ये हम आ गए कहाँ!!! (35)
विहान पिछले एक हफ्ते से रूद्र से मिला नहीं था। रूद्र ने जब आखिरी बार उसे कॉल किया था तब उसने सिर्फ और सिर्फ विक्रम के बारे में पूछा था ना कि कुछ और। उसके कुछ देर के बाद ही विक्रम का यू जख्मी होना उस पर इतना जानलेवा हमला, विहान समझ गया था कि यह सब सिर्फ रुद्र ही कर सकता है और कोई नहीं। लेकिन इस सबके पीछे की वजह वह समझ नहीं पा रहा था। उसे रूद्र से बात करनी थी लेकिन रूद्र कहा था कि किसी को नहीं पता था। ना तो दिन में वो घर पर मिलता ना ही रात को क्लब में। आखिर वो जाता कहा था ये बात किसी को नहीं पता थी। काफी कोशिशों के बाद जैसे ही विहान को पता चला कि रूद्र क्लब आया है, वह भागते हुए वहां पहुंचा और उसका कॉलर पकड़ उसे एक पंच मारा। विहान उसके रिएक्ट करने का वेट कर रहा था लेकिन रूद्र ने किसी तरह का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही उस पर वापस से हाथ उठाया। विहान ने उसका कॉलर पकड़ा और खींचकर ऊपर वाले फ्लोर पर लेकर गया जहां कोई नहीं था।
"हो क्या गया है तुझे रूद्र? तू है कहां? पिछले 1 हफ्ते से पागलों की तरह मैं तुझे ढूंढ रहा हूं और आजकल तू कर क्या रहा है? तुझे एहसास भी है, अब तु पिछले कुछ दिनों में कितना ज्यादा बदल गया है! मुझे तो यकीन नहीं होता यार कि तू वही रुद्र है जिसे मैं जानता हूं। तु इतना शांत कैसे हो गया और एक बात सच सच बता, ये विक्रम का क्या चक्कर है? अच्छे से जानता हूं मै, उसे इस हालत में पहुंचाने वाला सिर्फ और सिर्फ तु है कोई और नहीं। तूने मुझ से उसके बारे में पूछा और तेरी आवाज में जो गुस्सा था वह गुस्सा तूने विक्रम पर उतारा। लेकिन इतना बता मेरे भाई कि आखिर उसने ऐसा क्या किया था जो तू अपना आपा खो बैठा, तेरा खुद पर कोई कंट्रोल नहीं रहा।"
रूद्र रेहान की बातें बस सुने जा रहा था। विहान के इतना पूछने के बावजूद उसने एक शब्द नहीं कहा। सही तो कह रहा था विहान! पिछले कुछ दिनों में काफी बदल गया था वह। ना पहले की तरह खुश रह रहा था और ना ही पहले की तरह लोगों से मिलता था। एक अजीब सी खामोशी ओढ़ रखी थी उसने। शरण्या के साथ जो कुछ उसने किया उसके बाद से उसे खो देने का डर रूद्र के मन में गहरे तक बैठ गया था। उसे शरण्या से माफी मांगनी थी लेकिन इतनी भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि वह उसके सामने जा सके। पिछले एक हफ्ते से हर रोज वह शरण्या के घर के बाहर उसकी खिड़की के ठीक सामने पूरी रात खड़ा रहता, इस उम्मीद में कि एक बार शरण्या बालकनी में आकर उसे देखेगी लेकिन उसे पता चलता भी तो कैसे? रूद्र को खामोश देख विहान ने उससे कांधे से पकड़कर झकझोरा ताकि वह होश में आए और बोला, "रूद्र! हो क्या गया है तुझे? तू सुन भी रहा है मैं क्या कह रहा हूं? आखिर करना क्या चाहता है तु, चल क्या रहा है तेरे दिमाग में?"
