन और पेपर के साथ खेलती रही। काफी देर के बाद जब उसे अपनी बालकनी की तरफ हल्की सी आहट सी पाई तो उसने स्टडी लैंप को ऑफ कर दिया और मुस्कुराते हुए अपने बॉक्सिंग ग्लव्स पहन लिए। "आज तो तुझे नहीं छोडूंगी कमीनी!!" कहते हुए वो बालकनी के पास पहुंची जहां से उसे एक परछाई अंदर आती हुई नजर आई। 

    रूद्र बेचारा बड़ी हिम्मत करके ऊपर आया था, यह सोच कर कि शरण्या अब तक सो चुकी होगी और उसके नींद में होने का फायदा उठाकर उससे माफी भी मांग लेगा और शरण्या उसे माफ कर देगी। लेकिन जैसे ही वह बालकनी से अंदर कमरे में आया, एक जोरदार किक उसकी कमर पर पड़ी जिसके कारण वह सीधे जाकर बिस्तर के साइड में जमीन पर जा गिरा। रूद्र समझ गया कि आज उसकी बैंड बजने वाली है। शरण्या जैसे ही उसके करीब आई, रूद्र ने एक झटके से पलटी मारी जिससे उसका पैर शरण्या के पैर से जा टकराया और वह सीधे रूद्र के ऊपर आ गिरी। रूद्र ने भी उसे अपनी बाहों में थाम लिया। पहली बार रूद्र ने उसे यू थामा था, जब उसके दिल में शरण्या के लिए प्यार को वह महसूस कर चुका था। पहली बार वह शरण्या से मिल रहा था, उस लड़की से जिससे वह प्यार करता था, यह एहसास उसके दिल को धड़का गया। 

     रूद्र का ऐसे उसके करीब आना शरण्या को वैसे ही बेचैन कर देता था। इसके बावजूद आज उसने सोच रखा था कि वो किसी भी हाल में रूद्र को नहीं छोड़ेगी इसलिए उसने खुद को संभाला और अपने इरादे को मजबूत करते हुए उसी के ऊपर उठ बैठी। अपने ग्लब्स को ठीक करते हुए उसने रूद्र पर ताबड़तोड़ हमले करने शुरू कर दिए। "कमीने..! कुत्ते.....! गधे की दुम....! हाथी की सूँड! पानी की टंकी! बाथरूम की फ्लश!!!! तु इतने दिनों तक था कहां? तुझे पता है मेरे हाथ में कितना दर्द हो रहा था? जब तक तुझे मारू नहीं मुझे सुकून नहीं मिलता और तुझे भी तो बिना मेरे हाथ से मार खाए खाना हजम नहीं होता तो फिर इतने दिनों तक तू था कहां कमीने??? एक बार भी ख्याल नहीं आया तुझे मेरा? एक बार भी तुझे ऐसा नहीं लगा कि मुझसे मिलना चाहिए? कई दिनों से कमरे से बाहर नहीं निकली हूं मैं सिर्फ तेरी वजह से!"

    रूद्र बेचारा चुपचाप शरण्या के हाथ से मार खाए जा रहा था। ना उसने पहले कभी हिम्मत की थी उसे रोकने की और ना ही आज उसकी हिम्मत हो रही थी कि वह शरण्या को रोके। लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि शरण्या किस बात पर उससे गुस्सा है तो उसे थोड़ा अजीब लगा। उसने उससे बात करने की कोशिश की लेकिन शरण्या तो अपनी ही धुन में उसे मारे जा रही थी और बोले जा रही थी। जब शरण्या ने उसकी कोई बात नहीं सुनी तब उसने शरण्या का दोनों हाथ पकड़ा और पलटी मारते हुए उसके ऊपर आ गया। उसने शरण्या के दोनों हाथ में से बॉक्सिंग ग्लव्स उतार के फेंक दिए और उसके दोनों हाथों को सिर के ऊपर बांधते हुए बोला, "तू किस बात पर नाराज है? मैं तुझसे मिलने नहीं आया इस बात पर! पिछले कई दिनों से मैं तुझ से मिल नहीं पाया, तु मेरी वजह से कमरे में बंद है सिर्फ इसलिए क्योंकि तु मुझे मार नहीं पाई और ना ही मैं तुझसे मार खाने आया? तू सिर्फ इस बात पर गुस्सा है?"

    शरण्या ने उसे हैरानी से देखा और खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी, "तो मुझे और किस बात पर गुस्सा होना चाहिए तुझ पर बता? पिछले 1 हफ्ते से मेरे घर के बाहर खड़ा है लेकिन तुझ में इतनी भी हिम्मत नहीं है कि मुझसे मिल सके। पूरी रात ठंड मे मेरी खिड़की के बाहर खड़ा रहता है तु लेकिन एक बार भी नहीं हुआ कि मुझे कम से कम एक फोन ही कर ले। लेकिन नहीं........! तुझमें तो ईगो भर आया है ना! अब तो तू बहुत बड़ा हो गया है, मुझ पर गुस्सा करने लगा है, तुझे क्या फर्क पड़ता है मैं किस बात से परेशान हूं? तू सोच भी नहीं सकता इस वक्त मेरा दिल क्या कर रहा है? मेरा दिल कर रहा है मैं तुझे जी भर कर गालियां दु, तु आखिर खुद को समझता क्या है?"