रूद्र ने बिना उसकी ओर देखे कहा, "और तु क्या करना चाह रहा है? तेरे दिमाग में क्या चल रहा है? दिमाग छोड़, अपने दिल की बता! तेरा दिल किस रास्ते ले जा रहा है तुझे? एक ऐसा रास्ता जिसकी कोई मंजिल नहीं है। तु गलत रास्ते पर जा रहा है मेरे भाई, वापस लौटा आ!" रूद्र की बात सुन विहान हैरान रह गया। उसे समझ नहीं आया रूद्र किस बारे में बात कर रहा है। उसने पूछा तो रूद्र बोला, "मैं मानसी की बात कर रहा हूं!" विहान को मानो सांप सूंघ गया हो। उसने रूद्र से नज़रे चुराते हुए कहा, "ऐसा कुछ नहीं है! वह बस मैं उसे घर छोड़ने गया था इससे ज्यादा कुछ नहीं। वह नेहा की भाभी है यार और अमित की वाइफ। मेरे और उसके बीच क्या हो सकता है!"
"एक्जेक्टली!!! वह नेहा की भाभी है, अमित की बीवी! इसका मतलब समझ रहा है तू? तुम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता ये बात तु अच्छे से जानता है फिर क्यों? फिर क्यों तेरे कदम मानसी की ओर बढ़ रहे हैं? रोक ले खुद को, जिस रास्ते पर तू जा रहा है उसकी कोई मंजिल नहीं है। यह रास्ता ही गलत है, जिस पर तू जिंदगी भर चलेगा तब भी कहीं नहीं पहुंचेगा। इस रास्ते पर चलने का कोई मतलब ही नहीं है विहान, वापस लौट आ। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। अगर तू सच में मानसी से प्यार करता है ना तो उसकी लाइफ में वापस जाने की कोशिश भी मत कर। जो कहानी दो साल पहले खत्म हो चुकी थी उसे एक बार फिर जिंदा करने की कोशिश तु क्यों कर रहा है? तु जिस तरह नजरे चुरा रहा है उससे तु खुद समझ रहा है कि तेरी फीलिंग्स गलत है। जब मैंने तुझ से पूछा था उस मानसी के बारे में जो तुझसे ऊंटी मे मिली थी, तूने कहा था कि तुझे याद भी नहीं लेकिन उसकी सारी डिटेल तुझे पता थी। सिंपल सी, सीधी-सादी, मिडल क्लास फैमिली से वगैरह वगैरह!! जब तुझे वो याद ही नहीं थी तो उसके बारे में इतना सब कुछ तुझे कैसे याद रह गया। मानसी खुद भी यह सब कुछ भूल चुकी है विहान! उसने तेरी यादों को अपने दिल से मिटा दिया है। इसीलिए उसने उसी जगह से शादी की जहाँ से तेरी यादें जुड़ी थी।ताकि तेरी वही सारी यादों को भी दफन कर वहां एक नई यादें बनाकर एक नए रिश्ते से जुड़ सके। तू तो सालों से किसी लड़की के साथ रिलेशन में नहीं रहा, ना ही किसी को डेट किया, इसकी वजह मानसी ही थी ना? कह दे मै गलत हु।"
विहान मानो खुद की फीलिंग से लड़ते-लड़ते थक चुका हो। वह किसी हारे हुए खिलाड़ी की तरह रूद्र से बोला, "तु गलत नहीं है रूद्र! बिल्कुल भी गलत नहीं है। तेरी कहीं सारी बातें सही है। अगर इस सब मामले में कोई गलत है तो वह सिर्फ मैं हूं। सिर्फ मेरी एक बेवकूफी की वजह से मैंने उसे खो दिया। मैंने नही सोचा था यार, मुझे उससे प्यार हो जाएगा। उसके जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि वह मेरे लिए क्या थी। पिछले दो साल से उसे ढूंढने की हर मुमकिन कोशिश की मैंने लेकिन नहीं ढूंढ पाया और ना नही उस भुला पाया। मेरी एक छोटी सी गलती और मेरी पूरी जिंदगी बदल गई। आज उसे किसी और के साथ देखता हूं, कोई और उसे छूता है उसे प्यार करता है तो तकलीफ होती है यार, बहुत ज्यादा तकलीफ होती है। फिर भी खुद को नार्मल करने की कोशिश करता हूं। मैं यह नहीं कहता कि मुझे उसका प्यार चाहिए या मुझे उसका साथ चाहिए, मैं सिर्फ उसे खुश देखना चाहता हूं। अगर मुझे उसकी दोस्ती भी मिल गई ना, तब भी मैं खुद को बहुत बड़ा खुशनसीब समझूंगा। बस उसकी आंखों में आंसू नहीं देखना चाहता हु। उस रात अमित के कहने पर जब मैं उसे घर छोड़ने जा रहा था, तब बहुत ही अजीब तरीके से बर्ताव कर रही थी वह। सच कहूं रूद्र तो मुझे उसे लेकर डर लग रहा है। एक अजीब सी बेचैनी हो रही है जैसे उसके साथ कुछ गलत हो रहा हो। वो किसी मुसीबत में हो। आई होप कि उसके और अमित के बीच सब कुछ ठीक हो और ये सब मेरे मन का वहम हो।"
रूद्र ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे शांत करने की कोशिश करने लगा, "जब तू इतना कुछ समझता है तो यह भी समझ, तेरा मानसी के करीब जाना, बार बार उससे टकराना, ना तेरे लिए अच्छा है और ना ही मानसी के लिए। क्योंकि यहां बात सिर्फ तेरे और मानसी की नहीं है, नेहा को गलतफहमी हो सकती है यार। मानसी के पास जाने में तुझे नेहा की हेल्प चाहिए होती है। नेहा तुझे पसंद करती है ऐसे में तु उसे उम्मीद दे रहा है। जिस दिन उसे पता चलेगा कि तू उससे नहीं उसकी भाभी से प्यार करता है वह बुरी तरह से टूट जाएगी, इसलिए बेहतर है कि तू मानसी और नेहा दोनों से ही दूर रहे।"
रूद्र वहां से जाने को हुआ तो विहान ने पूछा, "रुद्र! तेरी वो आर जे शायराना मिली क्या, कुछ पता चला उसका?" रूद्र ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दिया और वहां से चला गया लेकिन जाने से पहले विहान ने फिर कहा, "रूद्र! जिंदगी में कभी भी अगर तुझे प्यार हो तो देर मत करना। प्यार में जरा सी देरी बहुत भारी पड़ती है यार। जो गलती मैंने की वो तु मत करना। अगर तू सच में उस लड़की से प्यार करता है तो ढूंढ उसे, किसी भी तरह। एनीवेज तुझे एडवांस में मेरी क्रिसमस। कल का तेरा कोई प्रोग्राम ना हो तो मुझे बताना।" रूद्र ने हां में सिर हिलाया और वहां से चला गया।
दादी रात को अपने कमरे में बैठी सोने की तैयारी में थी तभी रूद्र ने उनका दरवाजा खटखटाया। बड़ी देर कर दी आने में, कब से इंतजार कर रही थी तेरा!" दादी ने बिना रूद्र की ओर देखें कहां तो रूद्र बोला, "देर कहां हुई दादी, अभी तो रात के 10:00 ही बजे हैं। आप तो इतनी जल्दी नहीं सोने जाती हैं, और अगर इंतजार कर रही थी तो मुझे बुला लिया होता मैं चला आता।" दादी ने मुस्कुराकर उसे देखा और अपने पास आने का इशारा किया। रूद्र जाकर उनके बिस्तर पर लेट गया और उनकी गोद में सर रख दिया। दादी प्यार से उसके बाल सहलाते हुए बोली, "मैं आज की बात नहीं कर रही, मैं पिछले 1 हफ्ते से तेरा इंतजार कर रही हूं कि तू कब आएगा मेरे पास अपने दिल की बात कहने! जो बात तुझे परेशान किए हुए हैं जो बात तूने अपनी मां को बताई, ना ही अपनी दादी को! चाहती तो मैं आकर तुझसे बात कर सकती थी लेकिन मैं चाहती थी कि तू खुद आकर अपनी उलझनों को मुझसे बांटे। तेरे दिल में जो कुछ भी चल रहा है, जो भी तूफान मचा है कह दे उसे, शायद थोड़ी शांति मिले।"