    रूद्र ने उसके दोनों हाथों को एक हाथ से पकड़ा और उसके चेहरे पर आई लटों को कान के पीछे करते हुए बोला, "हिम्मत जुटा रहा था, तेरे सामने आने के लिए। जो कुछ किया मैंने तेरे साथ, उसके बाद मुझ में जरा सी भी हिम्मत नहीं बची थी कि मैं खुद का भी सामना कर सकूं।" शरण्या उसकी आंखों में तकलीफ साफ देख पा रही थी। रूद्र ने कहा, "चल तुझे एक कहानी सुनाता हूं! मेरी कहानी, बिल्कुल असली वाली। अक्टूबर का महीना था, मैं तकरिबन 5 साल का रहा होउगा। सुबह सुबह जब मेरी आंख खुली तो मेरे कमरे के ठीक पीछे जो पारिजात का पेड़ है, उसके नीचे मैंने एक लड़की को देखा था। गुलाबी रंग के फ्रॉक में, गुलाबी ठंड में पारिजात के फूलों के साथ खेल रही थी। उस वक्त वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। मुझसे रहा नहीं गया, मैं भागते हुए नीचे गार्डन में पहुंचा। उसकी नजर तब तक मुझ पर नहीं पड़ी थी। मैंने एक बैट लिया और उससे उस पेड़ की डाल को जोर से हिला दिया जिससे और भी बहुत सारे फूल उसके ऊपर आकर गिरे, जिसे देख वह बहुत ज्यादा खुश हो गई। मैं बस उसकी खुशी को करीब से देखना चाहता था इसलिए उसके पास गया और उससे हेलो बोला। उस लड़की ने मुझे देखा और तू सोच उसने क्या किया? उसने बिना एक भी पल गवाए एक पंच मेरी नाक पर दे मारा। मेरी हालत खराब हो गई और मेरी हालत देखकर उस लड़की के चेहरे पर जो खुशी थी वह खुशी उन फूलों के साथ खेलते हुए भी नहीं थी। छोटा सा था मै, इतनी समझ नहीं थी मुझे लेकिन इतना जरूर समझ गया था कि मुझे मार कर उसे अच्छा लग रहा है। उसने दोबारा जब मुझ पर वार किया तो मैंने उसे रोका नहीं। उसका जितना दिल किया उसने मुझे मारा, जब थक गई तब उसने एक डंडा उठा लिया और उससे मारा। जब उसका गुस्सा शांत हो गया तब उसने अपनी तोतली सी जुबान से जो कुछ भी कहा उससे इतना ही समझ में आया कि रेहान ने उसे बुली किया था और वह मुझे रेहान समझ कर ही मार रही थी। मैंने उससे कान पकड़कर माफी मांगी और कुछ देर बाद खुद रेहान के कान पकड़ खींचते हुए लेकर आया ताकि वो उससे माफी मांग सके।"

     "ये तू किसकी बात कर रहा है रूद्र? कौन सी लड़की और रेहान ने बुली किया था उसे? वो लड़की कौन है और कहां रहती है? तू जानता है उसे?" शरण्या ने उसे हैरानी से पूछा तो रूद्र बोला, "बिल्कुल जानता हूं मैं उसे! इनफैक्ट, हम सब उसे बहुत अच्छे से जानते हैं। तू भी जानती है उसे। तुझसे और मुझसे बेहतर उस लड़की को और कोई नहीं जान सकता। जानना नहीं चाहेगी वह लड़की कौन है?" शरण्या ने हां में सिर हिला दिया तो रूद्र उसे छोड़ कर उठ खड़ा हुआ और उसे उठने के लिए अपने हाथ बढ़ा दिए। शरण्या ने उसका हाथ थामा और खुद भी उठ खड़ी हुई। रूद्र ने उसका हाथ पकड़ा और आईने के सामने लाकर खड़ा कर दिया। "यह है वह लड़की, जिसने उस दिन के बाद से मुझे मारना और मुझ पर अपना हाथ साफ करना अपना हक समझ लिया। मुझे भी अच्छा लगता है उस लड़की से मार खाना। उससे कभी नाराज नहीं हो सकता मैं, बस उसकी नाराजगी से डरता हूं उसके हाथों मार खाने से नहीं। तकलीफ सिर्फ इतनी सी है शरण्या! कि जिस लड़की की आंखों में मैं कभी आंसू नहीं देख सकता था मैंने उससे बहुत ज्यादा दर्द दिया है, बहुत ज्यादा चोट पहुंचाई है और बहुत ज्यादा रुलाया है। तू मुझे जितना मारना चाहती है मार ले। आज भी तू अपनी मन की सारी भड़ास निकाल ले बस हमारा रिश्ता ऐसे ही रहे। हम कभी अलग ना हो और ना ही मुझे कभी तेरे सामने आने के लिए इतना सोचना पड़े।" कहते हुए रूद्र ने शरण्या के स्टडी टेबल पर रखी स्केल शरण्या के हाथ में पकड़ा दिया और अपनी हथेली आगे कर दी। 






क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. ओह्ह माय गॉड....!! रुद्र कितना क्यूट है!! मतलब कसम से, दिल जीत लिया उसने आज... स्केल भी थमा दी शरण्या के हाथों और खुद की हथेली भी आगे कर दी! और उसके शब्द, सच मे कमाल थे! 😍🤗 और शरण्या और रुद्र की पहली मुलाकात से ही लड़ाई होती आई है.... पर दोनो का रिश्ता वैसा ही अटूट है!! 💙💙 पर ये रेहान को आखिर हो क्या रहा है? बेचारी लावण्या, सच मे रेहान का बर्ताव समझ से बाहर है! 🙄🙄 खैर, अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  2. Oh my god 🙏🙏 oh my god 💕💕💕💕 suprbbbbbbbbbbbb 💕😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘💕😘😘💕

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  3. Awesome lovely super beautiful jabardast behtareen lajabab part

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  4. Rehan bhut hi disappoint kar rha h jbki wo phle kitna shant aur samajhdar tha aur rudra to bhut hi pyara bachcha h............is sab m rudra radio wali ko to bhool hi gya

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