"शांति ही तो नहीं मिल रही दादी! कब से मन बेचैन है। भटक रहा हूं यहां से वहां लेकिन सुकून कहीं नहीं मिल रहा। क्या करूं दादी, कहां जाऊं ताकि मन की ये बेचैनी को दूर कर पाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा दादी!" रुद्र की बात सुन दादी मुस्कुरा कर बोली, "देख बेटा! यह जो सुकून नाम की चिड़िया होती है ना, वह हमारे आसपास ही होती है बस हमें नजर नहीं आती। हमें ही ध्यान से देखना पड़ता है कि वह चिड़िया कहां जा कर बैठी है। किसी चीज पर या किसी इंसान पर या फिर कोई ऐसी जगह जो हमारे जेहन में हो लेकिन नजर में ना हो। ऐसी चीजें ढूंढनी पड़ती है ऐसे बैठे-बिठाए नहीं मिलती।"
रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "दादी....! कभी कभी आपकी बातें सर के ऊपर से निकल जाती है। अब यह चिड़िया कहां से आ गई इस सब में?" दादी बोली, "यह जो चिड़िया है ना जिसकी मैं बात कर रही हूं, यह वही चिड़िया है जिसे तु पिछले कई दिनों से ढूंढ रहा है। देख बेटा हर इंसान में कुछ ना कुछ खूबियां होती हैं, हर इंसान अलग होता है। उसकी चाहते अलग होती हैं। किसी को गाने बजाने में सुकून मिलता है किसी को घूमने फिरने में, किसी को लोगों से मिलने में, किसी को काम करने में। जैसे तुझे तूलिका के साथ मजा आता है।" रूद्र ने हैरानी से दादी की ओर देखा और बोला, "तूलिका???? अब यह तूलिका कौन है? दादी कसम से कह रहा हूं, मुझे इस नाम की किसी लड़की के बारे में कुछ नहीं पता आप की कसम!!!"
दादी हंसते हुए बोली, "तूलिका मतलब तेरा वो पेंट ब्रश। तुझे रंगों के साथ खेलना अच्छा लगता है ना, तो उसमें अपना सुकून ढूंढने की कोशिश क्यों नहीं करता? वह भी तो एक बेहतर विकल्प है!" रूद्र बोला, "वह सब भी कर के देख लिया दादी! पेंटिंग में तो बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा! मेरा मन इतना ज्यादा बेचैन है ना कि मुझे कहीं भी चैन नहीं मिल रहा।"
"तो फिर एक काम कर, अपनी आंखें बंद कर और उस एक चीज के बारे में सोच जो तेरे मन को सुकून देता है." दादी के कहने पर रूद्र ने अपनी आंखें बंद कर ली लेकिन उसे ऐसा कुछ नहीं सुझा। दादी उसके चेहरे के भाव को देखकर समझ गई और आगे बोली, "अब एक काम कर, उस इंसान के बारे में सोच जिसके पास तुझे चैन मिलता है।" रूद्र ने जब सुना तो उसके जेहन में बस एक ही नाम उभरा वो था शरण्या का। उसकी आंखों के सामने शरण्या का मासूम सा चेहरा घूम गया। उसने झटके से अपनी आंखें खोल ली। "जिसके पास तेरा सुकून है ना वह तेरी बेचैनी की वजह भी है, तो ज्यादा देर मत कर! इससे पहले कि बात हाथ से निकल जाए, जाकर मना ले उसे, जा उसके पास!" दादी बोली जो उसे देखकर मुस्कुराए जा रही थी।
क्रमश:
Nice part
जवाब देंहटाएंNice part
जवाब देंहटाएंSuperb aye haye dadi great ho
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 ये इश्क़ क्या न करवा दे? अच्छे भले रुद्र को उलझा कर खामोश करके रख दिया!! वैसे रुद्र ने आज विहान को बढ़िया तरीके से समझाया!! सच कहा उसने के जिस राह की कोई मंजिल नही वहां चलकर कोई फायदा नही...!! और शायद रुद्र को शरण्या के आर.जे. होने की बात पता लग गई है, शायद! 🤔 बाकी दादी ने भी रुद्र को अच्छे से समझाया! अब शायद रुद्र शरण्या के पास जाने की हिम्मत करे....!! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊
जवाब देंहटाएंDekhte shravbnya kya karti hai maaaf
जवाब देंहटाएंAwesome lovely super beautiful jabardast behtareen lajabab part
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